नालंदा विश्वविद्यालय का संपूर्ण इतिहास||

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  • เผยแพร่เมื่อ 25 มิ.ย. 2024
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    नालंदा विश्वविद्यालय का इतिहास बहुत गौरवशाली है. यह दुनिया का पहला आवासीय विश्वविद्यालय था, जहां एक ही परिसर में शिक्षक और छात्र रहते थे. इसकी स्थापना गुप्त सम्राट कुमार गुप्त प्रथम ने 450 ईस्वी में की थी. यह प्राचीन भारत का एक प्रमुख और ऐतिहासिक शिक्षण केंद्र था. नालंदा विश्वविद्यालय, बिहार के नालंदा ज़िले के राजगीर में स्थित है. यह पटना से करीब 95 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में और बोधगया से 62 किलोमीटर दूर है. नालंदा विश्वविद्यालय के अवशेष यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल हैं|
    नालंदा विश्वविद्यालय की खास बातें:
    यह दुनिया का पहला आवासीय विश्वविद्यालय था.
    यहां एक ही परिसर में शिक्षक और छात्र रहते थे.
    छात्रों के रहने के लिए 300 कमरे बनाए गए थे.
    कमरों का प्रबंधन छात्र संघ के ज़रिए छात्र ही करते थे.
    यहां 9 मंज़िला एक विशाल पुस्तकालय था, जिसमें 90 लाख से ज़्यादा किताबें थीं.
    यहां चिकित्सा, आयुर्वेद, बौद्ध धर्म, गणित, व्याकरण, खगोल विज्ञान और भारतीय दर्शन जैसे विषयों को पढ़ाया जाता था.
    यहां पूर्वी और मध्य एशिया के 10,000 से ज़्यादा छात्र पढ़ने आते थे.
    माना जाता है कि बुद्ध कई बार यहां आए थे.
    हर्षवर्धन और पाल शासकों ने भी बाद में इसे संरक्षण दिया.
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