20वीं शताब्दी के महान तपस्वी दिगंबर जैन आचार्य शांतिसागर जी।

แชร์
ฝัง
  • เผยแพร่เมื่อ 16 ก.ย. 2024
  • चारित्र चक्रवर्ती श्री 108 शान्तिसागर महाराज 20 वी शताब्दी के एक महान् आचार्य थे। आपने दिगंबर मुनि परंपरा को अपनी निर्दोष चर्या से पुनः जीवित किया था।
    आपने मुनि अवस्था में कई उपसर्ग सहे और मुनि अवस्था में 10 हजार से अधिक उपवास किए थे। आपके गुरु ने आपकी चर्या से प्रभावित होकर आपसे पुनः दिगंबर दीक्षा ली थीं, इसलिए आपको समाज द्वारा गुरुनाम गुरु की उपाधि से अलंकृत किया गया।
    आपका जीवन सभी मुनि महाराज के लिए सदैव प्रेरणा स्त्रोत रहा है यही कारण है कि अभीक्ष्ण ज्ञानोपयोगी, प्राकृत, अपभ्रंश भाषा मर्मज्ञ, अर्ह योग प्रणेता मुनि श्री प्रणम्य सागर महाराज ने आपके जीवन चरित्र के ऊपर स्तुतिशतकम् नाम से काव्य रचना की है, जो आम जनमानस के लिए पठनीय, मनन और संकलित करने योग्य सामग्री से परिपूर्ण है।
    #CharitraChakravarti #Shri108ShantisagarMaharaj #20thCenturyAcharya #DigambarMuniTradition #InspirationForMonks #GuruNamGuru #SpiritualLegacy #MuniAvastha #TenThousandFasts #PrakritLanguage #ArhYoga #MuniShriPranamyaSagar #CulturalHeritage #JainPhilosophy #ReligiousInspiration #SpiritualJourney #MaharajLife #JainMonasticism

ความคิดเห็น • 1

  • @pratibhajain7228
    @pratibhajain7228 10 ชั่วโมงที่ผ่านมา

    चारित्र चकवर्ती , वीतराग तपोधन , १०८ आचार्य श्री शान्तिसागर जी महामुनिराज , मुनि भगवान प्रणम्य सागर जी ससंघ के पूज्यपाद में कोटि - कोटि नमोस्तु 🙏🙏🙏