ठीक वैसे ही आत्मा-आत्मा कहने से आत्म बोध नहीं होता साहिबा नाम जप सुरति करने का अभ्यास है धीरे धीरे विषय विकार समाप्त होते है । कबीर पंथ में नाम जप ईश्वर अवतार का नाम जप नहीं होता बल्कि आत्मा आदि है अजर है नाम दिया जाता है इसकी सुरति करने को कहा जाता है तब जीव को धीरे धीरे बोध होने लगता है अंतरमूखी होने लगता है स्वतः ही संसार से मोह दूर होने लगता है थोडा़ सोच समझ कर व्याख्या करो प्रांरभ में नाम जप भी महत्वपूर्ण है जाप मरे अजपा मरे अनहद भी मर जाए। सुरत समानी शब्द में ताको काल न खाए।। गहराई से देखा जाए तो नाम जप सुरति से होता है न कि रटने से शायद आपको याद है कि नहीं जब नाम ह्रदय धरा भया पाप का नाश । जैसे चिंगी आग की पडी़ पुरानी घास।। इसमें यह नहीं कहा गया कि पहले पापों विकारो को नाश करो बल्कि यह अर्थ है कि नाम में मन लगाओं विकार धीरे धीरे जल जायेगा । चित्त की वृत्तियों का शांत हो जाना ही मोक्ष है क्योंकि वृति के शांत हो जाने फिर जन्म कोई कैसे लेगा यदि हम किसी को प्रांरभ में ही कहे कि राम राम कहने से क्या होगा तो यह भटकाने वाला ही है क्योंकि पहली पढे़ बिना बारहवीं। कालेज नहीं पहुँजा जाता ❤सप्रेंम साहेब बंदगी साहेब❤
Please correct Ramayan Valmiki ne likhi thi aur Ram Charit Manas Tulsi Das ne likhi, pr ye to pata nahi kisne likhi bs sb kapol kalpana h aur ek mangharant kathate h jo ki Brahmani ne jhuth failaya h aur logo ko bhramit ke rakha h
Guru maa ke charno sat sat naman saheb bandagi saheb
शाहब बंदगी बहुत ही सुन्दर विचार प्रस्तुत किया और ग्यान वर्धक वर्णन किया शाहब बंदगी प्रयागराज यू पी
Saheb bandagi saheb ji
साध्वी सुमेधा जी को बार-बार नमन दिव्य आध्यात्मिक ग्यान के लिए
सुन्दर विचार🌹
साहेब बन्दगी साहेब🙏🙏🙏
आज का विचार बहुत ही सुन्दर है
आपके चरणों में त्रिवार बंदगी
🙏🙏🙏
🌹🌹🌹
👌👌👌
❤❤❤ साहिब बंदगी साहिब जी❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
Saheb bandagi saheb ji
Saheb ji ko koti vandan
बहुत सुंदर विचार है बहन जी कलयुग केवल नाम अधारा सुमर सुमरउत्तरपारा
Saheb bandagi saheb ji 🙏🙏🙏🌹🌹🌹
Saprem saheb bandgi saheb 3🎉🎉🎉
❤❤❤❤❤❤
साहेब बंदगी साहेब जी
Sadhvi ji main aapke pravachan sunkar bahut hi khush ho gai jab se main bahut khush Rahane lag gai
आपका आशीर्वाद दीजिए
दीदी आखिर राम नाम कै बिना कौई रह नही सकता
मेरे ऊपर दया करिए और आपका कोई
ठीक वैसे ही आत्मा-आत्मा कहने से आत्म बोध नहीं होता
साहिबा नाम जप सुरति करने का अभ्यास है धीरे धीरे विषय विकार समाप्त होते है । कबीर पंथ में नाम जप ईश्वर अवतार का नाम जप नहीं होता बल्कि आत्मा आदि है अजर है नाम दिया जाता है इसकी सुरति करने को कहा जाता है तब जीव को धीरे धीरे बोध होने लगता है अंतरमूखी होने लगता है स्वतः ही संसार से मोह दूर होने लगता है
थोडा़ सोच समझ कर व्याख्या करो
प्रांरभ में नाम जप भी महत्वपूर्ण है
जाप मरे अजपा मरे अनहद भी मर जाए।
सुरत समानी शब्द में ताको काल न खाए।।
गहराई से देखा जाए तो नाम जप सुरति से होता है न कि रटने से
शायद आपको याद है कि नहीं
जब नाम ह्रदय धरा भया पाप का नाश ।
जैसे चिंगी आग की पडी़ पुरानी घास।।
इसमें यह नहीं कहा गया कि पहले पापों विकारो को नाश करो बल्कि यह अर्थ है कि नाम में मन लगाओं विकार धीरे धीरे जल जायेगा ।
चित्त की वृत्तियों का शांत हो जाना ही मोक्ष है क्योंकि वृति के शांत हो जाने फिर जन्म कोई कैसे लेगा
यदि हम किसी को प्रांरभ में ही कहे कि राम राम कहने से क्या होगा तो यह भटकाने वाला ही है
क्योंकि पहली पढे़ बिना बारहवीं। कालेज नहीं पहुँजा जाता
❤सप्रेंम साहेब बंदगी साहेब❤
Please correct Ramayan Valmiki ne likhi thi aur Ram Charit Manas Tulsi Das ne likhi, pr ye to pata nahi kisne likhi bs sb kapol kalpana h aur ek mangharant kathate h jo ki Brahmani ne jhuth failaya h aur logo ko bhramit ke rakha h
Bani Kya he
Vivechan Kya he
Jara to socho
Sahi gati pakdo
Saheb bandagi Saheb ji 🙏🙏🙏🌹🌹🌹
Saheb bandagi saheb 😊
Saheb bandagi saheb bahan ji
Saheb bandagi Saheb ji 🙏🙏