Shiv Tandav रावण रचित शिव तांडव स्तोत्र लिरिक्स और अर्थ

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  • เผยแพร่เมื่อ 24 มิ.ย. 2024
  • जटा टवी गलज्जलप्रवाह पावितस्थले गलेऽव लम्ब्यलम्बितां भुजंगतुंग मालिकाम्‌।
    डमड्डमड्डमड्डमन्निनाद वड्डमर्वयं चकारचण्डताण्डवं तनोतु नः शिव: शिवम्‌ ॥१॥
    जटाकटा हसंभ्रम भ्रमन्निलिंपनिर्झरी विलोलवीचिवल्लरी विराजमानमूर्धनि।
    धगद्धगद्धगज्ज्वल ल्ललाटपट्टपावके किशोरचंद्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं मम: ॥२॥
    धराधरेंद्रनंदिनी विलासबन्धुबन्धुर स्फुरद्दिगंतसंतति प्रमोद मानमानसे।
    कृपाकटाक्षधोरणी निरुद्धदुर्धरापदि क्वचिद्विगम्बरे मनोविनोदमेतु वस्तुनि ॥३॥
    जटाभुजंगपिंगल स्फुरत्फणामणिप्रभा कदंबकुंकुमद्रव प्रलिप्तदिग्व धूमुखे।
    मदांधसिंधु रस्फुरत्वगुत्तरीयमेदुरे मनोविनोदद्भुतं बिंभर्तुभूत भर्तरि ॥४॥
  • บันเทิง

ความคิดเห็น • 3

  • @user-ge5gi9sv3l
    @user-ge5gi9sv3l หลายเดือนก่อน

    Har mahadaw ❤❤

  • @Bhagwanv
    @Bhagwanv  หลายเดือนก่อน +3

    Om Namah Shivay

  • @rishavsingh747
    @rishavsingh747 หลายเดือนก่อน +2

    Only I accessed The video in 12 Hrs? 2nd view?or 3rd?