21 Aug 2020 Murli class by BK Manju Didi

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  • เผยแพร่เมื่อ 12 ก.ย. 2024
  • “मीठे बच्चे - ज्ञान को बुद्धि में धारण कर आपस में मिलकर क्लास चलाओ, अपना और औरों का कल्याण कर सच्ची कमाई करते रहो''
    प्रश्नः- तुम बच्चों में कौन-सा अहंकार कभी नहीं आना चाहिए?
    उत्तर:- कई बच्चों में अहंकार आता है कि यह छोटी-छोटी बालकियाँ हमें क्या समझायेंगी। बड़ी बहन चली गई तो रूठकर क्लास में आना बंद कर देंगे। यह हैं माया के विघ्न। बाबा कहते - बच्चे, तुम सुनाने वाली टीचर के नाम-रूप को न देख, बाप की याद में रह मुरली सुनो। अहंकार में मत आओ।
    ओम् शान्ति।
    अच्छा!
    मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
    धारणा के लिए मुख्य सार:-
    1) ध्यान रखना है कि मुरली सुनते समय बुद्धियोग बाहर भटकता तो नहीं है? सदा स्मृति रहे कि हम शिवबाबा के महावाक्य सुन रहे हैं। यह भी याद की यात्रा है।
    2) अपने आपको देखना है कि हमारे में ज्ञान-योग और दैवी गुण हैं? लालच का भूत तो नहीं है? माया के वश कोई विकर्म तो नहीं होता है?
    वरदान:- दिव्य बुद्धि की लिफ्ट द्वारा तीनों लोकों का सैर करने वाले सहजयोगी भव
    संगमयुग पर सभी बच्चों को दिव्य बुद्धि की लिफ्ट मिलती है। इस वन्डरफुल लिफ्ट द्वारा तीनों लोकों में जहाँ चाहो वहाँ पहुंच सकते हो। सिर्फ स्मृति का स्विच आन करो तो सेकण्ड में पहुच जायेंगे और जितना समय जिस लोक का अनुभव करना चाहो उतना समय वहाँ स्थित रह सकते हो। इस लिफ्ट को यूज़ करने के लिए अमृतवेले केयरफुल बन स्मृति के स्विच को यथार्थ रीति से सेट करो। अथॉरिटी होकर इस लिफ्ट को कार्य में लगाओ तो सहजयोगी बन जायेंगे। मेहनत समाप्त हो जायेगी।
    स्लोगन:- मन को सदा मौज़ में रखना - यही जीवन जीने का कला है।

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