असली गाँव नदिया के पार ( कोहबर के शर्त ) के रचनाकर केशव प्रसाद मिश्र जी के गाँव घर बलिहार भाग- २

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  • เผยแพร่เมื่อ 25 พ.ย. 2024

ความคิดเห็น • 14

  • @pramukhkumar3952
    @pramukhkumar3952 2 ปีที่แล้ว

    उपन्यास बहुत अच्छा

  • @bhuvneshgupta8564
    @bhuvneshgupta8564 2 ปีที่แล้ว +5

    किसी से पूँछकर बताइए किहानी किस घटना से प्रेरित थी । कहानी के पात्रो के बारे में भी बताए

  • @bhuvneshgupta8564
    @bhuvneshgupta8564 2 ปีที่แล้ว +3

    मठिया, जामुंवाली परती, पिंपरा बाबा, दीपा सत्ती का बरगद,आदि जो जगह आयी है उन्हें भी दिखाइए

  • @VikashSingh-yn7vf
    @VikashSingh-yn7vf ปีที่แล้ว

    Mishrajee

  • @Harishchandranishad913
    @Harishchandranishad913 2 ปีที่แล้ว

    Nice 👍

  • @bhuvneshgupta8564
    @bhuvneshgupta8564 2 ปีที่แล้ว

    अब तीसरा भाग भी अपलोड कर दीजिए

  • @bhuvneshgupta8564
    @bhuvneshgupta8564 2 ปีที่แล้ว

    बहुत बहुत धन्यबाद दूसरे भाग के लिए । वहां के किसी व्यक्ति से जामुन वाली परती, जहां काका दतुअन चीर कर रमकलिया की महतारी से बात करते है वह कुआँ भी दिखाइए ।

  • @Patel_Ankit_Semra
    @Patel_Ankit_Semra 2 ปีที่แล้ว

    👌

  • @omprakashsahani9992
    @omprakashsahani9992 2 ปีที่แล้ว

    Nice job

  • @lenovo352
    @lenovo352 5 หลายเดือนก่อน

    ye kitab kaha se or kitne me milega?

  • @hempalsaini5644
    @hempalsaini5644 ปีที่แล้ว +1

    भाई यह उपन्यास की कहानी सच है या काल्पनिक हैं। 😢😢।

    • @sahanigroup3206
      @sahanigroup3206  ปีที่แล้ว +3

      थोड़ा सच थोड़ा काल्पनिक

  • @bhuvneshgupta8564
    @bhuvneshgupta8564 2 ปีที่แล้ว

    खण्ड दो के भाग पांच में आया है खरोह के किनारेवाली बंसवारी छूटी, सुन्नर राउत का घर छूटा, कोने के तिवारी जी का पकवा मकान छूटा और अंत मे तूफानी बाबा वाला पीपल का पेड़ छूट गया जहां बहना के साथ तीज के दिन वह पूजा करने आई थी
    क्या सर आप किसी से पूँछकर इन जगहों को दिखा सकते हो अगर दिखा दे तो बहुत मेहरवानी होगी ।