🙏🙏🌹तत्वदर्शी संत (गीता अ-4 श्लोक-34) से दीक्षा लेकर शास्त्रविधि अनुसार सतभक्ति करने वाले परमधाम सतलोक को प्राप्त होते हैं जहाँ जन्म-मरण, दुख, कष्ट व रोग नहीं होता है।
मानव इतिहास के महानतम समाज सुधारक संत रामपाल जी महाराज जी ने ही समाज में व्याप्त विभिन्न कुरीतियों, दहेज प्रथा, भ्रूण हत्या, रिश्वतखोरी, नशा, मांस भक्षण आदि को पूर्ण रूप से समाप्त करने का सफलतम प्रयास किया है।
तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी से उपदेश लेकर कबीर साहेब जी की भक्ति करने से सतलोक की प्राप्ति होती है। सतलोक अविनाशी लोक है। वहां जाने के बाद साधक जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त हो जाता है और पूर्ण मोक्ष प्राप्त करता है।
🌾संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य विश्व में प्रेम व शांति स्थापित करना व कुरीतियों, पाखंडवाद, नशा, दहेज प्रथा आदि को समाप्त करके सबको एक परमात्मा की भक्ति करवाकर सुखी बनाना और पूर्ण मोक्ष देना है।🌾
सत्य भक्ति वर्तमान में केवल संत रामपाल जी महाराज जी के पास है। जिससे इस दुःखों के घर संसार से पार होकर वह परम शान्ति तथा शाश्वत स्थान (सनातन परम धाम) प्राप्त हो जाता है
पूर्ण मोक्ष पूर्ण गुरु से शास्त्रानुकूल भक्ति प्राप्त करके ही संभव है जो कि विश्व में वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज जी के अतिरिक्त किसी के पास नहीं है।
पाखंडवाद का अंत कर रहे हैं संत रामपाल जी महाराज जी 🙏🌹🙏 संत रामपाल जी महाराज जी ही सच्चे समाज सुधारक हैं जो सतभक्ति देकर समाज से सर्व बुराइयां दूर कर रहे हैं और कलयुग में सतयुग का माहौल बना रहे हैं। अनन्त कोटि ब्रह्मण्ड का, एक रती नहीं भार। सतगुरु पुरुष कबीर हैं, कुल के सिरजन हार।।
तत्वदर्शी संत (गीता अ-4 श्लोक-34) से दीक्षा लेकर शास्त्रविधि अनुसार सतभक्ति करने वाले परमधाम सतलोक को प्राप्त होते हैं जहाँ जन्म-मरण, दुख, कष्ट व रोग नहीं होता है।
बाख़बर एक तत्वदर्शी संत होता है जिसे सभी धर्मों के पवित्र ग्रंथों की पूरी जानकारी होती है। उन्हें तत्वदृष्टा संत/ धीराणाम/सतगुरु आदि भी कहा जाता है। उन्हें सृष्टि रचना, मोक्ष प्राप्ति एवं परमात्मा/अल्लाह को पाने के सत् मंत्रों की सम्पूर्ण जानकारी होती है। वह बाख़बर संत इस समय धरती पर सिर्फ रामपाल जी महाराज जी ही हैं।
🎯संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य भारत को सोने की चिड़िया बनाने का है। जहाँ सर्व धर्म, जाति के लोग प्रेम, भाईचारे के साथ रहें, जहाँ सभी सुखी रहें, सबको समान न्याय मिले, जहाँ किसी का शोषण न हो।
♦️तत्वदर्शी संत (गीता अ-4 श्लोक-34) से दीक्षा लेकर शास्त्रविधि अनुसार सतभक्ति करने वाले परमधाम सतलोक को प्राप्त होते हैं जहाँ जन्म-मरण, दुख, कष्ट व रोग नहीं होता है।
दहेज जैसी कुप्रथा का अंत संत रामपाल जी महाराज जी अपने तत्वज्ञान के प्रभाव से कर रहे हैं। आज हर गांव और नगर में संत रामपाल जी महाराज जी के शिष्य दहेज मुक्त शादियां कर रहे हैं। जिससे बेटियां सुखी जीवन जी रही हैं समाज संत रामपाल जी महाराज के इस उपकार का सदा ऋणी रहेगा।
संत रामपाल जी महाराज का उद्देश्य है कि सभी मानव, एक पूर्ण परमेश्वर कबीर साहेब जी की पूजा करें और अपने मूल निवास सतलोक में वापस लौटकर पूर्ण ब्रह्म कबीर परमेश्वर की शरण ग्रहण करें। परमेश्वर कबीर जी की उपासना की चाह रखने वाला व्यक्ति चाहे किसी भी धर्म, वर्ण, जाति, वर्ग समुदाय का क्यों नहीं हो, जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा ले सकता है।
पूर्ण परमात्मा तत्वदर्शी संत रामपाल जी संत रामपाल जीमहाराज हैं जो आज शास्त्र अनुकूल भक्ति बता रहे हैं अधिक जानकारी के लिए पढ़े पुस्तक ज्ञान गंगा वा जीने की राह वा सुने सत्संग रात्रि 7:30 से 8:30 साधना चैनल पर
Sant Rampal ji Maharaj teaches human beings to be kind towards everyone, without the bias of caste, creed or religion and is here to show the ultimate path of conplete salvation.
गीता अध्याय 16 श्लोक 23 य:,शास्त्रविधिम् उत्सृज्य,वर्तते,कामकारत:। न,स:,सिद्धिम्,अवाप्नोति,न,सुखम्,न,पराम्,गतिम्।। जो पुरुष शास्त्रविधि को त्यागकर अपनी इच्छा से मनमाना आचरण करता है, वह न सिद्धि को प्राप्त होता है,न परम गति को न सुख को ही प्राप्त होता है।
श्रीमद्भगवत गीता के अध्याय 9 का श्लोक 25 भी यही कहता है कि जो पितर पूजा (श्राद्ध आदि) करते हैं, वे मोक्ष प्राप्त नहीं कर पाते, वे यमलोक में पितरों को प्राप्त होते हैं। जो भूत पूजा (अस्थियाँ उठाकर पुरोहित द्वारा पूजा कराकर गंगा में बहाना, तेरहवीं, सतरहवीं, महीना, छमाही, बरसी आदि-आदि) करते हैं, वे प्रेत बनकर गया स्थान पर प्रेत शिला पर बैठे होते हैं।
गीता अध्याय 17 श्लोक 23 का भावार्थ है कि पूर्ण परमात्मा को प्राप्त करने का ॐ, तत् सत् यह मन्त्र जाप स्मरण करने का निर्देश है। इस नाम को तत्वदर्शी संत से प्राप्त करो। वह तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज हैं।
पूर्ण मोक्ष पूर्ण गुरु से शास्त्रानुकूल भक्ति प्राप्त करके ही संभव है जो कि विश्व में वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज जी के अतिरिक्त किसी के पास नहीं है।
श्राद्ध करने वाले पुरोहित कहते हैं कि श्राद्ध करने से वह जीव एक वर्ष तक तृप्त हो जाता है। फिर एक वर्ष में श्राद्ध फिर करना है। विचार करें:- जीवित व्यक्ति दिन में तीन बार भोजन करता था। अब एक दिन भोजन करने से एक वर्ष तक कैसे तृप्त हो सकता है? यदि प्रतिदिन छत पर भोजन रखा जाए तो वह कौवा प्रतिदिन ही भोजन खाएगा।
पहले हमें संत रामपाल जी महाराज का ज्ञान सुनना चाहिए तब मालूम होता है कि हमारे शास्त्रों में का लिखा हुआ है अगर आपके मन में शंका है तो आप शास्त्र से मिलाएं
♦️तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी से उपदेश लेकर कबीर साहेब जी की भक्ति करने से सतलोक की प्राप्ति होती है। सतलोक अविनाशी लोक है। वहां जाने के बाद साधक जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त हो जाता है और पूर्ण मोक्ष प्राप्त करता है।
श्राद्ध शास्त्रविरुद्ध साधना मृत्यु उपरान्त जीव के कल्याण अर्थात् गति कराने के लिए की जाने वाली शास्त्रविरूद्ध क्रियाऐं व्यर्थ हैं। देखें साधना टीवी चैनल 07:30pm
संत रामपाल जी महाराज जी के आध्यात्मिक ज्ञान का डंका सारे विश्व में बज रहा है। समाज सुधार और मानव कल्याण के अद्भुत काम करने वाले ऐसे महान संत की महिमा के चर्चे घर-घर में हो रहे हैं।
संत रामपाल जी महाराज जी विश्व में एकमात्र सच्चे सतगुरु हैं, जो चार वेद, छह शास्त्रों के साथ साथ सभी धर्मों के पवित्र सदग्रंथों के ज्ञाता अर्थात सदग्रंथों में छूपे हूए गूढ़ रहस्यों को जानने वाले हैं। और शास्त्रों के आधार से ही प्रमाणित सतभक्ति विधि तथा ज्ञान बताने वाले परम संत हैं।
कबीर, सात समुन्द्र की मसि करूं, लेखनी करूं बनराय। धरती का कागद करूं, गुरु गुण लिखा न जाए।। कबीर, गुरु बड़े गोविन्द से, मन में देख विचार। हरि सुमरे सो रह गए, गुरु भजे हुए पार।।
सत्य भक्ति वर्तमान में केवल संत रामपाल जी महाराज जी के पास है। जिससे इस दुःखों के घर संसार से पार होकर वह परम शान्ति तथा शाश्वत स्थान (सनातन परम धाम) प्राप्त हो जाता है जिसके विषय में गीता अध्याय 18 श्लोक 62 में कहा है
गीता अध्याय-9 श्लोक-25 / Gita Chapter-9 Verse-25 प्रसंग- भगवान् के भक्त आवागमन को प्राप्त नहीं होते और अन्य देवताओं के उपासक आवागमन को प्राप्त होते हैं, इसका क्या कारण है? इस जिज्ञासा पर उपास्य के स्वरूप और उपासक के भाव से उपासना के फल में भेद होने का नियम बतलाते हैं- यान्ति देवव्रता देवान् पितृन्यान्ति पितृव्रता: । भूतानि यान्ति भूतेज्या यान्ति मद्याजिनोऽपि माम् ।।25।। देवताओं को पूजने वाले देवताओ को प्राप्त होते हैं, पितरों को पूजने वाले पितरों को प्राप्त होते हैं, भूतों को पूजने वाले भूतों को प्राप्त होते हैं, और मेरा पूजन करने वाले भक्त मुझको ही प्राप्त होते हैं। इसीलिये मेरे भक्तों का पुनर्जन्म नहीं होता ।।25।। Those who are vowed to gods to the gods; those who are vowed to the manes reach the manes; those who adore the spirits reach the spirits and those who worship me come to me alone. (That is why my devotees are no longer subject to birth and death). (25) देवव्रता: = देवताओं को पूजने वाले ; देवान् = देवताओं को ; यान्ति = प्राप्त होते हैं ; पितृव्रता: = पितरों को पूजने वाले ; मद्याजिन: = मेरे भक्त ; माम् = मेरे को ; पितृन् = पितरों को ; यान्ति = प्राप्त होते हैं ; भूतेज्या: = भूतों को पूजने वाले ; भूतानि = भूतों को ; यान्ति = प्राप्त होते हैं (और) ; अपि =ही ; यान्ति = प्राप्त होते हैं ;
🌿सत्संग मतलब सत्य का संग अर्थात जो संत सत्संग कर रहा हो उनके मुख से बोली गयी बातों का हमारे धर्मग्रन्थों में उचित प्रमाण हो। इसी तरह का प्रमाणित सत्संग संत रामपाल जी महाराज करते हैं।
गीता अध्याय 15 श्लोक 17 उत्तम पुरुष: तू अन्य:, परमात्मा इती उदाह्यत, यः लोकत्रयम आविश्य, विभर्ति अव्यय: ईश्वर:। गीता जी में उत्तम पुरुष को क्षर पुरुष व अक्षर पुरुष से अलग बताया गया है। जो तीनों लोकों में प्रवेश करके सब धारण पोषण करता है वह वास्तव में अविनाशी अर्थात समर्थ प्रभु है। वह पुरुषोत्तम कबीर साहेब हैं।
अनीतातत्वदर्शी संत (गीता अ-4 श्लोक-34) से दीक्षा लेकर शास्त्रविधि अनुसार सतभक्ति करने वाले परमधाम सतलोक को प्राप्त होते हैं जहाँ जन्म-मरण, दुख, कष्ट व रोग नहीं होता है।तत्वदर्शी संत (गीता अ-4 श्लोक-34) से दीक्षा लेकर शास्त्रविधि अनुसार सतभक्ति करने वाले परमधाम सतलोक को प्राप्त होते हैं जहाँ जन्म-मरण, दुख, कष्ट व रोग नहीं होता है।
मृत्यु के पश्चात् की गई सर्व क्रियाऐं गति (मोक्ष) कराने के उद्देश्य से की गई थी। उन ज्ञानहीन गुरूओं ने अन्त में कौवा बनवाकर छोड़ा। वह प्रेत शिला पर प्रेत योनि भोग रहा है। पीछे से गुरू और कौवा मौज से भोजन कर रहा है।मृत्यु के पश्चात् की गई सर्व क्रियाऐं गति (मोक्ष) कराने के उद्देश्य से की गई थी। उन ज्ञानहीन गुरूओं ने अन्त में कौवा बनवाकर छोड़ा। वह प्रेत शिला पर प्रेत योनि भोग रहा है। पीछे से गुरू और कौवा मौज से भोजन कर रहा है।
🙏🙏🌹तत्वदर्शी संत (गीता अ-4 श्लोक-34) से दीक्षा लेकर शास्त्रविधि अनुसार सतभक्ति करने वाले परमधाम सतलोक को प्राप्त होते हैं जहाँ जन्म-मरण, दुख, कष्ट व रोग नहीं होता है।
श्राद्ध_शास्त्रविरुद्ध_साधना*⁷
बन्दी छोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज के चरणों में कोटि कोटि दण्डवत प्रणाम ।
कबीर, गुरूसो ज्ञान जो लीजिये, सीस दीजिये दान । बहुतक भोंदू बहिगये, राखि जीव अभिमान।।
- जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी।
शास्त्रानुकूल आध्यात्मिक ज्ञान ही लाभदायक है
पूरी पृथ्वी पर केवल संत रामपाल जी महाराज जी ही पूर्ण संत है जो वास्तविक नाम दीक्षा देने व सत्संग करने के पूर्ण अधिकारी हैं
कबीर साहेब -
नशा चढ़ा गुरु प्रेम का , बिसरे तन मन का भान।
सुख दुख की चिंता नहीं , हर पल रहे सतगुरु का ध्यान।।
सद्भक्ति है
संत रामपाल जी महाराज जी ही सच्चे समाज सुधारक हैं जो सतभक्ति देकर समाज से सर्व बुराइयां दूर कर रहे हैं और कलयुग में सतयुग का माहौल बना रहे हैं।
कबीर,गुरु बिन वेद पढ़े जो प्राणी, समझे ना सार रहे अज्ञानी। गुरु बिन काहू न पाया ज्ञाना ,ज्यों थोथा भुस छड़े मूढ़ किसाना।।
मानव इतिहास के महानतम समाज सुधारक संत रामपाल जी महाराज जी ने ही समाज में व्याप्त विभिन्न कुरीतियों, दहेज प्रथा, भ्रूण हत्या, रिश्वतखोरी, नशा, मांस भक्षण आदि को पूर्ण रूप से समाप्त करने का सफलतम प्रयास किया है।
तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी से उपदेश लेकर कबीर साहेब जी की भक्ति करने से सतलोक की प्राप्ति होती है।
सतलोक अविनाशी लोक है। वहां जाने के बाद साधक जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त हो जाता है और पूर्ण मोक्ष प्राप्त करता है।
कबीर, गुरु बड़े गोविन्द से, मन में देख विचार।
हरि सुमरे सो रह गए, गुरु भजे हुए पार।।
Real spiritual knowledge
Very nice satsang
Creater of the universe sant rampal ji maharaj🙏🏻🙏🏻🙏🏻
🌾संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य विश्व में प्रेम व शांति स्थापित करना व कुरीतियों, पाखंडवाद, नशा, दहेज प्रथा आदि को समाप्त करके सबको एक परमात्मा की भक्ति करवाकर सुखी बनाना और पूर्ण मोक्ष देना है।🌾
संत रामपाल जी महाराज की बताई सतभक्ति से आज लाखों परिवार रोगों से मुक्त होकर सुखी जीवन जी रहे हैं।
सत्य भक्ति वर्तमान में केवल संत रामपाल जी महाराज जी के पास है। जिससे इस दुःखों के घर संसार से पार होकर वह परम शान्ति तथा शाश्वत स्थान (सनातन परम धाम) प्राप्त हो जाता है
कबीर सुख के माथे पत्थर पड़ो जो नाम हृदय से जाय।
बलिहारी वह दुःख को जो पल-पल राम रटाय।।
सतगुरु देव के चरणों में कोटि-कोटि दण्डवत प्रणाम 🙏🙏
कबीर साहेब -
चिड़ी चोंच भर ले गई , नदि ना घटियो नीर।
दान दिये धन ना घटे , कह गए साहेब कबीर।।
पूर्ण मोक्ष पूर्ण गुरु से शास्त्रानुकूल भक्ति प्राप्त करके ही संभव है जो कि विश्व में वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज जी के अतिरिक्त किसी के पास नहीं है।
पाखंडवाद का अंत कर रहे हैं संत रामपाल जी महाराज जी 🙏🌹🙏 संत रामपाल जी महाराज जी ही सच्चे समाज सुधारक हैं जो सतभक्ति देकर समाज से सर्व बुराइयां दूर कर रहे हैं और कलयुग में सतयुग का माहौल बना रहे हैं।
अनन्त कोटि ब्रह्मण्ड का, एक रती नहीं भार।
सतगुरु पुरुष कबीर हैं, कुल के सिरजन हार।।
वेद और गीता में प्रमाण है कबीर साहिब भगवान है संत रामपाल जी महाराज की जय
तत्वदर्शी संत (गीता अ-4 श्लोक-34) से दीक्षा लेकर शास्त्रविधि अनुसार सतभक्ति करने वाले परमधाम सतलोक को प्राप्त होते हैं जहाँ जन्म-मरण, दुख, कष्ट व रोग नहीं होता है।
अद्वितीय अध्यात्मिक ज्ञान अवश्य सुनों जगत् गुरू तत्वदर्शी पुर्ण संत रामपाल जी महाराज के मुखकमल से मंगल वचन
बाख़बर एक तत्वदर्शी संत होता है जिसे सभी धर्मों के पवित्र ग्रंथों की पूरी जानकारी होती है। उन्हें तत्वदृष्टा संत/ धीराणाम/सतगुरु आदि भी कहा जाता है। उन्हें सृष्टि रचना, मोक्ष प्राप्ति एवं परमात्मा/अल्लाह को पाने के सत् मंत्रों की सम्पूर्ण जानकारी होती है। वह बाख़बर संत इस समय धरती पर सिर्फ रामपाल जी महाराज जी ही हैं।
पूर्ण सतगुरू से दीक्षा लेकर मर्यादा में रहकर भक्ति करने से शुभ संस्कारों में वृद्धि होने से दुःख का वक्त सुख में बदलने लग जाता है।
श्राद्ध पूजा करना शास्त्र विरुद्ध साधना है ये पूजा करने से ना तो हमे सुख होता है ना ही मोक्ष होता है।
🎯संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य भारत को सोने की चिड़िया बनाने का है। जहाँ सर्व धर्म, जाति के लोग प्रेम, भाईचारे के साथ रहें, जहाँ सभी सुखी रहें, सबको समान न्याय मिले, जहाँ किसी का शोषण न हो।
♦️तत्वदर्शी संत (गीता अ-4 श्लोक-34) से दीक्षा लेकर शास्त्रविधि अनुसार सतभक्ति करने वाले परमधाम सतलोक को प्राप्त होते हैं जहाँ जन्म-मरण, दुख, कष्ट व रोग नहीं होता है।
Incredible spiritual knowledge
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इतना अनमोल अद्भुत ज्ञान आज तक देखा न सुना
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Sat saheb ji 👍👍👍👍👍🌼🌼👍👏👏🙏🙏🙏🙏🙏
जगतगुरु तत्व दर्शी सन्त रामपाल जी से नाम दीक्षा लेकर अपने जीवन का कल्याण कराये सत साहेब जी🙏🙏
🕉️ गीता अध्याय 17 श्लोक 23 में लिखा है।
ऊँ, तत्, सत्, इति, निर्देशः, ब्रह्मणः, त्रिविधः, स्मृतः
सचिदानन्द घन ब्रह्म की भक्ति का मन्त्र ‘‘ऊँ तत् सत्‘‘ है।
Sant Rampal Ji Maharaj is imparting us true way of worship according to our holy scriptures.
श्राद्ध शास्त्रविरुद्ध साधना
मृत्यु उपरान्त जीव के कल्याण अर्थात् गति कराने के लिए की जाने वाली शास्त्रविरूद्ध क्रियाऐं व्यर्थ हैं।
ध्यान धरो अपने सतगुरु का, रखो अटल विश्वास।♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️
मत घबरा मन बावरे, जब सतगुरु हैं तेरे साथ।।
Kabir Is Supreme God
रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेकर अधिक जानकारी के लिए संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेकर अपना जीवन सफल बनाएं
🙏🏻 गरीब , हम सुल्तानी नानक तारे ,दादू को उपदेश दिया , जात जुलाहा भेद न पाया ,काशी माहे कबीर हुआ।सत साहेब जी ।।🙏🏻👏🏻🙏🏻👏🏻🙏🏻
दहेज जैसी कुप्रथा का अंत संत रामपाल जी महाराज जी अपने तत्वज्ञान के प्रभाव से कर रहे हैं।
आज हर गांव और नगर में संत रामपाल जी महाराज जी के शिष्य दहेज मुक्त शादियां कर रहे हैं। जिससे बेटियां सुखी जीवन जी रही हैं समाज संत रामपाल जी महाराज के इस उपकार का सदा ऋणी रहेगा।
संत रामपाल जी महाराज का उद्देश्य है कि सभी मानव, एक पूर्ण परमेश्वर कबीर साहेब जी की पूजा करें और अपने मूल निवास सतलोक में वापस लौटकर पूर्ण ब्रह्म कबीर परमेश्वर की शरण ग्रहण करें। परमेश्वर कबीर जी की उपासना की चाह रखने वाला व्यक्ति चाहे किसी भी धर्म, वर्ण, जाति, वर्ग समुदाय का क्यों नहीं हो, जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा ले सकता है।
पूर्ण परमात्मा तत्वदर्शी संत रामपाल जी संत रामपाल जीमहाराज हैं जो आज शास्त्र अनुकूल भक्ति बता रहे हैं अधिक जानकारी के लिए पढ़े पुस्तक ज्ञान गंगा वा जीने की राह वा सुने सत्संग रात्रि 7:30 से 8:30 साधना चैनल पर
Very nice satsang everyone should listen this🙏🙏🙏🙏
तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी से उपदेश लेकर कबीर साहेब जी की भक्ति करने से सतलोक की प्राप्ति होती है।
सतलोक अविनाशी लोक है।
Sant Rampal ji Maharaj teaches human beings to be kind towards everyone, without the bias of caste, creed or religion and is here to show the ultimate path of conplete salvation.
Kabir the enlightened master
sat guru rampal ji maharaj ji is the God of world 🌎
गीता अध्याय 16 श्लोक 23
य:,शास्त्रविधिम् उत्सृज्य,वर्तते,कामकारत:।
न,स:,सिद्धिम्,अवाप्नोति,न,सुखम्,न,पराम्,गतिम्।।
जो पुरुष शास्त्रविधि को त्यागकर अपनी इच्छा से मनमाना आचरण करता है, वह न सिद्धि को प्राप्त होता है,न परम गति को न सुख को ही प्राप्त होता है।
पूरे विश्व को सच्चा ज्ञान देने वाला एकमात्र सतगुरु संत रामपाल जी महाराज ही है
AMAZING knowledge...
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Kabir is Supreme God.
श्रीमद्भगवत गीता के अध्याय 9 का श्लोक 25 भी यही कहता है कि जो पितर पूजा (श्राद्ध आदि) करते हैं, वे मोक्ष प्राप्त नहीं कर पाते, वे यमलोक में पितरों को प्राप्त होते हैं। जो भूत पूजा (अस्थियाँ उठाकर पुरोहित द्वारा पूजा कराकर गंगा में बहाना, तेरहवीं, सतरहवीं, महीना, छमाही, बरसी आदि-आदि) करते हैं, वे प्रेत बनकर गया स्थान पर प्रेत शिला पर बैठे होते हैं।
पूरे विश्व में सच्चे सतगुरु संत रामपाल जी महाराज...🙏🙏
गीता अध्याय 17 श्लोक 23 का भावार्थ है कि पूर्ण परमात्मा को प्राप्त करने का ॐ, तत् सत् यह मन्त्र जाप स्मरण करने का निर्देश है। इस नाम को तत्वदर्शी संत से प्राप्त करो।
वह तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज हैं।
पूर्ण मोक्ष पूर्ण गुरु से शास्त्रानुकूल भक्ति प्राप्त करके ही संभव है जो कि विश्व में वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज जी के अतिरिक्त किसी के पास नहीं है।
पुरे विश्व में संरमपालजी का ज्ञान तेजीसे धूम मचा रही है
मोस्ट ज्ञान संत रामपाल जी महाराज जी का
श्राद्ध करने वाले पुरोहित कहते हैं कि श्राद्ध करने से वह जीव एक वर्ष तक तृप्त हो जाता है। फिर एक वर्ष में श्राद्ध फिर करना है। विचार करें:- जीवित व्यक्ति दिन में तीन बार भोजन करता था। अब एक दिन भोजन करने से एक वर्ष तक कैसे तृप्त हो सकता है? यदि प्रतिदिन छत पर भोजन रखा जाए तो वह कौवा प्रतिदिन ही भोजन खाएगा।
पहले हमें संत रामपाल जी महाराज का ज्ञान सुनना चाहिए तब मालूम होता है कि हमारे शास्त्रों में का लिखा हुआ है अगर आपके मन में शंका है तो आप शास्त्र से मिलाएं
Shraddha Karne Wale Purohit Kahate Hain Ki Shradha karne se vah Jivan Ek Bar tab prapt ho jata hai FIR Ek varsh Mein Shradha
गरीब,
अनंत कोटि ब्रह्माण्ड का एक रति नहीं भार।
सतगुरु पुरुष कबीर है कुल के सृजनहार।
♦️तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी से उपदेश लेकर कबीर साहेब जी की भक्ति करने से सतलोक की प्राप्ति होती है।
सतलोक अविनाशी लोक है। वहां जाने के बाद साधक जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त हो जाता है और पूर्ण मोक्ष प्राप्त करता है।
कबीर इज गॉड
श्राद्ध शास्त्रविरुद्ध साधना
मृत्यु उपरान्त जीव के कल्याण अर्थात् गति कराने के लिए की जाने वाली शास्त्रविरूद्ध क्रियाऐं व्यर्थ हैं।
देखें साधना टीवी चैनल 07:30pm
बंदि छोड़ कबीर परमात्मा की जय
Kabir is god 🙏🙏🙏🙏🙏 suprime god kabir 🙏🙏🙏🙏🙏
Saty vachan
श्राद्ध पूजा, पितर पूजा इत्यादि नहीं करनी चाहिए | Sant Rampal Ji Satsang*
Santrampal ji Maharaj
श्राद्ध पूजा आदि कर्म काण्डों की शुरुआत कहाँ से हुई?
जानने के लिए संत रामपाल जी महाराज का यह सत्संग अवश्य सुनेl
अमर लोक से आया बन्दे अमर लोक को जाना रे कहे कबीर चरण चीत राखु ज्यु सुई मे डोरा रे
संत रामपाल जी महाराज जी के आध्यात्मिक ज्ञान का डंका सारे विश्व में बज रहा है। समाज सुधार और मानव कल्याण के अद्भुत काम करने वाले ऐसे महान संत की महिमा के चर्चे घर-घर में हो रहे हैं।
Amazing Satsang.
Great Gyan Malik ka
संत रामपाल जी महाराज का अनमोल ज्ञान पूरे विश्व में फैला संत रामपाल जी महाराज पूरे विश्व को जगा रहे हैं
धन जननी धन भूमी, धन नगरी धन देश।धन करणी धन कुल,धन जहां साधू प्रवेश ll
❤❤❤ satguru dev bhagwan ki jay ho
Great guru sant rampal ji maharaj
Sat saheb g
The true God of satguru rampalji Maharaj
जगत के तारण हार संत रामपाल जी महाराज 🙏
अनमोल सतसंग
True spiritual knowledge by jagatguru tatwodarshi Sant Rampalji Maharaj
संत रामपाल जी महाराज जी विश्व में एकमात्र सच्चे सतगुरु हैं, जो चार वेद, छह शास्त्रों के साथ साथ सभी धर्मों के पवित्र सदग्रंथों के ज्ञाता अर्थात सदग्रंथों में छूपे हूए गूढ़ रहस्यों को जानने वाले हैं। और शास्त्रों के आधार से ही प्रमाणित सतभक्ति विधि तथा ज्ञान बताने वाले परम संत हैं।
कबीर, सात समुन्द्र की मसि करूं, लेखनी करूं बनराय।
धरती का कागद करूं, गुरु गुण लिखा न जाए।।
कबीर, गुरु बड़े गोविन्द से, मन में देख विचार।
हरि सुमरे सो रह गए, गुरु भजे हुए पार।।
श्राद्ध पिंड दान करना वेदों में व्यर्थ बताया है संत रामपाल जी महाराज जी से दीक्षा लेकर भक्ति करने से हमें पूर्ण मोक्ष प्राप्त होगा
सत् साहेब जी
अद्भुत सत्संग है अनोखा ज्ञान है जी
कबीर साहेब जी की भक्ति करने से पूर्ण कल्याण होगा
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Sat guru dev ki jai
सत्य भक्ति वर्तमान में केवल संत रामपाल जी महाराज जी के पास है। जिससे इस दुःखों के घर संसार से पार होकर वह परम शान्ति तथा शाश्वत स्थान (सनातन परम धाम) प्राप्त हो जाता है जिसके विषय में गीता अध्याय 18 श्लोक 62 में कहा है
पितरों की गति नहीं हो सकी जब तक हम सत भक्ति पूर्ण सतगुरु रामपाल जी महाराज से दीक्षा लेकर ही अपना कल्याण करा सकते हैं
गीता अध्याय-9 श्लोक-25 / Gita Chapter-9 Verse-25
प्रसंग-
भगवान् के भक्त आवागमन को प्राप्त नहीं होते और अन्य देवताओं के उपासक आवागमन को प्राप्त होते हैं, इसका क्या कारण है? इस जिज्ञासा पर उपास्य के स्वरूप और उपासक के भाव से उपासना के फल में भेद होने का नियम बतलाते हैं-
यान्ति देवव्रता देवान्
पितृन्यान्ति पितृव्रता: ।
भूतानि यान्ति भूतेज्या
यान्ति मद्याजिनोऽपि माम् ।।25।।
देवताओं को पूजने वाले देवताओ को प्राप्त होते हैं, पितरों को पूजने वाले पितरों को प्राप्त होते हैं, भूतों को पूजने वाले भूतों को प्राप्त होते हैं, और मेरा पूजन करने वाले भक्त मुझको ही प्राप्त होते हैं। इसीलिये मेरे भक्तों का पुनर्जन्म नहीं होता ।।25।।
Those who are vowed to gods to the gods; those who are vowed to the manes reach the manes; those who adore the spirits reach the spirits and those who worship me come to me alone. (That is why my devotees are no longer subject to birth and death). (25)
देवव्रता: = देवताओं को पूजने वाले ; देवान् = देवताओं को ; यान्ति = प्राप्त होते हैं ; पितृव्रता: = पितरों को पूजने वाले ; मद्याजिन: = मेरे भक्त ; माम् = मेरे को ; पितृन् = पितरों को ; यान्ति = प्राप्त होते हैं ; भूतेज्या: = भूतों को पूजने वाले ; भूतानि = भूतों को ; यान्ति = प्राप्त होते हैं (और) ; अपि =ही ; यान्ति = प्राप्त होते हैं ;
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Puran moksh sastranukul bhakti krke hi prapt hoti h ♥️♥️♥️♥️
Sarguji ki amritwani
🌿सत्संग मतलब सत्य का संग अर्थात जो संत सत्संग कर रहा हो उनके मुख से बोली गयी बातों का हमारे धर्मग्रन्थों में उचित प्रमाण हो। इसी तरह का प्रमाणित सत्संग संत रामपाल जी महाराज करते हैं।
कोटि कोटि सिजदा करुं, कोटि कोटि प्रणाम!
चरण कमल में राखियो, मैं बांदी जाम गुलाम!!
# Kabir Sahib si supreme God
आत्मा और परमात्मा के मिलन में काल बहुत बड़ा बाधक है लेकिन सद्गुरु संत रामपाल जी महाराज द्वारा दी गई भक्ति करने से परमात्मा की प्राप्ति संभव है।
गीता अध्याय 15 श्लोक 17
उत्तम पुरुष: तू अन्य:, परमात्मा इती उदाह्यत, यः लोकत्रयम आविश्य, विभर्ति अव्यय: ईश्वर:।
गीता जी में उत्तम पुरुष को क्षर पुरुष व अक्षर पुरुष से अलग बताया गया है। जो तीनों लोकों में प्रवेश करके सब धारण पोषण करता है वह वास्तव में अविनाशी अर्थात समर्थ प्रभु है।
वह पुरुषोत्तम कबीर साहेब हैं।
साधु के संग साधु होत है, जगत के संते जगत होवै।
साधु के संग परम सुख उपजै, जगत के संग ते जन्म खोवै।।
संत रामपाल जी महाराज की बताई सतभक्ति से आज लाखों परिवार रोगों से मुक्त होकर सुखी जीवन जी रहे हैं।
धरती पर अवतार है संत रामपाल जी भगवान है 🙏🏽🙏🏽
वर्तमान में पूर्ण गुरु संत रामपाल जी महाराज ही है।
अनीतातत्वदर्शी संत (गीता अ-4 श्लोक-34) से दीक्षा लेकर शास्त्रविधि अनुसार सतभक्ति करने वाले परमधाम सतलोक को प्राप्त होते हैं जहाँ जन्म-मरण, दुख, कष्ट व रोग नहीं होता है।तत्वदर्शी संत (गीता अ-4 श्लोक-34) से दीक्षा लेकर शास्त्रविधि अनुसार सतभक्ति करने वाले परमधाम सतलोक को प्राप्त होते हैं जहाँ जन्म-मरण, दुख, कष्ट व रोग नहीं होता है।
मृत्यु के पश्चात् की गई सर्व क्रियाऐं गति (मोक्ष) कराने के उद्देश्य से की गई थी। उन ज्ञानहीन गुरूओं ने अन्त में कौवा बनवाकर छोड़ा। वह प्रेत शिला पर प्रेत योनि भोग रहा है। पीछे से गुरू और कौवा मौज से भोजन कर रहा है।मृत्यु के पश्चात् की गई सर्व क्रियाऐं गति (मोक्ष) कराने के उद्देश्य से की गई थी। उन ज्ञानहीन गुरूओं ने अन्त में कौवा बनवाकर छोड़ा। वह प्रेत शिला पर प्रेत योनि भोग रहा है। पीछे से गुरू और कौवा मौज से भोजन कर रहा है।
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