रीतिकाल महत्वपूर्ण प्रश्न | हिंदी साहित्य | MCQ | MPTET, UGC-NET,MPSET वर्ग -2 | BY DANGI SIR

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  • เผยแพร่เมื่อ 14 ธ.ค. 2024

ความคิดเห็น • 35

  • @satyadhisharmaclasses
    @satyadhisharmaclasses  10 หลายเดือนก่อน +4

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  • @SimaKumari-hh9ww
    @SimaKumari-hh9ww 8 หลายเดือนก่อน +1

    Sir aap bahut achha padhate hai

  • @AjayGolkar-f7o
    @AjayGolkar-f7o 9 หลายเดือนก่อน +1

    Dhanyawad sir ji❤

  • @TheKingofworld-vz2wn
    @TheKingofworld-vz2wn 8 หลายเดือนก่อน

    ❤❤❤❤

  • @Panchalrani
    @Panchalrani 10 หลายเดือนก่อน

    Thanku so much sir ji

  • @artipanwar5874
    @artipanwar5874 10 หลายเดือนก่อน +1

    Nice class sir ji🎉🎉🎉🎉🎉🎉

  • @lokendrakulkarni8482
    @lokendrakulkarni8482 10 หลายเดือนก่อน

    Top classss🎉🎉🎉

  • @DrupTaram
    @DrupTaram 10 หลายเดือนก่อน

    Nice class sir ji

  • @urmilakalesh2539
    @urmilakalesh2539 10 หลายเดือนก่อน

    Tnq so much sir ji nice class

  • @vineetasisodiya4807
    @vineetasisodiya4807 10 หลายเดือนก่อน

    very nice class sir ji❤

  • @priyankanamdeo9631
    @priyankanamdeo9631 10 หลายเดือนก่อน

    Tnq so much very nice session

  • @radhashivhareradhashivhare3648
    @radhashivhareradhashivhare3648 10 หลายเดือนก่อน +3

    छंदोका अजाहघर -रामचंद्रिका को रामस्वरुप ने कहा है
    पृथ्वी राज रासो को अजाह घर-सिवसिंहशेंगर ने कहा है

  • @priyawaskale-vd2ym
    @priyawaskale-vd2ym 10 หลายเดือนก่อน

    Shukl ji

  • @SudhaPandey-ut3ek
    @SudhaPandey-ut3ek 10 หลายเดือนก่อน

    Good morning sir

  • @explore0507
    @explore0507 10 หลายเดือนก่อน +2

    Sir net jrf के लिए क्लास डाल दो

  • @namrataasati511
    @namrataasati511 10 หลายเดือนก่อน +1

    शुक्ल जी ने केशव दास को भाषा का मिल्टन कहा था

  • @manjugurjar1438
    @manjugurjar1438 8 หลายเดือนก่อน

    Chintamani

  • @RaviKumar-sq1lj
    @RaviKumar-sq1lj 10 หลายเดือนก่อน

    Sukal

  • @DayaramGirwal-f4y
    @DayaramGirwal-f4y 10 หลายเดือนก่อน

    Shukl ji ne

  • @rekhaadivasi6941
    @rekhaadivasi6941 10 หลายเดือนก่อน

    ग्वाल कवि का पूरा नाम बताइऐ सरजी

    • @Geniussansar
      @Geniussansar 10 หลายเดือนก่อน

      ग्वाल कवि के वास्तविक नाम या पूरा का स्पष्ट वर्णन नहीं मिलता है! ‘शिवसिंह सरोज’ में 1659 ई. में इस कवि का उपस्थित होना माना गया है और ‘कालिदास हज़ारा’ मे उद्धृत प्राचीन ग्वाल तथा सन् 1823 में उपस्थित मथुरा निवासी बंदीजन ग्वाल के नाम से दो कवियों का उल्लेख किया है, जिनमें दूसरे व्यक्ति ही विशेष प्रसिद्ध हैं। ये सेवाराम बंदीजन के पुत्र थे और समकालीन कवि नवनीत चतुर्वेदी तथा रामपुर दरबार के अमीर अहमद मीनाई की पुस्तक ‘इंतख़ाब-ए-यादगार’ के उल्लेख के आधार पर ये वास्तविक निवासी वृंदावन के सिद्ध होते हैं तथा वहीं कालिया घाट पर इनके मकानों के अवशेष तथा इनके वंशज अब भी हैं। मथुरा से भी उनका संबंध रहा है और वहाँ भी इन्होंने मकान बनवाया था। इनके ‘रसिकानंद’ नामक ग्रंथ से इनके पिता का नाम मुरलीधर राव भी मिलता है। इनके गुरु का नाम दयालजी बतलाया जाता है। इनका जन्म मार्गशीर्ष शुक्ल द्वितीया सं० 1848 (सन् 1793) में हुआ। इनका रचनाकाल सन् 1822 से 1861 ई. तक माना जाता है। ये शतरंज के खिलाड़ी थे और फक्कड़ स्वभाव के होने के कारण इधर-उधर बहुत घूमे। ये नाभानरेश महाराज जसवंतसिंह, महाराज रणजीतसिंह, सुकेत मंडी तथा रामपुर रियासत के आश्रय में विशेष रूप से रहे । रामपुर में ये दो बार रहे और वहीं 16 अगस्त सन् 1867 को इनकी मृत्यु हुई। इनके दो पुत्र खूबचंद (या रूपचंद)तथा खेमचंद थे।
      ग्वाल के ग्रंथों की संख्या पचास के लगभग बतायी जाती है और प्रत्येक इतिहासकार अथवा ग्वाल के आलोचकों ने कुछ नई पुस्तकों के नाम भी इनके साथ जोड़ दिये हैं, किंतु ‘रसरंग’, ‘अलंकारभ्रमभंजन’ तथा ‘कवि-दर्पण’ अधिक महत्त्व की हैं। इनमें से अधिकतर रचनाएँ तो प्राप्त भी नहीं हैं। इनके अब तक बताये जाने वाले ग्रंथों में ‘यमुना लहरी’, ‘रसिकानंद’, ‘हमीरहठ’, ‘राधामाधवमिलन’, ‘राधाष्टक’, ‘श्रीकृष्णजू को नखशिख’, ‘नेह-निबाहन’, ‘बंशीलीला’, ’गोपी-पच्चीसी’, ‘कुब्जाष्टक’, ‘कवि-दर्पण’, ‘साहित्यानंद’, ‘रसरंग’, ‘अलंकारभ्रमभंजन’, ‘प्रस्तार प्रकाश’, ‘भक्तिभावन या भक्तभावन’, ‘साहित्यभूषण’, ’साहित्यदर्पण’, ‘दोहा शृंगार’, ‘शृंगार कवित्त’, ‘दूषण दर्पण’, कवित्त बसंत’, ‘बंशी बीसा’, ‘ग्वाल पहेली’, ‘रामाष्टक’, ‘गणेशाष्टक’, ‘दृगशतक’, ‘कवित्त ग्रंथमाला’, ‘कवि-हृदय विनोद’, ‘इश्क लहर दरियाव’, ‘विजय विनोद’ और ‘षट्ऋतु वर्णन’ की चर्चा की जाती रही है।
      गजेश्वर चतुर्वेदी ‘कवि दर्पण’ को ही ‘दूषण दर्पण’, ‘साहित्यदर्पण’ तथा ‘साहित्यभूषण’ के नाम से प्रचलित मानते हैं तथा ‘कवि हृदय विनोद’ को ‘भक्तिभावन’ या ‘भक्तिपावन’ का प्रकाशित लघु-संस्करण बताते हैं। इसी प्रकार हो सकता है ‘बंशीलीला’ भी एक ही पुस्तक के दो नाम हों। अभी तो अनुमान से ही आलोचकों ने इन सब ग्रंथों के विषय भी निर्धारित कर लिए हैं। इन ग्रंथों से ग्वाल का काव्यांगों का विवेचक होना तो सिद्ध होता ही है, उनकी भक्ति तथा शृंगारिक कविता का भी संकेत मिलता है। काव्यशास्त्र में रस, अलंकार तथा पिंगल ही उनके विषय रहे। ‘रसिकानंद’ में नायक-नायिका भेद, हाव-भाव तथा रस-निरूपण है और उदाहरणों का ही विशेष वर्णन है। ‘रसरंग’ में दोहों में रस-रसांगों के लक्षण संक्षिप्त तथा स्पष्ट रूप में दिये गये हैं। ‘कृष्णजु का नखशिख’ बलभद्र के ‘नखशिख’ के अनुकरण पर है और अलंकाराधिक्य में स्वाभाविकता खो बैठा है। यह अलंकार का ग्रंथ है। ‘अलंकारभ्रमभंजन’ अलग से इसी विषय के लिए लिखा गया है। ‘प्रस्तार प्रकाश’ पिंगल-निरूपक ग्रंथ है और ‘कवि-दर्पण’ रीतिग्रंथ। ‘रसिकानंद’ की रचना नाभानरेश महाराज जसवंतसिंह के यहाँ हुई थी और ‘कृष्णाष्टक’ की रचना टोंक के नवाब की इच्छा से हुई थी। मीर हसन की मसनवी ‘सहरूल-बयान’ का ‘इश्क लहर दरियाव’ के नाम से अनुवाद है और ‘विजय विनोद’ में महाराज रणजीतसिंह के दरबार की घटनाएँ हैं। इसमें राजा ध्यानसिंह का यश वर्णित है और उन्हे ‘हिंदूपति’ कहा गया है।

    • @Geniussansar
      @Geniussansar 10 หลายเดือนก่อน +1

      इस लेख के आधार पर बंदीजन ग्वाल कहा जा सकता है!

  • @ajaypandey3661
    @ajaypandey3661 10 หลายเดือนก่อน

    Sir Mai apka batch lena chahta hu

    • @satyadhisharmaclasses
      @satyadhisharmaclasses  10 หลายเดือนก่อน

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  • @ajaypandey3661
    @ajaypandey3661 10 หลายเดือนก่อน

    Up TGT PGT lt grade net jrf ki

  • @kabadditak1388
    @kabadditak1388 10 หลายเดือนก่อน +1

    Thanks sir ji ❤❤❤

  • @chandrakaliprajapati9956
    @chandrakaliprajapati9956 10 หลายเดือนก่อน

    Nice class sir ji🙏🙏🙏🙏