मंसार लोक कला सांस्कृतिक समिति कोटद्वार द्वारा बैठकी होली एवं होली भ्रमण कार्यक्रम ।🙏

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  • เผยแพร่เมื่อ 26 ส.ค. 2024
  • होली लोकपर्व, खुशियों का यह पावन त्यौहार आपके जीवन में नई उमंग और रंग लाए।
    ब्रह्मांड में विद्यमान गणपति, श्रीराम, हनुमान, शिव, श्रीदुर्गा , श्री दत्त भगवान एवं भगवान श्रीकृष्णजी ये सात उच्च देवताएं सात रंगोंसे संबंधित हैं । उसी प्रकार मानव के देह में विद्यमान कुंडलिनी के सात चक्र सात रंगों एवं सात देवताओंसे संबंधित हैं । रंगोत्सव मनाने का अर्थ है, रंगोंद्वारा सातों देवताओंकी तत्त्वतरंगोंको जागृत कर उन्हें आकृष्ट करना एवं उन्हें ग्रहण करना । इस प्रकार सभी देवताओंके तत्त्व मानव के देह में परिपूर्ण होने से आध्यात्मिक दृष्टि से उसकी साधना पूर्ण होती है । वह आनंद में निमग्न होता है । इससे यह भी स्पष्ट होता है कि, इन रंगोंद्वारा देवतातत्त्व के स्पर्श की अनुभूति लेना, यही रंगपंचमी का एकमात्र उद्देश्य है । इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए रंगोंका उपयोग दो प्रकार से किया जाता है । पहला है, होली गीत गाकर हवा में रंग उडाना एक दूसरे पर रंग लगाना एवं दूसरा है, पानी की सहायता से एक-दूसरेपर रंग डालना ।।
    यंहा हम गीत गाकर रंग उड़ाकर खूब हर्षो उल्लासपूर्ण से लोक परम्परा से सभी को शुभकामनाएं दे रहे है ।।
    पुनः आप सभी को होली की ढेर सारी शुभकामनाएं।।

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