Bhagya Bado Vrindavan Paayo || भाग्य बड़ो वृंदावन पायो ||

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  • เผยแพร่เมื่อ 18 ก.ย. 2024
  • भाग बड़ौ वृन्दावन पायौ।
    जा रज कौं सुर नर मुनि वंछित विधि संकर सिर नायौ॥ [1]
    बहुतक जुग या रज बिनु बीते जन्म जन्म डहकायौ।
    सो रज अब कृपा करि दीनी अभै निसान बजायौ॥ [2]
    आइ मिल्यौ परिवार आपने हरि हँसि कंठ लगायौ।
    स्यामा स्यामा जू बिहरत दोऊ सखी समाज मिलायौ॥ [3]
    सोग संताप करौ मति कोई दाव भलौ बनि आयौ।
    श्रीरसिकबिहारी की गति पाई धनि धनि लोक कहायौ॥ [4]

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