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Excellent prononciation by shree t s ranganathan .காதில் ஒலித்துக்கொண்டே இருக்கின்றது. வாழ்க பல்லாண்டு
Oiii
Om sri maatre namah.🙏🙏🙏
Thanks!
Thanks
Om namo bhagavate vasudevaya
Excellent recitation 🙏🙏
ఓం శ్రీ మాత్రే నమ :🙏🙏🙏🙏🙏
😍l!
Exquisite sloka..we need Her blessings..
Nice to hear. Such a nice stothra
जोशीजय लक्ष्मी माँ
Excellent video, thank you.
Calm music
It has helped me pronounce the difficult words easily
Very perfect pronunciation. I had an opportunity to listen to Mantra matrika pushpamala recited by you. It is heart touching. I request to upload the Rajarajeshwari Mantra matri ka stavam (Kalyanadhika poornachandra vadana) also.
Om Sri Matrey Namah
I guess Im kinda off topic but does anyone know a good place to watch new series online?
@Zane Zakai lately I have been using flixzone. Just google for it :)
@Zane Zakai try flixzone. Just search on google for it :)
P
Divine voice
Nice
अभ्यासाति शयज्ञाता, षडध्वातीत रूपिणी ।अव्याज करुणामूर्ति, रज्ञानध्वान्त दीपिका ॥ 181 ॥आबालगोप विदिता, सर्वानुल्लङ्घ्य शासना ।श्री चक्रराजनिलया, श्रीमत्त्रिपुर सुन्दरी ॥ 182 ॥श्री शिवा, शिवशक्त्यैक्य रूपिणी, ललिताम्बिका ।एवं श्रीललितादेव्या नाम्नां साहस्रकं जगुः ॥ 183 ॥॥ इति श्री ब्रह्माण्डपुराणे, उत्तरखण्डे, श्री हयग्रीवागस्त्य संवादे,श्रीललितारहस्यनाम स्तोत्र कथनं सम्पूर्णम्
0nly person who recited entire sloka without any mistake like others🙏
Kankadarastotram
Excellent thank you 🙏🏼 please add dhyanam 🙏🏼🙏🏼
Good explanation
Duracharashamini is one word
Please upload Shiva sahasrnamam in Tamil lyrics with titles just like Lalitha sahasrnamam by T S Ranganathan
🙏🏻🙏🏻🙏🏻
॥ न्यासः ॥अस्य श्री ललिता सहस्रनाम स्तोत्र माला मन्त्रस्य ।वशिन्यादिवाग्देवता ऋषयः ।अनुष्टुप् छन्दः अनुष्टुप् ।श्रीललितापरमेश्वरी देवता ।श्रीमद्वाग्भवकूटेति बीजम् ।बीजम्मध्यकूटेति शक्तिः ।शक्तिकूटेति कीलकम् ।कीलकम्श्रीललितामहात्रिपुरसुन्दरी -प्रसादसिद्धिद्वाराचिन्तितफलावाप्त्यर्थे जपे विनियोगः ।॥ ध्यानम् ॥सिन्दूरारुण विग्रहां त्रिनयनां माणिक्यमौलि स्फुरत्तारा नायक शेखरां स्मितमुखी मापीन वक्षोरुहाम् ।पाणिभ्यामलिपूर्ण रत्न चषकं रक्तोत्पलं बिभ्रतींसौम्यां रत्न घटस्थ रक्तचरणां ध्यायेत् परामम्बिकाम् ॥अरुणां करुणा तरङ्गिताक्षींधृत पाशाङ्कुश पुष्प बाणचापाम् ।बाणचापाम्अणिमादिभि रावृतां मयूखै -रहमित्येव विभावये भवानीम् ॥ध्यायेत् पद्मासनस्थां ध्यायेत् पद्मासनस्थांविकसितवदनां पद्मपत्रायताक्षींहेमाभां पीतवस्त्रां करकलितलसद्धेमपद्मां वराङ्गीम् ।वराङ्गीम्सर्वालङ्कार युक्तां सतत मभयदां भक्तनम्रां भवानींश्रीविद्यां शान्त मूर्तिं सकल सुरनुतां सर्व सम्पत्प्रदात्रीम् ॥सकुङ्कुम विलेपनामलिकचुम्बि कस्तूरिकांसमन्द हसितेक्षणां सशर चाप पाशाङ्कुशाम् ।पाशाङ्कुशाम्अशेषजन मोहिनीं अरुण माल्य भूषाम्बरांजपाकुसुम भासुरां जपविधौ स्मरे दम्बिकाम्ॐ श्रीमाता, श्री महाराज्ञी, श्रीमत्-सिंहासनेश्वरी ।चिदग्नि कुण्डसम्भूता, देवकार्यसमुद्यता ॥ 1 ॥उद्यद्भानु सहस्राभा, चतुर्बाहु समन्विता ।रागस्वरूप पाशाढ्या, क्रोधाकाराङ्कुशोज्ज्वला ॥ 2 ॥मनोरूपेक्षुकोदण्डा, पञ्चतन्मात्र सायका ।निजारुण प्रभापूर मज्जद्-ब्रह्माण्डमण्डला ॥ 3 ॥चम्पकाशोक पुन्नाग सौगन्धिक लसत्कचाकुरुविन्द मणिश्रेणी कनत्कोटीर मण्डिता ॥ 4 ॥अष्टमी चन्द्र विभ्राज दलिकस्थल शोभिता ।मुखचन्द्र कलङ्काभ मृगनाभि विशेषका ॥ 5 ॥वदनस्मर माङ्गल्य गृहतोरण चिल्लिका ।वक्त्रलक्ष्मी परीवाह चलन्मीनाभ लोचना ॥ 6 ॥नवचम्पक पुष्पाभ नासादण्ड विराजिता ।ताराकान्ति तिरस्कारि नासाभरण भासुरा ॥ 7 ॥कदम्ब मञ्जरीक्लुप्त कर्णपूर मनोहरा ।ताटङ्क युगलीभूत तपनोडुप मण्डला ॥ 8 ॥पद्मराग शिलादर्श परिभावि कपोलभूः ।नवविद्रुम बिम्बश्रीः न्यक्कारि रदनच्छदा ॥ 9 ॥शुद्ध विद्याङ्कुराकार द्विजपङ्क्ति द्वयोज्ज्वला ।कर्पूरवीटि कामोद समाकर्ष द्दिगन्तरा ॥ 10निजसल्लाप माधुर्य विनिर्भर्-त्सित कच्छपी ।मन्दस्मित प्रभापूर मज्जत्-कामेश मानसा ॥ 11 ॥अनाकलित सादृश्य चुबुक श्री विराजिता ।कामेशबद्ध माङ्गल्य सूत्रशोभित कन्थरा ॥ 12 ॥कनकाङ्गद केयूर कमनीय भुजान्विता ।रत्नग्रैवेय चिन्ताक लोलमुक्ता फलान्विता ॥ 13 ॥कामेश्वर प्रेमरत्न मणि प्रतिपणस्तनी।नाभ्यालवाल रोमालि लताफल कुचद्वयी ॥ 14 ॥लक्ष्यरोमलता धारता समुन्नेय मध्यमा ।स्तनभार दलन्-मध्य पट्टबन्ध वलित्रया ॥ 15 ॥अरुणारुण कौसुम्भ वस्त्र भास्वत्-कटीतटी ।रत्नकिङ्किणि कारम्य रशनादाम भूषिता ॥ 16 ॥कामेश ज्ञात सौभाग्य मार्दवोरु द्वयान्विता ।माणिक्य मकुटाकार जानुद्वय विराजिता ॥ 17 ॥इन्द्रगोप परिक्षिप्त स्मर तूणाभ जङ्घिका ।गूढगुल्भा कूर्मपृष्ठ जयिष्णु प्रपदान्विता ॥ 18 ॥नखदीधिति संछन्न नमज्जन तमोगुणा ।पदद्वय प्रभाजाल पराकृत सरोरुहा ॥ 19 ॥शिञ्जान मणिमञ्जीर मण्डित श्री पदाम्बुजा ।मराली मन्दगमना, महालावण्य शेवधिः ॥ 20सर्वारुणाஉनवद्याङ्गी सर्वाभरण भूषिता ।शिवकामेश्वराङ्कस्था, शिवा, स्वाधीन वल्लभा ॥ 21 ॥सुमेरु मध्यशृङ्गस्था, श्रीमन्नगर नायिका ।चिन्तामणि गृहान्तस्था, पञ्चब्रह्मासनस्थिता ॥ 22 ॥महापद्माटवी संस्था, कदम्ब वनवासिनी ।सुधासागर मध्यस्था, कामाक्षी कामदायिनी ॥ 23 ॥देवर्षि गणसङ्घात स्तूयमानात्म वैभवा ।भण्डासुर वधोद्युक्त शक्तिसेना समन्विता ॥ 24 ॥सम्पत्करी समारूढ सिन्धुर व्रजसेविता ।अश्वारूढाधिष्ठिताश्व कोटिकोटि भिरावृता ॥ 25 ॥चक्रराज रथारूढ सर्वायुध परिष्कृता ।गेयचक्र रथारूढ मन्त्रिणी परिसेविता ॥ 26 ॥किरिचक्र रथारूढ दण्डनाथा पुरस्कृता ।ज्वालामालिनि काक्षिप्त वह्निप्राकार मध्यगा ॥ 27 ॥भण्डसैन्य वधोद्युक्त शक्ति विक्रमहर्षिता ।नित्या पराक्रमाटोप निरीक्षण समुत्सुका ॥ 28 ॥भण्डपुत्र वधोद्युक्त बालाविक्रम नन्दिता ।मन्त्रिण्यम्बा विरचित विषङ्ग वधतोषिता ॥ 29 ॥विशुक्र प्राणहरण वाराही वीर्यनन्दिता ।कामेश्वर मुखालोक कल्पित श्री गणेश्वरा ॥ 30 ॥
❤
These prayers are done Honesty, Sincerity and withdevotion.Intercepting such thoughts through advertising isnot moral.
Please upload Rama sahasranamam
Sad violation of dharma to put ads here. Please remove ads.
Sangita Yoga rama
No adds please.......hinders the flow
Advertisement in between the strotam very disturbing 😳...
Nice But Dhyana slokam is missing. Why?
🙏🙏🙏🙏🌹🌹🌹🌹
sombody shoould upload a tutorial to learn to cant lalitha. this wll change the world
royaldarkness iceking just chant it with devotion.....
🎉
Lot of spelling mistakes. Please correct them.
Too many spelling mistakes in the lyrics. So different from the actual words. Not fair for those who are trying read your lyrics and recite.
I hate forced advertising, I make it a point to never use those products nothing is sacred to those parasites!
Nothing is free in the world. If we don't want advertisements then we should buy CDs and listen till our heart content
sahil Ghulam
Excellent prononciation by shree t s ranganathan .காதில் ஒலித்துக்கொண்டே இருக்கின்றது. வாழ்க பல்லாண்டு
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अभ्यासाति शयज्ञाता, षडध्वातीत रूपिणी ।
अव्याज करुणामूर्ति, रज्ञानध्वान्त दीपिका ॥ 181 ॥
आबालगोप विदिता, सर्वानुल्लङ्घ्य शासना ।
श्री चक्रराजनिलया, श्रीमत्त्रिपुर सुन्दरी ॥ 182 ॥
श्री शिवा, शिवशक्त्यैक्य रूपिणी, ललिताम्बिका ।
एवं श्रीललितादेव्या नाम्नां साहस्रकं जगुः ॥ 183 ॥
॥ इति श्री ब्रह्माण्डपुराणे, उत्तरखण्डे, श्री हयग्रीवागस्त्य संवादे,
श्रीललितारहस्यनाम स्तोत्र कथनं सम्पूर्णम्
0nly person who recited entire sloka without any mistake like others🙏
Kankadarastotram
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🙏🏻🙏🏻🙏🏻
॥ न्यासः ॥
अस्य श्री ललिता सहस्रनाम स्तोत्र माला मन्त्रस्य ।
वशिन्यादिवाग्देवता ऋषयः ।
अनुष्टुप् छन्दः अनुष्टुप् ।
श्रीललितापरमेश्वरी देवता ।
श्रीमद्वाग्भवकूटेति बीजम् ।बीजम्
मध्यकूटेति शक्तिः ।
शक्तिकूटेति कीलकम् ।कीलकम्
श्रीललितामहात्रिपुरसुन्दरी -प्रसादसिद्धिद्वारा
चिन्तितफलावाप्त्यर्थे जपे विनियोगः ।
॥ ध्यानम् ॥
सिन्दूरारुण विग्रहां त्रिनयनां माणिक्यमौलि स्फुरत्
तारा नायक शेखरां स्मितमुखी मापीन वक्षोरुहाम् ।
पाणिभ्यामलिपूर्ण रत्न चषकं रक्तोत्पलं बिभ्रतीं
सौम्यां रत्न घटस्थ रक्तचरणां ध्यायेत् परामम्बिकाम् ॥
अरुणां करुणा तरङ्गिताक्षीं
धृत पाशाङ्कुश पुष्प बाणचापाम् ।बाणचापाम्
अणिमादिभि रावृतां मयूखै -
रहमित्येव विभावये भवानीम् ॥
ध्यायेत् पद्मासनस्थां ध्यायेत् पद्मासनस्थांविकसितवदनां पद्मपत्रायताक्षीं
हेमाभां पीतवस्त्रां करकलितलसद्धेमपद्मां वराङ्गीम् ।वराङ्गीम्
सर्वालङ्कार युक्तां सतत मभयदां भक्तनम्रां भवानीं
श्रीविद्यां शान्त मूर्तिं सकल सुरनुतां सर्व सम्पत्प्रदात्रीम् ॥
सकुङ्कुम विलेपनामलिकचुम्बि कस्तूरिकां
समन्द हसितेक्षणां सशर चाप पाशाङ्कुशाम् ।पाशाङ्कुशाम्
अशेषजन मोहिनीं अरुण माल्य भूषाम्बरां
जपाकुसुम भासुरां जपविधौ स्मरे दम्बिकाम्
ॐ श्रीमाता, श्री महाराज्ञी, श्रीमत्-सिंहासनेश्वरी ।
चिदग्नि कुण्डसम्भूता, देवकार्यसमुद्यता ॥ 1 ॥
उद्यद्भानु सहस्राभा, चतुर्बाहु समन्विता ।
रागस्वरूप पाशाढ्या, क्रोधाकाराङ्कुशोज्ज्वला ॥ 2 ॥
मनोरूपेक्षुकोदण्डा, पञ्चतन्मात्र सायका ।
निजारुण प्रभापूर मज्जद्-ब्रह्माण्डमण्डला ॥ 3 ॥
चम्पकाशोक पुन्नाग सौगन्धिक लसत्कचा
कुरुविन्द मणिश्रेणी कनत्कोटीर मण्डिता ॥ 4 ॥
अष्टमी चन्द्र विभ्राज दलिकस्थल शोभिता ।
मुखचन्द्र कलङ्काभ मृगनाभि विशेषका ॥ 5 ॥
वदनस्मर माङ्गल्य गृहतोरण चिल्लिका ।
वक्त्रलक्ष्मी परीवाह चलन्मीनाभ लोचना ॥ 6 ॥
नवचम्पक पुष्पाभ नासादण्ड विराजिता ।
ताराकान्ति तिरस्कारि नासाभरण भासुरा ॥ 7 ॥
कदम्ब मञ्जरीक्लुप्त कर्णपूर मनोहरा ।
ताटङ्क युगलीभूत तपनोडुप मण्डला ॥ 8 ॥
पद्मराग शिलादर्श परिभावि कपोलभूः ।
नवविद्रुम बिम्बश्रीः न्यक्कारि रदनच्छदा ॥ 9 ॥
शुद्ध विद्याङ्कुराकार द्विजपङ्क्ति द्वयोज्ज्वला ।
कर्पूरवीटि कामोद समाकर्ष द्दिगन्तरा ॥ 10
निजसल्लाप माधुर्य विनिर्भर्-त्सित कच्छपी ।
मन्दस्मित प्रभापूर मज्जत्-कामेश मानसा ॥ 11 ॥
अनाकलित सादृश्य चुबुक श्री विराजिता ।
कामेशबद्ध माङ्गल्य सूत्रशोभित कन्थरा ॥ 12 ॥
कनकाङ्गद केयूर कमनीय भुजान्विता ।
रत्नग्रैवेय चिन्ताक लोलमुक्ता फलान्विता ॥ 13 ॥
कामेश्वर प्रेमरत्न मणि प्रतिपणस्तनी।
नाभ्यालवाल रोमालि लताफल कुचद्वयी ॥ 14 ॥
लक्ष्यरोमलता धारता समुन्नेय मध्यमा ।
स्तनभार दलन्-मध्य पट्टबन्ध वलित्रया ॥ 15 ॥
अरुणारुण कौसुम्भ वस्त्र भास्वत्-कटीतटी ।
रत्नकिङ्किणि कारम्य रशनादाम भूषिता ॥ 16 ॥
कामेश ज्ञात सौभाग्य मार्दवोरु द्वयान्विता ।
माणिक्य मकुटाकार जानुद्वय विराजिता ॥ 17 ॥
इन्द्रगोप परिक्षिप्त स्मर तूणाभ जङ्घिका ।
गूढगुल्भा कूर्मपृष्ठ जयिष्णु प्रपदान्विता ॥ 18 ॥
नखदीधिति संछन्न नमज्जन तमोगुणा ।
पदद्वय प्रभाजाल पराकृत सरोरुहा ॥ 19 ॥
शिञ्जान मणिमञ्जीर मण्डित श्री पदाम्बुजा ।
मराली मन्दगमना, महालावण्य शेवधिः ॥ 20
सर्वारुणाஉनवद्याङ्गी सर्वाभरण भूषिता ।
शिवकामेश्वराङ्कस्था, शिवा, स्वाधीन वल्लभा ॥ 21 ॥
सुमेरु मध्यशृङ्गस्था, श्रीमन्नगर नायिका ।
चिन्तामणि गृहान्तस्था, पञ्चब्रह्मासनस्थिता ॥ 22 ॥
महापद्माटवी संस्था, कदम्ब वनवासिनी ।
सुधासागर मध्यस्था, कामाक्षी कामदायिनी ॥ 23 ॥
देवर्षि गणसङ्घात स्तूयमानात्म वैभवा ।
भण्डासुर वधोद्युक्त शक्तिसेना समन्विता ॥ 24 ॥
सम्पत्करी समारूढ सिन्धुर व्रजसेविता ।
अश्वारूढाधिष्ठिताश्व कोटिकोटि भिरावृता ॥ 25 ॥
चक्रराज रथारूढ सर्वायुध परिष्कृता ।
गेयचक्र रथारूढ मन्त्रिणी परिसेविता ॥ 26 ॥
किरिचक्र रथारूढ दण्डनाथा पुरस्कृता ।
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