प्राचीन अलखनाथ मंदिर- यहाँ भोलेनाथ बसते है स्वयंभू शिवलिंग रूप में | 4K | दर्शन 🙏
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- เผยแพร่เมื่อ 5 ก.พ. 2025
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संगीत एवम रिकॉर्डिंग - सूर्य राजकमल
लेखक - रमन द्विवेदी
भक्तों नमस्कार! प्रणाम! और सादर अभिनन्दन! भक्तों आज हम आपको अपने लोकप्रिय कार्यक्रम दर्शन के माध्यम से जिस मंदिर की यात्रा करवाने जा रहे हैं वो ऐसा मंदिर है जिसमें महाभारत काल के पहले से भगवान् शिव स्वयंभू शिवलिंग के रूप में विराजमान है, जहाँ श्रद्धा और विश्वास के साथ जाने वाला कोई भी व्यक्ति खाली नहीं लौटता, जहाँ मिलती है हर किसी को मुंह माँगी मुरादें और जहाँ सिद्ध होते हैं सभी के मनोरथ।भक्तों हम बात कर रहे हैं नाथनगरी के नाम से विख्यात उत्तरप्रदेश के बरेली शहर के अलखनाथ मंदिर की।
मंदिर के बारे में: भक्तों देश और प्रदेश की राजधानी के बीच स्थित बरेली का एक नाम नाथनगरी भी है। क्योंकि यहाँ देवाधिदेव महादेव कई प्राचीनतम मंदिर अवस्थित हैं। बरेली धाम में नैनीताल रोड पर किला क्षेत्र में स्थित बाबा अलखनाथ मन्दिर एक ऐसा ही सिद्धस्थल है जहां देवाधिदेव महादेव स्वयंभू शिवलिंग के रूप में प्रकट हुए थे। बरेली के धार्मिक स्थलों में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण मंदिरों में से एक है।
32 सौ वर्ष पुराना वटवृक्ष:
भक्तों अलखनाथ मंदिर परिसर में एक 3200 (बतीस सौ) वर्ष पुराना वटवृक्ष (बरगद का पेड़) भी है, जिसकी जटाएं उसकी प्राचीनता को प्रमाणित करती हैं।
मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं:
भक्तों अलखनाथ मंदिर में प्रतिदिन हजारों भक्त देवाधिदेव महादेव के दर्शन पूजन के लिए आते हैं। लेकिन श्रावण सोमवार और महाशिवरात्रि आदि के अवसर पर भक्तों की अपार भीड़ होती है क्योंकि लोगों को विश्वास है कि यहां शुद्ध मन और पवित्र अन्तःकरण द्वारा महादेव का जलाभिषेक करने से भक्तों की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।
श्रावण में भक्तों का मेला:
भक्तों शिव आराधना को समर्पित परम पवित्र मास श्रावण में तो यहाँ कांवरियों, शिव उपासकों और शिवभक्तों की भीड़ देखते ही बनती है। हजारों की संख्या में शिवभक्त कछला और हरिद्वार से कांवर में गंगाजल लाकर अलखनाथ महादेव का अभिषेक करते हैं। श्रावण में महीने भर यहां भक्तों की भारी भीड़ रहती है। विशेषकर श्रावण के सोमवार में तो लाखों भक्तों मेला लगता है।
दर्शन का समय:
भक्तों लखनऊ का अलखनाथ मंदिर प्रतिदिन भक्तों के लिए सुबह 5 बजे से दोपहर 12 बजे तक तथा शाम 4 बजे से रात 10 बजे तक खुला रहता है। अतः आप इस समयावधि में किसी भी दिन मंदिर जाकर दर्शन पूजन कर सकते हैं।
आरती व पूजा:
भक्तों बरेली के अलखनाथ मंदिर के आरती का दृश्य बड़ा मनोहर और विहंगम होता है। विशेषकर सायंकालीन आरती भक्तों का मन मुग्ध कर देती है। इस दौरान ढोल नगाड़े शंख डमरू और घड़ियाल के अनहद नाद मंदिर में उपस्थित यात्रियों, श्रद्धालुओं और भक्तों के रोम रोम को आह्लादित और भाव विभोर कर देता है। इस मंदिर में सायंकालीन आरती का दर्शन भक्तों को दिव्य आत्मानुभूति करवाता है संध्याकालीन आरती का दर्शन करने के खचाखच भरे भक्तों की भीड़ देखते ही बनती है। भक्तों यदि आप को बड़ी काली जी मंदिर दर्शनार्थ जाने का सौभाग्य प्राप्त होता है तो आप अलखनाथ मंदिर में शाम को होनेवाली आरती का दर्शन लाभ अवश्य कीजिये। मान्यता है कि जो भक्त यहाँ आरती का दर्शन करते हैं उनकी सारी परेशानियां खत्म हो जाती है और यही वजह है कि दूरदराज से भक्त मां भगवती के दर्शन करने के लिए आते हैं।
समीपस्थ दर्शनीय व् पर्यटन स्थल:
भक्तों अगर आप बरेली के अलखनाथ मंदिर की यात्रा करने जा रहे हैं और पर्यटन की रूचि रखते हैं तो बता दें कि रामगंगा नदी के तट पर बसा यह शहर अतीत में रोहिलखंड का हिस्सा होने के साथ पश्चिमी उत्तरप्रदेश का आठवां बड़ा शहर है। जिसके आसपास कई सुप्रसिद्ध ऐतिहासिक व् धार्मिक पर्यटन स्थल मौजूद हैं, जिनमें प्रमुख जगन्नाथ मंदिर, दरगाह ए आला हजरत, सेना संग्रहालय, अल्मोड़ा, चैल, चम्बा, भीमताल और कौसानी जैसे पर्यटन स्थलों के अलावा बरेली के आसपास कई शानदार खूबसूरत हिल स्टेशन भी हैं। जिनका सैर किये बिना आपकी बरेली यात्रा पूरी नहीं हो सकती।
भक्त को भगवान से और जिज्ञासु को ज्ञान से जोड़ने वाला एक अनोखा अनुभव। तिलक प्रस्तुत करते हैं दिव्य भूमि भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थानों के अलौकिक दर्शन। दिव्य स्थलों की तीर्थ यात्रा और संपूर्ण भागवत दर्शन का आनंद। दर्शन ! 🙏
इस कार्यक्रम के प्रत्येक एपिसोड में हम भक्तों को भारत के प्रसिद्ध एवं प्राचीन मंदिर, धाम या देवी-देवता के दर्शन तो करायेंगे ही, साथ ही उस मंदिर की महिमा उसके इतिहास और उसकी मान्यताओं से भी सन्मुख करायेंगे। तो देखना ना भूलें ज्ञान और भक्ति का अनोखा दिव्य दर्शन। 🙏
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि तिलक किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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ॐ नमः शिवाय🙏
जय पार्वती माता🙏
जय कार्तिकेय भगवान🙏
श्री गणेशाय नमः🙏
जय नंदी महाराज🙏
🕉 namah shivaya 🙏🌹
Jai Baba Alakhnath Mahadevji ki
हर हर महादेव🙏
Jai ho Veer bhogya Vasundhara
Jay bholenath
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जय बजरंगबली 🙏 जय श्री राम🙏
हर हर महादेव 🙏
Jai Baba Bholay Naht 🕉️🌻🥀🌹🌺🌷🙏🙏
Om namah Shivay 🌺🌺🙏
जय श्री भोले हर हर महादेव🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏💚💕💚💖💚💚💚💚💞💚💞💟💞❣💞
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Nice video
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Jai ho Veer bhogya Vasundhara