सदक़ा ए मोहम्मद मे दो जहाँ नज़र आये II Anjuman Taheek-E-Sahaba Lucknow II Video II 2025 II

แชร์
ฝัง
  • เผยแพร่เมื่อ 7 ก.พ. 2025
  • ये ज़मीं नज़र आयी आसमाँ नज़र आये
    सदक़ा ए मोहम्मद मे दो जहाँ नज़र आये
    कूड़ा फेंकती थी जो उसने पढ लिया कलमा
    आप जब ज़ाईफा को मेहरबाँ नज़र आये
    ज़ाइरो हमारा भी तुम सलाम कह देना
    शाहे अंबिया का जब आसताँ नज़र आये
    याद उवैस क़रनी की खिदमतों को कर लेना
    जब तुम्हें मुसीबत में कोई माँ नज़र आये
    मसअला सहाबा को जब भी कोई पेश आया
    मुस्तफा सहाबा के दरमियाँ नज़र आये
    मुस्तफा की रहलत पर दे रहे थे जब खुतबा
    यारे ग़ार कुरआंँ के तर्जुमाँ नज़र आये
    एक एक घर जाकर जो करे खबरगीरी
    दहर में उमर ही वो हुक्मराँ नज़र आये
    दो दो नूर आका़ ने कर दिये अता उनको
    किस क़दर ग़नी पर वो मेहरबाँ नज़र आये
    बद्रो खैबरो ख़न्दक़ ग़ज़वाए ओहोद देखा
    मुर्तजा शुजाअत के आसमाँ नज़र आये
    जो जवाब दे पाये कब्र में सवालों का
    हश्र में वही अक्सर कामराँ नज़र आये
    खामा ए अक़ीदत से नात जब लिखी आबिद
    हरफो लफ्ज़ काग़ज़ पर ज़ौ फिशाँ नज़र आये
    आबिद हाशमी

ความคิดเห็น • 3