Bhai ji ek bt btauu y jo aap gaadi m jaate jate gaane gaa rahe ho or y jo bacha dhol bja Raha h or y dhol mata rani ki jamaan p rakha gya h or mata k dhol nagaro ko devi devta k saath ni lgya jata y chije chmde s bni hoti h 👍🥲
यदि मंदिर के प्रांगण में वाद्ययंत्रों का उपयोग किया जाता है तो इसमें गलत कुछ नहीं। लेकिन इसका यह अर्थ भी न निकलें कि मंदिर समिति के नियम विरुद्ध हम चमड़े के बेल्ट, पर्स या मोबाइल कवर सहित मंदिर के गर्भगृह में जा सकते हैं, ऐसे नियम केवल मंदिर की पवित्रता को बनाए रखने के लिए होते हैं इसमें भक्त का ही भला है। ढोलक के परदे पर स्वास्तिक का चिन्ह लगाकर उसे दुर्गुणों से रहित किया जा सकता है। ढोलक के परदे का चमड़ा अशुद्ध वातावरण में नहीं रहता इसलिए उसकी शुद्धता पर प्रश्नचिन्ह नहीं लग सकता है। सज्जनों की संगति से तो डाकू भी भक्त बन जाते हैं।
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Bhai ji ek bt btauu y jo aap gaadi m jaate jate gaane gaa rahe ho or y jo bacha dhol bja Raha h or y dhol mata rani ki jamaan p rakha gya h or mata k dhol nagaro ko devi devta k saath ni lgya jata y chije chmde s bni hoti h 👍🥲
भईया जी, ढोल बने है बकरे के चमड़े के तो ढोल नगाड़े साथ रहते है,,।❤
यदि मंदिर के प्रांगण में वाद्ययंत्रों का उपयोग किया जाता है तो इसमें गलत कुछ नहीं। लेकिन इसका यह अर्थ भी न निकलें कि मंदिर समिति के नियम विरुद्ध हम चमड़े के बेल्ट, पर्स या मोबाइल कवर सहित मंदिर के गर्भगृह में जा सकते हैं, ऐसे नियम केवल मंदिर की पवित्रता को बनाए रखने के लिए होते हैं इसमें भक्त का ही भला है। ढोलक के परदे पर स्वास्तिक का चिन्ह लगाकर उसे दुर्गुणों से रहित किया जा सकता है। ढोलक के परदे का चमड़ा अशुद्ध वातावरण में नहीं रहता इसलिए उसकी शुद्धता पर प्रश्नचिन्ह नहीं लग सकता है। सज्जनों की संगति से तो डाकू भी भक्त बन जाते हैं।
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