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- เผยแพร่เมื่อ 6 ก.พ. 2025
- gumla_news
स्वतंत्रता सेनानियों की प्रतिमा स्थापित करने के लिए तीन फीट जगह प्रशासन नहीं दे रहा है. परंतु, यहां करोड़ों रुपये से हाल के महीनों में बने सरकारी भवन बेकार पड़ा है. अगर इन भवनों का रेगुलर उपयोग नहीं हुआ तो आने वाले एक-दो सालों में खंडहर हो जायेगा. गुमला शहर से नया समाहरणालय चंदाली शिफ्ट हो गया है जो शहर से चार किमी दूर है. चंदाली में नया समाहरणालय शिफ्ट होने के बाद गुमला शहर में करोड़ों रुपये से हाल के महीनों में बने भवन अब बेकार पड़ा हुआ है. कई भवन तो अभी से ही खंडहर दिखने लगा है. सबसे आश्चर्य की बात कि ब्लॉक के सामने आइटीडीए भवन में नया समाहरणालय चल रहा था. कुछ अधिकारियों ने कमीशन के फेर में आनन फानन में ब्लॉक के सामने एक और नया समाहरणालय भवन बना दिया. बढ़िया से एक साल भी भवन का उपयोग नहीं हुआ और अब यह बेकार पड़ा हुआ है. यहां तक कि विकास भवन में डीडीसी का कार्यालय है. एक साल पहले डीडीसी के कार्यालय व कुछ कमरों की मरम्मत में डीएफएफटी फंड से 40 लाख रुपये खर्च कर दिया गया. परंतु, अभी यह भवन भी बेकार है. यहां तक कि विकास भवन के सामने हरियाली लाने व सुंदर बनाने के लिए जाली की घेराबंदी और पेड़ पौधा में लाखों रुपये खर्च कर दिया गया. वह भी अब बेकार पड़ा है और कुछ दिनों में यह टूटने फूटने लगेगा. अब गुमला के लोग सवाल कर रहे हैं कि गुमला शहर में जो करोड़ों रुपये का भवन है. उसका क्या होगा. क्या भवन खंडहर होगा या फिर इसका कोई उपयोग होगा. चौंकाने वाली बात की प्रशासन ने कई जगह सरकारी गाड़ियों व कर्मचारियों की बाइक को खड़ी करने के लिए शेड बनाने में भी एक वर्ष पहले लाखों रुपये खर्च कर दिया. बिना कोई प्लान के बने शेड अब सरकारी राशि के दुरुपयोग की कहानी कह रही है.
क्वार्टर पहले से बेकार है
प्रखंड कार्यालय के इर्द गिर्द पूर्व के जितने भी क्वार्टर थे. जिसमें अधिकारी व कर्मचारी रहते थे. उन क्वार्टरों को तोड़कर उनकी जगह करोड़ों रुपये की लागत से कई बड़े आलिशान क्वार्टर बना दिया गया. परंतु, दुर्भाग्य है. सभी क्वार्टर अब बेकार पड़ा हुआ है. हालांकि, कुछ महीनों तक इन क्वार्टर भवनों में एसपी, डीएसओ, डीएसपी, निर्वाचन सहित कई विभागों का कार्यालय चला. परंतु, अब ये सभी कार्यालय चंदाली में शिफ्ट होने के बाद अब ये सभी भवन बेकार पड़ा हुआ है.
पुराना समाहरणालय का क्या होगा
38 साल पहले गुमला शहर में समाहरणालय भवन बना था. इसी भवन में सभी सरकारी कार्यालय संचालित था. परंतु, पांच साल पहले पुराने समाहरणालय को कंडम घोषित कर दिया गया. परंतु, अभी भी कंडम घोषित पुराना समाहरणालय जस के तस अपने पांव में खड़ा है. सिर्फ यहां उत्पाद विभाग चल रहा है. परंतु, इतना बड़ा आलिशान समाहरणालय भवन कंडम होने के बाद अब लोग पूछ रहे हैं कि यह भवन इसी प्रकार धीरे धीरे ध्वस्त होगा या फिर इसी प्रशासन तोड़कर यहां कुछ कंस्ट्रक्शन का काम करायेगा.
आइटीडीए का कार्यालय गुमला में चले
लोगों की मांग है कि आइटीडीए व कल्याण विभाग का अपना भवन ब्लॉक कार्यालय के सामने है. यह भवन काफी मजबूत है. यहां सभी प्रकार की सुविधा है. लोगों की मांग है कि चंदाली में चले गये आइटीडीए कार्यालय को गुमला में वापस लाया जाये. साथ ही अपने भवन में आइटीडीए कार्यालय का संचालन हो.
गुमला शहर में विकास भवन, आइटीडीए भवन, ब्लॉक में बना समाहरणालय भवन अभी भी ठीक है. अगर इन भवनों की देखभाल करना बंद कर दिया जाये तो खंडहर हो जायेगा. इसलिए प्रशासन को चाहिए कि इन भवनों को उपयोग में लाया जाये. निबंधन कार्यालय आइटीडीए भवन में शिफ्ट किया जा सकता है.
रमेश कुमार, क्षेत्रीय उपाध्यक्ष, चेंबर
गुमला शहर में हाल के महीनों में करोड़ों रुपये से कई भवन बने. यहां तक कि अधिकारियों ने अपने कार्यालय को सुंदर बनाने में लाखों रुपये खर्च कर दिया. परंतु, अब ये भवन व कार्यालय बेकार पड़ा हुआ है. अगर इसका उपयोग नहीं हुआ तो आने वाले एक दो सालों में खंडहर व जर्जर हो जायेगा
अकील रहमान, प्रदेश सचिव, कांग्रेस
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