इन्दौर ( भिवाड़ी ) का किला / Indore ( Bhiwadi) Fort
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- เผยแพร่เมื่อ 13 ต.ค. 2024
- समृद्ध इतिहास को समेटे है इन्दौर का किला
भिवाड़ी औधोगिक क्षेत्र से मात्र 15 किलो मीटर दूरी पर चौपानकी थाना क्षेत्र के इन्दौर गांव में अरावली की सुरम्य पहाडिय़ों के बीच एक पहाड़ी पर स्थित है इन्दौर का किला । यह किला आज भले ही खण्डर में तबदील हो रहा है मगर अपने आम में समृद्ध इतिहास रखने वाला यह किला कभी दिल्ली सल्तनत को भी हिला कर रखता था।
किले की भौगौलिक स्थिति ऐसी की बाहरी दुनिया को यहां किला होने का आभास ही न रहे। चारों और ऊंची अरावली की पहाडिय़ों के बीच टपूकड़ा-नूंह मार्ग पर सारेकलां गांव से 7 किलो मीटर घने पहाड़ो के बीच दक्षिण की और चलने के बाद आता है इन्दौर। अभेद्ध भौगोलिक स्थिति के कारण ही संभवतया खानजादा जाति के शासकों ने 14वीं शताब्दी में इस किले का निर्माण करवाया। प्र्राप्त जानकारी के अनुसार 14वीं शताब्दी में 1398 ई.सन में तैमूर के दिल्ली पर आक्रमण के समय इन्दौर पर बहादुर नाहर खानजादा का शासन था। दिल्ली पर इब्राहिम लोदी के शासन के दौरान यहां जलाल खां खानजादा की सत्ता थी। दिल्ली पर बाबर की सत्ता के दौरान इन्दौर आगरा सुबे के अधीन बड़ा परगना था। यहां के शासक बाबर के खिलाफ रहे। आइने अकबरी ग्रंथ में इस किले का उल्लेख किया गया है। अठारहवीं शताब्दी में किले ने अनेक आक्रमण सहे। पहले भरतपुर के जाट राजाओं ने किले पर आधिपत्य किया। इसके बाद मराठा शासकों ने किले पर आक्रमण किया। मराठों के बाद अंग्रेजों ने किले को अपने अधीन में ले लिया । वर्ष 1808 में अलवर शासक बख्तावर सिंह ने इन्दौर किले को अपने अधिकार में ले लिया। आजादी के बाद वर्ष 1961 में पुरातत्व विभाग ने इस किले को संरक्षित घोषित कर दिया।
किले में प्रवेश के दो रास्ते है। मुख्य भवन अब गिर चुका है, केवल दीवारे ही यहां की भव्यता का आभास कराती दिखाई देती है। किले के चारों और करीब 8 फिट चौड़ी एंव दस फिट ऊंची चारदीवारी बनी हुई है। किले में वर्षो पूर्व पाबूजी महाराज का मंदिर बना दिया गया है जहां वर्ष में दो बार मेले का आयोजन किया जाता है। मेले मे सैकड़ो लोग बाबा के दर्शन कर मनौति मांगते है। किले के दक्षिण में शासकों की कबे्र बनी हुई है। किले के बाहर गांव के साथ 18वीं शताब्दी की एक मजार यहां की विशालता को दर्शाती है। किले के नीचे भूभाग पर कुछ इमारतें बनी है। जिन्हे देख कर उस समय के राज्य के वरिष्ठ जनों के आवास होने का अनुमान लगाया जा सकता है। ग्रामिणों को किले के इतिहास की कोई विशेष जानकारी तो नहंी है मगर लोग बताते है यहां जाने वालों को कभी कभी यहां किसी अदृष्य मृत आत्मा अथवा भूतहा शक्ति होने का आभास होता है। भारतीय इतिहास की इस धरोहर के संरक्षण की जरूरत है। सरकार ध्यान दे तो अवैध खनन क्षेत्र के रूप में यहां की बनी पहचान की जगह यहां पर्यटन क्षेत्र विकसित किया जा सकता है।
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क्षेत्र के इतिहास को जन-जन तक पहुंचाने के लिए यह एक अच्छी पहल है हम इसका स्वागत करते हैं ।
Thanx for this type of information, Vijay Gupta ji and team.
Nice video ❤️❤️
Nice vidio
Nice presentation❤️❤️❤️
Thanks for info
👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻
Good
Nice Jankari sir ji
जय बाबा मोहन राम की, अच्छा प्रयास है गुप्ता जी।
चौहान फोटो स्टूडियो मंसा चौक
Accha hai
Achhi jankari h good 😛👍👍👍
Bht khub
Finally kisi ne to hmare gav ke ise kile ko SB k samne laya thanks 😊 bhai thanku so much
Aap ki kosis reng layegi
Thanks 😊
Bhai video ko gaon ke logo se subscribe to karva do ji
@@alwarfilms9965 ok bhai I will try my best 😊
Super
Good job Vijayji
Presentation is to good thnx to give us this unique knowledge 👍👍
Nice
Nice Bhai
👌👌👌👌
बहुत अच्छा गुप्ता जी शायद भिवाड़ी क्षेत्र के लोगों को भी इस विषय में जानकारी ना हो आपका बहुत अच्छा प्रयास है कामना करते हैं आगे भी भिवाड़ी के आसपास के क्षेत्रों की जानकारी क्षेत्र को लोगों को देते रहेंगे!
Nice ...one...Keep it up
Good one...
Nice Vijay Ji
श्रीमंत महाराजा मल्हारराजे होळकर
nyc knowledge
حکومت ہند اس قلعہ کو محفوظ کرے
Hamare buzrukhon ki nishani he ye ham pakistan se srif video main dekh sakte he kash wha ja sakte
میرا خاندان ,پرکھوں کی نشانیاں ,میرے جد امجد , ہم کہاں سے کہاں آگئے
Nice
👌👌👌👌👌
Nice