बाल विवाह के लिए क़सम दिलवानें का समय नहीं है। लड़कियों के परीजनो कों यह सपथ दिलवाई जानी चाहिए।की वह लड़कियों का विवाह अठारह से बीस साल के बीच कर लें पढ़ाई के चक्कर में या अन्य कारणो से लड़कियों को पच्चीस से पेंतीस साल की करके फिर शादी न करें।पहला बात पढ़ाई करके मुश्किल से कुछ शहरी लड़कियां ही सरकारी नौकरीयो तक पहुंच पा रही है।दूसरा बड़ी बात है। ज़िन्दगी की जों असल पल है।वह बीत चुके होते हैं। ओर सामाजिक अस्थिरता भी उत्पन्न होती है। बाल विवाह का तो सवाल ही नही रहा। सिर्फ सही समय पर विवाह करवाने का असल मुद्दा है।
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बाल विवाह के लिए क़सम दिलवानें का समय नहीं है। लड़कियों के परीजनो कों यह सपथ दिलवाई जानी चाहिए।की वह लड़कियों का विवाह अठारह से बीस साल के बीच कर लें पढ़ाई के चक्कर में या अन्य कारणो से लड़कियों को पच्चीस से पेंतीस साल की करके फिर शादी न करें।पहला बात पढ़ाई करके मुश्किल से कुछ शहरी लड़कियां ही सरकारी नौकरीयो तक पहुंच पा रही है।दूसरा बड़ी बात है। ज़िन्दगी की जों असल पल है।वह बीत चुके होते हैं। ओर सामाजिक अस्थिरता भी उत्पन्न होती है। बाल विवाह का तो सवाल ही नही रहा। सिर्फ सही समय पर विवाह करवाने का असल मुद्दा है।