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Godess of Prosperity.

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  • เผยแพร่เมื่อ 13 ก.ค. 2024
  • सिरमौर जिला के श्री रेणुका जी विधानसभा क्षेत्र के हरिपुरधार की पहाड़ी पर माता भंगाईणी देवी का आलौकिक मन्दिर स्थित है यहां पूरा साल श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। माता यहां आने वाले हर व्यक्ति की मनोकामनाएं पूर्ण करने के साथ साथ नकारात्मक शक्तियों तथा तांत्रिक बाधाओं से भी मुक्ति दिलाती है। यह स्थान समुद्र तल से लगभग आठ हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित है।
    यह मन्दिर सिरमौर जिला के मुख्यालय नाहन से लगभग अट्ठासी किलोमीटर तथा सोलन से लगभग सौ किलोमीटर दूर है। इस पावन स्थली से चूड़धार पर्वत माला के प्रत्यक्ष दर्शन किए जा सकते हैं क्या चूड़धार का रास्ता भी हरिपुरधार से होकर गुजरता है।
    माता भंगायणी देवी का इतिहास चूड़धार स्थित भोले शंकर के अंशावतार शिरगुल महादेव से जुड़ा हुआ है। चूड़धार मंदिर को स्वर्ग की तीसरी पौड़ी के रूप में भी जाना जाता है। शिरगुल महादेव की वीरगाथा के अनुसार जब वह सैंकड़ों हाटियों के साथ तत्कालीन मुगल शासन के दौरान हाट करने दिल्ली गए तो उन्होंने वहां अपने दिव्य चमत्कार दिखाने शुरू कर दिए। उनकी दिव्य शक्तियों से स्तब्ध होकर तत्कालीन यवन शासकों ने उन्हें चमड़े की बेड़ियों में बांध कर, उनकी दिव्य शक्तियों को क्षीण करके कारावास में डाल दिया। कारावास में उन्होंने अपने परम् मित्र राजस्थान के चुरू के महाराज श्री गोगा जाहरवीर को कारागार की सफाई करने वाली मंगन के माध्यम से संदेश भिजवाया। बन्दी शिरगुल महाराज ने उस भंगिन को काग भाषा सिखाकर कौवे के माध्यम से श्री गोगा जाहरवीर तक संदेश पहुँचाया। श्री गोगा जाहरवीर भी शिव रूपी श्री गुरु गोरक्षनाथ जी के आशीर्वाद से अवतरित हुए थे तथा उन्हें राजा परीक्षित के पुत्र जन्मेजय के अवतार के रूप में जाना जाता है। जन्मेजय वासुकी नाग की नागकन्या माता नावलदे के पुत्र थे।
    अपने मित्र शिरगुल की पुकार सुनकर श्री गोगा जाहरवीर दिव्य शक्तियों के साथ दिल्ली पहुंचे तथा अपने मित्र शिरगुल को खोजने लगे। वहां उनकी मुलाकात उसी भंगन देवी से हुई जो वहां भंगिन के रूप में कार्य करती थी और जिसके द्वारा संदेश भेजा गया था । बताते हैं कि भंगाईनी ने अपने झाड़ू से सफाई करते हुए उन्हें बंदी बनाए गये शिरगुल देवता के कारागार कश्म्क्श तक पहुँचाने मे सहयोग किया । श्री गोगा जाहरवीर ने अपने दिव्य शक्तियों के प्रभाव से उन्हें चमड़े के बन्धनों से मुक्त किया। शिरगुल देवता तथा श्री गोगा जाहरवीर ने मां भंगाईनी देवी को अपनी धर्म बहन बनाया तथा उन्हें आलौकिक दिव्य शक्तियों से लैस करके यहां हरिपुरधार के निकट एक ऊंचे टीले पर विराजमान किया था। तभी से माता भंगायणी यहां आने वाले हर श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं तथा हर कष्ट, मुसीबत से छुटकारा दिलाती है। यहां हर वर्ष 3 से 5 मई तक माता के नाम से विशाल मेले का आयोजन किया जाता है।
    वर्तमान में यह क्षेत्र प्रसिद्ध धार्मिक पर्यटक स्थल के रूप में भी विख्यात हो रहा है। श्रद्धालुओं के रहने के लिए मन्दिर परिसर में साठ के लगभग कमरे हैं। मन्दिर की व्यवस्था का संचालन तथा देखरेख मां भंगायणी देवी सेवा समिति द्वारा किया जाता है। श्रद्धालुओं की सुविधा का ध्यान भी रखा जाता है।
    हरिपुरधार के निकट नाहन रोड़ पर सूचना एवं जनसंपर्क विभाग से सेवानिवृत्त उप निदेशक श्री मेला राम शर्मा द्वारा लगभग सात किलोमीटर दूर मानव हिल रिजोर्ट की स्थापना की गई है जहां पर्यटकों के ठहरने तथा खानें पीने की उत्तम व्यवस्था है। यहां से अनुपम प्राकृतिक सौंदर्य के दर्शन किए जा सकते हैं। श्री मेला राम शर्मा एक प्रसिद्ध समाजसेवी भी हैं । उनके निजी प्रयासों से यहां पैराग्लाइडिंग का भी सफल परीक्षण किया गया है तथा निकट भविष्य में नियमित रूप से पैराग्लाइडिंग की जाएगी। पैराग्लाइडिंग जैसी गतिविधियों के कारण समद जिला शीघ्र ही साहसिक पर्यटन के विश्व मानचित्र पर उभर कर सामने आएगा।

ความคิดเห็น • 1

  • @jaipalsharma7040
    @jaipalsharma7040 หลายเดือนก่อน

    जय माँ भँगायनी 🙏🙏🙏