सचेतन, पंचतंत्र की कथा-15 : "दोस्त की चाल और प्रेम की जीत"
ฝัง
- เผยแพร่เมื่อ 22 ธ.ค. 2024
- बुनकर की मुश्किल और रथकार का समाधान: हमारी पिछली कहानी में आपने सुना कि कैसे बुनकर ने राजकुमारी को देखकर उसके प्रेम में अपना दिल खो दिया था और अब उसके बिना जीना मुश्किल हो गया था। उसकी हालत इतनी बिगड़ गई कि उसने अपने दोस्त रथकार से मरने की बात तक कह दी। लेकिन रथकार ने अपने मित्र की मदद करने का वादा किया और उसे भरोसा दिलाया कि कोई भी काम असंभव नहीं होता।
रथकार ने मुस्कराते हुए कहा, "मित्र! अगर यही बात है तो समझो तुम्हारा मतलब पूरा हो गया। मैं आज ही तुम्हें राजकुमारी से मिलवा दूंगा।" बुनकर, जो अब तक अपनी हालत को लेकर हताश था, हैरान होकर बोला, "मित्र, तुम मजाक क्यों कर रहे हो? वह राजकुमारी अपने महल में रक्षकों से घिरी रहती है, वहाँ हवा के अलावा और कोई प्रवेश नहीं कर सकता। ऐसे में वहाँ मेरी कैसे पहुँच होगी?"
रथकार की अद्भुत योजना: रथकार ने अपने दोस्त की घबराई बातों को सुनकर मुस्कराते हुए कहा, "मित्र, मेरी बुद्धि और मेरी योजना को देखो।" इसके बाद रथकार ने तुरंत एक पुरानी अर्जुन के पेड़ की लकड़ी से एक उड़ने वाला गरुड़ तैयार किया, जिसमें कील-कांटे और तमाम आवश्यक सामान लगाए गए। फिर उसने भगवान विष्णु की तरह शंख-चक्र और गदा-पद्म वाले बाहु, किरीट (मुकुट), और कौस्तुभ मणि को भी तैयार किया।
उसने बुनकर को गरुड़ पर बिठाया और भगवान विष्णु के सभी लक्षणों से उसे सजाया। फिर रथकार ने बुनकर को समझाया कि कैसे उसे गरुड़ पर उड़कर राजकुमारी के महल के ऊपरी खंड तक पहुंचना है। उसने बुनकर से कहा, "मित्र, आधी रात के समय तुम इस गरुड़ पर सवार होकर राजकुमारी के महल में जाओ। जब वह तुम्हें देखेगी तो वह तुम्हें भगवान विष्णु समझेगी। फिर तुम अपनी मीठी बातों से उसे खुश करना और प्रेमपूर्वक उसके साथ समय बिताना।"
बुनकर का साहस और राजकुमारी से मुलाकात: बुनकर ने रथकार की योजना पर भरोसा किया और भगवान विष्णु के रूप में सजधज कर गरुड़ पर सवार होकर राजकुमारी के महल में पहुँच गया। आधी रात को जब बुनकर ने महल में प्रवेश किया, तो उसने राजकुमारी से कहा, "राजकुमारी, तुम सो रही हो या जाग रही हो? मैं तुम्हारे प्रेम में फंसकर लक्ष्मी को छोड़कर समुद्र से यहाँ चला आया हूँ। अब मैं तुम्हारे साथ रहना चाहता हूँ।"
राजकुमारी, जो अब तक अपने महल में अकेली थी, उसने गरुड़ पर सवार चार भुजाओं वाले, आयुधों और कौस्तुभ मणि से सजे हुए बुनकर को देखा। उसे अपनी आँखों पर विश्वास नहीं हुआ। वह तुरंत अपनी खाट से उठ बैठी और बोली, "भगवान, मैं तो एक साधारण मानवी हूँ, आपकी कृपा और पवित्रता के आगे मेरा कोई स्थान नहीं। फिर हमारा यह मेल कैसे हो सकता है?"
बुनकर की मीठी बातें और राजकुमारी का विश्वास: बुनकर ने मुस्कराते हुए कहा, "सुभगे, तुमने सही कहा। लेकिन तुम्हारे अंदर वह राधा है, जो पहले मेरे साथ गोप-कुल में थी। आज उसी प्रेम के कारण मैं यहाँ आया हूँ।" बुनकर की यह मीठी बातें सुनकर राजकुमारी का दिल पिघल गया और उसने विष्णु के रूप में बुनकर का स्वागत किया।
कहानी से सीख: तो दोस्तों, इस कहानी से हमें क्या सीखने को मिलता है?
दोस्ती और साहस का बलिदान: रथकार ने अपनी बुद्धि का उपयोग करके अपने मित्र बुनकर की मदद की। उसने दिखाया कि सच्चा मित्र वह होता है जो किसी भी स्थिति में आपके साथ खड़ा रहता है और आपकी खुशी के लिए कुछ भी करने को तैयार होता है।
प्रेम और विश्वास: बुनकर ने भगवान विष्णु का रूप धारण कर राजकुमारी का दिल जीतने की कोशिश की। यह दिखाता है कि प्रेम में विश्वास और साहस बहुत मायने रखता है। राजकुमारी ने भी बुनकर की बातों पर विश्वास किया और उसे अपना लिया।
बुद्धिमत्ता का उपयोग: रथकार ने बुनकर की मदद करने के लिए अपनी बुद्धिमत्ता का उपयोग किया। उसने एक अद्भुत योजना बनाई और उसे सफलता पूर्वक अंजाम दिया। इससे यह सीख मिलती है कि किसी भी कठिनाई का समाधान बुद्धि और धैर्य से निकाला जा सकता है।
"राजकुमारी और बुनकर की गुप्त प्रेम कथा"
बुनकर का प्रेम और राजकुमारी की चिंता: हमारी पिछली कहानी में आपने सुना कि कैसे बुनकर ने अपने मित्र रथकार की मदद से विष्णु का रूप धारण कर राजकुमारी के महल में प्रवेश किया। उसने राजकुमारी को भगवान विष्णु बनकर अपने प्रेम का इजहार किया। राजकुमारी ने कहा, "भगवान, अगर यही बात है तो आप मेरे पिता से विधिपूर्वक मुझे मांग लें। वे संकल्प के साथ मुझे आपको दे देंगे।"
लेकिन बुनकर, जो विष्णु के रूप में वहां था, बोला, "सुभगे, मैं मनुष्यों की आँखों के रास्ते तक नहीं जाता, उनसे बात करना तो दूर की बात है। इसलिए तू मुझसे गांधर्व-विधि से विवाह कर ले, नहीं तो मैं शाप देकर तेरे वंश को भस्म कर दूंगा।" भयभीत और लजाती हुई राजकुमारी ने आखिरकार उसे स्वीकार कर लिया। बुनकर ने राजकुमारी का हाथ पकड़ा और उसे शय्या के पास ले गया, और उसके बाद पूरी रात दोनों ने प्रेमपूर्वक समय बिताया।
राजा की चिंता और कंचुकियों का संदेह: इस तरह बुनकर रोज़ाना राजकुमारी से मिलने लगा और दोनों का समय एक साथ बीतने लगा। लेकिन एक दिन, राजकुमारी के कंचुकियों (दासी/सहायिका) ने उसके मुंह पर चोट के निशान और उसके शरीर के कुछ हिस्सों पर चिह्न देखे, जिससे उन्हें संदेह हुआ कि कोई व्यक्ति राजकुमारी के सुरक्षित महल में आता है।
कंचुकियों ने एकांत में कहा, "यह कैसे हो सकता है कि कोई इस महल में प्रवेश कर सके? राजकुमारी के शरीर पर जो निशान हैं, वे किसी पुरुष द्वारा भोगे जाने के जैसे लगते हैं। हमें यह बात राजा को बतानी चाहिए।"