धरती का प्रथम शिवलिंग | Sthaneshwar Mahadev Mandir | Kurukshetra | Haryana

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  • เผยแพร่เมื่อ 8 ก.พ. 2025
  • हम सब जानते हैं कि भगवान शिव को शिवलिंग के रूप में पूजा जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं की धरती का प्रथम शिवलिंग कौन सा था ? आज हम आपको बताने जा रहे हैं इस शिवलिंग के बारे में और यह शिवलिंग कहाँ स्थित है उस स्थान के बारे में...
    भारत देश के हरियाणा राज्य के कुरुक्षेत्र ज़िले में थानेसर नामक एक शहर है जो भारत की राजधानी दिल्ली से लगभग 160 किलोमीटर उत्तर पश्चिम दिशा में स्थित है। सरस्वती घग्गर नदी के तट पर स्थित थानेसर ऐतिहासिक दृष्टि से एक महत्वपूर्ण नगर है। पुष्यभूति शासन काल के दौरान राजा हर्षवर्धन ने स्थानेश्वर को अपने राज्य की राजधानी भी बनाया था। इस शहर ने बहुत से युद्ध देखे हैं और अनेक पौराणिक कथाओं का भी यह साक्षी रहा है। शिव पुराण सहित सभी पुराणों तथा महाभारत में भी स्थानेश्वर शिवलिंग का वर्णन मिलता है। यहां अनेक पौराणिक महत्व के मंदिर तथा मुगल कालीन ऐतिहासिक इमारतें देखी जा सकती हैं। सन् 1014 में महमूद गजनवी ने थानेश्वर शहर में लूटपाट की तथा यहां के अनेक मंदिरों को तोड़कर उन्हें बहुत नुकसान पहुंचाया। लेकिन ‌इतने आक्रमण झेलने के बाद ,आज भी थानेसर में बहुत से हिंदू मंदिर मौजूद है।
    स्थानेश्वर महादेव मंदिर जिसे स्थाणू मंदिर भी कहा जाता है, भगवान शिव को समर्पित है। स्थाणू शब्द का अर्थ होता है- शिव का निवास स्थल। पहले इस नगर को स्थाणू नाम से ही जाना जाता था लेकिन भाषा के अपभ्रंश के साथ-साथ अब इसका नाम थानेसर हो गया है। कुरुक्षेत्र रेलवे स्टेशन से मात्र 2 किलोमीटर की दूरी पर, थानेसर के झांसा मार्ग पर स्थित यह मंदिर कुरुक्षेत्र के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है। इस मंदिर के बाईं ओर भगवान श्री लक्ष्मी नारायण जी का मन्दिर है तथा दाईं ओर भगवान शिव का मन्दिर है। इसके साथ-साथ मंदिर में भैरव जी, हनुमान जी, श्री राम परिवार और माता दुर्गा जी की मूर्तियां भी स्थापित हैं। स्थानेश्वर मंदिर के सामने की ओर एक शनि मंदिर भी बना हुआ है। माना जाता है कि इतिहास में सिखों के नौवें गुरु श्री तेग बहादुर जी भी इस स्थान पर आए थे जिनकी याद में मंदिर के पास एक गुरुद्वारा, नवीं पातशाही भी बना हुआ है।
    Disclaimer- यहाँ मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। यहाँ यह बताना जरूरी है कि तिलक किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।
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