Tarahi Salaam | Anjuman Merajul Islam Lucknow | Shabbedari | Anjuman Guncha E Mazloomiya Lucknow |

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  • เผยแพร่เมื่อ 12 ต.ค. 2024
  • Tarahi Salaam | Anjuman Merajul Islam Lucknow | Shabbedari | Anjuman Guncha E Mazloomiya Lucknow |
    ❤️❤️❤️सलाम ❤️❤️
    जब तक उसको शेर की ठोकर नें समझाया नहीं
    ज़ुल्म का मगरूर दरिया होश में आया नहीं
    गिरते जाते हैँ समंदर ये मगर भरता नहीं
    कितना गहरा है येः चूल्लू कोई अंदाज़ा नहीं
    प्यास ऐसी मश्क़ में सातों समंदर भर लिए
    और वफ़ा ऐसी कि पानी की तरफ देखा नहीं
    शब का सीना चीरता आता है सरवर की तरफ
    राहवारे हुर है येः टूटा हुआ तारा नहीं
    शेर के हाथों का चूल्लू है कि बहरे बेकरां
    कोई धारा आज तक साहिल से टकराया नहीं
    कैसा पारा है अलाबरदार ए सरवर का जलाल
    तेज़ बर्फीली हवाओं में भी ये गिरता नहीं
    जिस तरह हुर के लिए सरवर के मशकीज़े खुले
    ऐसा सावन तो किसी बादल नें बरसाया नहीं
    आफ़ताब अच्छा नहीं इतना तमाज़त पर गुरूर
    तू अभी अब्बास कि नज़रों से टकराया नहीं
    अलक़मा ये हाथ दस्ते हज़रते अब्बास है
    जो भी इस पंजे में आया है कभी छूटा नहीं
    जौन की सूरत को जब देखा तो बोली चांदनी
    चाँद का चेहरा भी रौशन है मगर इतना नहीं
    हर मुअर्रिख लिख रहा है ख़ुतबा ए आबिद के बाद
    इक सूरज शाम तक आया मगर डूबा नहीं
    दीदा ए दाऊद ए सरवर तेरी हैबत को सलाम
    कौन सा लोहा तेरी नज़रों ने पिघलाया नहीं
    पेश कर दो उर्फी उसके सामने हुर की मिसाल
    जो कहे पत्थर प पानी का असर होता नहीं

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