स्वामी दिवयसागर जी महाराज के चरणों में कोटि कोटि प्रणाम नमन वंदन करता हूं और अपने यहां व्याख्यान दिया वो सो पेशंट नहीं बल्कि एक हज़ार पर्सेंट सहीबातकहरहेहैओर में गुजरात से एक तहतर साल का बुजुर्ग व्यक्ति हु ओर इस कलीयुगमें जाती भाती का भेद भाव छोड़कर कोई उचीं जाती वाला व्यक्ति निची जाती वाला व्यक्ति को गुरु करलेता है तोआजके गुरु ओं को अहंकार आजाता है और सबके सामने कहता है कि देखो ये ऊंची जात वाले ज्ञान प्राप्त करने के लिए हमारे पास आते हैं ओर गुरु जो ज्ञान देतो आपो आप शिष्य के मनमेगुरु के प्रति आदर भाव प्रगट हो जाता है लेकिन नहीं यहां तो गुरु के मन में अहंकार आजाता है में ने बीस साल तक गुरु भक्ति की मेरे गुरु ने कभी मेरे बेटे को नहीं कहा कि बेटा तेरे माता पिता को भी चरण चुना चाहिए और हमारे गुरु तो बस ऐसे बोलते थे कि गुरु के सिवा दूसरा कोई दुनिया में भगवान है ही नहीं आपने सही कहा की गुरु गोबिंद दोनों खड़े किशको लागु पाय ये शिष्य अपने मन में सोचता है लेकिन गुरु के मन में ये भाव नहीं आना चाहिए कि शिष्य मेरे पांव में पहले पड़े लेकिन इस समय तो ऐसा है कि गुरु ये सोचता है कि शिष्य इनका सबकुछ मुझे दे-दे तो अरछा ओर महाराज जी में तो कहेता हु की सत युग में जीसने भी गुरु को बणा माना है वो दुसरा कोई नहीं बल्कि वो जो निराकार निरलेप निरंजन जो दिखाई नहीं देती है और अनुभुति होती है उसे गुरु कहा है आत्मा भी ऐसा ही है ये शरीर एक जमीन है उसमें आत्मा प़वेशती है तो सभी प्रकार के गुण दोष आजाते है इस लीये मनुष्य को या जीव जंतु प़ाणी को भगवान नहीं लेकिन भगवान का रूप मानना चाहिए इस लिए गुरु भी भगवान नहीं है उसका रुप है मेरी समझ में तो ये आता है लीखनेको तो बहुत कुछ है लेकिन लिखा नहीं जा सकता जय भगवान सबका मंगल होय जय हो सत्य नारायण गोंयनकाजी की जय हो भगवती गोयंका जी की
Bahut a66i tarah se samjaya aapne Guru apni mahima hi samjate he quki usko dukan chalani he Esa sunte sunte muje Kai bar khyal aaya ji jiski baje se hum is prithvi par aaye uska koi mahtva nai Bad me maine osho ka ek sandes padha isme likha tha jo apne mata pita ko prem nahi kar saka vo kabhi dhyan ya parmatma ko uplabdh nahi ho sakta.... Aap ne shahi aaklan Kiya aap dhanya he
Gurudev sadar naman. आपके द्वारा, कबीर की गुरु शिष्य ब्याख्या मे गुरु का महत्व, गोविंद यानी भगवान से ज्यादा बताने,और माता पिता को कबीर की नजरो कम कहने पर, मै अपनी असहमति प्रकट कर रहा हूँ. क्योकि आपकी व्याखा के अनुसार कबीर गुरु की महता को समझाने मे गलत है यहाँ पर तो कबीर दास जी, गुरु और ईश्वर के बीच महत्व को समझा रहे हैं नाकि माता पिता और गुरु के बीच. यह भी सर्ब मान्य है कि प्रथमिकता के अनुसार पहले माता, फिर पिता, फिर गुरु फिर देवता माना गया है. इसका भी प्रथम बोध पाठ शाला जाने पर गुरु ही करवाता है. मेरे विचार से गुरु को ब्यक्ति विशेष न मान कर ज्ञान विशेष मान लिया जाय तो सही रहेगा. मै ज्ञान को ही गुरु मानता हूँ. ज्ञान के ग्रहण होने मात्र से गुरु की अनुभूति का आभास होने लगता है. दूसरी बात कि कबीर के माता पिता नहीं थे और उन्हें सर्ब प्रथम गुरु ही जीवन में मिले. इसलिए उन्होंने गुरु को ही माता पिता से श्रेष्ठ मान लिया, मै आपके इस मत से भी सहमत नहीं हूँ. कारण यह है कि हमारी कल्पना है कि जिसके माँ बाप नहीं हैं या नहीं मालूम हैं यानी अजन्मा हैं वे तो भगवान की परिभाषा मे ही आते हैं. तब तो कबीर भी किसी भगवान से कम नहीं हुए. गुरु देव मै आपके बातों को ध्यान से सुनता हूँ और आपका सम्मान करता हूँ. अतः आप अपने पवित्र विचारों को इस वर्तमान पीढी की कुछ विघटन कारी सोच से प्रभावित न करे, ताकि किसी को अच्छा लगे, मे न जाएं और कबीर जैसे सत्याबादी महा पुरूष पर सही और गलत का तर्क न करे तो अच्छा होगा. कोई भी इंसान चाहे वह कितना ही अपने को विद्वान समझे, गलत भी हो सकता है. कृपया क्षमा करे यदि बात गलत लगी हो तो. आभार
Dhanya hai aapke माता-पिता jo aap Jaise Guru ko janm Diya aap ek niswarth Guru hai jo Mata pita ko shreshth batate hain na ki Guru ko Guru to vastav mein ek margdarshak hai Jo Marg dikhate Hain sachmuch Guru hai
स्वामी जी प्रणाम बिल्कुल सही कहा आपने गुरु छत पर चढ़ने की सीढ़ी हो सकती है छत नहीं छत को लक्ष्य कहो गुरु को स्टोन माइन्स समझना चाहिए कबीर जी वास्तव में माता पिता से वंचित होने के कारण उपेक्षित होने के कारण सीधे गुरु से ही संपर्क कर पाए थे इसी कारण उन्होंने उन्हीं के लिए दोहा लिखा लेकिन जिस प्रकार 3 वर्ष का छोटा बच्चा सीढ़ी चढ़ते समय पहले पायदान दूसरे तीसरे चौथे पांचवें 15 तक चढ़ता जाता है फिर छत पर पहुंचता है यही कार्य 30 वर्ष की उम्र का युवक नहीं करता वह पहले या दूसरे पायदान को तो छोड़ ही देगा लम्बा कदम होने के कारण सीधा उसका पैर 3 4 5 6 15 तक पहुंचता है वही कार्य कबीर जी के साथ हुआ है इसलिए वह माता-पिता के बारे में संवेदनशील नहीं रह पाए!
🌺🌷🌺🌷🌺🌷🌺🙏🌺🌷🌺🌷Param pujya sant Shri Divy Sagar ji Maharaj ke pawan charno me mara coti coti parnam sahab bandgi sahab bandgi sahab bandgi 🌺🌷🌺🌷🌺🌷🌺🌷🌺🌷🌺🌷🌺🌷🌺🌷🌺🌷🌺🌷💙🌷🌺
Bhagwan aaj" Guru Purnima" or aapke shree charno me Mera koti koti pranam 🙏🌹🌹 bhagwan main "Tan ,Man, Vachan se aapko apna guru mana h"MAA" ne mujhe aapse milaya or aapse milne ke baad laga ki jaise mano ki mujhe ek naya janam mil gaya mera bhi Aatma se bhi yahi aawaz aayi or aapke sampark se meri jindagi badal gyi🙂 🙏🙏 Bhagwan 🙏🌹Jay MAA Koteshwari 🌹🙏
आप का दिया ज्ञान सर्वोच्च हैं आपकी बातों से मैं बहुत प्रभावित हुई आज के गुरुजन एक ही बात कहते हैं गुरू ही ब्रह्मा है गुरू ही विष्णु है और गुरू ही महेश्वर हैं इसलिए गुरू को ही पुजा करो गुरू की शरण में रहो परमात्मा को भूल जाओ इस श्लोक का मतलब है ब्रह्मा ही गुरू है विष्णु ही गुरू है शिव ही गुरू है यदि मैं गलत हुं तो कृपा करके सही से समझाए कयोंकि मैं अज्ञानी हूं और मेरे कोई गुरू भी नहीं है धन्यवाद
स्कंद पुराण में शिव पार्वती का संवाद है जरूर पढ़ना चाहिए सारे सवाल का जवाब वहा मिल जायेंगे हमारे पास इतनी समझ nhi hai ki mai गुरु के बारे में कुछ लिख सकूं , गुरु परमात्मने नमः
@@AmitKumarSmartphone परमात्मा को जाना होता तो गुरू का सही मतलब आता भौतिक शरीर में गुरू परमात्मा का अंश है हर आत्मा भी उसी परमात्मा का अंश है अपने को जानो अपनी अंतर आत्मा को समझ लो और सुन लो वेद पुराण की शिक्षा पर अमल करो गुरू हमें अंधेरे से प्रकाश की ओर ले जाने का माध्यम है केवल इस वीडियो में गुरदेव के वचन ध्यान से सुनो और समझो
Adbhut hai aap aur aapki baate.....aapko koti koti pranaam guruji.....aap jaise logo ki aapke vicharo ki samaaj ko bahut zarurat ....aise hi aapna pyaar banaye rakhiyega guruji sadar pranaam aapko🙏🙏
माता-पिता को ईश्वर से बड़ा क्यों माना जाता है? क्योंकि ईश्वर को पृथ्वी पर लाने का कार्य भी माता-पिता ने ही किया है चाहे हिन्दू धर्म, बौद्ध धर्म , जैन धर्म या कृशचन धर्म में सभी धर्मों में भगवान को जन्म माता-पिता ने ही दिया है । ये सभी महान थे जिन्होंने अनेक कष्ट सहकर भी अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया था । अतः माता-पिता के समान ना कोई था , ना है ,ना होगा । बहुत बहुत धन्यवाद स्वामी जी चरण स्पर्श🙏❤️
गुरुदेव दिव्य सागर जी प्रणाम। तरक कभी खत्म नहीं। आज के विद्वान कबीर वह तुलसीदास का स्थान नहीं ले सकते। मान लिया मां बाप के बिना किसी भी प्राणी के लिए संसार में स्थान। परंतु यदि भगवत ज्ञान की प्राप्ति के लिए कुछ है तो गुरु का सानिध्य प्राप्त होना सबसे महत्वपूर्ण है। तुलसीदास जी ने कहा है। गुरु गृह गए पढ़न रघुराई अल्पकाल सब विद्या आई। यानी भगवान को भी। गुरु की आवश्यकता पड़ी।
प्रभु जी आपके चरणों में हम बार-बार प्रणाम करते हैं आपकी वाणी मुझको कृतार्थ कर दिया आप की देवी मानी इतनी मन भाविक है कि हम आप की कथाएं सारे दिन सुनते ही रहते हैं हे प्रभु आप कृपा करें
Aap log samaj ke dristi kon hai ap hi samaj ko raha dikhate ,hai , ap log agar samaj ke divide karenge to jodega kaun ?aap bahut badia kam karte hai , itna to jante hai karam hi iswar hai ,keep it up ,hum sabko jodna hai , todna nehi , hum saab samaj ke aaina hai ur doing awesome work , keep smile
Sawamiji aapka kehna uchit hain , Kintu jinka koi santan nhi hote hain . Woh mata kisi bhi anaath bachhche leta hain .unka palan poshan bohot mehant or bohot khushi ,aashha se Krte hain.woh bhi toh mata or pita hakdhar hai kya jo janam deti hain apane grabh se wahi sirf masta , pita kehe jayange
swami ji garam aur gunguna pani jo pine ke liye batate h jare ke din chapa kal ka pani to garam hi nikalata h phir bhi garam or gunguna karane ki jarurat h kya pls reply swami ji
पहले तो इश्वर निराकार है सर्व व्यापक है उसके चरण या कोई अँग नही होते दुसरा इश्वर का गियाण वेद हैं उसकी सिक्षा देने वाले अधियापक दूसरा कोई गुरु नहीं यए तो एक से जियदा होते हैं जिसने वेद गियाण में सब विधिया दे रखी है इस लिये इश्वर ही सच्चा गुरु है इश्वर जैसा कोई नहीं है । ये यो कबीर है ये एक अनपढ़ मुसलमांँ था इसने कभी हलाला, तीन तलाक,ओर बूर्का पर सलोक नही बनाया वेद की निंदा करता था लेकिन कुराण नही दिखी राम ओर क्रष्ण की निंदा करता था लेकिन म्होमद नही दिखा
Guru gita me shiv ne kaha h Gurur brahma , gurur vishnu gurur devo maheshvar..... Shiv ne parvati ko Skand puran ke uttar khand me guru ki vyakyah ki h. Shiv ne svayam bhi guru ko sabse upar btaya h. Is vishay me krupya kuch btaye. Mera jo farj h mere mata pita k prati, ve kartavy to hm pure kr rhe h . Aur unka ऋण utarna mushkil h. Pr kya aap mahadev ka gaya hua guru gita k gyan ko bhi galat khenge. Krupya is ko tark vitark nhi smjhe.
किसी भी इंसान का महत्व तब होता है जब वह धर्म के मार्ग पर चलें यानी कि वो चरित्रवान हो सदाचारी हो बच्चे तो जानवर भी पैदा करते हैं इसलिए किसी जीव को जन्म देना यह कोई महान काम नहीं है बच्चे कभी भी नहीं बोलते हैं कि मुझे जन्म दो मुझे संसार में लेकर आओ इंसान अपने स्वार्थ लालच के कारण संतान को जन्म देता है माता पिता संतान को गलत शिक्षा देते हैं उसको दुख तकलीफ देते हैं भेदभाव करते हैं माता पिता तो चरित्रहीन दुराचारी इंसान भी बनते है
Swamiji Pranam Apiki Charono Me Mera Koti Koti Pranam 🙏🏻🙏🏻🇮🇳🇮🇳
Gurudev aap ne toh sb ki aakhe khol di koti koti naman🙏🙏🙏🙏🙏
Jay Mata Di guru ji
Pranam Guruji Apiko Charono Me Koti Koti Pranam 🙏🏻🙏🏻🙏🏻
Marg darshan ke liye guru charano ko sadar charansparsh
🙏 Guru Ji Jai Mata Di 🙏🙏
Parnam guru ji
Shukriya
सर्वोत्तम विश्लेषण ।
Outstanding guru ji
Great
Bahut khub guru ji
Bilkul sahi javab
Guru ji Charan chhuy
Great👍
जय हो महाराज जी
स्वामी दिवयसागर जी महाराज के चरणों में कोटि कोटि प्रणाम नमन वंदन करता हूं और अपने यहां व्याख्यान दिया वो सो पेशंट नहीं बल्कि एक हज़ार पर्सेंट सहीबातकहरहेहैओर में गुजरात से एक तहतर साल का बुजुर्ग व्यक्ति हु ओर इस कलीयुगमें जाती भाती का भेद भाव छोड़कर कोई उचीं जाती वाला व्यक्ति निची जाती वाला व्यक्ति को गुरु करलेता है तोआजके गुरु ओं को अहंकार आजाता है और सबके सामने कहता है कि देखो ये ऊंची जात वाले ज्ञान प्राप्त करने के लिए हमारे पास आते हैं ओर गुरु जो ज्ञान देतो आपो आप शिष्य के मनमेगुरु के प्रति आदर भाव प्रगट हो जाता है लेकिन नहीं यहां तो गुरु के मन में अहंकार आजाता है में ने बीस साल तक गुरु भक्ति की मेरे गुरु ने कभी मेरे बेटे को नहीं कहा कि बेटा तेरे माता पिता को भी चरण चुना चाहिए और हमारे गुरु तो बस ऐसे बोलते थे कि गुरु के सिवा दूसरा कोई दुनिया में भगवान है ही नहीं आपने सही कहा की गुरु गोबिंद दोनों खड़े किशको लागु पाय ये शिष्य अपने मन में सोचता है लेकिन गुरु के मन में ये भाव नहीं आना चाहिए कि शिष्य मेरे पांव में पहले पड़े लेकिन इस समय तो ऐसा है कि गुरु ये सोचता है कि शिष्य इनका सबकुछ मुझे दे-दे तो अरछा ओर महाराज जी में तो कहेता हु की सत युग में जीसने भी गुरु को बणा माना है वो दुसरा कोई नहीं बल्कि वो जो निराकार निरलेप निरंजन जो दिखाई नहीं देती है और अनुभुति होती है उसे गुरु कहा है आत्मा भी ऐसा ही है ये शरीर एक जमीन है उसमें आत्मा प़वेशती है तो सभी प्रकार के गुण दोष आजाते है इस लीये मनुष्य को या जीव जंतु प़ाणी को भगवान नहीं लेकिन भगवान का रूप मानना चाहिए इस लिए गुरु भी भगवान नहीं है उसका रुप है मेरी समझ में तो ये आता है लीखनेको तो बहुत कुछ है लेकिन लिखा नहीं जा सकता जय भगवान सबका मंगल होय जय हो सत्य नारायण गोंयनकाजी की जय हो भगवती गोयंका जी की
101 percent right. Bahut sunder
Aap stAyavadi guru hai
Diby sagar ji pahala guru mata pita hi
Jai shree Ram Thanks Guru jee
जय माता दी स्वामी जी प्रणाम
Bahut a66i tarah se samjaya aapne
Guru apni mahima hi samjate he quki usko dukan chalani he
Esa sunte sunte muje Kai bar khyal aaya ji jiski baje se hum is prithvi par aaye uska koi mahtva nai
Bad me maine osho ka ek sandes padha isme likha tha jo apne mata pita ko prem nahi kar saka vo kabhi dhyan ya parmatma ko uplabdh nahi ho sakta....
Aap ne shahi aaklan Kiya aap dhanya he
Paay lagu swami ji
Pranam gurudav
Pranam guru ji..
Jai Mata Di 🙏
Excellent explain swami ji.
Anmol gyannn ke liye dhanyawad shukriya sahi margdarshan dikhane ke liye...
Bahut sundar vyakhya ki apne guruvar es dohe ki aise hi sadaiv ham sabhi ka margdarshan karte rahe apko koti koti pranam 🙏🙏🙏🙏🙏
🙏🌹🌷❤️🙏🏻
धन्य है आप स्वामी जी 🙏🙏🙏 ,,,, आप जैसे ही समाज सुधारको की आवश्यकता है समाज को।🙏🙏🙏🙏🙏🙏🚩🚩🚩🚩
Pp
Ppppp
P
Ppp
Pppp00p
Sawamiji prananm 🙏🙏
🙏🙏🙏
Satya vachan, Jay Mata ki Swami ji 🙏🏻🌹🙏🏻🌹🙏🏻
🙏🙏
Pranam apko maharaj.....
गुरू जी आपने तो बहुत सुन्दर वचन किया । आपको मेरा प्रणाम 🙏🙏
Gurudev sadar naman. आपके द्वारा, कबीर की गुरु शिष्य ब्याख्या मे गुरु का महत्व, गोविंद यानी भगवान से ज्यादा बताने,और माता पिता को कबीर की नजरो कम कहने पर, मै अपनी असहमति प्रकट कर रहा हूँ. क्योकि आपकी व्याखा के अनुसार कबीर गुरु की महता को समझाने मे गलत है यहाँ पर तो कबीर दास जी, गुरु और ईश्वर के बीच महत्व को समझा रहे हैं नाकि माता पिता और गुरु के बीच.
यह भी सर्ब मान्य है कि प्रथमिकता के अनुसार पहले माता, फिर पिता, फिर गुरु फिर देवता माना गया है. इसका भी प्रथम बोध पाठ शाला जाने पर गुरु ही करवाता है. मेरे विचार से गुरु को ब्यक्ति विशेष न मान कर ज्ञान विशेष मान लिया जाय तो सही रहेगा. मै ज्ञान को ही गुरु मानता हूँ. ज्ञान के ग्रहण होने मात्र से गुरु की अनुभूति का आभास होने लगता है. दूसरी बात कि कबीर के माता पिता नहीं थे और उन्हें सर्ब प्रथम गुरु ही जीवन में मिले. इसलिए उन्होंने गुरु को ही माता पिता से श्रेष्ठ मान लिया, मै आपके इस मत से भी सहमत नहीं हूँ. कारण यह है कि हमारी कल्पना है कि जिसके माँ बाप नहीं हैं या नहीं मालूम हैं यानी अजन्मा हैं वे तो भगवान की परिभाषा मे ही आते हैं. तब तो कबीर भी किसी भगवान से कम नहीं हुए. गुरु देव मै आपके बातों को ध्यान से सुनता हूँ और आपका सम्मान करता हूँ. अतः आप अपने पवित्र विचारों को इस वर्तमान पीढी की कुछ विघटन कारी सोच से प्रभावित न करे, ताकि किसी को अच्छा लगे, मे न जाएं और कबीर जैसे सत्याबादी महा पुरूष पर सही और गलत का तर्क न करे तो अच्छा होगा. कोई भी इंसान चाहे वह कितना ही अपने को विद्वान समझे, गलत भी हो सकता है. कृपया क्षमा करे यदि बात गलत लगी हो तो. आभार
Dhanya hai aapke माता-पिता jo aap Jaise Guru ko janm Diya aap ek niswarth Guru hai jo Mata pita ko shreshth batate hain na ki Guru ko Guru to vastav mein ek margdarshak hai Jo Marg dikhate Hain sachmuch Guru hai
Pranam guruji
स्वामी जी प्रणाम बिल्कुल सही कहा आपने गुरु छत पर चढ़ने की सीढ़ी हो सकती है छत नहीं छत को लक्ष्य कहो गुरु को स्टोन माइन्स समझना चाहिए कबीर जी वास्तव में माता पिता से वंचित होने के कारण उपेक्षित होने के कारण सीधे गुरु से ही संपर्क कर पाए थे इसी कारण उन्होंने उन्हीं के लिए दोहा लिखा लेकिन जिस प्रकार 3 वर्ष का छोटा बच्चा सीढ़ी चढ़ते समय पहले पायदान दूसरे तीसरे चौथे पांचवें 15 तक चढ़ता जाता है फिर छत पर पहुंचता है यही कार्य 30 वर्ष की उम्र का युवक नहीं करता वह पहले या दूसरे पायदान को तो छोड़ ही देगा लम्बा कदम होने के कारण सीधा उसका पैर 3 4 5 6 15 तक पहुंचता है वही कार्य कबीर जी के साथ हुआ है इसलिए वह माता-पिता के बारे में संवेदनशील नहीं रह पाए!
🙏 प्रणाम गुरु देव !
शत शत नमन !
ऊं हरि ओम प्रभु जी हरि ॐ
🌹🙏🌹🙏sach me aap mhaan h 🙏🌹🙏🌹
प्रणाम गुरुजी 🙏 🌿
Om namaste Guruji
Jay mata di acharya ji
🌺🌷🌺🌷🌺🌷🌺🙏🌺🌷🌺🌷Param pujya sant Shri Divy Sagar ji Maharaj ke pawan charno me mara coti coti parnam sahab bandgi sahab bandgi sahab bandgi 🌺🌷🌺🌷🌺🌷🌺🌷🌺🌷🌺🌷🌺🌷🌺🌷🌺🌷🌺🌷💙🌷🌺
Namaskar Swamiji from Bangladesh. 🙏🙏🙏🚩🚩🚩🇧🇩
Bhagwan aaj" Guru Purnima" or aapke shree charno me Mera koti koti pranam 🙏🌹🌹 bhagwan main "Tan ,Man, Vachan se aapko apna guru mana h"MAA" ne mujhe aapse milaya or aapse milne ke baad laga ki jaise mano ki mujhe ek naya janam mil gaya mera bhi Aatma se bhi yahi aawaz aayi or aapke sampark se meri jindagi badal gyi🙂
🙏🙏 Bhagwan
🙏🌹Jay MAA Koteshwari 🌹🙏
आप का दिया ज्ञान सर्वोच्च हैं आपकी बातों से मैं बहुत प्रभावित हुई आज के गुरुजन एक ही बात कहते हैं गुरू ही ब्रह्मा है गुरू ही विष्णु है और गुरू ही महेश्वर हैं इसलिए गुरू को ही पुजा करो गुरू की शरण में रहो परमात्मा को भूल जाओ इस श्लोक का मतलब है ब्रह्मा ही गुरू है विष्णु ही गुरू है शिव ही गुरू है यदि मैं गलत हुं तो कृपा करके सही से समझाए कयोंकि मैं अज्ञानी हूं और मेरे कोई गुरू भी नहीं है धन्यवाद
भगवन बिल्कुल सही
mata pita guru ko mahatw dena chahiye lekin jiske jiwan me guru nhi hai vo abhaga hai murkh hai
स्कंद पुराण में शिव पार्वती का संवाद है जरूर पढ़ना चाहिए सारे सवाल का जवाब वहा मिल जायेंगे हमारे पास इतनी समझ nhi hai ki mai गुरु के बारे में कुछ लिख सकूं , गुरु परमात्मने नमः
@@AmitKumarSmartphone परमात्मा को जाना होता तो गुरू का सही मतलब आता भौतिक शरीर में गुरू परमात्मा का अंश है हर आत्मा भी उसी परमात्मा का अंश है अपने को जानो अपनी अंतर आत्मा को समझ लो और सुन लो वेद पुराण की शिक्षा पर अमल करो गुरू हमें अंधेरे से प्रकाश की ओर ले जाने का माध्यम है केवल इस वीडियो में गुरदेव के वचन ध्यान से सुनो और समझो
Adbhut hai aap aur aapki baate.....aapko koti koti pranaam guruji.....aap jaise logo ki aapke vicharo ki samaaj ko bahut zarurat ....aise hi aapna pyaar banaye rakhiyega guruji sadar pranaam aapko🙏🙏
🙏❤️🙏❤️🙏❤️🙏❤️🙏👏👏👏👏👏 pranam swami ji aapke gyan ko s*** s*** Naman vandan
Pahala guru mata pita hi hote hai
माता-पिता को ईश्वर से बड़ा क्यों माना जाता है?
क्योंकि ईश्वर को पृथ्वी पर लाने का कार्य भी माता-पिता ने ही किया है चाहे हिन्दू धर्म, बौद्ध धर्म , जैन धर्म या कृशचन धर्म में सभी धर्मों में भगवान को जन्म माता-पिता ने ही दिया है । ये सभी महान थे जिन्होंने अनेक कष्ट सहकर भी अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया था ।
अतः माता-पिता के समान ना कोई था , ना है ,ना होगा ।
बहुत बहुत धन्यवाद स्वामी जी चरण स्पर्श🙏❤️
माता पिता तो तेरे जैसे घटिया इंसान भी बनते है
🚩🚩🙏🙏🚩🚩👍👍👍
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गुरुदेव दिव्य सागर जी प्रणाम। तरक कभी खत्म नहीं। आज के विद्वान कबीर वह तुलसीदास का स्थान नहीं ले सकते। मान लिया मां बाप के बिना किसी भी प्राणी के लिए संसार में स्थान। परंतु यदि भगवत ज्ञान की प्राप्ति के लिए कुछ है तो गुरु का सानिध्य प्राप्त होना सबसे महत्वपूर्ण है। तुलसीदास जी ने कहा है। गुरु गृह गए पढ़न रघुराई अल्पकाल सब विद्या आई। यानी भगवान को भी। गुरु की आवश्यकता पड़ी।
प्रभु जी आपके चरणों में हम बार-बार प्रणाम करते हैं आपकी वाणी मुझको कृतार्थ कर दिया आप की देवी मानी इतनी मन भाविक है कि हम आप की कथाएं सारे दिन सुनते ही रहते हैं हे प्रभु आप कृपा करें
Aap log samaj ke dristi kon hai ap hi samaj ko raha dikhate ,hai , ap log agar samaj ke divide karenge to jodega kaun ?aap bahut badia kam karte hai , itna to jante hai karam hi iswar hai ,keep it up ,hum sabko jodna hai , todna nehi , hum saab samaj ke aaina hai ur doing awesome work , keep smile
Guru mata pita hi hotel hai
Doha achha sirf samjhane ka dimag ki kami hain Jay mata rani jay gurudev 🙏🙏🙏🙏🙏
GuruJi ghutno me bahut drd h ....tilt sa rehta h ....age 55 h plz guruji btaaiye kese upchaar kre......
Although we put ji behind everyone, but respect is not meant for every one
Sawamiji aapka kehna uchit hain , Kintu jinka koi santan nhi hote hain . Woh mata kisi bhi anaath bachhche leta hain .unka palan poshan bohot mehant or bohot khushi ,aashha se Krte hain.woh bhi toh mata or pita hakdhar hai kya jo janam deti hain apane grabh se wahi sirf masta , pita kehe jayange
भगवन इस दोहे में मातापिता की चर्चा नहीं है सिर्फ गुरु और भगवान को स्थान दिया गया है
swami ji garam aur gunguna pani jo pine ke liye batate h jare ke din chapa kal ka pani to garam hi nikalata h phir bhi garam or gunguna karane ki jarurat h kya pls reply swami ji
भगवन गुनगुना या सामान्य तापमान का पानी अपनी सुविधा के अनुसार से पी सकते हैं गुनगुना जाड़े के दिनों में ज्यादा बेहतर होता है
@@divyapaawandhara
Thank you swami ji
Guruji me bahut pareshan hu bimar ki maar mujhe mar degi me aapse bat krna chahta hu Mera margdarhsan Kare plz.
भगवन whatsapp 8002040995
गुरु जी मेरे आँखों के नीचे काले रंग हो गया है जो कितना भी दवाई खा रहे है। नही छुट रहा है क्या करू
पहले तो इश्वर निराकार है सर्व व्यापक है उसके चरण या कोई अँग नही होते दुसरा इश्वर का गियाण वेद हैं उसकी सिक्षा देने वाले अधियापक दूसरा कोई गुरु नहीं यए तो एक से जियदा होते हैं जिसने वेद गियाण में सब विधिया दे रखी है इस लिये इश्वर ही सच्चा गुरु है इश्वर जैसा कोई नहीं है । ये यो कबीर है ये एक अनपढ़ मुसलमांँ था इसने कभी हलाला, तीन तलाक,ओर बूर्का पर सलोक नही बनाया वेद की निंदा करता था लेकिन कुराण नही दिखी राम ओर क्रष्ण की निंदा करता था लेकिन म्होमद नही दिखा
🚩🙏जय सियाराम जि गुरुदेव धन्यवाद अापको🚩🙏🥀
Guru gita me shiv ne kaha h
Gurur brahma , gurur vishnu gurur devo maheshvar.....
Shiv ne parvati ko Skand puran ke uttar khand me guru ki vyakyah ki h. Shiv ne svayam bhi guru ko sabse upar btaya h.
Is vishay me krupya kuch btaye.
Mera jo farj h mere mata pita k prati, ve kartavy to hm pure kr rhe h . Aur unka ऋण utarna mushkil h.
Pr kya aap mahadev ka gaya hua guru gita k gyan ko bhi galat khenge.
Krupya is ko tark vitark nhi smjhe.
भगवन.... भगवान शिव के कहने का अर्थ है भगवान ब्रह्मा विष्णु महेश ही गुरु है...
किसी भी इंसान का महत्व तब होता है जब वह धर्म के मार्ग पर चलें यानी कि वो चरित्रवान हो सदाचारी हो बच्चे तो जानवर भी पैदा करते हैं इसलिए किसी जीव को जन्म देना यह कोई महान काम नहीं है बच्चे कभी भी नहीं बोलते हैं कि मुझे जन्म दो मुझे संसार में लेकर आओ इंसान अपने स्वार्थ लालच के कारण संतान को जन्म देता है माता पिता संतान को गलत शिक्षा देते हैं उसको दुख तकलीफ देते हैं भेदभाव करते हैं माता पिता तो चरित्रहीन दुराचारी इंसान भी बनते है
Mai apki bhawana ko saman karta hun par yeh kahna bhi sayad sahi nhi hai ki kabir saheb anath the .kyunki unki janam sayad koi nhi janta .
Kintu aapka kehana yeh sahi nhi hain kabhir ka mata ,pita nhi the koi bhi toh mata , pita the jo palan poshan krta gain. Wahi woh yaw pita ho
Swamiji Pranam Apiki Charono Me Mera Koti Koti Pranam 🙏🏻🙏🏻🇮🇳🇮🇳
Jai mata di guru ji
Koti naman Guru ji🙏🌷
Pranam guruji
🙏🙏🙏🙏
🙏🙏🙏