Santoshi Maa Ki Aarti | Sunil Dhyani | 2025

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  • เผยแพร่เมื่อ 11 ก.พ. 2025
  • ॥आरती॥
    जय सन्तोषी माता,
    मैया जय सन्तोषी माता ।
    अपने सेवक जन की,
    सुख सम्पति दाता ॥
    जय सन्तोषी माता,
    मैया जय सन्तोषी माता ॥
    सुन्दर चीर सुनहरी,
    मां धारण कीन्हो ।
    हीरा पन्ना दमके,
    तन श्रृंगार लीन्हो ॥
    जय सन्तोषी माता,
    मैया जय सन्तोषी माता ॥
    गेरू लाल छटा छबि,
    बदन कमल सोहे ।
    मंद हंसत करुणामयी,
    त्रिभुवन जन मोहे ॥
    जय सन्तोषी माता,
    मैया जय सन्तोषी माता ॥
    स्वर्ण सिंहासन बैठी,
    चंवर दुरे प्यारे ।
    धूप, दीप, मधु, मेवा,
    भोज धरे न्यारे ॥
    जय सन्तोषी माता,
    मैया जय सन्तोषी माता ॥
    गुड़ अरु चना परम प्रिय,
    तामें संतोष कियो ।
    संतोषी कहलाई,
    भक्तन वैभव दियो ॥
    जय सन्तोषी माता,
    मैया जय सन्तोषी माता ॥
    शुक्रवार प्रिय मानत,
    आज दिवस सोही ।
    भक्त मंडली छाई,
    कथा सुनत मोही ॥
    जय सन्तोषी माता,
    मैया जय सन्तोषी माता ॥
    मंदिर जग मग ज्योति,
    मंगल ध्वनि छाई ।
    विनय करें हम सेवक,
    चरनन सिर नाई ॥
    जय सन्तोषी माता,
    मैया जय सन्तोषी माता ॥
    भक्ति भावमय पूजा,
    अंगीकृत कीजै ।
    जो मन बसे हमारे,
    इच्छित फल दीजै ॥
    जय सन्तोषी माता,
    मैया जय सन्तोषी माता ॥
    दुखी दारिद्री रोगी,
    संकट मुक्त किए ।
    बहु धन धान्य भरे घर,
    सुख सौभाग्य दिए ॥
    जय सन्तोषी माता,
    मैया जय सन्तोषी माता ॥
    ध्यान धरे जो तेरा,
    वांछित फल पायो ।
    पूजा कथा श्रवण कर,
    घर आनन्द आयो ॥
    जय सन्तोषी माता,
    मैया जय सन्तोषी माता ॥
    चरण गहे की लज्जा,
    रखियो जगदम्बे ।
    संकट तू ही निवारे,
    दयामयी अम्बे ॥
    जय सन्तोषी माता,
    मैया जय सन्तोषी माता ॥
    सन्तोषी माता की आरती,
    जो कोई जन गावे ।
    रिद्धि सिद्धि सुख सम्पति,
    जी भर के पावे ॥
    जय सन्तोषी माता,
    मैया जय सन्तोषी माता ।
    अपने सेवक जन की,
    सुख सम्पति दाता
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