त्रेतायुग में समुन्द्र में पत्थर हनुमान जी कृपा से नहीं बल्कि मुनिन्द्र ऋषि के रूप में कबीर परमेश्वर की दया से तैरने लगे थे। यह संत रामपाल जी महाराज जी ने ही बताया। रहे नल नील जतन कर हार, तब सतगुरु से करी पुकार। जा सत रेखा लिखी अपार, सिंधु पर शिला तिराने वाले। धन्य-धन्य सतगुरु सत कबीर भक्त की पीड़ मिटाने वाले।
त्रेता युग में कबीर परमेश्वर मुनींद्र नाम से प्रकट हुए तथा नल व नील को शरण में लिया। उनकी कृपा से ही समुद्र पर पत्थर तैरे। धर्मदास जी की वाणी में इसका प्रमाण है, रहे नल नील जतन कर हार, तब सतगुरु से करी पुकार। जा सत रेखा लिखी अपार, सिंधु पर शिला तिराने वाले। धन्य-धन्य सत कबीर भक्त की पीड़ मिटाने वाले। Lord kabir ji
संत रामपाल जी महाराज को स्वामी रामदेवानंद जी महाराज ने 1993 में सत्संग करने और नाम उपदेश करने की आज्ञा 1994 में प्रदान की। भक्ति मार्ग में लीन होने के कारण संत रामपाल जी महाराज ने जे.ई. की पोस्ट से त्यागपत्र दे दिया, जो हरियाणा सरकार द्वारा 16-5-2000 के तहत स्वीकृत है। 1994 से 1998 तक संत रामपाल जी महाराज ने घर-घर, गांव गांव, नगर नगर में जाकर सत्संग किया। बहु संख्या में अनुयायी हो गए। साथ साथ ज्ञान हीन संतों का विरोध भी बढ़ता गया। लाखों विरोध के बावजूद भी संत रामपाल जी महाराज आज़ तक अपना तत्वज्ञान जो सदग्रंथो में प्रमाणित है, उसे जन जन तक पहुंचाने का काम कर रहे हैं।
🔮अमेरिका के ‘‘श्री एण्डरसन’’ के अनुसार 20 वीं सदी के अन्त से पहले या 21वीं सदी के प्रथम दशक में भारत के एक देहात का एक धार्मिक व्यक्ति, एक मानव, एक भाषा और झण्डा की रूपरेखा का संविधान बनाकर संसार को सदाचार, उदारता, मानवीय सेवा व प्यार का सबक देगा।
Purn parmatma kabir Saheb ki bhakti Karen se Hamen Moksh prapt hoga purn Parmatma ki Bhakti Sant Rampal ji maharaj de rahe hai Unse Naam Diksha Lekar Apna Kalyan kare
🔔हमारे पवित्र शास्त्रों में कहीं भी छठ पूजा का प्रमाण नहीं है। यह मनमाना आचरण है, जो गीता अध्याय 16 श्लोक 23 के अनुसार व्यर्थ है। इसका कोई लाभ नहीं है। 🔔श्रीमद्भावत गीता अध्याय 16 श्लोक 23 में लिखा है कि शास्त्र विरुद्ध अर्थात मनमानी भक्ति, साधना करने वालों को कोई लाभ नहीं होता। छठ पूजा एक मनमाना आचरण होने के कारण इससे कोई लाभ संभव नहीं है। पवित्र शास्त्रों के अनुकूल साधना के बारे में जानने के लिए अवश्य पढ़िए पवित्र पुस्तक "ज्ञान गंगा"। 🔔हमारे पवित्र शास्त्रों में व्रत रखना गलत माना गया है। गीता जी अध्याय 6 श्लोक 16 से यह स्पष्ट है कि व्रत रखना पवित्र गीता के विरुद्ध है। पवित्र शास्त्रों के अनुकूल साधना के बारे में जानने के लिए अवश्य पढ़िए पवित्र पुस्तक "ज्ञान गंगा"। 🔔छठ पूजा का विधान इतिहास के अलावा हमारे किसी भी धर्म के प्रमाणित पवित्र सद्ग्रंथों में नहीं है। इस दिन व्रत रखने की प्रथा है जो की श्रीमद्भागवत गीता अध्याय 6 श्लोक 16 के अनुसार व्यर्थ है। 🔔गीता अध्याय 16 श्लोक 23 में कहा है कि जो शास्त्र विधि को त्यागकर मनमाना आचरण व भक्ति साधना करता है उसको न कोई सुख होता है न ही सिद्धी प्राप्त होती है और ना ही उसकी गति होती है अर्थात् व्यर्थ साधना है। ऐसे ही छठ पूजा की परंपरा है। 🔔छठी मैया और सूर्यदेव की पूजा से हमारे दुःख दूर नहीं हो सकते। बल्कि परमेश्वर कविर्देव (कबीर साहेब) की सतभक्ति से ही हमारे दुःख अर्थात पाप समाप्त हो सकते हैं। - यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32 🔔मान्यता अनुसार छठ पर्व पर छठी मैया की पूजा करने से सुख शांति होती है। अब विचार करें यदि ऐसा होता तो छठ पूजा करने वाले किसी भी व्यक्ति के घर में कष्ट नहीं होता। वास्तविकता यह है कि पूर्ण संत के बताये अनुसार सतभक्ति करने से ही हमें सुख शांति प्राप्त होती है।
हमारे पवित्र शास्त्रों व सदग्रंथों पर आधारित अनमोल सत्संग🙏🙏
हमारे पवित्र शास्त्रों व सद ग्रंथों पर आधारित अनमोल सत्संग
संत रामपाल जी महाराज जी ने सतनाम का वास्तविक भेद बताया है जिसे आज तक कोई धर्मगुरु नही बता पाया है। संत रामपाल जी ही सच्चे सतगुरु है।
Sat sahib ji ja ho bandhi chodh satguru rampal maharj ki ja ho 🙏🙏🙏🙏🙏
ऐसा निर्मल ज्ञान है जो निर्मल करे शरीर।
और ज्ञान मंडलीक है, चकवे ज्ञान कबीर।।
बन्दी छोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज की जय हो🙏🙏🙏🙏
त्रेतायुग में समुन्द्र में पत्थर हनुमान जी कृपा से नहीं बल्कि मुनिन्द्र ऋषि के रूप में कबीर परमेश्वर की दया से तैरने लगे थे। यह संत रामपाल जी महाराज जी ने ही बताया।
रहे नल नील जतन कर हार, तब सतगुरु से करी पुकार।
जा सत रेखा लिखी अपार, सिंधु पर शिला तिराने वाले।
धन्य-धन्य सतगुरु सत कबीर भक्त की पीड़ मिटाने वाले।
सतगुरु को सिजदा करु जिन जन्म छुटाए कोट l
जो सतगुरु की निंदा करते यम तोड़ेंगे होंठ l
त्रेता युग में कबीर परमेश्वर मुनींद्र नाम से प्रकट हुए तथा नल व नील को शरण में लिया।
उनकी कृपा से ही समुद्र पर पत्थर तैरे।
धर्मदास जी की वाणी में इसका प्रमाण है,
रहे नल नील जतन कर हार, तब सतगुरु से करी पुकार।
जा सत रेखा लिखी अपार, सिंधु पर शिला तिराने वाले।
धन्य-धन्य सत कबीर भक्त की पीड़ मिटाने वाले।
Lord kabir ji
Real spiritual knowledge by saint rampalji Maharaj
संत रामपाल जी महाराज को स्वामी रामदेवानंद जी महाराज ने 1993 में सत्संग करने और नाम उपदेश करने की आज्ञा 1994 में प्रदान की। भक्ति मार्ग में लीन होने के कारण संत रामपाल जी महाराज ने जे.ई. की पोस्ट से त्यागपत्र दे दिया, जो हरियाणा सरकार द्वारा 16-5-2000 के तहत स्वीकृत है। 1994 से 1998 तक संत रामपाल जी महाराज ने घर-घर, गांव गांव, नगर नगर में जाकर सत्संग किया। बहु संख्या में अनुयायी हो गए। साथ साथ ज्ञान हीन संतों का विरोध भी बढ़ता गया। लाखों विरोध के बावजूद भी संत रामपाल जी महाराज आज़ तक अपना तत्वज्ञान जो सदग्रंथो में प्रमाणित है, उसे जन जन तक पहुंचाने का काम कर रहे हैं।
Satgurudev ki jai ho 🙇
कबीर ऐसी वाणी बोलिए मन का आपा खोए ओरन को सितल करे आपो ही सितल होय।।
सत भक्ति करने से मनुष्यों को दैविक शक्तियां पूर्ण लाभ देती हैं और साधक परमेश्वर पर आश्रित रहने से बगैर किसी चिंता के जीवन जीता है।
Awesome Satsang 🙏
Beautiful gyan
Great Spiritual Knowledge 🙏
वेदों में प्रमाण है कबीर ही पूर्ण परमात्मा है।
Real spiritual knowledge
Incredible spiritual knowledge
कबीर, काहे कूँ डरै, सिर पर सिरजनहार।
हस्ती चढ़ डरिये नहीं, कुकर भुसैं हजार।।
Real knowledge
amazing knowledge
Anmol geyan charcha
True gyan
Amazing satsang
Great spiritual leader
Nice Satsang
Very nice
सत्संग की आधि घड़ी तप के वर्ष हजार।
तो भी बराबर है नही कहे कबीर विचार।।
Original gyan
🔮अमेरिका के ‘‘श्री एण्डरसन’’ के अनुसार 20 वीं सदी के अन्त से पहले या 21वीं सदी के प्रथम दशक में भारत के एक देहात का एक धार्मिक व्यक्ति, एक मानव, एक भाषा और झण्डा की रूपरेखा का संविधान बनाकर संसार को सदाचार, उदारता, मानवीय सेवा व प्यार का सबक देगा।
Kabir is Supreme God
🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Purn parmatma kabir Saheb ki bhakti Karen se Hamen Moksh prapt hoga purn Parmatma ki Bhakti
Sant Rampal ji maharaj de rahe hai Unse Naam Diksha Lekar Apna
Kalyan kare
कौन ब्रह्मा का पिता है कौन विष्णु की मां शंकर का दादा कौन है हमको दे बता
Sat bhagati karne se mokash prapt hota he Aaj pure vishav me sat bhagati sirf Sant Rampalji mahraj ke pas he our Kisi Ke pas Nahi He
Kabir _ Nau Man sut uljhiya e rishi rahe jhakmar sat guru aisa suljha diya uljhe na dujhi bar.
🔔हमारे पवित्र शास्त्रों में कहीं भी छठ पूजा का प्रमाण नहीं है। यह मनमाना आचरण है, जो गीता अध्याय 16 श्लोक 23 के अनुसार व्यर्थ है। इसका कोई लाभ नहीं है।
🔔श्रीमद्भावत गीता अध्याय 16 श्लोक 23 में लिखा है कि शास्त्र विरुद्ध अर्थात मनमानी भक्ति, साधना करने वालों को कोई लाभ नहीं होता। छठ पूजा एक मनमाना आचरण होने के कारण इससे कोई लाभ संभव नहीं है।
पवित्र शास्त्रों के अनुकूल साधना के बारे में जानने के लिए अवश्य पढ़िए पवित्र पुस्तक "ज्ञान गंगा"।
🔔हमारे पवित्र शास्त्रों में व्रत रखना गलत माना गया है। गीता जी अध्याय 6 श्लोक 16 से यह स्पष्ट है कि व्रत रखना पवित्र गीता के विरुद्ध है। पवित्र शास्त्रों के अनुकूल साधना के बारे में जानने के लिए अवश्य पढ़िए पवित्र पुस्तक "ज्ञान गंगा"।
🔔छठ पूजा का विधान इतिहास के अलावा हमारे किसी भी धर्म के प्रमाणित पवित्र सद्ग्रंथों में नहीं है। इस दिन व्रत रखने की प्रथा है जो की श्रीमद्भागवत गीता अध्याय 6 श्लोक 16 के अनुसार व्यर्थ है।
🔔गीता अध्याय 16 श्लोक 23 में कहा है कि जो शास्त्र विधि को त्यागकर मनमाना आचरण व भक्ति साधना करता है उसको न कोई सुख होता है न ही सिद्धी प्राप्त होती है और ना ही उसकी गति होती है अर्थात् व्यर्थ साधना है। ऐसे ही छठ पूजा की परंपरा है।
🔔छठी मैया और सूर्यदेव की पूजा से हमारे दुःख दूर नहीं हो सकते। बल्कि परमेश्वर कविर्देव (कबीर साहेब) की सतभक्ति से ही हमारे दुःख अर्थात पाप समाप्त हो सकते हैं। - यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32
🔔मान्यता अनुसार छठ पर्व पर छठी मैया की पूजा करने से सुख शांति होती है। अब विचार करें यदि ऐसा होता तो छठ पूजा करने वाले किसी भी व्यक्ति के घर में कष्ट नहीं होता।
वास्तविकता यह है कि पूर्ण संत के बताये अनुसार सतभक्ति करने से ही हमें सुख शांति प्राप्त होती है।
अनमोल ज्ञान
Beautiful gyan
Wonderful satsang
Great spiritual leader
Fantastic satsang