मना कि पूर्व कर्म से बना प्रारब्ध अर्थात भाग्य प्रबल होता है, किंतु अपने द्रण विश्वास और कठोर परिश्रम से वह चाहे तो बदल सकता है, भाग्य के चक्कर में व्यक्ति यह निर्णय नहीं कर पाता कि मेरे भाग्य में क्या लिखा है क्या नहीं, यदि कोई व्यक्ति गरीब है तो क्या पूरे जीवन भर गरीबी रहेगी यह भाग्य के ऊपर छोड़ दिया जाए, इसीलिए इसके पचड़े में ना पढ़कर अपने कर्म और मेहनत पर विश्वास करना और खुद अपने भाग्य का निर्माण करना में ज्यादा उचित समझता हूं।
Really awesome story
आपकी कहानी बहुत ही अच्छा है भाग्य को कोई बदल नहीं सकता यह तो सत्य है लेकिन परवरिश और संगत में ऐसी ताकत होती है जो किसी को भी बदल कर रख सकती है
Nammo bhuddhay 🙏
❤❤❤Nice❤❤❤
मना कि पूर्व कर्म से बना प्रारब्ध अर्थात भाग्य प्रबल होता है, किंतु अपने द्रण विश्वास और कठोर परिश्रम से वह चाहे तो बदल सकता है, भाग्य के चक्कर में व्यक्ति यह निर्णय नहीं कर पाता कि मेरे भाग्य में क्या लिखा है क्या नहीं, यदि कोई व्यक्ति गरीब है तो क्या पूरे जीवन भर गरीबी रहेगी यह भाग्य के ऊपर छोड़ दिया जाए, इसीलिए इसके पचड़े में ना पढ़कर अपने कर्म और मेहनत पर विश्वास करना और खुद अपने भाग्य का निर्माण करना में ज्यादा उचित समझता हूं।
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