Bhagavad Gita: Chapter 9, Verse 28

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  • เผยแพร่เมื่อ 10 ก.พ. 2025
  • शुभाशुभफलैरेवं मोक्ष्यसे कर्मबन्धनैः ।
    संन्यासयोगयुक्तात्मा विमुक्तो मामुपैष्यसि ॥28॥
    इस प्रकार सभी कार्य मुझे समर्पित करते हुए तुम शुभ और अशुभ फलों के बंधन से मुक्त रहोगे। इस वैराग्य द्वारा मन को मुझ में अनुरक्त कर तुम मुक्त होकर मेरे पास आ पाओगे।

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