पांडवों के जीवित होने के समाचार मिला धृतराष्ट्र को | महाभारत एक धर्म युद्ध

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  • เผยแพร่เมื่อ 8 ต.ค. 2024
  • गंगा मैया और देवी उमा वज्रांग की मृत्यु होने के बाद उसके पुत्र के बारे में वार्ता करते हैं। वज्रांग की विधवा पत्नी अपने पुत्र तारकासुर को पालती है और शुक्राचार्य उसे अस्त्र शस्त्र की शिक्षा देते हैं। धीरे धीरे समय बीत जाता है और तारकासुर बड़ा हो जाता है और शक्तिशाली बन जाता है। शुक्राचार्य से आज्ञा लेने के बाद तारकासुर सभी विष्णु भक्तों और ऋषियों पर अत्याचार करता है। देवी उमा महादेव के पास जाती हैं। महादेव देवी उमा से कहते हैं की वो आज चौसर खेलना चाहते हैं। महादेव देवी उमा को कोमल अंगी कह कर संभोधित करते हैं तो देवी उमा रुष्ट हो जाती है जिस पर महादेव भी देवी उमा से रुष्ट हो जाते हैं। शुक्राचार्य तारक को देवताओं पर विजय पाने के लिए तपस्या करने के लिए कहते हैं। और वरदान में ब्रह्मा जी से वरदान में ये माँगने को कहते हैं की मेरी मृत्यु सिर्फ़ शिव पुत्र के हाथों ही हो। तारकासुर तपस्या करने के लिए चला जाता है। देवी उमा को गंगा मैया तारकासुर के तपस्या करके वरदान माँगने की बात बताती हैं। गंगा मैया देवी उमा को कहती हैं की तुम्हें महादेवी की पूजा में ध्यान लगाना हो ताकि महादेव अपने तप से बाहर आ सकें। तारकासुर को तपस्या करता देख देवताओं को चिंता हो रही थी देवताओं ने उस की तपस्या भंग करने की कोशिश की लेकिन नहीं कर पाए। ब्रह्मा जी तारकासुर की तपस्या से प्रसन्न हो कर प्रकट हो जाते है और उसे वरदान माँगने को कहते हैं तारकासुर ब्रह्म जी से वरदान में अपनी मृत्यु सिर्फ़ महादेव के पुत्र के हाथों ही हो ऐसा वरदान माँगता है। तारकासुर की तपस्या सफल होने पर गंगा मैया उसे मिलती है और उसे अपने वरदान को उचित इस्तेमाल करने के लिए कहती हैं। तारक सुर अपने गुरु शुक्राचार्य के पास जाता है और उनसे इंद्रलोक पर आक्रमण करने की अनुमति माँगता है। तारकासुर अपनी सेना के साथ देवताओं पर आक्रमण कर देते हैं। असुर राज तारकासुर देवताओं को हरा कर स्वर्गलोक पर अपना आधिपत्य स्थापित कर देता है। देवता गंगा मैया के पास जाते हैं उनसे मदद माँगते हैं तो गंगा मैया उन्हें कहती है की तारकासुर का वध शिव पुत्र के द्वारा ही सम्भव है इसलिए उनके पुत्र के जनम की प्रतीक्षा करो। तारकासुर शिव पुत्र पैदा ही ना हो इसलिए वह देवी पार्वती का अपहरण करके बंदी बनाने के लिए अपने सेनापति को भेजता है। तारकासुर का सेनापति जब देवी उमा को बंदी बनाने के लिए आता है तो देवी उमा अपनी शक्ति रूप से उन पर आक्रमण कर देती हैं। देवी उमा तारकासुर के सेनापति और उसकी सेना को अपनी शक्ति से नष्ट कर रही थी तो शुक्राचार्य तारकासुर को ऐसा करने से रोकते हैं और उन्हें वापस बुलाने के लिए कहते हैं। तारकासुर अपनी सेना को वापस बुला लेता है। देवताओं ने कामदेव को आदेश दिया की जाकर महादेव की तपस्या को भंग करे। कामदेव की महादेव को तपस्या को भंग करने की बात को सुन कामदेव की पत्नी देवी रति उन्हें समझाती है की महादेव के क्रोध के सामने आप नहीं टिक पाएँगे लेकिन कामदेव देवी रति को समझाते हैं और इस कार्य करने के लिए चल पड़ते हैं। महादेव की तपस्या भंग करने के लिए कामदेव महादेव के सामने देवी रति के साथ नृत्य करता है और उन पर अपने बाण से वार करता है। कामदेव का एक बाण महादेव की तीसरी आँख पर जाकर लगता है तो महादेव तपस्या से बाहर आजाते हैं और कामदेव को अपनी तीसरी आँख खोल कर भस्म कर देते हैं। देवी उमा वहाँ आकर महादेव को सारी बात बताती हैं की कामदेव ने आपके साथ ऐसा क्यों किया। सभी देवी देवता महादेव से प्रार्थना करते हैं की वो कामदेव को पुनः जीवित कर दे। सभी देवी देवता महादेव से कामदेव को पुनः जीवित करने के लिए प्रार्थना करते हैं तो महादेव उन्हें बताते हैं की ऐसा नहीं हो सकता क्योंकि कामदेव का शरीर भस्म हो गया है। महादेव रति को ये भी बताते हैं की कामदेव अमर हैं उनका सिर्फ़ शरीर ही नष्ट हुआ है उनकी आत्मा अभी जीवित है। देवी रति महादेव से पूछती है की उनके पति को कब शरीर मिलेगा इस पर महादेव उन्हें कहते हैं की द्वापर युग में कामदेव श्री कृष्ण के पुत्र के रूप में जन्म लेंगे जिसका नाम प्रद्युम्न होगा। प्रद्युम्न द्वारा शम्भ्रासुर के वध के बाद ही तुम्हारा मिलन हो पाएगा। देवी देवता महादेव से प्रार्थना करते हैं की उन्हें अपने पुत्र दे ताकि वह बड़ा हो को तारकासुर का वध कर सके तो महादेव उनकी बात मान लेते हैं। कुछ समय बाद महादेव के पुत्र का जनम होता है जिसे गंगा मैया कृतिकायें को सौंप देते हैं और उन्हें सुर गंगा ले जाने के लिए कहती हैं जहां कृतिकायें शिव पुत्र का पालन पोषण करती हैं। तारकासुर शिव पुत्र के जनम की बात से क्रोधित हो जाता है। तारकासुर शिव पुत्र कुमार को मारने के लिए सुर गंगा जाता है। रास्ते में गंगा मैया उसे समझाती हैं की लेकिन वह नहीं मानता और सुर गंगा की ओर बढ़ जाता है। तारकासुर अपनी शक्ति का इस्तेमाल करके शिव पुत्र को मारने के लिए अपनी शक्ति चलता है तो गंगा मैया उसे रोक देती हैं और उसे वहाँ से हरा कर दूर फेंक देती हैं। तारकासुर वापस आकर शुक्राचार्य को इस बार में बताता है तो शुक्राचार्य उसे बताते हैं की गंगा मैया ने शिव पुत्र की रक्षा का दायित्व लिया हुआ है इसलिए तुम उसे वहाँ नहीं मार पाओगे। शिव गण के रुप में आए तारकासुर के पुत्र और असुर देवी पार्वती से उनका पुत्र अपनी गोद में ले लेते हैं और कैलाश की ओर चल पड़ते हैं तभी इंद्र देव वहाँ आकर देवी पार्वती को असुरों की असलियत उन्हें बताते हैं लेकिन देवी पार्वती उनकी बात का विश्वास नहीं करती और आगे बड़ जाती हैं। इंद्र देव शिव पुत्र को बचाने के लिए अग्नि देव और वायु देव को भेजते हैं और माता से प्रार्थना करने को कहते हैं की वो शिव पुत्र को अपनी गोद में लेना चाहते हैं और उन्हें आशीर्वाद देना चाहते हैं। देवी पार्वती उन्हें आज्ञा दे देती है। जैसे ही अग्नि देव शिव पुत्र को अपनी गोद में लेते हैं तो वो तारकासुर के पुत्र को अपनी शक्ति से जला देते हैं लेकिन शुक्राचार्य उसे बचा लेते हैं |

ความคิดเห็น • 7

  • @RupeshChohanChohan-q7p
    @RupeshChohanChohan-q7p 12 วันที่ผ่านมา +1

    Jay shree Krishna

  • @Tractorlover0027
    @Tractorlover0027 3 หลายเดือนก่อน +1

    Jai shree radhe krishna ji

  • @RakeshYaduvanshi61
    @RakeshYaduvanshi61 ปีที่แล้ว +2

    😊😊😮

  • @himmetramthakur6525
    @himmetramthakur6525 ปีที่แล้ว +6

    झूठी खुशी धृतराष्ट्र की

    • @UshaPradeep-g4i
      @UshaPradeep-g4i 4 หลายเดือนก่อน

      false happiness of *DHRITRAASHTRA*

  • @UshaPradeep-g4i
    @UshaPradeep-g4i 4 หลายเดือนก่อน

    *VIDHA DADATI VINAYAM*
    th-cam.com/video/Clwt1Kndgjc/w-d-xo.html