दिल कहें रुकजा रे रुकजा यही पे कहीं-मोहम्मद रफ़ी………मन की आँखें

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  • เผยแพร่เมื่อ 7 ก.ย. 2024
  • साहीर लुधियानवी की क़लम चलतीं रहीं लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल जी के संगीत में ये गाना धर्मेन्द्र हीमेन ने कमाल कर दिया अपने अभिनय से दर्शकों को ये रफ़ी जी के गायें गाने ने धर्मेन्द्र जी को वहीदा रहेमान हीरोईन मिल गई फ़िल्म बहोत अच्छी रही थी बहोत देखकर मज़ा आया हमको ऐसा लगता था कि हम ही धर्मेन्द्र है ज़ोरदार फ़िल्म,धर्मेन्द्र जी का क्या कहना सुपर डुपर हीरो सब हीरोईन के साथ जोड़ी बनाई आज भी हमारे दिल में रहते हैं धरमजी 🌸💐🌸👌

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