हम पंजाबियों में भी इस तरह के रिवाज हैं, जो बंद होने चाहिएं।आपको देखकर हिम्मत मिली। धन्यवाद🙏🌹 सभी महिलाओं को इसी तरह मिलकर आगे आकर दिखावे वाली मान्यताओं को खत्म करना चाहिए। अमीर लोगों को फर्क नहीं पड़ता लेकिन गरीब को बहुत भारी पड़ता है।
कार्यक्रम अति आवश्यक होते है, क्योंकि इससे परिवार को अवसाद (डिप्रेशन)से निकलने में सहायता मिलती है । हां खाना सादा भोजन तथा एक मिठाई पर्याप्त है। लेनदेन समाप्त होना चाहिए।
दीदी आपने बहुत ही अच्छी बात कही। हमारे अग्रवाल समाज मे भी जो लोग दुख मे आते है उन्हे बर्तन कपडे मिठाई दान के रूप मे बाटी जाती जिससे घरवाले व्यवस्था करने मे परेशान होते है। अभी हाल मे हमारे दूर के मामाजी का देहावसान हुआ और उनके परिवारजन बहुत ही महत्वपूर्ण निर्णय लिया उन्होंने सभी आगतुको को छोटे पौधे दिए और अनुरोध किया कि वे दिवंगत आत्मा की याद मे उन्हे लगाए। यह एक सराहनीय कदम है। सभी को इसे अपनाना चाहिए।
To all Ja ins: Sabse bade ghotalebaaz tumlog ho. Harshad mehta, choksi, mehra bros, parekh, moni jain....long list. 24% tax ka jhuutha propaganda band karo. Bank loan ke sabse badey defaulters sabse jyada tum ho. Raciist bhi tum sab hi ho. Jaha rahte ho waha kisi ko ghar nahi lene de. Nautanki mat karo. @@kchauhan6461
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बहुत अच्छे विचार हैं आपके पर इसमें एक और मुद्दा जोड़ना चाहिए सभी समाजों की तरह जैन समाज को भी विवाह सम्मेलन करना चाहिए जिससे एक एक परिवार का लाखों रुपए बचेगा
कोई भी समाज हो कुरीतियां अंधविश्वासों शरीर के लिए हानिकर धन का दुरूपयोग अवैज्ञानिक असामाजिक दिखावा स्त्री अपमान आदि से जुड़ी बातों को त्याग दिया जाना चाहिए।आप अच्छा काम कर रही हैं। धन्यवाद
सराहनीय प्रयास है मात्र जैन समाज में नहीं बाकी सब समाजों में भी लेना देना और भोजन की व्यवस्था दिन पर दिन दिखावे की ओर बढ़ती जा रही है ऐसे समय में भी लोगों को वाह वाही लूटने की रहती है
Ek नंबर.....100% agreed..Aaj kal मौत भी रिसेप्शन जैसे भोजन रखा जाता है...डेकोरेशन k saath...aur लिफाफा तो बहुत ही जरूरी हो गया...इसे बदलना चाहिए...want to join ur group
Jay Jinendra बहुत बढ़िया प्रयास है आपका मैं भी आपके साथ हूं मैंने तो प्रमाण सागर जी महाराज के कहने के अनुसार पिछले तीन-चार सालों चार-पांच सालों से गाड़ी लेन में मिलने वाली चीजें लेना बंद कर दिया ससुराल पियवा बच्चों के ससुराल के छूट रखकर मुझे भी बहुत बुरा लगता था जब घर में ऐसा गमगीन माहौल और दाग के दूसरे दिन ही लोग रखकर लेन-देन को लेकर साड़ियों को लेकर चर्चा करते हैं लोगों में जागरूकता आना चाहिए छोटे शहरों में और गांवों में बिजनेस में लड़कों को भी लड़की देना चाहिए Rishte ki Hamare Dharm aur Sanskriti ki Raksha ho sake भी जोर देना होगा
मै जालंधर पंजाब का निवासी हूँ । हमारे जैन समाज में पैसों का लिफाफा देने पर पुरी तरह से पाबंधी है। जब किसी का स्वर्गवास होता है , तो अंतिम संस्कार में समाज के लोग और रिश्तेदार शव पर दौशाला ऑडाते है और अगले ही दिन सुबह के समय रस्म पगड़ी / उठाला हो जाता है। बाहर शहर गाँव से आये रिश्तेदारो और निकट सम्भंदिओं का खाना होता है पर लिफाफा कैश आदि नहीं चलता। मेरा ये प्रयास है की रस्म उठाले की परम्परा भी समाप्त होनी चाहिए और ये ऑनलाइन प्रार्थना ही होनी चाहिए ताकि कोई किसी प्रकार का रस्म पगड़ी मे होने वाला ताम झाम भी ना हो।
जय जिनेन्द्र बहन जी आपने सही कहा है और आज एक बफर सिस्टम जो शुरू हो गया है ये बफर के सफर को भी बन्द हो में राजेश कुमार फिरोजाबाद से आपके साथ हूं ???????????????????? बहन जी जैन समाज में एक और गुटबाजी शुरू हो गई है उस पर भी चिन्तन व मनन किया जावे जैसे अपने जैन समाज के साधु संतों ने जो ग्रुप बनाना शुरू किया है उस पर बिचार करें और समाज को जागरूक करने का प्रयास करें मैं राजेश कुमार जैन फिरोजाबाद आपके साथ हूं ???????????????????????
बहुत अच्छी बात है, शोक सभा मृत्यु भोज शान्ति प्रार्थना सादगी से होना चाहिए....... दिखावा क्या,यह एक सामाजिक संवेदना का संस्कार है, घर के लोग तो वैसे ही...... दुख मे होते है, साधारण तरह से ही...... संपन्न हों...... अच्छे कर्म ही दुनिया याद रखती है,...
बहिन जी आप को बहुत बहुत साधुवाद बहिन जी मृत्यु भोज तो सभी समाज में बंद होना चाहिए तरूण सागर जी ने कहा है कि मृत्यु भोज खाना मरे व्यक्ति का मांस खाना के समान है
जय जिनेंद्र पूर्व में शादी विवाह में भी सभी महिलाएं मिलकर शुद्ध मर्यादित भोजन तैयार करती थी परंतु वर्तमान में यह व्यवस्था खत्म हो चुकी है अतः सभी महिलाओं को मिलकर पुनः शुद्ध मर्यादित भोजन कराने की व्यवस्था शादी विवाह में एवं अन्य कार्यक्रम में करनी चाहिए
आजकल देखा जा रहा है कि तेरही में जो भोजन बनता है जैसे शादी विवाह में भोजन बनता है। बड़े अफसोस की बात है कि एक तरफ घर में गमी का माहौल है और उसपर खान-पान । मृत्यु भोज को राजस्थान सरकार ने बैन लगा दिया है जो सही है।
बदलाव अपने शुरू करनी चाहिए हमारे समाज में जो मिलनी होती थी पहले वह केवल चार रुपये की होती थी अब लोग पता नहीं कितनी कितनी किसकी लंबी लिस्ट थमा देते हैं मैंने मेरे बच्चों की शादी से वही पुरानी रीत अनुसार चार रुपये की मिलनी ली और दी आगे चाहते हैं कि भोजन में पानी मिलाकर 11 चीजे ही होनी चाहिए और इतना ही काफी होता हैं
मैने तो मृत्यु भोज करने का मृत्यु भोज मे भोज करने का मृत्यु के संदर्भ मे कुछ भी लेने का बहुत पहले ही त्याग कर लिया था, आपका यह कदम बहुत सराहनीय है मै और मेरा परिवार आपके साथ हैं, मृत्यु भोज मे तो अनेक मिठाईया बनाई जाती है लेकिन उन दिनो मे यदि कोई मिठाई लेकर जाता है तो कहते है हमारे शोक है नही रखेगे यह कैसी प्रथा
These rituals are symbolic to restart the life in a normal way ,but it is true that nowdays it has become a showoff.These rituals should be performed with eternal simplicity and should be minimalistic
जैन समाज में विवाह शादी दिन में होनी चाहिए शादियों में खाने की बरबादी नहीं होनी चाहिए किसी के भी यहां मरनओपरआत शोक सभा में जाए तो वहां खाना बिल्कुल सादा होना चाहिए
किसी के घर कोई मर गया हो तो वहां खाना ही क्यों??? बल्कि अपने घर से खाना ले जाकर उनके घर वालों को खिलाना चाहिए। पांच की जगह तीन सब्जी ! वाह! क्या सुधार है।😂
सनातन में भी सबसे बड़ी कुरीति मृत्युभोज है, इसे दूर होना चाहिए, साथ ही विधवा पुनर्विवाह भी किसी औरत के दुख को दूर कर उसके जीवन में खुशियां भरने का सबसे उचित समाधान है।
इस जैन बहन जी ने बिल्कुल ठीक कहा है कि समाज में अगर कुछ बुराइयां है तो हर आदमी का कर्तव्य है कि हर समाज के लोग संगठित हो और उन बुराइयों को दूर करें यही सबके हित में है
Jain समाज अब दिखावा मैं ज्यादा आ गया है लोगो की आपसी प्रेम सौहार्द की भावना काम होती जा रही है उससे बड़ी बात दुसरे कास्ट मैं शादी करना और मां बाप की यह सोच शादी शहर मैं करना , मॉडर्न सोच को बड़ावा देना कल्चर से विमुख होना आदि बातो को भी शामिल करना चाहिए वर्ना जैन समाज की परंपरा लोग भूलने न लग जाए?
सभी समाजों में ये कुरीतियों है जो आपने उठाई है जानवर भी दुसरे साथ के जानवर के मरने में शोक मनाता है खाता पीता नहीं है और हम आशुओं में भींगा भोज खाते हैं वो आशु बहन बेटी पत्नी पति बेटे सभी के होते हैं मृत्यु भोज की परंपरा खत्म होनी चाहिए आप लोगों का कदम सराहनीय है
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बहुत अच्छा लगा आपको सुनकर मैं भी जैन समाज से हूं और जनरली मैंने देखा कि एकदम मृत्यु भोज होती है वहां बेचारे इंसान अपने मरने वाले को याद करें या आने वाले की व्यवस्था में लगना पड़ता है और उसमें भी समाज के और परिवार के लोग अगर दो सब्जी या एक सब्जी कम पड़ गई तो तुरंत खाने का मजाक बनाना शुरू कर देते हैं तो मुझे तो लगता है कि यह क्या है तो जैसे कि आपने कहा कि जब हम लेना ही बंद कर देंगे तो फिर देने वाले भी कम हो जाएंगे।
Jain samaj Bharat ka ek intellectual samaj hai, issiliye Jainio ko chahiye ki ve adhik se adhik bachhe paida karein, taki Bharat me achhe nagriko ki bahutayat ho sake.
मरण mot के कार्यक्रम ही नहीं शादी या अन्य कार्यक्रम बहुत सादगी से होना चाहिए किसी भी प्रकार का लेन देन या फिजूल खर्च नहीं होनी चाहिए धन का उपयोग धर्म के प्रचार प्रसार me होना चाहिए समाज को समृद्ध शाली बनाने में होना चाहिए कुरीतियों को हटाना ही चाहिए our अछि व्यवस्था लागू करनी चाहिए
हिन्दू धर्म का ही अंग है जैन धर्म बौद्ध धर्म , सिक्ख धर्म , हम सभी सनातनी हैं ,पर एक बात हमें अच्छी नहीं लगती पर परम आदरणीय गुरूदेव क्षमा करेंगें नंगा होना पैदल चलना हमें साफ अच्छा नहीं लगता कृपया इस नियम को बदला जाय।🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
आपको सादर नमन ! भाईसाहब, जैन धर्म हिंदू धर्म का अंग बिलकुल नहीं हैं ! जैन धर्म वेदों के पुर्व का हैं | वेदो में जैन धर्म का अलग से व्याख्यान मिलते हैं | इसका अर्थ ही यह हैं कि वेदों के पूर्व भी जैन धर्म का अस्तित्व रहा हैं ! वेद काल में जैन, बौद्ध व ब्राह्मण इन धर्म का उल्लेख मिलता हैं|
और आप कि दृष्टी में जो नंगा पण हैं कृपया उसे आप ठीक करें | जैन साधू नंगे नहीं बल्की वह दिगंबर होते हैं | नंगे तो पशू, पक्षी होते हैं | नागा साधू भी होते हैं | दिगंबर मुनी कि चर्या अत्यंत कठीण साधना होती हैं| कपडे तो थंड एवं आपने विकारों को ढकने के लिए होते हैं| जो निर्विकार हैं उन्हे कृपया आप निर्मल दृष्टी से देखने कि कृपा करे |
Om Arham🙏 bahut sundar Ye sab purani pratha band honi chahiye jo last point woh bahut hi galat hai is muhim ko pure samaj ke samne prastu karni chahiye 🙏
मै आपके विचारो से बहुत सहमत हु एक तरफ उसके घर से इन्सान जा रहा हे और एक तरफ देना लेना मिठाई बनाना कहा शोभा देता हे को इ इसके काबिल हो या ना हो कहते हे करना पडेगा क्यो मै यही दुआ करती हु आप सभी बहनो को इसमे अपार सफलता मिले जय जिनेन्द्र
हमारी बुंदेलखंड की जैन समाज में समाज के अधिक से अधिक व्यक्ति मृत्यु भोज के भजन का त्याग किए हुए हैं हमारे यहां कोई लेनदेन की प्रथा नहीं चलती है एक पगड़ी रसम होती है जिसमें सिर्फ रिश्तेदार तौलिया बांधते हैं और हमारे यहां साधारण भोजन ही कराया जाता है।
अब जैन समाज सभ्य नही रहा आप की आवाज को नही मानने बाले bakbash हो गया समाज अब होटल मै प्रोग्रम अधिक मनाने वाले अधिक होगये जन्म दिन हो शादी की वर्ष गा ठ हो सब रात को मनाने वाले अधिक है और तो और देखा देखी की होड़ मै समाज मै मिडिल क्लास परिवार परेशन रहता है कुल मिलाकर अब वो बात नही रही समाज मै जो पहले थी जय जिनेंद्र
सिर्फ जैन समाज नहीं, आजकल लोगों में दिखावे का प्रचलन अधिक हो गया है। आपने बहुत अच्छा मुद्दा उठाया है। मैं आप से सहमत हूँ।
It has to change in Maheshwari samaj also .
Mariani Samantha ka bhi yahoo haal chaahe Pati ki mrituyu ho yahoo bete ki
Yeh janam/ murtyu Bhojan hona hi nahi chaiye jain samaj mai koi maharajji se puch lena
Except family member in their home
In all sanatan samaj...bade bujarg jo sikha kar gye...usko hamne adhunikata ke chalte galat rup de diya he@@sarojmodi8327
Shuru Kaun karega,jo sabse pahle simple khana dega,log bate banayege.
हम पंजाबियों में भी इस तरह के रिवाज हैं, जो बंद होने चाहिएं।आपको देखकर हिम्मत मिली। धन्यवाद🙏🌹 सभी महिलाओं को इसी तरह मिलकर आगे आकर दिखावे वाली मान्यताओं को खत्म करना चाहिए। अमीर लोगों को फर्क नहीं पड़ता लेकिन गरीब को बहुत भारी पड़ता है।
Bhai hamare HP mein bhi yahi shuru ho gya hai
Hmare yha par b ye riwaj hai
कार्यक्रम अति आवश्यक होते है, क्योंकि इससे परिवार को अवसाद (डिप्रेशन)से निकलने में सहायता मिलती है ।
हां खाना सादा भोजन तथा एक मिठाई पर्याप्त है। लेनदेन समाप्त होना चाहिए।
Bahan ji ne yehi bataya he...
Ye aapne sahi kaha
मेरे पास शब्द नहीं है आपकी प्रशंसा के लिए.... बहुत बढ़िया काम कर रही हैं आप .....समाज में परिस्थिति अनुसार परिवर्तन लाना हर धर्म का कर्तव्य है
बहन जी के विचारों से मैं पूरी तरह सहमत हूँ.. आपने शुरुवात कर दी है तो परिणाम भी अनुरूप ही होगा
बेहन सच कहा आप ने। सादगी ही सही है। सिर्फ जैन धर्म ही नहीं, सब धर्म में हो सादगी
मेरा पुरजोर समर्थन है आपके उठायें हुई इस मुहीम के लिये
Bharamno me bhi band hona cahiye
@@rajapandit2014
Ha bilkul galat to galat hai
Hona chahiye
Tum sayad surname dekh kar likhe ho ye...
But galat to galat hai
Band ho
दीदी आपने बहुत ही अच्छी बात कही। हमारे अग्रवाल समाज मे भी जो लोग दुख मे आते है उन्हे बर्तन कपडे मिठाई दान के रूप मे बाटी जाती जिससे घरवाले व्यवस्था करने मे परेशान होते है। अभी हाल मे हमारे दूर के मामाजी का देहावसान हुआ और उनके परिवारजन बहुत ही महत्वपूर्ण निर्णय लिया उन्होंने सभी आगतुको को छोटे पौधे दिए और अनुरोध किया कि वे दिवंगत आत्मा की याद मे उन्हे लगाए। यह एक सराहनीय कदम है। सभी को इसे अपनाना चाहिए।
जैन समुदाय को शादी के लिये ज्यादा धन खर्च करना बंद करना चाहिए और वहीं धन ज्यादा बच्चों की परवरिश में खर्च करना जरूरी है।
Bachat kare aur jyada se jyada jeevdaya kare
Koi apne dharam pe nhi h dhan ektha Krna pap h but sabse jyada ye hi krte h
सभी समाज में व्याप्त बुराई को दूर करना चाहिए।
Right😂comment😂😂😂😂
To all Ja ins: Sabse bade ghotalebaaz tumlog ho.
Harshad mehta, choksi, mehra bros, parekh, moni jain....long list. 24% tax ka jhuutha propaganda band karo. Bank loan ke sabse badey defaulters sabse jyada tum ho. Raciist bhi tum sab hi ho. Jaha rahte ho waha kisi ko ghar nahi lene de. Nautanki mat karo.
@@kchauhan6461
@@kchauhan6461To all Ja ins: Sabse bade ghotalebaaz tumlog ho.
Harshad mehta, choksi, mehra bros, parekh, moni jain....long list. 24% tax ka jhuutha propaganda band karo. Bank loan ke sabse badey defaulters sabse jyada tum ho. Raciist bhi tum sab hi ho. Jaha rahte ho waha kisi ko ghar nahi lene de. Nautanki mat karo.
@kchauhan6461
बहनजी आज का समाज पूरी तरह गल गया है। सादगी वाले आदमी का आज का समाज बहिष्कार करता है। आपकी पहल बहुत ही प्रशंसनीय है।
बहुत सुंदर तथा प्रशंसनीय prayas. गुरुओं की कृपा बनी rahe.
बहुत अच्छे विचार हैं आपके पर इसमें एक और मुद्दा जोड़ना चाहिए सभी समाजों की तरह जैन समाज को भी विवाह सम्मेलन करना चाहिए जिससे एक एक परिवार का लाखों रुपए बचेगा
कोई भी समाज हो कुरीतियां अंधविश्वासों शरीर के लिए हानिकर धन का दुरूपयोग अवैज्ञानिक असामाजिक दिखावा स्त्री अपमान आदि से जुड़ी बातों को त्याग दिया जाना चाहिए।आप अच्छा काम कर रही हैं। धन्यवाद
विचार अच्छे हैं
आचार्य तुलसी ने एक नारा दिया
। जब जागो तभी सवेरा।
सराहनीय प्रयास है मात्र जैन समाज में नहीं बाकी सब समाजों में भी लेना देना और भोजन की व्यवस्था दिन पर दिन दिखावे की ओर बढ़ती जा रही है ऐसे समय में भी लोगों को वाह वाही लूटने की रहती है
सृष्टि में जो भी बड़े परिवर्तन हुए हैं वह महिलाओं के द्वारा ही हुए हैं पहाड़ों में चिपको आंदोलन उसका एक उदाहरण है
Ek नंबर.....100% agreed..Aaj kal मौत भी रिसेप्शन जैसे भोजन रखा जाता है...डेकोरेशन k saath...aur लिफाफा तो बहुत ही जरूरी हो गया...इसे बदलना चाहिए...want to join ur group
जितना जल्दी हो इन कुरीतियो को समाप्त कर समाज को नई दिशा दी जाए सबका साथ और सहयोग जरुरी है हम सब आपके साथ है
VERY GOOD SISTER!
I APPRECIATE YOUR EFFORTS.
MAY JAIN SAMAJ SHOW THE LIGHT TO THE WHOLE WORLD.
Jay Jinendra बहुत बढ़िया प्रयास है आपका मैं भी आपके साथ हूं मैंने तो प्रमाण सागर जी महाराज के कहने के अनुसार पिछले तीन-चार सालों चार-पांच सालों से गाड़ी लेन में मिलने वाली चीजें लेना बंद कर दिया ससुराल पियवा बच्चों के ससुराल के छूट रखकर मुझे भी बहुत बुरा लगता था जब घर में ऐसा गमगीन माहौल और दाग के दूसरे दिन ही लोग रखकर लेन-देन को लेकर साड़ियों को लेकर चर्चा करते हैं लोगों में जागरूकता आना चाहिए छोटे शहरों में और गांवों में बिजनेस में लड़कों को भी लड़की देना चाहिए Rishte ki Hamare Dharm aur Sanskriti ki Raksha ho sake भी जोर देना होगा
We all are with you बहन 🥰🥰🥰🥰
I totally agree with you 👍 💯%
आपकी इस पहल के लिए बाड़मेर की बहनों को साधुवाद
मै जालंधर पंजाब का निवासी हूँ । हमारे जैन समाज में पैसों का लिफाफा देने पर पुरी तरह से पाबंधी है। जब किसी का स्वर्गवास होता है , तो अंतिम संस्कार में समाज के लोग और रिश्तेदार शव पर दौशाला ऑडाते है और अगले ही दिन सुबह के समय रस्म पगड़ी / उठाला हो जाता है। बाहर शहर गाँव से आये रिश्तेदारो और निकट सम्भंदिओं का खाना होता है पर लिफाफा कैश आदि नहीं चलता। मेरा ये प्रयास है की रस्म उठाले की परम्परा भी समाप्त होनी चाहिए और ये ऑनलाइन प्रार्थना ही होनी चाहिए ताकि कोई किसी प्रकार का रस्म पगड़ी मे होने वाला ताम झाम भी ना हो।
Bahut sundar message hai jain samaj ke liye.
Pariwartan jarur hona chahiye.
जय जिनेन्द्र बहन जी आपने सही कहा है और आज एक बफर सिस्टम जो शुरू हो गया है ये बफर के सफर को भी बन्द हो में राजेश कुमार फिरोजाबाद से आपके साथ हूं ????????????????????
बहन जी जैन समाज में एक और गुटबाजी शुरू हो गई है उस पर भी चिन्तन व मनन किया जावे जैसे अपने जैन समाज के साधु संतों ने जो ग्रुप बनाना शुरू किया है उस पर बिचार करें और समाज को जागरूक करने का प्रयास करें मैं राजेश कुमार जैन फिरोजाबाद आपके साथ हूं ???????????????????????
बहुत अच्छी बात है, शोक सभा मृत्यु भोज शान्ति प्रार्थना सादगी से होना चाहिए....... दिखावा क्या,यह एक सामाजिक संवेदना का संस्कार है, घर के लोग तो वैसे ही...... दुख मे होते है, साधारण तरह से ही...... संपन्न हों...... अच्छे कर्म ही दुनिया याद रखती है,...
हमारे निमाड म.प्र. मेऐसा कोई रिवाज नही हैं ।फिर भी अगर ऐसा कोई रिवाज होतो बंद करना चाहिए ।इसकी शुरुआत अपने घर ,गांव ,परिवार ......से होना चाहिए ।🌹🌹🌹
बहुत सुन्दर,जन जागरण के लिए बधाई की पात्र हो, हमारा मंगल आशीर्वाद
बहिन जी आप को बहुत बहुत साधुवाद बहिन जी मृत्यु भोज तो सभी समाज में बंद होना चाहिए तरूण सागर जी ने कहा है कि मृत्यु भोज खाना मरे व्यक्ति का मांस खाना के समान है
किसी धर्म या समाज में सुधार तभी संभव है जब उसी वर्ग के लोग उसके विरूद्ध अपनी आवाज बुलंद करे, इस दृष्टि से आपका प्रयास सराहनीय है
आपका यह बहुत ही सराहनीय कार्य है।
जय जिनेंद्र पूर्व में शादी विवाह में भी सभी महिलाएं मिलकर शुद्ध मर्यादित भोजन तैयार करती थी परंतु वर्तमान में यह व्यवस्था खत्म हो चुकी है अतः सभी महिलाओं को मिलकर पुनः शुद्ध मर्यादित भोजन कराने की व्यवस्था शादी विवाह में एवं अन्य कार्यक्रम में करनी चाहिए
Very good initiative. Salute to you all, & hope that it will be continued with more chains to be broken 🙏🙏🙏
It's not only with rich jain community only.. Plz take it to the whole society..
My good wishes🙏
बैरसिया भोपाल मध्यप्रदेश में इस प्रथा का सामाजिक स्तर पर निषेध है। आप का प्रयास सराहनीय है, साधुवाद
बहन आपके विचारों से मैं पूर्णतया सहमत हूं। हमारे ब्राह्मण समाज में भी यह सभी प्रथाएं प्रचलित हैं । हमें लगता है कि इनमें सुधार किया जाना चाहिए
यह रिवाज हम भारतीयों के दिमाग में रच बस गए हैं लेकिन हमें उनको छोड़कर अपने पुराने रीति रिवाज पर ही ध्यान देना चाहिए और अपनाना चाहिए
Mrutyu Bhoj bilkul band Hona chahie
छोटे बच्चों को जो दीक्षा दी जा रही है उस पर भी प्रतिबंध लगना जरूरी है । 18 साल की उम्र तय की जाए ।
8 साल के बाद से ले सकते है यह धर्म मे लिखा है।
Sab kuch soch samajh kr Kiya jata h.. gurudev dhyan rakhte h.. vo diksha k layak h bhi ya nhi.. aap apna dhyan rakhiye
वैसे भी जनसंख्या क कम हो रही है आपके समाज की ओर साधु बना देना क न्हा तक सही ह
Bilkul sahi he
@@Saksham_jain__611😂
आजकल देखा जा रहा है कि तेरही में जो भोजन बनता है जैसे शादी विवाह में भोजन बनता है। बड़े अफसोस की बात है कि एक तरफ घर में गमी का माहौल है और उसपर खान-पान । मृत्यु भोज को राजस्थान सरकार ने बैन लगा दिया है जो सही है।
सच में बहुत अच्छा कदम है मगर ए सब पर लागू होना चाहिए मजाक नहीं बनना चाहिए
मृत्यु भोजन बिल्कुल बंद होना चहिये
बिलकुल सही है
Fiftin year से मै sunta आ
रहा हु कुछ नहीं huha समाज दिन पर दिन दिखबती होता जा रहा है तिये की बैठक में भी खाना खाते है लोग जय जिनेंद्र जिनेंद्र 😊
बदलाव अपने शुरू करनी चाहिए हमारे समाज में जो मिलनी होती थी पहले वह केवल चार रुपये की होती थी अब लोग पता नहीं कितनी कितनी किसकी लंबी लिस्ट थमा देते हैं मैंने मेरे बच्चों की शादी से वही पुरानी रीत अनुसार चार रुपये की मिलनी ली और दी आगे चाहते हैं कि भोजन में पानी मिलाकर 11 चीजे ही होनी चाहिए और इतना ही काफी होता हैं
समाज कल्याण के लिए ऐसे कदम उठाना स्वागतेय अभिनन्दनीय वन्देमातरम
मैने तो मृत्यु भोज करने का मृत्यु भोज मे भोज करने का मृत्यु के संदर्भ मे कुछ भी लेने का बहुत पहले ही त्याग कर लिया था,
आपका यह कदम बहुत सराहनीय है मै और मेरा परिवार आपके साथ हैं,
मृत्यु भोज मे तो अनेक मिठाईया बनाई जाती है लेकिन उन दिनो मे यदि कोई मिठाई लेकर जाता है तो कहते है हमारे शोक है नही रखेगे
यह कैसी प्रथा
These rituals are symbolic to restart the life in a normal way ,but it is true that nowdays it has become a showoff.These rituals should be performed with eternal simplicity and should be minimalistic
बहन जी मैं और मेरा परिवार भी कभी भी मृत्यु भोज में भोजन नहीं करते
बहुत सुंदर कहा शान्ति बहन ओर रिकु जी का भी धन्यवाद 🙏🙏
जैन समाज में विवाह शादी दिन में होनी चाहिए
शादियों में खाने की बरबादी नहीं होनी चाहिए
किसी के भी यहां मरनओपरआत शोक सभा में जाए तो वहां खाना बिल्कुल सादा होना चाहिए
किसी के घर कोई मर गया हो तो वहां खाना ही क्यों???
बल्कि अपने घर से खाना ले जाकर उनके घर वालों को खिलाना चाहिए। पांच की जगह तीन सब्जी ! वाह! क्या सुधार है।😂
U r right bro
Vha khana bhi kese kha sakte h jha koi mar gaya h
सनातन में भी सबसे बड़ी कुरीति मृत्युभोज है, इसे दूर होना चाहिए, साथ ही विधवा पुनर्विवाह भी किसी औरत के दुख को दूर कर उसके जीवन में खुशियां भरने का सबसे उचित समाधान है।
हिंदू धर्म और जैन धर्म अलग अलग नही है सब बदल रहे आप भी बदले अच्छा लगता है
😊 कुरीतियां किसी भी धर्म में हो समाप्त होनी चाहिए विशेष का जैन समाज
इस जैन बहन जी ने बिल्कुल ठीक कहा है कि समाज में अगर कुछ बुराइयां है तो हर आदमी का कर्तव्य है कि हर समाज के लोग संगठित हो और उन बुराइयों को दूर करें यही सबके हित में है
मुझे जैन लोग सबसे अच्छे लगते हैं क्योंकि वे प्योर वेजिटेरियन होते हैं
ये रिवाज तो बुरे है ही साथ में जो मुनि महाराज के कलश स्थापना और उनके जन्मदिवस दीक्षा दिवस पर करोड़ों खर्च करते है वो भी बंद होने चाहिए
हर समाज में जो भी अच्छी रीतियां हैं उनको सभी को अपनाना चाहिए और जो भी पुरानी बुरी रीतियां हैं उन पर विचार करना चाहिए।
बहुत अच्छी कोशिश काश सभी की सोच ऐसी होती 💐💐💐👏🙏अल्लाह करें आप कामयाब हो 💐💐💐🙏🙏🙏
Excellent explanation.
सामाजिक बुराइयों पर सार्थक प्रयास,, हार्दिक शुभकामनाएं
Jain समाज अब दिखावा मैं ज्यादा आ गया है लोगो की आपसी प्रेम सौहार्द की भावना काम होती जा रही है उससे बड़ी बात दुसरे कास्ट मैं शादी करना और मां बाप की यह सोच शादी शहर मैं करना , मॉडर्न सोच को बड़ावा देना कल्चर से विमुख होना आदि बातो को भी शामिल करना चाहिए वर्ना जैन समाज की परंपरा लोग भूलने न लग जाए?
आपके विचार से मैं सहमत हूँ
तिलोक भंसाली चेन्नई
बहुत सुंदर मुद्दे है, समाज आपका साथ दे और आप इस अभियान मे सफल हो.
बिलकुल सही बात का मुद्दा उठाया है, रिवाज के साथ हमे ख़ुद में भी बदलाव चाहिए कि स्वयं भी एक सब्ज़ी से सादगीपूर्ण भोजन कर के आए 🙏
जय हो जय हो बहन बहुत ही अच्छा प्रयास है, पुरूष इससे कैसे अंजान है
Very nice so proud of you weldone weldone weldone live long god bless you be happy
बिना किसी अर्थ के दिखावे, पैसे के घमण्ड के लिए किये जाने वाले रिवाज बन्द होने चाहिए !
सभी समाजों में ये कुरीतियों है जो आपने उठाई है जानवर भी दुसरे साथ के जानवर के मरने में शोक मनाता है खाता पीता नहीं है और हम आशुओं में भींगा भोज खाते हैं वो आशु बहन बेटी पत्नी पति बेटे सभी के होते हैं मृत्यु भोज की परंपरा खत्म होनी चाहिए आप लोगों का कदम सराहनीय है
To all Ja ins: To all Ja ins: Sabse bade ghotalebaaz tumlog ho.
Harshad mehta, choksi, mehra bros, parekh, moni jain....long list. 24% tax ka jhuutha propaganda band karo. Bank loan ke sabse badey defaulters sabse jyada tum ho. Raciist bhi tum sab hi ho. Jaha rahte ho waha kisi ko ghar nahi lene de. Nautanki mat karo.
100 प्रतिशत सही कहा है आपने...
ये सब होता है....
हम आपके साथ हैं ।
Aap jaise log hi kisi bhi community ko upar laate hain...high regards for you...❤
बहुत अच्छा लगा आपको सुनकर मैं भी जैन समाज से हूं और जनरली मैंने देखा कि एकदम मृत्यु भोज होती है वहां बेचारे इंसान अपने मरने वाले को याद करें या आने वाले की व्यवस्था में लगना पड़ता है और उसमें भी समाज के और परिवार के लोग अगर दो सब्जी या एक सब्जी कम पड़ गई तो तुरंत खाने का मजाक बनाना शुरू कर देते हैं तो मुझे तो लगता है कि यह क्या है तो जैसे कि आपने कहा कि जब हम लेना ही बंद कर देंगे तो फिर देने वाले भी कम हो जाएंगे।
Me bhi Jain hu bhin pahale ka khana hi achcha lagta tha.dahej band ho khana sada ho sahi baat hai.
Jain samaj Bharat ka ek intellectual samaj hai, issiliye Jainio ko chahiye ki ve adhik se adhik bachhe paida karein, taki Bharat me achhe nagriko ki bahutayat ho sake.
आचार्य तुलसी ने समाज में इन सभी कुरीतियों पर समाज को जाग्रत कर यह सब कुरीतियों को बंद करवा दिया।
मरण mot के कार्यक्रम ही नहीं शादी या अन्य कार्यक्रम बहुत सादगी से होना चाहिए किसी भी प्रकार का लेन देन या फिजूल खर्च नहीं होनी चाहिए धन का उपयोग धर्म के प्रचार प्रसार me होना चाहिए समाज को समृद्ध शाली बनाने में होना चाहिए कुरीतियों को हटाना ही चाहिए our अछि व्यवस्था लागू करनी चाहिए
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समय के साथ बदलना जरुरी है.
ठीक कह रही है बहिन खाना होना ही नही चाहिए अच्छा कदम है जय श्रीराम बहिन
Very nice movement,all the best 😊
I support Shanti Madam 🙏🙏
हिन्दू धर्म का ही अंग है जैन धर्म बौद्ध धर्म , सिक्ख धर्म , हम सभी सनातनी हैं ,पर एक बात हमें अच्छी नहीं लगती पर परम आदरणीय गुरूदेव क्षमा करेंगें
नंगा होना पैदल चलना हमें साफ अच्छा नहीं लगता कृपया इस नियम को बदला जाय।🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
आपको सादर नमन ! भाईसाहब, जैन धर्म हिंदू धर्म का अंग बिलकुल नहीं हैं ! जैन धर्म वेदों के पुर्व का हैं | वेदो में जैन धर्म का अलग से व्याख्यान मिलते हैं | इसका अर्थ ही यह हैं कि वेदों के पूर्व भी जैन धर्म का अस्तित्व रहा हैं ! वेद काल में जैन, बौद्ध व ब्राह्मण इन धर्म का उल्लेख मिलता हैं|
और आप कि दृष्टी में जो नंगा पण हैं कृपया उसे आप ठीक करें | जैन साधू नंगे नहीं बल्की वह दिगंबर होते हैं | नंगे तो पशू, पक्षी होते हैं | नागा साधू भी होते हैं | दिगंबर मुनी कि चर्या अत्यंत कठीण साधना होती हैं| कपडे तो थंड एवं आपने विकारों को ढकने के लिए होते हैं| जो निर्विकार हैं उन्हे कृपया आप निर्मल दृष्टी से देखने कि कृपा करे |
आजकाल फिल्मों में,धारावाहीका में, विज्ञापनो में जो नंगापना हैं उसकी चिंता हमें करनी चाहिए !
Yahi Gyan kamakhya mandir guwahati me ja kr do vaha jruat h ......
बहुत बढ़िया, प्रयास अच्छा है
आप जैसा हर धर्म की महिला अपने धर्म की कुरीती रिवाज पर आवाज उठाये.
आपकी बात सही है। कुच बदलाव अवश्य होना चाहिये ।
Bahot acha bataya he.
Aur bhi mudde he.
Bahen hum aapke sath he
Koshish karte raho log sath dete rahege
Jai jitendra
परम्परायें समय के अनुसार बदलना चाहिए ।
बहुत अच्छा मैडम प्रयास कीजिए जैन धर्म पर हमें गर्व है
❤❤ Jay shree mataji 🙏🙏
So good video mam 🇮🇳🇮🇳
So thanks 🙏🙏
Sister you have hit the nail in the right place, pls keep up the good work and eliminate all other rituals which make your community feel down
समर्थनीय निर्णय...खुप छान...
बहुत ही सुन्दर प्रयास 🙏👌
Good effort sister. Go ahead. Times have changed.
समय के साथ बदलाव की जरूरत है केवल जैन समाज में ही नहीं हर समाज मे बदलाव की जरूरत है आप को बहुत बहुत धन्यवाद 😊
Om Arham🙏 bahut sundar Ye sab purani pratha band honi chahiye jo last point woh bahut hi galat hai is muhim ko pure samaj ke samne prastu karni chahiye 🙏
मै आपके विचारो से बहुत सहमत हु एक तरफ उसके घर से इन्सान जा रहा हे और एक तरफ देना लेना मिठाई बनाना कहा शोभा देता हे को इ इसके काबिल हो या ना हो कहते हे करना पडेगा क्यो मै यही दुआ करती हु आप सभी बहनो को इसमे अपार सफलता मिले
जय जिनेन्द्र
गम को गम ही रहने दें खुशियों या उत्सव में न ले जयें। पुराने सामाजिक सरल रिवाजों को अपनायें और नये खर्चिले रिवाजों को पल्लवित न होने दें।
दीदी आपको तह दीलसे प्रणाम. अगर आप जैसे दीदी घर घर हो तो पूरा संसार मंगलमय होणे मे देर नाहि होगी.
Very good didi. Appreciate your efforts
very nice speech as well as ready for "parivartan" very goog
Thanks for very truly very good work 💯🙏
बहुत अच्छे विचार है।आपके group मेरे को भी जुडना है।उसके लिए क्या करना होगा
हमारी बुंदेलखंड की जैन समाज में समाज के अधिक से अधिक व्यक्ति मृत्यु भोज के भजन का त्याग किए हुए हैं हमारे यहां कोई लेनदेन की प्रथा नहीं चलती है एक पगड़ी रसम होती है जिसमें सिर्फ रिश्तेदार तौलिया बांधते हैं और हमारे यहां साधारण भोजन ही कराया जाता है।
अब जैन समाज सभ्य नही रहा
आप की आवाज को नही मानने बाले bakbash हो गया समाज
अब होटल मै प्रोग्रम अधिक मनाने वाले अधिक होगये जन्म दिन हो शादी की वर्ष गा ठ हो सब रात को मनाने वाले अधिक है और तो और देखा देखी की होड़ मै समाज मै मिडिल क्लास परिवार परेशन रहता है कुल मिलाकर अब वो बात नही रही समाज मै जो पहले थी जय जिनेंद्र