बहुत बहुत धन्यबाद दूसरे भाग के लिए । वहां के किसी व्यक्ति से जामुन वाली परती, जहां काका दतुअन चीर कर रमकलिया की महतारी से बात करते है वह कुआँ भी दिखाइए ।
खण्ड दो के भाग पांच में आया है खरोह के किनारेवाली बंसवारी छूटी, सुन्नर राउत का घर छूटा, कोने के तिवारी जी का पकवा मकान छूटा और अंत मे तूफानी बाबा वाला पीपल का पेड़ छूट गया जहां बहना के साथ तीज के दिन वह पूजा करने आई थी क्या सर आप किसी से पूँछकर इन जगहों को दिखा सकते हो अगर दिखा दे तो बहुत मेहरवानी होगी ।
उपन्यास बहुत अच्छा
किसी से पूँछकर बताइए किहानी किस घटना से प्रेरित थी । कहानी के पात्रो के बारे में भी बताए
मठिया, जामुंवाली परती, पिंपरा बाबा, दीपा सत्ती का बरगद,आदि जो जगह आयी है उन्हें भी दिखाइए
Sahi
Mishrajee
Nice 👍
अब तीसरा भाग भी अपलोड कर दीजिए
बहुत बहुत धन्यबाद दूसरे भाग के लिए । वहां के किसी व्यक्ति से जामुन वाली परती, जहां काका दतुअन चीर कर रमकलिया की महतारी से बात करते है वह कुआँ भी दिखाइए ।
👌
Nice job
ye kitab kaha se or kitne me milega?
भाई यह उपन्यास की कहानी सच है या काल्पनिक हैं। 😢😢।
थोड़ा सच थोड़ा काल्पनिक
खण्ड दो के भाग पांच में आया है खरोह के किनारेवाली बंसवारी छूटी, सुन्नर राउत का घर छूटा, कोने के तिवारी जी का पकवा मकान छूटा और अंत मे तूफानी बाबा वाला पीपल का पेड़ छूट गया जहां बहना के साथ तीज के दिन वह पूजा करने आई थी
क्या सर आप किसी से पूँछकर इन जगहों को दिखा सकते हो अगर दिखा दे तो बहुत मेहरवानी होगी ।