Maslke ala hajrat jindabad 1000 molanao ko ikttha kar lo sabit ho jayega sare jmat wale or devbandi wahabi siya ahle hadis bohre kadyani sab ke sab munafik ( chhupe huve kafir gustake rasul ) he aj tak kisi munafik ne kafiro ke mukable ki junge nhi jiti ab tak ki sari junge panjtane pak aur gose pak aur khwaja g n ke gulamo ne kafiro ke mukable ki junge jiti he ye sab drudo salam padne wale hi iman wale hote he baki sab kalma padne wale munafik he aj se hi panjtane pak aur gose pak aur khwaja g n ke gulam ban jao kafiro se bhi jit jaoge or kyamat me mijane amaal par bhi jit jaoge insaallah maslke ala hajrat jindabad
Surah az zumar ayatno3:suno allah taala keliye hi khalis ibatadat karna hai aur jin logo ko uske siwa auliya bana rakhe hai aur kehte hai ki hum inki ibadat sirf isliye karte hai ke ye buzurg allah taala ke nazdeeki ke martabe tak hamaari rasai karade ye log jis bare me ikhtyelaaf karrahe hai yakeenan uska sachcha faisla allahtaala khud karega beshak allah taala jhootey aur na shukray logo ko allah taala rah nahi dikhata.)
@@Irfanshah-zb8gj 🌝बूत परस्ती की शुरुआत कैसे हूवी🌝🐵* *क्या मुशरिकीन बेजान पत्थर के बने हुए बुतो की इबादत करते थे या नेक सालेहीन बुजुर्ग औलिया की* 👉 ☆ Mazaar ke pujariyo ke bhagwan.inko tauhid pasand nhi isiliye ye log ab hindu bante ja rhe hai..inko har aayat buto wali lagti hai kya allah ko nhi pta tha ki 1400 baad fir se mazaar ke pujari paida hone wale hai. Sahih Bukhari Hadees # 4920 حَدَّثَنَا إِبْرَاهِيمُ بْنُ مُوسَى، أَخْبَرَنَا هِشَامٌ، عَنْ ابْنِ جُرَيْجٍ، وَقَالَ عَطَاءٌ: عَنْ ابْنِ عَبَّاسٍ رَضِيَ اللَّهُ عَنْهُمَا، صَارَتِ الْأَوْثَانُ الَّتِي كَانَتْ فِي قَوْمِ نُوحٍ فِي الْعَرَبِ بَعْدُ أَمَّا وَدٌّ كَانَتْ لِكَلْبٍ بِدَوْمَةِ الْجَنْدَلِ، وَأَمَّا سُوَاعٌ كَانَتْ لِهُذَيْلٍ، وَأَمَّا يَغُوثُ فَكَانَتْ لِمُرَادٍ، ثُمَّ لِبَنِي غُطَيْفٍ بِالْجَوْفِ عِنْدَ سَبَإٍ، وَأَمَّا يَعُوقُ فَكَانَتْ لِهَمْدَانَ، وَأَمَّا نَسْرٌ فَكَانَتْ لِحِمْيَرَ لِآلِ ذِي الْكَلَاعِ، أَسْمَاءُ رِجَالٍ صَالِحِينَ مِنْ قَوْمِ نُوحٍ، فَلَمَّا هَلَكُوا أَوْحَى الشَّيْطَانُ إِلَى قَوْمِهِمْ أَنِ انْصِبُوا إِلَى مَجَالِسِهِمُ الَّتِي كَانُوا يَجْلِسُونَ أَنْصَابًا وَسَمُّوهَا بِأَسْمَائِهِمْ، فَفَعَلُوا فَلَمْ تُعْبَدْ حَتَّى إِذَا هَلَكَ أُولَئِكَ، وَتَنَسَّخَ الْعِلْمُ عُبِدَتْ"". Sahih Hadees नूह (अलैहिस्लाम) जिस कौम मे मबउस थे उस कौम मे पाँच नेक सालेहीन नेक बुजुर्ग औलिया अल्लाह थे | - उनकी मज्लिशों मे बैठकर लोग अल्लाह को याद करते थे और मसाइल सुनते थे, - इससे उनके दीन को तक्वियत पहुचती थी| - जब वे ग़ुजर गए तो क़ौम मे परेशानी हुई कि अब न वो मज्लिस रही न वो मसाइल रहे, अब कहा बैठे ? - उस वक्त शैतान ने उनके दिलों मे यह फूंक मारी कि इन बुजूर्गों की इबादतगाहों मे उनकी तस्वीर (बूथ) बनाकर अपने पास रखलों | - जब उन तस्वीरों को देखोगे तो उनका जमाना याद आ जाएगा और वह क़ैफियत पैदा हो जाएगी| - तो उन के पाँचों के मुजस्समें बनाए गए और उन पाँचों का नाम था (1) वद , (2) सुवाअ , (3) यग़ूस , (4) नसर , (5) यऊक | उनका कुरआन मे जिक्र है ये पाँच बुत बनाकर रखे गए ! - उनका मक्सद सिर्फ तज़्कीर था की उन तस्वीरों(बुथो) के जरीए याद दिहानी हो जाएगी | उनको पूजना मक्सद नही था | शूरू मे जब तक लोगो के दिलों मे मारिफत रही, उन बुजूर्गों के असरात रहे | - लेकिन जब दुसरी नस्ल आई तो उनके दिलों मे वह मारफत नही रही उनके सामने तो यही बुत थे | - चूनांचे कुछ अल्लाह की तरफ मुतवज्जेह हुए और कुछ बुतों की तरफ मुतवज्जेह हुए | - और जब तीसरी नस्ल आई तब तक शैतान अपना काम कर चुका था | उनके दिलों मे इतनी भी मारफत नही रही | उनके सामने बुत ही बुत रह गए | उन्ही को सज़्दा , उन्ही को नियाज उन्ही की नजर यहा तक की शिर्क शुरू हो गया | फिर तो नजराने वसूल किए जाने लगे मैले उर्स न जाने क्या क्या खुरापात शुरू हो गई .- - (तफ़्सीर इब्ने कसीर पारा 29 , सूर: नूह के दुसरे रूकूअ मे) _ अल्लाह तआला ने मुशरिकीन के माबूदों के बारे में फरमाता है ! सूरह अराफ आयत 194 __बेशक तुम अल्लाह के सिवा जिनको पुकारते हो वह तुम जैसे बंदे है ॥ औऱ फ़रमाया :
औऱ फ़रमाया : सूरह नहल आयत 21 __वह तो बेजान लाशें है उनको यह भी मालूम नही की क़ब उठाये जाएंगे ! और जिन औलिया अल्लाह को मुशरिकीन पुकारते उनके बारे में अल्लाह ने क़ुरान में बताया : अल अहक़ाफ़ आयत 6 _और जब ( क़यामत के दिन ) लोग जमा किये जायेंगे वह उनके दुश्मन हो जाएंगे औऱ उनकी इबादत का इनकार कर देंगे ! __ बाज़ मुशरिकीन ने कुछ दुनिया से गुजरे हुए इंसानों को माबूद बना रखा है उन इंसानों को बसा अवकात यह पता ही नही होता के उन की इबादत की जा रही है इसलिए वह इंकार कर देंगे औऱ जिनको पता है वह यह कहेंगे के दर हक़ीक़त यह हमारी नही ,बल्कि अपनी नफ़सानी ख़्वाहिशात की इबादत करते थे !! ☆ ☆ ☆ __क़बर परस्ती भी बूत परस्ती ही है__ अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहू अलैही वसल्लम का फरमान है _ हजरत अबु हुरैराह रज़ि0 से रिवायत है के नबी सल्लल्लाहू अलैही वसल्लम यह दुआ फरमाते थे के अय अल्लाह मेरी कबर को बूत न बनाएगा (जिसकी लोग इबादत शुरू कर दे) उनलोगों पर अल्लाह की लानत हो जो अपने नबीयों की क़बरो को सज़दागाह बना लेते है ! (मुसनद इमाम अहमद बिन हम्बल हदीस - 7352) एक और हदीस में है _ तौबान रज़ि0 रिवायत करते है कि नबी सल्लल्लाहो अलैही वसल्ललम ने फरमाया के क़यामत उस वक़्त तक नही आएगी जब तक मेरी उम्मत के कुछ कबीले मुशरिकीन के साथ ना मिल जाये औऱ वो बूत की इबादत ना करने लगे ! (जामे तिर्मिज़ी , हदीस -2219 ) __आज के मुशरिकीन का कहना है कि नेक लोगो की पनाह लेना औऱ तंगी व तकलीफ में मुश्किल कुशाई के लिए उन्हें पुकारना कोई इबादत नही है ! इसलिए नेक सालेहीन बुजुर्ग औलिया अल्लाह के बने हुए कबर (मज़ारआत) पर जाकर उन्हें पुकारते है उन से ऐसी मोहब्बत करते है , जैसी मोहब्बत अल्लाह से करनी चाहिए ! जबकि क़ुरान में अल्लाह तआला ने अपने सिवा किसी औऱ को पुकारने से मना किया है गैब में पुकारना इबादत है , _ नोमान बिन बशीर रज़ि0 से रिवायत है के नबी अकरम सल्लल्लाहो अलैही वसल्लम ने फरमाया " दुआ ही इबादत है फिर आप ने सूरह मोमिन , आयत 60 पढ़ी ""औऱ तुमहारे रब ने फरमाया तुम लोग मुझे पुकारो मैं तुम्हारी दुआ जरूर क़बूल करूँगा , बेशक जो लोग मेरी बंदगी से सरकशी करते है वह अनक़रीब दोजख में ज़लील होकर दाखिल होंगे "" (जामे तिर्मिज़ी ,हदीस - 3372) _एक गिरोह आज बूत परस्ती में लगे है और उसी के देखा देखी एक गरोह कबर परस्ती में मसगुल है नेक बुज़ुर्गो से अपना मोहब्बत अक़ीदत दिखाने के लिए , आज के मुसलमान बूत परस्ती से हट कर कबर परस्ती पे आ गए नेक सालेहीन नेक बुज़ुर्ग की अक़ीदत मोहब्बत में उनके मज़ार बना रखे है ! उसी मज़ार पे शिर्क का सुरुवात फिर से शुरू हो गया नेक बुजुर्गों के
Masha allah. Bayan. Aur ramzan ki tayari. Jazak allah
سبحان الله👍
جزاك الله احسن الجزاء
Massallah bahut khoobsurat ❤️❤️❤️
Masaallah ♥️ khubsurat byan
Masha Allah
ماشاءاللہ ماشاءاللہ ماشاءاللہ
بہت اچھا بیان
ماشاء اللہ
Mashaallah ❤️❤️❤️❤️❤️
Mashallah
Ma sha Allah
Mashallah ❤️
❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️💜💜
Mashallah Allah apke ilm or umar Mai mazeed barkat ata farmai
Masha Allah ya Allah hm sbko ramzaan at farma
Aamaeen
Aameen summa aameen
ماشاءاللہ ❤️🌸👍
Inshallah
ماشاءاللہ❤️💙💚💜🧡💛
Masha Allah❤️💙💚💜🧡💛
माशा अल्लाह❤️💙💚💜🧡💛
ماشاءاللہ
Allah Hu Akbar 😭😭😭😭😭😭😭😭😭
اللہ پاک آپ کے علم میں اضافہ عطا فرمائے آمین یارب العالمین
Masha Allah...Allah apko sehat de
Ⓜ️ashallah
❤❤❤
Abdul Gaffar sahab kiya bidadti imam ke peeche namaz pad sakte hai or bo mushriq whi he to kiya namaz pad sakte he bazahat frmay Qur'an sunat se 🤲
😊😊😊😊
Maulana sahaba Allah paak aap ko ramjaan mahina me maaf farma ameen
Nama aamal shate jaayanga
Sab log ebadat Kar jannat me chle jaege magar Allah ka Deen ghalib kab hoga.musalman banane ka Allah ka maqsad kaun poora karega.
Every 2 min ke baad ad kyu aa raha hai?
पता नही भाई
Agar koi insaan ramzaan kb hai ye sabse pahele logo ko bataye to us par jahannam ki aag us par haraam ho jayegi keya ye sahi hadees hai
Maslke ala hajrat jindabad 1000 molanao ko ikttha kar lo sabit ho jayega sare jmat wale or devbandi wahabi siya ahle hadis bohre kadyani sab ke sab munafik ( chhupe huve kafir gustake rasul ) he aj tak kisi munafik ne kafiro ke mukable ki junge nhi jiti ab tak ki sari junge panjtane pak aur gose pak aur khwaja g n ke gulamo ne kafiro ke mukable ki junge jiti he ye sab drudo salam padne wale hi iman wale hote he baki sab kalma padne wale munafik he aj se hi panjtane pak aur gose pak aur khwaja g n ke gulam ban jao kafiro se bhi jit jaoge or kyamat me mijane amaal par bhi jit jaoge insaallah maslke ala hajrat jindabad
Surah az zumar ayatno3:suno allah taala keliye hi khalis ibatadat karna hai aur jin logo ko uske siwa auliya bana rakhe hai aur kehte hai ki hum inki ibadat sirf isliye karte hai ke ye buzurg allah taala ke nazdeeki ke martabe tak hamaari rasai karade ye log jis bare me ikhtyelaaf karrahe hai yakeenan uska sachcha faisla allahtaala khud karega beshak allah taala jhootey aur na shukray logo ko allah taala rah nahi dikhata.)
Mashallah
@@Irfanshah-zb8gj 🌝बूत परस्ती की शुरुआत कैसे हूवी🌝🐵*
*क्या मुशरिकीन बेजान पत्थर के बने हुए बुतो की इबादत करते थे या नेक सालेहीन बुजुर्ग औलिया की*
👉 ☆ Mazaar ke pujariyo ke bhagwan.inko tauhid pasand nhi isiliye ye log ab hindu bante ja rhe hai..inko har aayat buto wali lagti hai kya allah ko nhi pta tha ki 1400 baad fir se mazaar ke pujari paida hone wale hai.
Sahih Bukhari Hadees # 4920
حَدَّثَنَا إِبْرَاهِيمُ بْنُ مُوسَى، أَخْبَرَنَا هِشَامٌ، عَنْ ابْنِ جُرَيْجٍ، وَقَالَ عَطَاءٌ: عَنْ ابْنِ عَبَّاسٍ رَضِيَ اللَّهُ عَنْهُمَا، صَارَتِ الْأَوْثَانُ الَّتِي كَانَتْ فِي قَوْمِ نُوحٍ فِي الْعَرَبِ بَعْدُ أَمَّا وَدٌّ كَانَتْ لِكَلْبٍ بِدَوْمَةِ الْجَنْدَلِ، وَأَمَّا سُوَاعٌ كَانَتْ لِهُذَيْلٍ، وَأَمَّا يَغُوثُ فَكَانَتْ لِمُرَادٍ، ثُمَّ لِبَنِي غُطَيْفٍ بِالْجَوْفِ عِنْدَ سَبَإٍ، وَأَمَّا يَعُوقُ فَكَانَتْ لِهَمْدَانَ، وَأَمَّا نَسْرٌ فَكَانَتْ لِحِمْيَرَ لِآلِ ذِي الْكَلَاعِ، أَسْمَاءُ رِجَالٍ صَالِحِينَ مِنْ قَوْمِ نُوحٍ، فَلَمَّا هَلَكُوا أَوْحَى الشَّيْطَانُ إِلَى قَوْمِهِمْ أَنِ انْصِبُوا إِلَى مَجَالِسِهِمُ الَّتِي كَانُوا يَجْلِسُونَ أَنْصَابًا وَسَمُّوهَا بِأَسْمَائِهِمْ، فَفَعَلُوا فَلَمْ تُعْبَدْ حَتَّى إِذَا هَلَكَ أُولَئِكَ، وَتَنَسَّخَ الْعِلْمُ عُبِدَتْ"".
Sahih Hadees
नूह (अलैहिस्लाम) जिस कौम मे मबउस थे उस कौम मे पाँच नेक सालेहीन नेक बुजुर्ग औलिया अल्लाह थे |
- उनकी मज्लिशों मे बैठकर लोग अल्लाह को याद करते थे और मसाइल सुनते थे,
- इससे उनके दीन को तक्वियत पहुचती थी|
- जब वे ग़ुजर गए तो क़ौम मे परेशानी हुई कि अब न वो मज्लिस रही न वो मसाइल रहे, अब कहा बैठे ?
- उस वक्त शैतान ने उनके दिलों मे यह फूंक मारी कि इन बुजूर्गों की इबादतगाहों मे उनकी तस्वीर (बूथ) बनाकर अपने पास रखलों |
- जब उन तस्वीरों को देखोगे तो उनका जमाना याद आ जाएगा और वह क़ैफियत पैदा हो जाएगी|
- तो उन के पाँचों के मुजस्समें बनाए गए और उन पाँचों का नाम था
(1) वद , (2) सुवाअ , (3) यग़ूस , (4) नसर , (5) यऊक |
उनका कुरआन मे जिक्र है ये पाँच बुत बनाकर रखे गए !
- उनका मक्सद सिर्फ तज़्कीर था की उन तस्वीरों(बुथो) के जरीए याद दिहानी हो जाएगी | उनको पूजना मक्सद नही था | शूरू मे जब तक लोगो के दिलों मे मारिफत रही, उन बुजूर्गों के असरात रहे |
- लेकिन जब दुसरी नस्ल आई तो उनके दिलों मे वह मारफत नही रही उनके सामने तो यही बुत थे |
- चूनांचे कुछ अल्लाह की तरफ मुतवज्जेह हुए और कुछ बुतों की तरफ मुतवज्जेह हुए |
- और जब तीसरी नस्ल आई तब तक शैतान अपना काम कर चुका था | उनके दिलों मे इतनी भी मारफत नही रही | उनके सामने बुत ही बुत रह गए | उन्ही को सज़्दा , उन्ही को नियाज उन्ही की नजर यहा तक की शिर्क शुरू हो गया | फिर तो नजराने वसूल किए जाने लगे मैले उर्स न जाने क्या क्या खुरापात शुरू हो गई .-
- (तफ़्सीर इब्ने कसीर पारा 29 , सूर: नूह के दुसरे रूकूअ मे)
_ अल्लाह तआला ने मुशरिकीन के माबूदों के बारे में फरमाता है !
सूरह अराफ आयत 194
__बेशक तुम अल्लाह के सिवा जिनको पुकारते हो वह तुम जैसे बंदे है ॥
औऱ फ़रमाया :
औऱ फ़रमाया :
सूरह नहल आयत 21
__वह तो बेजान लाशें है उनको यह भी मालूम नही की क़ब उठाये जाएंगे !
और जिन औलिया अल्लाह को मुशरिकीन पुकारते उनके बारे में अल्लाह ने क़ुरान में बताया :
अल अहक़ाफ़ आयत 6
_और जब ( क़यामत के दिन ) लोग जमा किये जायेंगे वह उनके दुश्मन हो जाएंगे औऱ उनकी इबादत का इनकार कर देंगे !
__ बाज़ मुशरिकीन ने कुछ दुनिया से गुजरे हुए इंसानों को माबूद बना रखा है उन इंसानों को बसा अवकात यह पता ही नही होता के उन की इबादत की जा रही है इसलिए वह इंकार कर देंगे औऱ जिनको पता है वह यह कहेंगे के दर हक़ीक़त यह हमारी नही ,बल्कि अपनी नफ़सानी ख़्वाहिशात की इबादत करते थे !!
☆ ☆ ☆
__क़बर परस्ती भी बूत परस्ती ही है__
अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहू अलैही वसल्लम का फरमान है
_ हजरत अबु हुरैराह रज़ि0 से रिवायत है के नबी सल्लल्लाहू अलैही वसल्लम यह दुआ फरमाते थे के अय अल्लाह मेरी कबर को बूत न बनाएगा (जिसकी लोग इबादत शुरू कर दे) उनलोगों पर अल्लाह की लानत हो जो अपने नबीयों की क़बरो को सज़दागाह बना लेते है !
(मुसनद इमाम अहमद बिन हम्बल हदीस - 7352)
एक और हदीस में है
_ तौबान रज़ि0 रिवायत करते है कि नबी सल्लल्लाहो अलैही वसल्ललम ने फरमाया के क़यामत उस वक़्त तक नही आएगी जब तक मेरी उम्मत के कुछ कबीले मुशरिकीन के साथ ना मिल जाये औऱ वो बूत की इबादत ना करने लगे !
(जामे तिर्मिज़ी , हदीस -2219 )
__आज के मुशरिकीन का कहना है कि नेक लोगो की पनाह लेना औऱ तंगी व तकलीफ में मुश्किल कुशाई के लिए उन्हें पुकारना कोई इबादत नही है !
इसलिए नेक सालेहीन बुजुर्ग औलिया अल्लाह के बने हुए कबर (मज़ारआत) पर जाकर उन्हें पुकारते है उन से ऐसी मोहब्बत करते है , जैसी मोहब्बत अल्लाह से करनी चाहिए !
जबकि
क़ुरान में अल्लाह तआला ने अपने सिवा किसी औऱ को पुकारने से मना किया है गैब में पुकारना इबादत है ,
_ नोमान बिन बशीर रज़ि0 से रिवायत है के नबी अकरम सल्लल्लाहो अलैही वसल्लम ने फरमाया " दुआ ही इबादत है फिर आप ने सूरह मोमिन , आयत 60 पढ़ी
""औऱ तुमहारे रब ने फरमाया तुम लोग मुझे पुकारो मैं तुम्हारी दुआ जरूर क़बूल करूँगा , बेशक जो लोग मेरी बंदगी से सरकशी करते है वह अनक़रीब दोजख में ज़लील होकर दाखिल होंगे ""
(जामे तिर्मिज़ी ,हदीस - 3372)
_एक गिरोह आज बूत परस्ती में लगे है और उसी के देखा देखी एक गरोह कबर परस्ती में मसगुल है नेक बुज़ुर्गो से अपना मोहब्बत अक़ीदत दिखाने के लिए , आज के मुसलमान बूत परस्ती से हट कर कबर परस्ती पे आ गए नेक सालेहीन नेक बुज़ुर्ग की अक़ीदत मोहब्बत में उनके मज़ार बना रखे है ! उसी मज़ार पे शिर्क का सुरुवात फिर से शुरू हो गया नेक बुजुर्गों के
Masha Allah bhut acha bayan
ماشاءاللہ ❤️🌸👍
Hi
Mashallah
Kaha ke ho bahi