श्रीशिवमहिम्न स्तोत्र|SHIV MAHIMNA STOTRA WITH LYRICS|सुस्पष्ट उच्चारणसहित|JSD VED VIDYALAYA

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  • เผยแพร่เมื่อ 1 ต.ค. 2024
  • श्रीशिवमहिम्न स्तोत्र सुस्पष्ट उच्चारणसहित| SHIV MAHIMNA STOTRA WITH LYRICS BY@JAGATGURU SHREE DEVNATH VED VIDYALAYA, NAGPUR.
    शिवमहिम्न स्तोत्र का अभिप्राय शिव की महिमा से है। यह एक अत्यंत ही मनोहर शिव स्तोत्र है। शिवभक्त श्री गंधर्वराज पुष्पदंत द्वारा अगाध प्रेमभाव से ओतप्रोत यह शिवस्तोत्र भगवान शिव को बहुत प्रिय है।
    महिम्नस्तोत्र में कहा गया है-- स्तोत्रेण किल्बिषहरेण हरप्रियेण। हर अर्थात् शिव तभी तो शिव तथा विष्णु दोनो एक साथ हो तो हरिहर कहलाते हैं। इस पंक्ति का अर्थ है कि हर प्रकार के पापों को समन करने वाला यह स्तोत्र भगवान शिव को अतिप्रिय है।यह स्तोत्र साक्षात् शिवस्वरूप है तथा शिवभक्तों के मध्य अत्यंत प्रचलित हैं।
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