Hindi divas celebration
ฝัง
- เผยแพร่เมื่อ 12 ม.ค. 2025
- *हिन्दी दिवस* का इतिहास भारतीय स्वतंत्रता के बाद के समय से जुड़ा हुआ है। जब भारत 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ, तब देश के सामने सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक थी, एक ऐसी भाषा चुनना जो देश की पहचान बन सके और विभिन्न भाषाओं, बोलियों और संस्कृतियों के बीच एकता ला सके।
14 सितंबर 1949 को भारतीय संविधान सभा ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया, जिसमें *हिन्दी* को *देवनागरी लिपि* में भारत की *राजभाषा* के रूप में स्वीकार किया गया। इस निर्णय का उद्देश्य हिन्दी को देशभर में एक आम भाषा के रूप में स्थापित करना था, जिससे विभिन्न प्रांतों के लोग एक-दूसरे के साथ संवाद कर सकें। इस दिन को यादगार बनाने के लिए 1953 से *14 सितंबर* को हर साल *हिन्दी दिवस* के रूप में मनाया जाने लगा।
इस निर्णय के पीछे महात्मा गांधी, जिन्होंने हिन्दी को जनमानस की भाषा कहा था, और कई हिन्दी प्रेमी नेताओं का योगदान था। गांधीजी का मानना था कि हिन्दी ही एक ऐसी भाषा है जो भारत के विभिन्न प्रांतों के लोगों को जोड़ सकती है।
हालांकि, यह निर्णय सरल नहीं था। भारत एक बहुभाषी देश था और कई प्रांतों में अपनी स्थानीय भाषाओं के प्रति गहरा जुड़ाव था। इसलिए, 1963 में *राजभाषा अधिनियम* लागू किया गया, जिसके तहत हिन्दी के साथ-साथ अंग्रेज़ी को भी प्रशासनिक कार्यों के लिए सहायक भाषा के रूप में मान्यता दी गई।
*हिन्दी दिवस* का उद्देश्य हिन्दी भाषा के प्रति जागरूकता बढ़ाना, इसके उपयोग को प्रोत्साहित करना और इसे सम्मान दिलाना है।