माँ का संन्दुक।। 20 साल का रहस्य।। Emotional story।।Heart touch

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  • เผยแพร่เมื่อ 18 ก.ย. 2024
  • माँ का संन्दुक।। 20 साल का रहस्य।। Emotional story।।Heart touch
    20 साल से 3 बेटे और उनकी पत्नियां माँ की सेवा कर रहें है संन्दुक के लिये। एक दिन जब माँ ने संन्दुक खोला तो सबकी आँखे फटी रह गई।। Emotional story।।
    माँ का संन्दुक।। 20 साल का रहस्य।। Emotional story।।Heart touching story।।Suspens story in hindi।।सावित्री देवी 75 साल की हो गई है।सावित्र देवी के तीन पुत्र हैं। सावित्री जी के पति का देहांत तब हो गया जब वो 55 वर्ष की थी। सावित्री जी एक छोटे से पुराने घर में रहती है। जिसको उनके पति ने ही बनवाया था।तीनो बेटे उनके साथ तो नहीं रहते लेकिन ऐसा एक भी दिन नहीं रहता जब वो उनसे मिलने या उनकी सेवा करने नहीं आते हो।तीनो की पत्नियां भी दिन में आती है। याने यूँ ही समझ लीजिये की उनका घर कभी खाली नहीं रहता कोई ना कोई वहाँ उनकी सेवा चाकरी में लगा ही रहता है। 3 बेटों ने अलग अलग अपना घर बना रखा है। सब की अपनी पर्सनल लाइफ भी है और परेशानियाँ भी है. आदमी चाहे कितना भी बड़ा बन जाये उनकी परेशानी कम नहीं होती। अमीर से अमीर इंसान को भी यह परेशानी होती है की वो अमीर कैसे बना रहें।तीनो बेटों ने कई बार जिद भी की माँ उनके साथ जाकर वहाँ रहें। लेकिन उन्होंने कहाँ की वो यही रहेगी। उसी घर में उन्हें ओर कहीं चैन नहीं आता है।
    आप ऐसा बिलकुल मत सोचिये की यह 3 तीनो बेटे बड़े सुपुत्र है। इसलिये यह अपनी माँ की सेवा में लगे रहते है।3 तीनो बेटों को उनसे ज्यादा प्यार या लगाव की असली वजह कुछ ओर है।वजह है उनकी माँ का एक बड़ा संन्दुक। एक बड़ा लड़की का संन्दुक जिस पर ताला लगा है। यह संन्दुक इनके जीवन में बहुत अहम भूमिका रखता है।इस संन्दुक के अंदर क्या है ओर कितना है ना तो इन तीनो बेटों को पता है ना ही इनकी पत्नियों को, बस जब से पिता जी गये है माता जी को इस संन्दुक की रक्षा करते देखा है।इसलिये इन सभी ने अपने अपने अनुमान लगा रखें है। ना ही अनुमान बल्कि इन्होने तो एक आस लगा रखी है की इस संन्दुक के खुलते ही यह क्या क्या करने वाले है।सावित्री जी उस संन्दुक को छोड़कर कभी नहीं जाती, कभी जाती भी तो अपने कमरे में बड़ा ताला लगा कर ही बाहर निकलती वो सिर्फ थोड़ी देर में ही वापस आ
    जाती।तीन बेटों और उनकी पत्नी की उस संन्दुक पर नजर ना जानें कब से है। सबने अपनी तरफ से अपनी अपनी कोशिश भी कर के देख ली माँ को अपने साथ अपने घर लें जानें की।
    ताकि माँ के साथ उनका संन्दुक भी वहाँ से हिल सके और फिर जाहिर सी बात है जिसके घर में माँ रहेगी उसका संन्दुक। लेकिन सभी एक दुसरे की काट करते है।इसकी कृपा है की माँ के आगे पीछे माँ जी माँ जी करते ना सिर्फ बेटे बल्कि बहुएँ भी चक्कर लगाती रहती है।लेकिन सावित्री जी भी भली भाती अपने बेटों को समझती है। वो जानती है की उनकी इतनी सेवा क्यों हो रही है।उनकी सेवा उनके संन्दुक के कारण हो रही है। उन्हें पता है जिस दिन यह संन्दुक इनके हाथ आया उस दिन उनका मूल्य कुछ भी ना रह जायेगा।तीनो भाइयों और उनकी पत्नियों में यह बाते है। है की माँ के पास ना सिर्फ उनका सोना है बल्कि उनकी सांस का सोना भी इसी संन्दुक में है। माँ इसलिये इस संन्दुक की इतनी हिफाज़त करती है।
    सभी अपनी अपनी कहानियाँ बना कर बैठे है किसी का दावा है की उन्होंने संन्दुक को एक बार उठा कर देखा है वो बहुत भारी है।माँ के कमरे में इन बहुओं ने कई बार सफाई के बहाने संन्दुक के पास जानें की कोशिश की लेकिन माँ जी ने उन्हें बार बार टोका और कहाँ की इस संन्दुक से अभी दूर रहो।

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