एक ग़ैर मुस्लिम की पूरी मुस्लिम क़ौम को नसीहत किस लिए कहते हो मुझको बुतपरस्त सोचा कभी … फर्क बाहम हम में क्या है गौर फरमाया कभी बुतपरस्त कहते हो हम को कहते हो मुश्रिक हमें… कब्र पर राज्दै करो क्यों ना कहूं मुश्रिक तुम्हें एक ही प्रभू की पूजा हम अगर करते नहीं… एक ही दर पर हमेशा तुम भी सर धरते नहीं अपनी पूजा की जगह देवी का गर स्थान है…सज्दे करने को तुम्हारे पूरा कब्रिस्तान है ताकों पर ये हार क्यों हैं किस लिए है ये चिराग…रोशनी मे शिर्क का तुम को नहीं मिलता सुराग दंडवत बुत को करें तो मुश्रिक ओ काफिर हैं हम..तुम करो कब्रों पै सज्दा बेधड़क बेफिक्र औ ग़म जितने कंकर उतने शंकर बात ये मशहूर है…जितनी कब्रें उतने सज्दे ये भी तो दस्तूर है हमने देवी देवता को माना है गर इखत्यार…कब्र के मुर्दों का तुम भी मानते हो इकतदार वक्त मुश्किल हम सभी के नारे हैं बजरंग बली…तुम्हारे नारे हैं या गौस -ए - आज़म या अली लेता है अवतार प्रभू जिस तरह हर देश में…मानते हो तुम खुदा है मुस्तफा के भेष में मंदिरों में हम बजाते हैं जो घंटे घंटिया…बजती हैं किस वास्ते कृव्वालियों में तालियां हम भजन करते हैं गा कर और लगाकर ठुमरियां…छोड़ कर कुरआन झुमों तुम सुनो कव्वालियां हम चढ़ाते हैं बुतों पर दूध और पानी की धार…तुम चढाओ मुर्ग , बकरे और चादर जर निगार बूत की पूजा हम करें हम को मिले नारे जहीम…तुम जो पूजों कब्र को तुमको मिले हूर ओ नईम तुम भी मुश्रिक हम भी मुश्रिक बात बिल्कुल साफ हैं…फिर ठिकाने क्यों अलग हों ? कैसा ये इन्साफ है ? हम भी क्यों जन्नत ना जाएं तुम अगर हो जन्नती…वरना फिर dozakh में होंगे दोनों भाई साथ ही गर नहीं मंजूर दोज़ख शिर्क से तौबा करो इक खुदा से लौ लगाओ उस का हर दम नाम लो *
Aur muslimo ke sb se bde dushmn too Ye moulaana log hi he jo her Muslim tebke ko Ek doosre ke khilaaf kerne ko tiyyar ker rehe he too fir dushmano se kese mukaabla krenge
Are yeh bahut nhut jahil hai anpadh hai yah to shakal se joker lag raha hai yah ulamae haqq mein se nahi hai yah pet ka pujari hai yeh jange azadi mein bhi to angrejon ke pittho the aise maulviyon ka musalmanon ko bikat karna chahie aisi hi anpadh gawaro ne pet ke lalach mein Islam Ko nuksan pahunchaya Hai
Saare Hindu bhai Ek ho gye mslimo ki khilafet kerne ke liye Lekin be wkufi dekho muslimo ki aaj bhee Ye sunni, vehabi, devebndi aur ptaa Nhi kitne firko me baant rehe he apne aapko
Subhanallah salamat rakhe mere hazrat ko...
Subhan allah
ماشاءاللہ🍎🥕
Allah Sirf Iman wale ko hi jannat or galba deta he maslake ala hajrat jindabad molana sagir sab jindabad
Mashallah hazrat bahut khoob
Mashallha bahut khubsurat awaz he apki allha salamat rakhe Shere sunniyat ko
Aameen summa aameen👍👍👍👍👍👍👍
Masha allah
Mashallah
MASHAALLAH
एक ग़ैर मुस्लिम की पूरी मुस्लिम क़ौम को नसीहत
किस लिए कहते हो मुझको बुतपरस्त सोचा कभी … फर्क बाहम हम में क्या है गौर फरमाया कभी
बुतपरस्त कहते हो हम को कहते हो मुश्रिक हमें… कब्र पर राज्दै करो क्यों ना कहूं मुश्रिक तुम्हें
एक ही प्रभू की पूजा हम अगर करते नहीं… एक ही दर पर हमेशा तुम भी सर धरते नहीं
अपनी पूजा की जगह देवी का गर स्थान है…सज्दे करने को तुम्हारे पूरा कब्रिस्तान है
ताकों पर ये हार क्यों हैं किस लिए है ये चिराग…रोशनी मे शिर्क का तुम को नहीं मिलता सुराग
दंडवत बुत को करें तो मुश्रिक ओ काफिर हैं हम..तुम करो कब्रों पै सज्दा बेधड़क बेफिक्र औ ग़म
जितने कंकर उतने शंकर बात ये मशहूर है…जितनी कब्रें उतने सज्दे ये भी तो दस्तूर है
हमने देवी देवता को माना है गर इखत्यार…कब्र के मुर्दों का तुम भी मानते हो इकतदार
वक्त मुश्किल हम सभी के नारे हैं बजरंग बली…तुम्हारे नारे हैं या गौस -ए - आज़म या अली
लेता है अवतार प्रभू जिस तरह हर देश में…मानते हो तुम खुदा है मुस्तफा के भेष में
मंदिरों में हम बजाते हैं जो घंटे घंटिया…बजती हैं किस वास्ते कृव्वालियों में तालियां
हम भजन करते हैं गा कर और लगाकर ठुमरियां…छोड़ कर कुरआन झुमों तुम सुनो कव्वालियां
हम चढ़ाते हैं बुतों पर दूध और पानी की धार…तुम चढाओ मुर्ग , बकरे और चादर जर निगार
बूत की पूजा हम करें हम को मिले नारे जहीम…तुम जो पूजों कब्र को तुमको मिले हूर ओ नईम
तुम भी मुश्रिक हम भी मुश्रिक बात बिल्कुल साफ हैं…फिर ठिकाने क्यों अलग हों ? कैसा ये इन्साफ है ?
हम भी क्यों जन्नत ना जाएं तुम अगर हो जन्नती…वरना फिर dozakh में होंगे दोनों भाई साथ ही
गर नहीं मंजूर दोज़ख शिर्क से तौबा करो
इक खुदा से लौ लगाओ उस का हर दम नाम लो *
Jise rasul aur alla nahi mita saka koi kya mita payega wahabi bohra siya ahmadi aaj bhi aur kal bhi
Aur muslimo ke sb se bde dushmn too Ye moulaana log hi he jo her Muslim tebke ko Ek doosre ke khilaaf kerne ko tiyyar ker rehe he too fir dushmano se kese mukaabla krenge
Are yeh bahut nhut jahil hai anpadh hai yah to shakal se joker lag raha hai yah ulamae haqq mein se nahi hai yah pet ka pujari hai yeh jange azadi mein bhi to angrejon ke pittho the aise maulviyon ka musalmanon ko bikat karna chahie aisi hi anpadh gawaro ne pet ke lalach mein Islam Ko nuksan pahunchaya Hai
Abe Aqal Ke Andhe Hamare Ulam e Ahle Sunnat Hame Tum Jaise Makkar Be imaano Se Bachate Hain
Saare Hindu bhai Ek ho gye mslimo ki khilafet kerne ke liye
Lekin be wkufi dekho muslimo ki aaj bhee Ye sunni, vehabi, devebndi aur ptaa Nhi kitne firko me baant rehe he apne aapko
Mashaallh