चउरी ऊपर काटब गरदनवा , गियनवा बोल देबु कि नाही, ए गाना हमारे अखाड़े श्री गुरु मुरत कवि जी ने लिखा था और गायक दया राम यादव, जो कि खम्हरिया, भदोही के थे वही गाते थे आज के 40 साल पहले, यह देवी गीत आप का लिखा नहीं है जो भी आदमी दया राम जी का विरहा सुना होगा वही जानता होगा
बिरहा विधा, के,कबि, शिरोमणि, गुरु, चनदिरिका, के चरणों में कोटि कोटि प्रणाम
Bahut bure hai wo log jo kavi chandrika aur bhagwan birha k hai ramdev yadav ji k mandir na banane dena bahut dukhad ghatna hai
बहुत ही वरीजनल स्पीच है गुरु जी की
बिरहा जगत के गाने वाले हीरा लाल यादव बुललू यादव को सबसे पहले सुना गया था बाबा रतन लाल जी को भी याद करना चाहिए
Santoshji kya Ram charan viyogi ji hi ram charan yadav khooni ma virha ke lekhakar hain Dinesh lal yadav ne 1995 me gaye the.
Bahut badia kavi jee
चउरी ऊपर काटब गरदनवा , गियनवा बोल देबु कि नाही, ए गाना हमारे अखाड़े श्री गुरु मुरत कवि जी ने लिखा था और गायक दया राम यादव, जो कि खम्हरिया, भदोही के थे वही गाते थे आज के 40 साल पहले, यह देवी गीत आप का लिखा नहीं है जो भी आदमी दया राम जी का विरहा सुना होगा वही जानता होगा
Jai ho