हम अपने बचपन में रेडियो पर सुनते थे हेलो फैजाबाद कार्यक्रम आता था उसमें हमे लगा था कि अब सुनने को नहीं मिलेगा लेकिन आज बहुत बहुत खुशी हुई फिरसे सुनकर 🙏🙏🙏🙏🙏🙏
हमे ये कविता अंशु मालवीय भईया ने सुनाया था, माघ मेले में जबतक ये कविता ना हो तब तक मेला अधूरा लगता है, हमे तो पूरा आता है अब हम भी इस कविता का पाठ करते हैं ❤❤
Wah gutam jee Kavita ka jariya Kya khoob prayagraj ka maila ki prastuti di hai aapna bhut sunder tarika sai bhartiya sanskrti ko bataya hai aapna 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏👌👌👌👌👌👌👌👌👌
यह कविता मैंने तीस साल पहले लखनऊ रेडियो पर सुनी थी, आज फिर सुनकर मन खुश हो गया।
Bilkul, maine bhi karib 25 saal pehle suna hoga, radio pe
Very nice 👍🏻👍🏻
I listened after thritypq
I'm sending after 30
A
@@manishpandeyiaf ;'+
कैलाश गौतम जी की कालजयी कविता तकरीबन हरवर्ष मौनी अमावस्या पर सुनी जाती है।पूरा मेला आंखों के सामने जीवन्त हो जाता है।आदरणीय गौतम जी को शत शत नमन।
Kailash Gautam ji Nahi hain !
Mujhe aaj pata chala
हम अपने बचपन में रेडियो पर सुनते थे हेलो फैजाबाद कार्यक्रम आता था उसमें हमे लगा था कि अब सुनने को नहीं मिलेगा लेकिन आज बहुत बहुत खुशी हुई फिरसे सुनकर 🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Aree wahh
Mai bhi suna tha redio par
बचपन में इसको हम लोग आकाशवाणी लखनऊ पर सुनते रहते थे बहुत आनंद आता था आज आज इसे पुनः सुनकर मन बहुत प्रसन्न हो गया और एक मधुर मुस्कान आई चेहरे पर 🙏🙏🙏
Mai prayagraj se hu aj amausha ka mela ka din bhi h adbhut kavita 😘😘
बहुत शानदार बहुत दिनों बाद बहुत ढूंढने पर मिली ये कविता आज तक की सबसे सुंदर कविता
हम अपने परिवार के साथ शाम को बैठ कर सुनते थे आज काफी दिन बाद सुनकर दिल खुश हो गया है😊😊
हमें रवीश कुमार जी ने सुनाया था। कैलाश जी की कविता। और आज़ आप के मुखारविंद से सुनकर बहुत आनन्द आया। बहुत बहुत धन्यवाद सर जी 👍👍
यह कविता मैने बचपन सुनी थी पर अभी तक याद थी आज फिर एक बार सुन कर बहुत खुशी हुई धन्यवाद भाईसाहब
Sahi kaht hau
कौन कौन ऐसा है जिसने यह कविता रेडियो पर सुनी और फिर खोजते हुए yutube पर आया है ❤
भोजपुरी भाषा आप जैसे लोगों को पाकर धन्य हो गई। नमन है आपको
इससे अच्छी भोजपुरी कविता आज तक नही सुनी। मौज आ गई
बचपन में रेडियो के आकाशवाणी लखनऊ पे जब ये आता तो हम सभी सारा काम छोड़कर सुनने को भागते ,,,😊
हमे ये कविता अंशु मालवीय भईया ने सुनाया था, माघ मेले में जबतक ये कविता ना हो तब तक मेला अधूरा लगता है, हमे तो पूरा आता है अब हम भी इस कविता का पाठ करते हैं ❤❤
ई भक्ति के रंग में रंगल गाँव देखा
धरम में करम में सनल गाँव देखा
अगल में बगल में सगल गाँव देखा
अमवसा नहाये चलल गाँव देखा॥
एहू हाथे झोरा, ओहू हाथे झोरा
अ कान्ही पे बोरी, कपारे पे बोरा
अ कमरी में केहू, रजाई में केहू
अ कथरी में केहू, दुलाई में केहू
अ आजी रंगावत हईं गोड़ देखा
हँसत हउवैं बब्बा तनी जोड़ देखा
घुँघुटवै से पूँछै पतोहिया कि अइया
गठरिया में अबका रखाई बतइहा
एहर हउवै लुग्गा ओहर हउवै पूड़ी
रमायन के लग्गे हौ मड़ुआ के ढूँढ़ी
ऊ चाउर अ चिउरा किनारे के ओरी
अ नयका चपलवा अचारे के ओरी
अमवसा क मेला अमवसा क मेला
इहइ हउवै भइया अमवसा क मेला॥
मचल हउवै हल्ला चढ़ावा उतारा
खचाखच भरल रेलगाड़ी निहारा
एहर गुर्री-गुर्रा ओहर लोली-लोला
अ बिच्चे में हउवै सराफत से बोला
चपायल हौ केहू, दबायल हौ केहू
अ घंटन से उप्पर टंगायल हौ केहू
केहू हक्का-बक्का केहू लाल-पीयर
केहू फनफनात हउवै कीरा के नीयर
अ बप्पारे बप्पा, अ दइया रे दइया
तनी हमैं आगे बढ़ै देत्या भइया
मगर केहू दर से टसकले न टसकै
टसकले न टसकै, मसकले न मसकै
छिड़ल हौ हिताई नताई क चरचा
पढ़ाई लिखाई कमाई क चरचा
दरोगा क बदली करावत हौ केहू
अ लग्गी से पानी पियावत हौ केहू
अमवसा क मेला अमवसा क मेला
इहइ हउवै भइया अमवसा क मेला॥
जेहर देखा ओहरैं बढ़त हउवै मेला
अ सरगे क सीढ़ी चढ़त हउवै मेला
बड़ी हउवै साँसत न कहले कहाला
मूड़ैमूड़ सगरों न गिनले गिनाला
एही भीड़ में संत गिरहस्त देखा
सबै अपने अपने में हौ ब्यस्त देखा
अ टाई में केहू, टोपी में केहू
अ झूँसी में केहू, अलोपी में केहू
अखाड़न क संगत अ रंगत ई देखा
बिछल हौ हजारन क पंगत ई देखा
कहीं रासलीला कहीं परबचन हौ
कहीं गोष्ठी हौ कहीं पर भजन हौ
केहू बुढ़िया माई के कोरा उठावै
अ तिरबेनी मइया में गोता लगावै
कलपबास में घर क चिन्ता लगल हौ
कटल धान खरिहाने वइसै परल हौ
अमवसा क मेला अमवसा क मेला
इहइ हउवै भइया अमवसा क मेला॥
गुलब्बन क दुलहिन चलैं धीरे-धीरे
भरल नाव जइसे नदी तीरे-तीरे
सजल देह हौ जइसे गौने क डोली
हँसी हौ बताशा शहद हउवै बोली
अ देखैलीं ठोकर बचावैलीं धक्का
मनै मन छोहारा मनै मन मुनक्का
फुटेहरा नियर मुस्किया-मुस्किया के
ऊ देखेलीं मेला सिहा के चिहा के
सबै देवी देवता मनावत चलैंलीं
अ नरियर पे नरियर चढ़ावत चलैलीं
किनारे से देखैं इशारे से बोलैं
कहीं गांठ जोड़ैं कहीं गांठ खोलैं
बड़े मन से मन्दिर में दरसन करैलीं
अ दूधे से शिवजी क अरघा भरैलीं
चढ़ावैं चढ़ावा अ गोठैं शिवाला
छुवल चाहैं पिन्डी लटक नाहीं जाला
अमवसा क मेला अमवसा क मेला
इहइ हउवै भइया अमवसा क मेला॥
बहुत दिन पर चम्पा चमेली भेटइलीं
अ बचपन क दूनो सहेली भेंटइलीं
ई आपन सुनावैं ऊ आपन सुनावैं
दूनों आपन गहना गदेला गिनावैं
असों का बनवलू असों का गढ़वलू
तू जीजा क फोटो न अब तक पठवलू
न ई उन्हैं रोकैं न ऊ इन्हैं टोकैं
दूनौ अपने दुलहा क तारीफ झोकैं
हमैं अपनी सासू क पुतरी तू जान्या
अ हम्मैं ससुर जी क पगरी तू जान्या
शहरियों में पक्की देहतियो में पक्की
चलत हउवै टेम्पो चलत हउवै चक्की
मनैमन जरै अ गड़ै लगलीं दूनों
भयल तू-तू मैं-मैं लड़ै लगली दूनों
अ साधू छोड़ावैं सिपाही छोड़ावै
अ हलुवाई जइसे कराही छोड़ावैं
अमवसा क मेला अमवसा क मेला
इहइ हउवै भइया अमवसा क मेला॥
कलौता क माई क झोरा हेरायल
अ बुद्धू क बड़का कटोरा हेरायल
टिकुलिया क माई टिकुलिया के जोहै
बिजुलिया क भाई बिजुलिया के जोहै
माचल हउवै मेला में सगरों ढुंढाई
चमेला क बाबू चमेला का माई
गुलबिया सभत्तर निहारत चलैले
मुरहुवा मुरहुवा पुकारत चलैले
अ छोटकी बिटिउवा क मारत चलैले
बिटिउवै पर गुस्सा उतारत चलैले
गोबरधन क सरहज किनारे भेंटइलीं
गोबरधन के संगे पउँड़ के नहइलीं
घरे चलता पाहुन दही-गुड़ खियाइत
भतीजा भयल हौ भतीजा देखाइत
उहैं फेंक गठरी परइलैं गोबरधन
न फिर-फिर देखइलैं धरइलैं गोबरधन
अमवसा क मेला अमवसा क मेला
इहइ हउवै भइया अमवसा क मेला॥
केहू शाल सुइटर दुशाला मोलावै
केहू बस अटैची क ताला मोलावै
केहू चायदानी पियाला मोलावै
सोठउरा क केहू मसाला मोलावै
नुमाइस में जातैं बदल गइलीं भउजी
अ भइया से आगे निकल गइलीं भउजी
हिंडोला जब आयल मचल गइलीं भउजी
अ देखतै डरामा उछल गइलीं भउजी
अ भइया बेचारू जोड़त हउवैं खरचा
भुलइले न भूलै पकौड़ी क मरचा
बिहाने कचहरी कचहरी क चिन्ता
बहिनिया क गौना मसहरी क चिन्ता
फटल हउवै कुरता फटल हउवै जूता
खलित्ता में खाली केराया क बूता
तबौ पीछे-पीछे चलत जात हउवन
गदेरी में सुरती मलत जात हउवन
अमवसा क मेला अमवसा क मेला
इहइ हउवै भइया अमवसा क मेला॥
💛🌺
😂😂😂
❤
भोजपुरी के यह हीरे और हीरो क्यों दब के रह जाते हैं, क्या सुंदर ज़बान औ केतना नीक कविता ।
Ye avadhi hai na ki bhojpuri
@@EasyCraft7 ye banaras belt ki bhasa h . Jisme jaunpur,bihar sabhi bhasao ka prabhav h
बहुत सुंदर कविता मेरे मैनेजर मनोज तिवारी सर ने मुझे पहली बार दिखाया था।
शुद्ध गरीब किसान मजदूर और भारत के ग्रामीण क्षेत्र के झलक है इस कविता में । 🙏🙏🙏🙏🙏
1996 me suna tha maine .....salam hai aapko ... bilkul satya vachan hai aapke pure halat ko Banya kar diya
Wah gutam jee Kavita ka jariya Kya khoob prayagraj ka maila ki prastuti di hai aapna bhut sunder tarika sai bhartiya sanskrti ko bataya hai aapna 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏👌👌👌👌👌👌👌👌👌
मेरे पापा को भी बहुत ही अच्छा लगता है, और उनको खुश देखकर मुझे बहुत अच्छा लगता है 😍😍😍😍👌👌👌👌👍👍👍
Ravish jee ke Bihan se yaha aaya hu...Bahut achha lga🌻
Ye Gana Main 16 Saal Pahle Radio Per Suna Tha Parantu Aaj Khojte Khojte Mil Gaya...
मेरे को बहुत अच्छा लगता है यह कविता ❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
Kon 2024 me sun rha hi
बेहतरीन
बहुत ही शानदार कविता, और सुनाने की शैली जबरदस्त।।।।
Pure vegiterian poetry,,,, So nice
Kitne log Instagram se dekh kar aaye Hain rail
Maine Goutam ji ko live is Kavita ko gate şuna hai apne school ke Kavi sammelan me.Nice memory recall.
Haseen behad haseen. Bhasha mein koi banawat nahi. Ek dum aisa lagta hai watan ki mitti ki khushboo jhonka.
It is very beautiful poem that presents the exact condition our Indian culture
अब पैटर्न बदला गया है।
Wah , behtareen , lajwab 😆😆😆😆😆
Kailash ji bachpan ka gaon yaad aa gaya ❤❤❤❤❤.
बेहतरीन प्रस्तुति
कृपया और ऐसी कविताएं लाये
Maza aa gya pura visualisation ho gya
गदौरी शब्द बहुत दिनो बाद सुना एवं गर्भवती महिला का किनारे से चलती नाव के साथ तुलना अनुपम था।
Soch rhe..... Chale jaye aaj😍😍😍❤️aaj bhi amavshya hai💗💗💗💗
Bxzzxxxlmmmmm m .mm mm
मेला दिनों का आता है एक बार आके चला जाता है 🥰🥰
is Kavita ka koi jawab hi nahin hai..bilkul real life story
Waah.... Kya khoob....aap ko aap ki lekhani ko pranaam
आज मेरे हिंदी के अध्यापक ने इस कविता के बारे में बताएं है ।
कितना लोग रविश कुमार के विडियो देखला के बाद आइल बा!!
Ye hai bhojpuri sahitya ❤❤❤
awadhi
हमारी समृद्ध संस्कृति
Wahh 😍😍👌👌
Maine bhi aaj se 15 saal pahle aakashwadi lucknow pe suna tha
शुद्ध भारतीय कविता।
जी हा
Wah-wah
What a description!
कैलाश गौतम जी भोजपुरी साहित्य के स्तंभकारों की अग्रिम पंक्ति के कवि हैं
अवधी के कवि थे कैलाश गौतम
@@manishkumaryadav3315 ye chandauli ke rhne wale the Or waha bhojpuri hi boli jati hai
Ye kavita maine bacpan me suni thi aj mai pachpan ka ho gaya lekin es kavita ko sunne me utna hi Maja aaya👌
Jabardast 😊❤
Aap amar rahenge kailash ji,
Sangam ko jo apne shabd diye,
Purvanchal ki dharti ko koi nahi dega,
Apko namannn
वाह क्या बात है। बहुत ख़ूब। ❤️ 😊
दिल जीत लिया साहब
बहुत ही अच्छा लगा 👍👍❤️😂😂😂😂
Ultimate picturization.
🙏🙏🙏🙏 gajab. Sir.
Jai bhim sir app ek gerat kavi hai
यह कविता सुनकर कुछ देर के लिए मैं मौन हो जाता हूँ।हृदय भाव विभोर हो उठता है।
बहुत ही सुन्दर रचना चित्रण👌👌
आहा लाजवाब
Very clear vision of village enviorment shows poetry like them.
नमन आपको सर, अब नही हैं, लेकिन कविता में हमेशा रहेंगे
आपबीती सुन कर दिल गदगद हो गया..
Bahut hi khoobsoorat vivaran
Vah kavi ji
Es lok ab wah nahi hain.parlok me to hain yaa kahi aur hi...unko Puri aastha ke sath shat shat Naman
Waah mujhe apne daadi baba ki yaad aa gai...aankhen bheeg gayeen...
😢 hmm
अति सुंदर प्रस्तुति
Are wahwv❤❤❤❤😊😊😊😊😊
Purani yade taza ho jati hai
2021 me sun raha hu aur bahut achha lga
Bahut bahut dhanyavad.....?
Gautam ji...
Apko sunkar bahut acchaaaa Laga.....
Hm log bhikhari Thakur ji Ko na dekh paye ......
Kabhi apse milna hua to jiwan dhanya samjhunga......
Bahut Sara pyar aur aabhar.....
Apka subhchintak...
Vikash Raj Singh'shahi'
वाह वाह सर जी
शानदार कवि जी
वाह मजा आ गया
Bahut badhiya
Feel this 😊😊😊
शानदार. अद्वितीय
One if my favorite😍😍
University of allahabad
बेहतरीन !!!
Bhaut yaad ata apna gaav , kaash wahi samay ajata 😪
Wah bahut achha
Ab kaha hota hai aisa mela
Kailash Gautam ji mere Gaanv ke hain
Wow...
Superb
Kya bat Maja aa gya
BAHUT ACHCHHA
Bahut Khub sir
Aapne jo movie upload kiya hai wo movie kaisi hai
Kuch khas
Wow 😀
Awesome 😎,🥰🥰🥰
Aap sada prerana ka srot bane rahenge, respect ❤️ se 🙏🙏🙏🙏
कितनी जमीनी जुड़ाव प्रस्तुती है।
बहुत खूब
Wah Wah bahut acha
अरे दादा कहां चले गए🙏🏻