भूले बिसरे गढ़वाली लोकगीत - तिल जळोटा क्या धार बौ ये
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- เผยแพร่เมื่อ 1 ต.ค. 2024
- भूले बिसरे गढ़वाली लोकगीत - तिल जळोटा क्या धार बौ ये
मस्ती, प्रेम, अनुराग, हास्य, संदेह, प्रेरणा से भरा हुआ है चौंफुला गीत और नृत्य। यह गढ़वाल का लोकनृत्य है। हाथों और पांवों के अद्भुत संगम से किये जाने वाले इस नृत्य के बारे में कहा जाता है कि सबसे पहले पार्वती ने शिव को रिझाने के लिये पहाड़ों पर यह नृत्य किया था। नृत्य करते समय नर्तक एक कदम आगे आकर अपनी दायीं हथेली से अपने बायें तरफ खड़े नर्तक की दायीं हथेली को बजाता है और फिर बायीं हथेली से अपने दायें तरफ खड़े नर्तक की बायीं हथेली से बजाते हुए वापस पहली वाली स्थिति में आ जाता है। इसी तरह से गढ़वाल मंडल का श्रृंगार रस से भरा हुआ संवादप्रधान लोकनृत्य है चोपत्ति या छौपति। कुछ स्थानों पर इन गीतों के चुरा और लामणी भी कहा जाता है। यह भी चौंफुला की तरह का ही नृत्य है जिसे सामूहिक रूप से गाया जाता है। गढ़वाल के रवांई और जौनपुर क्षेत्र में माघ से चैत्र तक चोपत्ति गीत गाये जाते हैं। इस तरह का एक गीत है ....
तिल जळोटा क्या धार बौ ये, मीम तू बतै दै बौ ये।
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सादर प्रणाम भैजी जी सहृदय धन्यवाद भैजी जी बहुत ही अच्छी और सुंदर प्रस्तुति दी आपने तहेदिल से आपको बहुत बहुत धन्यवाद भैजी जी आप हर बार एक नया और बहुत ही अच्छा विडियो प्रस्तुत करते। है मुझे बहुत अच्छा लगता है ऐसे ही आप अच्छी अच्छी जानकारी के साथ विडियो बनाया करें आप का एक बार फिर से सहृदय धन्यवाद भैजी जी जय देव भूमि जय बद्री विशाल जय उत्तराखंड जय भारत 🙏🙏🙏🙏💐💐💐💐👍👌🌹🌹🌹🌹🌷🌷🌷🌷🌷🌷🙏🙏🙏🙏
जय उत्तराखंड जय devbhumi🙏🌷
Nice ❤️❤️❤️❤️❤️👍
बहुत बहुत धन्यवाद पंत जी 🙏🏻🙏🏻
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति आपका बहुत बहुत धन्यवाद जी हमें गढ़वाल से जोड़ने के लिए नमस्कार जी
जय उत्तराखंड 👌👌भलू लगी 🙏🙏
जब जैली सुमन कौथिग मथ्थबेणू मुन्ड बान्दली हरिया साड़ी लाल ब्लाउज पैरिली पन्त जी प्रणाम, ये सौंग किसने गाया अगर आप के पास लिंक है तो प्लीज शेयर करें
हमारे गांव सीकू की महिलाएं और पुरुष दोनों ये गीत लगाते हैं मेरे पास पूरी वीडियो पड़ी है पंत जी 🙏🏻
हर साल बिखोति पर गीत लगते हैं ये वाले।।
प्रणाम नमस्कार जी बहुत ही सुंदर और अच्छी प्रस्तुति आप हमे नयी नयी जानकारी देते हो आपका ह्रदय की गहराई से बहुत बहुत धन्यवाद जी
🙏🙏🙏🙏
भैजी समन्या
👌👌