गांव के आदिवासी बांस की हस्तशिल्प बनाकर गुजारा करते हैं। Tribal Bamboo Handicrafts in chhattisgarh.
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- เผยแพร่เมื่อ 5 ก.พ. 2025
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दोस्तों आज भी छत्तीसगढ़ के वनांचल ग्रामीण क्षेत्रों में आदिवासी लोग बांस से बनी हस्तशिल्प वस्तुओं जैसे सुपा, टोकरी, झौहा, झलगी बनाकर अपना गुज़ारा करते हैं। बांस की कलाकृतियों से ही इनको रोजगार मिलता है।
छत्तीसगढ़ में बांस शिल्प - Bamboo Craft In Chhattisgarh
छत्तीसगढ़ में बांस शिल्प का बड़ा महत्व है। छत्तीसगढ़ में दैनिक जीवन एवं सांस्कारिक कार्यों में बांस से बने वस्तुओं का काफी महत्व है, इस वजह से आप को छत्तीसगढ़ में एक ही आकर से छोटे-बड़े वस्तुएं दिखेंगी परंतु उनके उपयोग के अनुसार उनके नाम भिन्न होते है। इस पोस्ट में आप को ऐसी ही वस्तुओं के नाम मिलेंगे।
बांस से बने प्रमुख वस्तुओं की सूची
टुकना -टुकनी
यह सबसे सामान्य एवं सबसे अधिक प्रयोग में ले जाने वाली टोकरी है। यह छोटे-बड़े अनेक आकारों में बनाई जाती है। इसे बांस की सीकों से बुना जाता है। छोटे अकार की टोकरी को टुकनी तथा बड़े आकार की टोकरी को टुकना कहा जाता है।
झावाँ / झउआ
यह एक मजबूत टोकरी होती है जो खेतों में मिट्टी ढोने एवं गाय के गोबर को फेकने के काम आता है।
गप्पा
यह एक बहुत छोटी टोकरी होती है इसे देवी को चढ़ावे के तौर पर चढ़ाई जाती है। इसमें महुआ के फल भी इकट्ठे किये जाते हैं।
खुमरी / मूड़ा / खोमरी
यह बांस की बनी बड़ी टोपी होती है। इसका उपयोग बारिश तथा धूप से बचाव के लिए किया जाता है।
सूपा
यह धान और अन्य अनाज फटकने के काम आता है। इसे छोटा - बड़ा कई अकार का बनाया जाता है।
सुपेली
यह छोटे आकार का सूपा ही होता है। इसका इस्तेमाल विवाह संस्कार में किया जाता है।
चाप
छत्तीसगढ़ के कई स्थानों ( जैसे कि बस्तर ) पाए महुआ के फल सूखने हेतु काम में लाते हैं।
बिज बौनी
यह एक काफी छोटे आकर की टोकरी होती है जिसमें धान की पौध अथवा बौने के लिए बीज रखे जाते हैं। इसे किसान बीज बोते समय काम में लाते हैं, इस वजह से इसे बीज बौनी कहते है।
डाली
यह बड़ी टोकरियां होती हैं जिसमे धान अथवा अन्य अनाज भर कर रखा जाता है।
ढालांगी
यह बहुत बड़ी टोकरी है। इसका उपयोग धान का भण्डारण करके रखने के लिये किया जाता है।
ढूठी
शिकार के बाद छोटी मछलियों को सुरक्षित रखने के लिए इसका इस्तेमाल होता है।
पर्रा-बिजना
बिजना बहुत छोटे अक्कर का हाथ पंखा और पर्रा बड़े थाल जैस होता है। पर्रा का इस्तेमाल बड़ी, बिजौरी सुखाने के लिए किया जाता है। इसके अलावा विवाह संस्कारों में इसका प्रयोग किया जाता है।
बिजना - शादी वाले घरो के बाहर टांगा जाता है। इसे पैसे से बनाया जाता है और बांस की सहायता से ऊपर लटकाया जाता है।
हाथ खांडा
यह भी छोटे आकर के पंखे जैसा होता (छोटा हाथ पंखा) है। विवाह संस्कारों में दूल्हा-दुल्हन को जब तेल लगाया जाता है तब वे इसे पकड़ते हैं ।
पाय मांडा
यह छोटी टुकनी होती है जिसमें दौनों पैर रखकर दूल्हा-दुल्हन विवाह मंडप में खड़े होते हैं।
चुरकी
यह छोटी टुकनी होती है, जिसे विवाह के समय दुल्हन इसमें धान भर कर खड़ी रहती है।
छतौड़ी
यह बरसात और धूप से बचने के लिए प्रयोग में लाया जाने वाला छाता है।
झाल / छारनी
यह उबले चावलों को पसाने के लिए काम में लाया जाता है।
झांपी
विवाह में दुल्हन के कपड़े इसमें रख कर दहेज़ स्वरुप दिए जाते हैं।
थापा
उथले पानी में मछली पकड़ने का उपकरण।
बिसड़ एवं घीर
खेतों में भरे पानी में मछली पकड़ने का उपकरण।
चोरिया
यह शंक्वाकार (Conical) उपकरण होता है। इसका इस्तेमाल बहते नाले में मछली पकड़ने के लिए किया जाता है।
छत्तीसगढ़ के आदिवासी बांस की हस्तशिल्प कला में माहिर होते हैं। Tribal Bamboo Handicrafts in chhattisgarh
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bahut sundar bamboo handicrafts
Bahut khubsurat❤❤❤
Bamboo handicraft is brilliant ❤👍👍
Bahut sundar kalakriti h
Bahut sundar video ❤
जबरदस्त 👌🏻
बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत सुंदर
बहुत सुंदर वीडियो भईया
Ham BHI vahi jati ke hai Jharkhand gumla
3 चका ऑटो 😄