चुनाव आयोग ने बुलाया कोई भी आकार evm हेक केसे हो सकती है बताए तब आप सोए हुए थे मीडिया में ज्ञान पेल रहे हैं लोकसभा चुनाव अपने ग्रह क्षेत्र से हारे आप अब सालो का आंकलन कर रहे हों आप 😅
दिग्विजय का पूर्वज कौन था: पुस्तक के अनुसार दिग्विजय के हाथों जो रियासत मिली एक "गरीब दास" नाम के सैनिक को अकबर ने दी थी। जब राजपुताना और मालवा के सभी क्षत्रिय राणा प्रताप के साथ हो रहे थे, गरीब दास अकबर के पास चला गया। अकबर ने उसकी सेवा से प्रसन्न होकर मालवा के सूबेदार को हुक्म भेजा की गरीब दास को एक परगना यानि पांच गाँव दे दिए जाएँ। गरीब दास की मौत के बाद उसके पुत्र "बलवंत सिंह (1770 -1797)" ने इसवी 1777 में बसंत पंचमी के दिन एक गढ़ी की नींव रखी और उसका नाम अपने कुल देवता "राघोजी" के नाम पर "राघोगढ़" रख दिया था। कर्नल टाड के इतिहास के अनुसार बलवंत सिंह ने 1797 तक राज किया और अंग्रेजों से दोस्ती बढ़ाई। जब सन 1778 में प्रथम मराठा युद्ध हुआ तो बलवंत सिंह ने अंग्रेजी फ़ौज की मदद की थी। इसका उल्लेख जनरल Gadred ने "Section from State Papers, Maratha Volume I Page 204 में किया है। बलवंत सिंह की इस सेवा के बदले कम्पनी सरकार ने Captain fielding की तरफ से बलदेव सिंह को पत्र भेजा, जिसमे लिखा था कंपनी बहादुर की तरफ से यह परगना जो बालामेट में है, उसका किला राघोगढ़ तुम्हें प्रदान किया जाता है और उसके साथ के गावों को अपना राज्य समझो। यदि सिंधिया सरकार किसी प्रकार का दखल करे तो इसकी सूचना मुझे दो... बाद में जब 1818 में बलवंत सिंह का नाती अजीत सिंह (1818 -1857) गद्दी पर बैठा तो अंगरेजों के प्रति विद्रोह होने लगे था, अजीत सिंह ने ग्वालियर के रेजिडेंट को पत्र भेजा कि, आजकल महाराज सिंधिया बगावत की तैयारी कर रहे हैं। उनके साथ झाँसी और दूसरी रियासत के राजा भी बगावत का झंडा खड़ा कर रहे हैं। इसलिए इन बागियों को सजा देने के लिए जल्दी से अंग्रेजी फ़ौज भेजिए, उस पत्र का जवाब गवालियर के रेजिडेंट A. Sepoyrs ने इस तरह दिया "आप कंपनी की फ़ौज की मदद करो और बागियों साथ नहीं दो। आप हमारे दोस्त हो, अगर सिंधिया फ़ौज भेजे तो उस से युद्ध करो। कंपनी की फ़ौज निकल चुकी है।" लेकिन सन 1856 में एक दुर्घटना में अजीत सिंह की मौत हो गयी। उसके बाद 1857 में उसका लड़का "जय मंगल सिंह "(1857-1900) गद्दी पर बैठा। इसके बाद "विक्रमजीत सिंह" राजा बना (1900 -1902)। लेकिन अंग्रेज किसी कारण से उस से नाराज हो गए और उसे गद्दी से उतार सिरोंज परिवार के एक युवक "मदरूप सिंह" को राजा बना दिया जिसका नाम "बहादुर सिंह" रख दिया गया (1902 -1945)। अंग्रेजों की इस मेहरबानी के लिए बहादुर सिंह ने अंग्रेजी सरकार का धन्यवाद दिया और कहा "मैं वाइसराय का आभारी हूँ। मैं वादा करता हूँ कि सरकार का वफादार रहूँगा। मेरी यही इच्छा है कि अंग्रेजी सरकार के लिए लड़ते हुए ही मेरी जान निकल जाये।"
इसी अंग्रेज भक्त गद्दार का लड़का "बलभद्र सिंह" हुआ जो दिग्विजय का बाप है। बलभद्र का जन्म 1914 में हुआ था और इसके बेटे दिग्विजय का जन्म 28 फरवरी 1947 को इन्दौर में हुआ था। बलभद्र सिंह ने मध्य भारत (पूर्व मध्य प्रदेश) की विधान सभा का चुनाव हिन्दू महासभा की सीट से लड़ा था और कांग्रेस के उम्मीदवार जादव को हराया था। सन 1969 में दिग्विजय ने भी नगर पालिका चुनाव कांग्रेस के विरुद्ध लड़ा था और जीत कर अध्यक्ष बन गया था। लेकिन इमरजेंसी के दौरान गिरफ्तारी से बचने लिए जब दिग्विजय अपने समधी "अर्जुन सिंह" के पास गया तो उसने कांग्रस में आने की सलाह दी और कहा यदि जागीर बचाना है तो कांग्रेस में आ जाओ।
Agar sari samsya ki jad Digvijaya ji the to bjp pichle 15 salon se hai to vo sab door kyu nhi kar di Bjp se jyada logo ko naukariyan Digvijaya ji ne dilwayi thi
2023 में तो ईवीएम में खेल हो गया वोटिंग के दिन ईवीएम की बैटरी 65 से 75% बैटरी थी जब काउंटिंग के समय ईवीएम लाई गई तो उसमें बैटरी 99% कैसे हुई ये आज भी सवाल है
Manniye DIGVIJAY SINGH sahab bade tension me lag rahe hai..gahara Sadma laga hai Loksabha election me .... Chinta mat karo mehnat karo.......CONGRESS haryana, J&K, MAHARASHTRA ME Jeet Rahi hai MP me bhi jitegi in future .....
Digvijay singh ji (sadkon ke gaddhon aour bijli gull , kisani thapp,bhukhmari,kuposan ,ashiksha,berojgari,ke sahashah) rajyapal banne ki chah poori nahin ho payegi,Jay jagannath ji, gaanth baandh lo mere ghotalebaaj mukhyamantri Nayak movie dobara dekh lo
2004 and 2009 me v EVM tha, Supreme court ko dhanyawad de rhe hai ye wahi supreme court hai jiske judge aur PM ke pooja pr comment aarha tha opposition se.
अदरणीय दॄगविजय सिह को मध्य प्रदेश की जनता-जनार्दन का श्राप लगा है मुख्य मंत्री काल का इशलिये काग्रेश बार बार मध्य प्रदेश से डूब ग ई यही हाल भजपा मोदी का भी होगा मध्य प्रदेश से भजपा जब डुबेगी तो कभी नही उठेगी भजपा न हिन्दू की न मुशलमान सिख ईशाई की भजपा चोर डकैत आमीर और भू मफियायो की है दॄग विजय सिह मुख्य मंत्री काल मे मध्य प्रदेश के जनता-जनार्दन के शाथ बहुत छल कपट अत्याचार किये है इशलिये मर रहे है काग्रेश भी काख रही है चोर नेताओ जनता-जनार्दन ही भगवान है धरती मे मिला देती है शब आमीर पन पिछवाड़े मे घुसेड़ देती है बहुत राजा न बनो नेताओ
To bhai wo hi to keh raha hai iske CM banne ke baad rajgarh mein kaam nahi hua aur fir bhi wahan ke log BJP ko vote dete rehte hain, wahan kisi sarkar hai pecchle 20 saal se!
bhai pichale 20 years mai bahut kaam hua hai ... iske tym pe water once a month Aata tha... Light 8 hours per day... ab ye sab issue nhi hai ..... Main roads sab thik ho gaye hai Higway sahi shandaar ho gaye hai .... Mohanpura dam ban gya hai bahut kuch hua hai 20 years mai... but bhaisaab bol rahe hai railway in hone approve kar k di... Gajab hai bhai kitna.... jhhuta Aadmi
@@SurendraSingh-ze9wh Chinta mat kar Digvijaya ka Rajkumar Jayavardhan kabhi CM nahin bana payega..usk rehte hue bhi..aur Jane ke baad bhi nahin..Samantwadi samapt ho gaye follwers reh gaye..
तूने मध्यप्रदेश में कांग्रेस को निपटाया अपनी सामन्त वादी सोच से कर्मी कल्चर लेकर पूरे मध्यप्रदेश के युवाओ का भविष्य चौपट किया था ठाकुरवादी विचारधारा को बढ़ावा दिया था 10 सालो में
To 20saalo m bjp ne kya kiya 4lakh cr karj liya or yuvaon ko berojgar bana diya jo bhi project h bus gujrat ja rhe h mp ne bjp ko bhar bhar k seets diye pr mp ko kya mila
दिग्विजय का पूर्वज कौन था: पुस्तक के अनुसार दिग्विजय के हाथों जो रियासत मिली एक "गरीब दास" नाम के सैनिक को अकबर ने दी थी। जब राजपुताना और मालवा के सभी क्षत्रिय राणा प्रताप के साथ हो रहे थे, गरीब दास अकबर के पास चला गया। अकबर ने उसकी सेवा से प्रसन्न होकर मालवा के सूबेदार को हुक्म भेजा की गरीब दास को एक परगना यानि पांच गाँव दे दिए जाएँ। गरीब दास की मौत के बाद उसके पुत्र "बलवंत सिंह (1770 -1797)" ने इसवी 1777 में बसंत पंचमी के दिन एक गढ़ी की नींव रखी और उसका नाम अपने कुल देवता "राघोजी" के नाम पर "राघोगढ़" रख दिया था। कर्नल टाड के इतिहास के अनुसार बलवंत सिंह ने 1797 तक राज किया और अंग्रेजों से दोस्ती बढ़ाई। जब सन 1778 में प्रथम मराठा युद्ध हुआ तो बलवंत सिंह ने अंग्रेजी फ़ौज की मदद की थी। इसका उल्लेख जनरल Gadred ने "Section from State Papers, Maratha Volume I Page 204 में किया है। बलवंत सिंह की इस सेवा के बदले कम्पनी सरकार ने Captain fielding की तरफ से बलदेव सिंह को पत्र भेजा, जिसमे लिखा था कंपनी बहादुर की तरफ से यह परगना जो बालामेट में है, उसका किला राघोगढ़ तुम्हें प्रदान किया जाता है और उसके साथ के गावों को अपना राज्य समझो। यदि सिंधिया सरकार किसी प्रकार का दखल करे तो इसकी सूचना मुझे दो... बाद में जब 1818 में बलवंत सिंह का नाती अजीत सिंह (1818 -1857) गद्दी पर बैठा तो अंगरेजों के प्रति विद्रोह होने लगे था, अजीत सिंह ने ग्वालियर के रेजिडेंट को पत्र भेजा कि, आजकल महाराज सिंधिया बगावत की तैयारी कर रहे हैं। उनके साथ झाँसी और दूसरी रियासत के राजा भी बगावत का झंडा खड़ा कर रहे हैं। इसलिए इन बागियों को सजा देने के लिए जल्दी से अंग्रेजी फ़ौज भेजिए, उस पत्र का जवाब गवालियर के रेजिडेंट A. Sepoyrs ने इस तरह दिया "आप कंपनी की फ़ौज की मदद करो और बागियों साथ नहीं दो। आप हमारे दोस्त हो, अगर सिंधिया फ़ौज भेजे तो उस से युद्ध करो। कंपनी की फ़ौज निकल चुकी है।" लेकिन सन 1856 में एक दुर्घटना में अजीत सिंह की मौत हो गयी। उसके बाद 1857 में उसका लड़का "जय मंगल सिंह "(1857-1900) गद्दी पर बैठा। इसके बाद "विक्रमजीत सिंह" राजा बना (1900 -1902)। लेकिन अंग्रेज किसी कारण से उस से नाराज हो गए और उसे गद्दी से उतार सिरोंज परिवार के एक युवक "मदरूप सिंह" को राजा बना दिया जिसका नाम "बहादुर सिंह" रख दिया गया (1902 -1945)। अंग्रेजों की इस मेहरबानी के लिए बहादुर सिंह ने अंग्रेजी सरकार का धन्यवाद दिया और कहा "मैं वाइसराय का आभारी हूँ। मैं वादा करता हूँ कि सरकार का वफादार रहूँगा। मेरी यही इच्छा है कि अंग्रेजी सरकार के लिए लड़ते हुए ही मेरी जान निकल जाये।"
इसी अंग्रेज भक्त गद्दार का लड़का "बलभद्र सिंह" हुआ जो दिग्विजय का बाप है। बलभद्र का जन्म 1914 में हुआ था और इसके बेटे दिग्विजय का जन्म 28 फरवरी 1947 को इन्दौर में हुआ था। बलभद्र सिंह ने मध्य भारत (पूर्व मध्य प्रदेश) की विधान सभा का चुनाव हिन्दू महासभा की सीट से लड़ा था और कांग्रेस के उम्मीदवार जादव को हराया था। सन 1969 में दिग्विजय ने भी नगर पालिका चुनाव कांग्रेस के विरुद्ध लड़ा था और जीत कर अध्यक्ष बन गया था। लेकिन इमरजेंसी के दौरान गिरफ्तारी से बचने लिए जब दिग्विजय अपने समधी "अर्जुन सिंह" के पास गया तो उसने कांग्रस में आने की सलाह दी और कहा यदि जागीर बचाना है तो कांग्रेस में आ जाओ।
@@SurendraSingh-ze9wh हार की बौखलाहट साफ दिखाई दे रही हे दिग्गी जीवन में भी अब चुनाव नही जीतेगा और रही बात जयवर्धन की बो आपकी बार विधान सभा चुनाव हारेगा लिख के लेलो अभी इस साल बस थोड़े वोट से जीत गया हारते हारते बचा है
दिग्गी राजा जो भी चुनाव हारे या जीते पार्टी के प्रति समर्पित नेता है!..... मैं बिहार से हूं लेकीन मैं दिग्गी राजा से काफी प्रभावित हूं उनकी कमिटमेंट को लेकर! रही बात काला कलूटा कालिया कमलनाथ की ये हमेशा मुझे बकचोद नेता लगा! इसके पास कोई राजनीतिक समझ नही है! रही बात जीतू पटवारी की वो बहुत अच्छा करेगा ये मेरा पूर्ण विश्वास है एमपी के लिए जीतू अगला रेवंथ रेड्डी बनेगा
आपने दस साल के शासन में मध्य प्रदेश की दुर्दशा कर दी थी, बिजली न मिलने के कारण रात भर जागना पड़ता था, सोने के लिए दिन में गांव में पेड़ों की छांव में जाना होता था। सड़कें बिल्कुल खत्म हो गई थी।
दिग्विजय का पूर्वज कौन था: पुस्तक के अनुसार दिग्विजय के हाथों जो रियासत मिली एक "गरीब दास" नाम के सैनिक को अकबर ने दी थी। जब राजपुताना और मालवा के सभी क्षत्रिय राणा प्रताप के साथ हो रहे थे, गरीब दास अकबर के पास चला गया। अकबर ने उसकी सेवा से प्रसन्न होकर मालवा के सूबेदार को हुक्म भेजा की गरीब दास को एक परगना यानि पांच गाँव दे दिए जाएँ। गरीब दास की मौत के बाद उसके पुत्र "बलवंत सिंह (1770 -1797)" ने इसवी 1777 में बसंत पंचमी के दिन एक गढ़ी की नींव रखी और उसका नाम अपने कुल देवता "राघोजी" के नाम पर "राघोगढ़" रख दिया था। कर्नल टाड के इतिहास के अनुसार बलवंत सिंह ने 1797 तक राज किया और अंग्रेजों से दोस्ती बढ़ाई। जब सन 1778 में प्रथम मराठा युद्ध हुआ तो बलवंत सिंह ने अंग्रेजी फ़ौज की मदद की थी। इसका उल्लेख जनरल Gadred ने "Section from State Papers, Maratha Volume I Page 204 में किया है। बलवंत सिंह की इस सेवा के बदले कम्पनी सरकार ने Captain fielding की तरफ से बलदेव सिंह को पत्र भेजा, जिसमे लिखा था कंपनी बहादुर की तरफ से यह परगना जो बालामेट में है, उसका किला राघोगढ़ तुम्हें प्रदान किया जाता है और उसके साथ के गावों को अपना राज्य समझो। यदि सिंधिया सरकार किसी प्रकार का दखल करे तो इसकी सूचना मुझे दो... बाद में जब 1818 में बलवंत सिंह का नाती अजीत सिंह (1818 -1857) गद्दी पर बैठा तो अंगरेजों के प्रति विद्रोह होने लगे था, अजीत सिंह ने ग्वालियर के रेजिडेंट को पत्र भेजा कि, आजकल महाराज सिंधिया बगावत की तैयारी कर रहे हैं। उनके साथ झाँसी और दूसरी रियासत के राजा भी बगावत का झंडा खड़ा कर रहे हैं। इसलिए इन बागियों को सजा देने के लिए जल्दी से अंग्रेजी फ़ौज भेजिए, उस पत्र का जवाब गवालियर के रेजिडेंट A. Sepoyrs ने इस तरह दिया "आप कंपनी की फ़ौज की मदद करो और बागियों साथ नहीं दो। आप हमारे दोस्त हो, अगर सिंधिया फ़ौज भेजे तो उस से युद्ध करो। कंपनी की फ़ौज निकल चुकी है।" लेकिन सन 1856 में एक दुर्घटना में अजीत सिंह की मौत हो गयी। उसके बाद 1857 में उसका लड़का "जय मंगल सिंह "(1857-1900) गद्दी पर बैठा। इसके बाद "विक्रमजीत सिंह" राजा बना (1900 -1902)। लेकिन अंग्रेज किसी कारण से उस से नाराज हो गए और उसे गद्दी से उतार सिरोंज परिवार के एक युवक "मदरूप सिंह" को राजा बना दिया जिसका नाम "बहादुर सिंह" रख दिया गया (1902 -1945)। अंग्रेजों की इस मेहरबानी के लिए बहादुर सिंह ने अंग्रेजी सरकार का धन्यवाद दिया और कहा "मैं वाइसराय का आभारी हूँ। मैं वादा करता हूँ कि सरकार का वफादार रहूँगा। मेरी यही इच्छा है कि अंग्रेजी सरकार के लिए लड़ते हुए ही मेरी जान निकल जाये।"
इसी अंग्रेज भक्त गद्दार का लड़का "बलभद्र सिंह" हुआ जो दिग्विजय का बाप है। बलभद्र का जन्म 1914 में हुआ था और इसके बेटे दिग्विजय का जन्म 28 फरवरी 1947 को इन्दौर में हुआ था। बलभद्र सिंह ने मध्य भारत (पूर्व मध्य प्रदेश) की विधान सभा का चुनाव हिन्दू महासभा की सीट से लड़ा था और कांग्रेस के उम्मीदवार जादव को हराया था। सन 1969 में दिग्विजय ने भी नगर पालिका चुनाव कांग्रेस के विरुद्ध लड़ा था और जीत कर अध्यक्ष बन गया था। लेकिन इमरजेंसी के दौरान गिरफ्तारी से बचने लिए जब दिग्विजय अपने समधी "अर्जुन सिंह" के पास गया तो उसने कांग्रस में आने की सलाह दी और कहा यदि जागीर बचाना है तो कांग्रेस में आ जाओ।
मध्यप्रदेश की हालात पर स्पष्ट और सत्य वक्तव्य है दिग्विजय सिंह जी का। मध्यप्रदेश सरकार कर्ज करप्शन क्राइम में लिप्त है।
शानदार इंटरव्यू 🎉🎉
चुनाव आयोग ने बुलाया कोई भी आकार evm हेक केसे हो सकती है बताए तब आप सोए हुए थे मीडिया में ज्ञान पेल रहे हैं लोकसभा चुनाव अपने ग्रह क्षेत्र से हारे आप अब सालो का आंकलन कर रहे हों आप 😅
सत्य वचन
Very fair analysis chankyaji
क्यों आचार्य चाणक्य की बेइज्जती कर रहे हों 🤣🤣
पत्रकार महोदय आप सावधान रहिएगा दिग्विजय जी पत्रकारों पर विशेष ध्यान देते है। पूर्व में भी उदाहरण मिला हैं😂
Batteries expired hai
😊😊😊😊😊😊😅😅😅😅😅🎉
😂😂
आउट सोर्स प्रथा बंद हो
ईवीएम मशीनों को तत्काल बंद कर देना चाहिए पर यह करेगा कोन? क्या कांग्रेस को चुनाव का बहिष्कार करना चाहिए.?
Right bol rahe h
Digvijay g zindabaad congress zindabaad
Digii raja jindabaad
Jai Hind Doston
My favorite leader
दिग्विजय का पूर्वज कौन था:
पुस्तक के अनुसार दिग्विजय के हाथों जो रियासत मिली एक "गरीब दास" नाम के सैनिक को अकबर ने दी थी। जब राजपुताना और मालवा के सभी क्षत्रिय राणा प्रताप के साथ हो रहे थे, गरीब दास अकबर के पास चला गया। अकबर ने उसकी सेवा से प्रसन्न होकर मालवा के सूबेदार को हुक्म भेजा की गरीब दास को एक परगना यानि पांच गाँव दे दिए जाएँ। गरीब दास की मौत के बाद उसके पुत्र "बलवंत सिंह (1770 -1797)" ने इसवी 1777 में बसंत पंचमी के दिन एक गढ़ी की नींव रखी और उसका नाम अपने कुल देवता "राघोजी" के नाम पर "राघोगढ़" रख दिया था।
कर्नल टाड के इतिहास के अनुसार बलवंत सिंह ने 1797 तक राज किया और अंग्रेजों से दोस्ती बढ़ाई। जब सन 1778 में प्रथम मराठा युद्ध हुआ तो बलवंत सिंह ने अंग्रेजी फ़ौज की मदद की थी।
इसका उल्लेख जनरल Gadred ने "Section from State Papers, Maratha Volume I Page 204 में किया है। बलवंत सिंह की इस सेवा के बदले कम्पनी सरकार ने Captain fielding की तरफ से बलदेव सिंह को पत्र भेजा, जिसमे लिखा था कंपनी बहादुर की तरफ से यह परगना जो बालामेट में है, उसका किला राघोगढ़ तुम्हें प्रदान किया जाता है और उसके साथ के गावों को अपना राज्य समझो। यदि सिंधिया सरकार किसी प्रकार का दखल करे तो इसकी सूचना मुझे दो...
बाद में जब 1818 में बलवंत सिंह का नाती अजीत सिंह (1818 -1857) गद्दी पर बैठा तो अंगरेजों के प्रति विद्रोह होने लगे था, अजीत सिंह ने ग्वालियर के रेजिडेंट को पत्र भेजा कि, आजकल महाराज सिंधिया बगावत की तैयारी कर रहे हैं। उनके साथ झाँसी और दूसरी रियासत के राजा भी बगावत का झंडा खड़ा कर रहे हैं। इसलिए इन बागियों को सजा देने के लिए जल्दी से अंग्रेजी फ़ौज भेजिए, उस पत्र का जवाब गवालियर के रेजिडेंट A. Sepoyrs ने इस तरह दिया "आप कंपनी की फ़ौज की मदद करो और बागियों साथ नहीं दो। आप हमारे दोस्त हो, अगर सिंधिया फ़ौज भेजे तो उस से युद्ध करो। कंपनी की फ़ौज निकल चुकी है।"
लेकिन सन 1856 में एक दुर्घटना में अजीत सिंह की मौत हो गयी। उसके बाद 1857 में उसका लड़का "जय मंगल सिंह "(1857-1900) गद्दी पर बैठा। इसके बाद "विक्रमजीत सिंह" राजा बना (1900 -1902)। लेकिन अंग्रेज किसी कारण से उस से नाराज हो गए और उसे गद्दी से उतार सिरोंज परिवार के एक युवक "मदरूप सिंह" को राजा बना दिया जिसका नाम "बहादुर सिंह" रख दिया गया (1902 -1945)। अंग्रेजों की इस मेहरबानी के लिए बहादुर सिंह ने अंग्रेजी सरकार का धन्यवाद दिया और कहा "मैं वाइसराय का आभारी हूँ। मैं वादा करता हूँ कि सरकार का वफादार रहूँगा। मेरी यही इच्छा है कि अंग्रेजी सरकार के लिए लड़ते हुए ही मेरी जान निकल जाये।"
इसी अंग्रेज भक्त गद्दार का लड़का "बलभद्र सिंह" हुआ जो दिग्विजय का बाप है। बलभद्र का जन्म 1914 में हुआ था और इसके बेटे दिग्विजय का जन्म 28 फरवरी 1947 को इन्दौर में हुआ था।
बलभद्र सिंह ने मध्य भारत (पूर्व मध्य प्रदेश) की विधान सभा का चुनाव हिन्दू महासभा की सीट से लड़ा था और कांग्रेस के उम्मीदवार जादव को हराया था। सन 1969 में दिग्विजय ने भी नगर पालिका चुनाव कांग्रेस के विरुद्ध लड़ा था और जीत कर अध्यक्ष बन गया था।
लेकिन इमरजेंसी के दौरान गिरफ्तारी से बचने लिए जब दिग्विजय अपने समधी "अर्जुन सिंह" के पास गया तो उसने कांग्रस में आने की सलाह दी और कहा यदि जागीर बचाना है तो कांग्रेस में आ जाओ।
Agar sari samsya ki jad Digvijaya ji the to bjp pichle 15 salon se hai to vo sab door kyu nhi kar di
Bjp se jyada logo ko naukariyan Digvijaya ji ne dilwayi thi
Ha aur kai department band bhi kiye the jaise bus parivahan etc
Faltu cm the ye road kharab bijli gayab inke naam se log darte hai
आप लोग छः महीने पहले महिलाओं को, पन्द्रह सौ,देने का वादा नहीं करते तो,भाजपा कभी नही देती
शिवराज सिंह चौहान ने २८ जनवरी २०२३ को ही लाडली बहन योजना चालु कर दी थी।।
स्पष्ट वादी राजा साहब की जय-जयकार
2023 में तो ईवीएम में खेल हो गया
वोटिंग के दिन ईवीएम की बैटरी 65 से 75% बैटरी थी जब काउंटिंग के समय ईवीएम लाई गई तो उसमें बैटरी 99% कैसे हुई ये आज भी सवाल है
🎉🎉
Mp ki Aaj ki halat sub se khraab h isme koi sak nhi h 20saalo m bjp k kuch logo ka hi bhala hua h
Diggi raja the true politician
Uss samay sirf mp me bss bijli ki samsya nhi thi poore desh me aisa hi tha
Ye kese har hamare Rajgarh se Vishwas Nahin hota😮😮
Manniye DIGVIJAY SINGH sahab bade tension me lag rahe hai..gahara
Sadma laga hai Loksabha election me .... Chinta mat karo mehnat karo.......CONGRESS haryana, J&K, MAHARASHTRA ME Jeet Rahi hai MP me bhi jitegi in future .....
Ban Evm save Democracy
कमलनाथ हमेशा आरएसएस सपोर्टिव रहेंगे जब तक एमपी में मठाधीशों का कांग्रेस हटाएगि नही तब तक यही होगा
Digvijay singh ji (sadkon ke gaddhon aour bijli gull , kisani thapp,bhukhmari,kuposan ,ashiksha,berojgari,ke sahashah) rajyapal banne ki chah poori nahin ho payegi,Jay jagannath ji, gaanth baandh lo mere ghotalebaaj mukhyamantri Nayak movie dobara dekh lo
2004 and 2009 me v EVM tha, Supreme court ko dhanyawad de rhe hai ye wahi supreme court hai jiske judge aur PM ke pooja pr comment aarha tha opposition se.
दिग्गी राजा ❤
अदरणीय दॄगविजय सिह को मध्य प्रदेश की जनता-जनार्दन का श्राप लगा है मुख्य मंत्री काल का इशलिये काग्रेश बार बार मध्य प्रदेश से डूब ग ई यही हाल भजपा मोदी का भी होगा मध्य प्रदेश से भजपा जब डुबेगी तो कभी नही उठेगी भजपा न हिन्दू की न मुशलमान सिख ईशाई की भजपा चोर डकैत आमीर और भू मफियायो की है दॄग विजय सिह मुख्य मंत्री काल मे मध्य प्रदेश के जनता-जनार्दन के शाथ बहुत छल कपट अत्याचार किये है इशलिये मर रहे है काग्रेश भी काख रही है चोर नेताओ जनता-जनार्दन ही भगवान है धरती मे मिला देती है शब आमीर पन पिछवाड़े मे घुसेड़ देती है बहुत राजा न बनो नेताओ
नेता और मीडिया दलवदल पर जोर कयों देते है खासकर जो दल बदलुओं पर भरोषा कर लेते है जवकी बो खुद अपनी विश्वसनीयता खो आया हो
Not retiring
Jo kaha sahi kaha raja shab ki jai ho
EVM pr sabko dout h
Bhai mene dhekhe h pure k pure ballot paper hijack hute huwe Congress k time mei 😂😂
, इस, व्यक्ति,m.p,ki,,kya,, दुर्दशा,की,थी,सभी,जानते,है,
voh rss k dalo ne ki hai isne toh vikas krvaya tha rss jaise dusre atanki sangadhan simi par ban lgaya tha
Main Rajgarh district doesn't have a railway station of its own.... biaora se train jati h....kam kam se ab to sach bol le bhai
To bhai wo hi to keh raha hai iske CM banne ke baad rajgarh mein kaam nahi hua aur fir bhi wahan ke log BJP ko vote dete rehte hain, wahan kisi sarkar hai pecchle 20 saal se!
bhai pichale 20 years mai bahut kaam hua hai ... iske tym pe water once a month Aata tha... Light 8 hours per day... ab ye sab issue nhi hai ..... Main roads sab thik ho gaye hai Higway sahi shandaar ho gaye hai .... Mohanpura dam ban gya hai bahut kuch hua hai 20 years mai... but bhaisaab bol rahe hai railway in hone approve kar k di... Gajab hai bhai kitna.... jhhuta Aadmi
इतना डरे डरे क्यों हैं मैडम?
Digvijay ki history padh li sayad 😂
नकली राजा
Mr. Bantdahar
Aisa Lagta Hai ki Banta Dhal karne mein,,, ..ka
Hath hai
दिग्गी राजा मध्य प्रदेश के कद्दावर नेता है परंतु इनकी मुस्लिम प्रेम की नीति और अक्सर जुबान फिसलने के कारण आज सत्ता से कोसों दूर जा चुके है !!!!
श्रीमान बंटाधार तुम कांग्रेस छोड़ दो नहीं तो कांग्रेस कभी नहीं आएगी प्रदेश में।
पहले आरक्षण ले ले फिर बोल के बताना बंता डा ल
@@SurendraSingh-ze9wh Chinta mat kar Digvijaya ka Rajkumar Jayavardhan kabhi CM nahin bana payega..usk rehte hue bhi..aur Jane ke baad bhi nahin..Samantwadi samapt ho gaye follwers reh gaye..
Aapke to sasur ji hai
Sahab Aap retirement lelo 🙏🏻Congress Sarkar Banjaegi
कौन अपनी पार्टी में लेगा इस बंटाधार बुढ़ऊ को इसने प्रदेश का नाश कर रखा था वर्ग विशेष की राजनीति करते हैं बस
Desh main congress superhit 102 or india 237 or hariyana main congress ek tarpha jeet rahi hai
तूने मध्यप्रदेश में कांग्रेस को निपटाया अपनी सामन्त वादी सोच से कर्मी कल्चर लेकर पूरे मध्यप्रदेश के युवाओ का भविष्य चौपट किया था ठाकुरवादी विचारधारा को बढ़ावा दिया था 10 सालो में
To 20saalo m bjp ne kya kiya 4lakh cr karj liya or yuvaon ko berojgar bana diya jo bhi project h bus gujrat ja rhe h mp ne bjp ko bhar bhar k seets diye pr mp ko kya mila
@@ManishSingh-i3hव्यापम का पूछो उसे।।।
Jaivardhan ko tayar kar raha hai CM banane ke liye.
Jab tak e v m hai parinam aisa hi rahega e v m hatao desh bachao
Digvijay.uncal.ji.kaha.rahi.hai.M.P.ko.lute.khashot.kar.aap.barbad.kAR.dthis.10.yeagovt.maya.I.T.senter.ko.Aap.nAya.indor.mAya.nahi.honion.dI.
Isne bebkoofi se MP me congress ko duba diya😮😮😮😮😮😮
कांग्रेस साफ कर दी अब बचा क्या है 😄देश से दूसरे कर रहे हैं
saaf toh bjp ho rhi hai aur rss jaise atanki sangadhan
राजा साहब जिंदाबाद
दिग्विजय का पूर्वज कौन था:
पुस्तक के अनुसार दिग्विजय के हाथों जो रियासत मिली एक "गरीब दास" नाम के सैनिक को अकबर ने दी थी। जब राजपुताना और मालवा के सभी क्षत्रिय राणा प्रताप के साथ हो रहे थे, गरीब दास अकबर के पास चला गया। अकबर ने उसकी सेवा से प्रसन्न होकर मालवा के सूबेदार को हुक्म भेजा की गरीब दास को एक परगना यानि पांच गाँव दे दिए जाएँ। गरीब दास की मौत के बाद उसके पुत्र "बलवंत सिंह (1770 -1797)" ने इसवी 1777 में बसंत पंचमी के दिन एक गढ़ी की नींव रखी और उसका नाम अपने कुल देवता "राघोजी" के नाम पर "राघोगढ़" रख दिया था।
कर्नल टाड के इतिहास के अनुसार बलवंत सिंह ने 1797 तक राज किया और अंग्रेजों से दोस्ती बढ़ाई। जब सन 1778 में प्रथम मराठा युद्ध हुआ तो बलवंत सिंह ने अंग्रेजी फ़ौज की मदद की थी।
इसका उल्लेख जनरल Gadred ने "Section from State Papers, Maratha Volume I Page 204 में किया है। बलवंत सिंह की इस सेवा के बदले कम्पनी सरकार ने Captain fielding की तरफ से बलदेव सिंह को पत्र भेजा, जिसमे लिखा था कंपनी बहादुर की तरफ से यह परगना जो बालामेट में है, उसका किला राघोगढ़ तुम्हें प्रदान किया जाता है और उसके साथ के गावों को अपना राज्य समझो। यदि सिंधिया सरकार किसी प्रकार का दखल करे तो इसकी सूचना मुझे दो...
बाद में जब 1818 में बलवंत सिंह का नाती अजीत सिंह (1818 -1857) गद्दी पर बैठा तो अंगरेजों के प्रति विद्रोह होने लगे था, अजीत सिंह ने ग्वालियर के रेजिडेंट को पत्र भेजा कि, आजकल महाराज सिंधिया बगावत की तैयारी कर रहे हैं। उनके साथ झाँसी और दूसरी रियासत के राजा भी बगावत का झंडा खड़ा कर रहे हैं। इसलिए इन बागियों को सजा देने के लिए जल्दी से अंग्रेजी फ़ौज भेजिए, उस पत्र का जवाब गवालियर के रेजिडेंट A. Sepoyrs ने इस तरह दिया "आप कंपनी की फ़ौज की मदद करो और बागियों साथ नहीं दो। आप हमारे दोस्त हो, अगर सिंधिया फ़ौज भेजे तो उस से युद्ध करो। कंपनी की फ़ौज निकल चुकी है।"
लेकिन सन 1856 में एक दुर्घटना में अजीत सिंह की मौत हो गयी। उसके बाद 1857 में उसका लड़का "जय मंगल सिंह "(1857-1900) गद्दी पर बैठा। इसके बाद "विक्रमजीत सिंह" राजा बना (1900 -1902)। लेकिन अंग्रेज किसी कारण से उस से नाराज हो गए और उसे गद्दी से उतार सिरोंज परिवार के एक युवक "मदरूप सिंह" को राजा बना दिया जिसका नाम "बहादुर सिंह" रख दिया गया (1902 -1945)। अंग्रेजों की इस मेहरबानी के लिए बहादुर सिंह ने अंग्रेजी सरकार का धन्यवाद दिया और कहा "मैं वाइसराय का आभारी हूँ। मैं वादा करता हूँ कि सरकार का वफादार रहूँगा। मेरी यही इच्छा है कि अंग्रेजी सरकार के लिए लड़ते हुए ही मेरी जान निकल जाये।"
इसी अंग्रेज भक्त गद्दार का लड़का "बलभद्र सिंह" हुआ जो दिग्विजय का बाप है। बलभद्र का जन्म 1914 में हुआ था और इसके बेटे दिग्विजय का जन्म 28 फरवरी 1947 को इन्दौर में हुआ था।
बलभद्र सिंह ने मध्य भारत (पूर्व मध्य प्रदेश) की विधान सभा का चुनाव हिन्दू महासभा की सीट से लड़ा था और कांग्रेस के उम्मीदवार जादव को हराया था। सन 1969 में दिग्विजय ने भी नगर पालिका चुनाव कांग्रेस के विरुद्ध लड़ा था और जीत कर अध्यक्ष बन गया था।
लेकिन इमरजेंसी के दौरान गिरफ्तारी से बचने लिए जब दिग्विजय अपने समधी "अर्जुन सिंह" के पास गया तो उसने कांग्रस में आने की सलाह दी और कहा यदि जागीर बचाना है तो कांग्रेस में आ जाओ।
Feku bandh kat
दिग्गी जी आप तो सारे चुनाव हर रहे हो तो अपनी हार आप केसे पचा रहे है
तुम आ जाओमैदान में अब तुम्हेंलड़ेंगे चुनाव
@@SurendraSingh-ze9wh हार की बौखलाहट साफ दिखाई दे रही हे दिग्गी जीवन में भी अब चुनाव नही जीतेगा और रही बात जयवर्धन की बो आपकी बार विधान सभा चुनाव हारेगा लिख के लेलो अभी इस साल बस थोड़े वोट से जीत गया हारते हारते बचा है
दिग्गी राजा जो भी चुनाव हारे या जीते पार्टी के प्रति समर्पित नेता है!..... मैं बिहार से हूं लेकीन मैं दिग्गी राजा से काफी प्रभावित हूं उनकी कमिटमेंट को लेकर!
रही बात काला कलूटा कालिया कमलनाथ की ये हमेशा मुझे बकचोद नेता लगा! इसके पास कोई राजनीतिक समझ नही है!
रही बात जीतू पटवारी की वो बहुत अच्छा करेगा ये मेरा पूर्ण विश्वास है एमपी के लिए जीतू अगला रेवंथ रेड्डी बनेगा
आपने दस साल के शासन में मध्य प्रदेश की दुर्दशा कर दी थी, बिजली न मिलने के कारण रात भर जागना पड़ता था, सोने के लिए दिन में गांव में पेड़ों की छांव में जाना होता था। सड़कें बिल्कुल खत्म हो गई थी।
Raja sahab jindabad
दिग्विजय का पूर्वज कौन था:
पुस्तक के अनुसार दिग्विजय के हाथों जो रियासत मिली एक "गरीब दास" नाम के सैनिक को अकबर ने दी थी। जब राजपुताना और मालवा के सभी क्षत्रिय राणा प्रताप के साथ हो रहे थे, गरीब दास अकबर के पास चला गया। अकबर ने उसकी सेवा से प्रसन्न होकर मालवा के सूबेदार को हुक्म भेजा की गरीब दास को एक परगना यानि पांच गाँव दे दिए जाएँ। गरीब दास की मौत के बाद उसके पुत्र "बलवंत सिंह (1770 -1797)" ने इसवी 1777 में बसंत पंचमी के दिन एक गढ़ी की नींव रखी और उसका नाम अपने कुल देवता "राघोजी" के नाम पर "राघोगढ़" रख दिया था।
कर्नल टाड के इतिहास के अनुसार बलवंत सिंह ने 1797 तक राज किया और अंग्रेजों से दोस्ती बढ़ाई। जब सन 1778 में प्रथम मराठा युद्ध हुआ तो बलवंत सिंह ने अंग्रेजी फ़ौज की मदद की थी।
इसका उल्लेख जनरल Gadred ने "Section from State Papers, Maratha Volume I Page 204 में किया है। बलवंत सिंह की इस सेवा के बदले कम्पनी सरकार ने Captain fielding की तरफ से बलदेव सिंह को पत्र भेजा, जिसमे लिखा था कंपनी बहादुर की तरफ से यह परगना जो बालामेट में है, उसका किला राघोगढ़ तुम्हें प्रदान किया जाता है और उसके साथ के गावों को अपना राज्य समझो। यदि सिंधिया सरकार किसी प्रकार का दखल करे तो इसकी सूचना मुझे दो...
बाद में जब 1818 में बलवंत सिंह का नाती अजीत सिंह (1818 -1857) गद्दी पर बैठा तो अंगरेजों के प्रति विद्रोह होने लगे था, अजीत सिंह ने ग्वालियर के रेजिडेंट को पत्र भेजा कि, आजकल महाराज सिंधिया बगावत की तैयारी कर रहे हैं। उनके साथ झाँसी और दूसरी रियासत के राजा भी बगावत का झंडा खड़ा कर रहे हैं। इसलिए इन बागियों को सजा देने के लिए जल्दी से अंग्रेजी फ़ौज भेजिए, उस पत्र का जवाब गवालियर के रेजिडेंट A. Sepoyrs ने इस तरह दिया "आप कंपनी की फ़ौज की मदद करो और बागियों साथ नहीं दो। आप हमारे दोस्त हो, अगर सिंधिया फ़ौज भेजे तो उस से युद्ध करो। कंपनी की फ़ौज निकल चुकी है।"
लेकिन सन 1856 में एक दुर्घटना में अजीत सिंह की मौत हो गयी। उसके बाद 1857 में उसका लड़का "जय मंगल सिंह "(1857-1900) गद्दी पर बैठा। इसके बाद "विक्रमजीत सिंह" राजा बना (1900 -1902)। लेकिन अंग्रेज किसी कारण से उस से नाराज हो गए और उसे गद्दी से उतार सिरोंज परिवार के एक युवक "मदरूप सिंह" को राजा बना दिया जिसका नाम "बहादुर सिंह" रख दिया गया (1902 -1945)। अंग्रेजों की इस मेहरबानी के लिए बहादुर सिंह ने अंग्रेजी सरकार का धन्यवाद दिया और कहा "मैं वाइसराय का आभारी हूँ। मैं वादा करता हूँ कि सरकार का वफादार रहूँगा। मेरी यही इच्छा है कि अंग्रेजी सरकार के लिए लड़ते हुए ही मेरी जान निकल जाये।"
इसी अंग्रेज भक्त गद्दार का लड़का "बलभद्र सिंह" हुआ जो दिग्विजय का बाप है। बलभद्र का जन्म 1914 में हुआ था और इसके बेटे दिग्विजय का जन्म 28 फरवरी 1947 को इन्दौर में हुआ था।
बलभद्र सिंह ने मध्य भारत (पूर्व मध्य प्रदेश) की विधान सभा का चुनाव हिन्दू महासभा की सीट से लड़ा था और कांग्रेस के उम्मीदवार जादव को हराया था। सन 1969 में दिग्विजय ने भी नगर पालिका चुनाव कांग्रेस के विरुद्ध लड़ा था और जीत कर अध्यक्ष बन गया था।
लेकिन इमरजेंसी के दौरान गिरफ्तारी से बचने लिए जब दिग्विजय अपने समधी "अर्जुन सिंह" के पास गया तो उसने कांग्रस में आने की सलाह दी और कहा यदि जागीर बचाना है तो कांग्रेस में आ जाओ।
No. Like. Dugi
Aur jis state me Jeet jaate ho waha ka kya ??