ध्यान करने से अननोन चीजों को समझ सकते हैं। यह मेरा खुदका अनुभव है। में क्या सोच रहा हूं वो देख सकने का अनुभव है। मे देख रहा हूं ऐसा भी एहसास कर चुका हूं यानी तीन परीमाण पीछे मे सपने देख सकता हुं ओर बीच में जागने के बाद फिर से सपने को जोड़ कर आगे देख सकने का अनुभव है। सपने को काफी हद तक याद रख सकता हूं जागरूक अवस्था में लोजीक से सपने कि जांच पड़ताल भी बेवकूफ सोच का भी अध्ययन हुआ है।
Time stamp- 12:22, when you said "information is there in the vedas as a seed", i would also like to add something here for people to understand; "योगश्चित्तवृत्तिनिरोधः" -- Only this one word has encoded information that if you will ever try to understand the exact meaning of this one word, I am definitely sure that this one word will lead you to the 'Brahmajignasa' and after understanding only this one word, there will remain nothing to be understood. For simpler understanding, let me give you the meaning: "Yoga is the result of stopping the mind-stuff (Chitta) from taking various forms(Vrittis)". Now, just after knowing the interpretation, you would have another question in yiur mind, "what happens after stopping this activities?", "why to stop this activity?", "what is the mind-stuff (chitta)?", "what will happen to chitta if it will be having no activity at all?".. and lots of questions will be there by knowing that one word. Therefore, "अथातो ब्रह्म जिज्ञासा" -- is the first line of the Brahma Sutra. See, our Rishis have done greatest work of all time. All of them are interrelated with each other in many different ways. But it can be decoded when you can understand their intentions for writing those words. Therefore, our rishis were not only scientists, they were something else (as per the guest) 😊🙏🏼 Thansk
रवि सिंह चौधरी जी एक इंजीनियर, किसान, कृषि उद्यमी, लेखक और वैदिक वैज्ञानिक के साथ साथ विनम्र छात्र हैं। इनको मैं पिछले ७ सालों से जानता हूं। एक ऐसा इंसान हैं जिनसे आपको बार बार बात करने और मिलने की इच्छा होती है। रवि सिंह चौधरी धन्यवाद
श्री युश महाराज जी से मिलिए उत्थान फाऊंडेशन गाजीपुर उत्तर प्रदेश में सब तरह की यात्रा कर पाएंगे।अभी युवा संत हैं। मैं मुम्बई से कमेंट लिख रहा।हमने कयीयों साल बिताए हैं,श्री युश महाराज जी के साथ।
अब वर्तमान के वैज्ञानिक तो देखो या परखो या सुनो या स्वाद चखो या सुगंध लो यह मे से सिर्फ परखना, सुनना, देखना या सिर्फ तीन इन्द्रियाँ ही सिख पाये है अब दो बाकी है पर ऐसा नही इन्द्रियाँ तो कही अधिक हैं।
दार्शनिक विज्ञान का कार्य नालंदा मे था। बनी हुईँ वस्तु से तो कोई बनाता हैं पर वस्तु नयी बना लेना। यह दोनो कृती मे से आकृति का निर्माण करना हैं।यह सब्द का अर्थ था सुन्य से सर्जन 0=(-0/-0) ऋषी यह अभी वर्तमान मे भी करते हैं।
Thanks ravi ji, i am very impressed with your conversation, i were looking same gyes like you, my suggestion is, you have to build social media teams so that your content spread out over the network , people will aware maikale thinking, Please share your social media channel So that i can share and promote your channel
If he had knowledge he wouldn't be quoting people and their presented ideas. Just in the case of samadhi how he presented it what it is and everything is soo damn foolish.
धर्म सँबाद नाम का कार्यक्रम ज्ञान वर्धक हि लगा भाइ साहेब बहुत मेहनत करके पढा लिखा लगता है सुन्ने मे निश्चय बहुत अच्छा तर्क बहस गहरा भि लगा बहुत बार सुन्ने को इच्छा सहि माने मे लगा लेकिन इतना तर्क बहस विमर्श बितर्क मेहनत परिश्रम करके भि आत्मा का अस्तित्व मे हि पडे रहे सार मे वैसा लगता है कयो ? बिज्ञान तकनीकी का सहारे आत्मा होने का कारण मे बिज्ञान को फसादिया क्या ? वेद ग्रन्थ शास्त्र साहित्य का बिज्ञान परक बनाने के वाहना मे आधुनिक बिज्ञान और बैज्ञानिक Rational चिन्तन विचार के साथ Mythology का जोडने का उदेश्य तो नहि हैं यार ? हो गया तो गलत होगा हमारा मानना है ! भरसक ऐसा न हो !
वेद असल में चाहता ही नही है की टेक्नोलॉजी आए.... क्योंकि वेद जानते ये टेक्नोलॉजी विनाश है. । कुछ समय के लिए टेक्नोलॉजी फायदा देती है लेकिन थारे धीरे वो एक सर4दर्द बन जाती है
@@okmovie12 तो अच्छा होता ...आज मोबाइल और टेक्नोलॉजी की वजह से विनाश भी नही होता....अभी दुनियां विनाश की कगार पर है किसी एक बेवकूफ देश ने एटम बंब उपयोग में ले लिया तो सोचो दुनियां का क्या होगा.....
विज्ञान सोच का परिणाम है जैसे मैथ्स लेकिन यूनिवरस का अंत नही है समय खत्म हो सकता है लेकिन चांद🌙🌚🌜 तारो को कोई नहीं गिन नहीं पायगा धरती के सार परमाणु के बराबर जीरो लगा दो फिर भी 0 ℅ नहीं गिन पाओगे सच विज्ञान नहीं है❌❌
Jo self h, esi ko aatma, energy, chetna bhagwan kahte h. Ye sada tha sada rahega sada se h. Atma yani aatm yani self yani mai. Log Es sharir ko mai bolte h bt samajh k level par jaan lo k ye sharir. Aap nahi h. Mai hi h. Es srishti me. Yahi mai drishti evam drishya h. Jo mai dekh raha h n jo dikh raha h wo ek hi h.
All possible to do but it’s require patience and dedication with desired intimacy it’s already in side all body as dna but it’s not able to activate once you Dhyan then you go for sadhana and then ( words I forget to ) like if Hindi me jahe to sampurna samrpan to something unknown but it is in side body all process not easy almost 60 months and you do not know days and neight it’s auto timing body it’s not related to any time which we think not easy to explain so we unable decode old Sanskrit Granth and Shastras books
Dcode करना वर्तमानके वैज्ञानिक के पास नही। अभी तक कहीं समय हैं तब यह ऐसा सोच पायेंगे जो हम भरतीय पहले से अनुभव कर लेते है यह भेद भी अनुवांसीक्ता मे हैं।
0=(-0.001.../-0.009...) संस्कृत को हमारे पूर्वजो द्वारा जानबूझकर कर छुपाया गया है जो हम या कोई विदेशी भी इनको डी कोड नही कर पा रहे हैं। क्युंकि उश्को अनुभव कर पाते हो पर सर्जन नही तो भ्रम हैं। क्युंकि ऋषिगण वर्तमान मे भी वह कर रहे हैं।
There is one said that she died sone where she went and saw her body and refused died she needed sometime to live and the authorty give her choice to go back before going to back body was corrected by herself at a quite destant place but she can touched body fault and removed it. And came back for within no time here time is very less even we can say just thinks and done all talks and procedure done at the speed of light or mind.
Hrishimuni were teaching veda in which they were sharing knowledge was already scripted and knowledge was shared by God so no need to contradict God's knowledge
प्राचीन ऋषियों ने क्या किया? में बताता हूँ। प्राचीन ऋषियों ने बुढ़ापे में जवान होने के नुस्खे खोजे, ज़िससे बुढ़ापे में ज्यादा से ज्यादा स्त्री सुख का आनंद ले सकें। उन्हें मोक्ष प्राप्त करने की आकांक्षा नहीं थी वरन् सेक्स भोग विलास की उत्कंठा ज्यादा थी इसलिए उन्होंने कोक शास्त्र एवं बाजीकरण औषधियों का आविष्कार किया।
देखो और वोह कैसे देख पा रहे हो यह दर्शन शास्त्र है । जिसको आप obsarvation theory कह रहे है। वर्तमान विज्ञान अभी तो सिर्फ इन्द्रियाँ ही बना पाया हैं। यह तो हमारे पास पहले से हैं।
Ghnta iss aadmi ko ek nayi kiran mili thi science ki simplicity ki par ye jinn logo ne science ko dekhkr uski interpretation ki unki hi bato m kho gaya. just as scientist's name are used to name the thing they discovered, suppose aajse 2000 saal bæd log Einstein ki pooja krne lage fr orr 2000 saal ke bd unhe frse unfold ho ki "achaaa vo tw ek insan tha jisne iss force ke bare m btaya tha" rather then they being that thing. Esa hi kuch rishiyon ke sath hua orr unke 2000 saal bd jo log aaye unke jinhone ye sara pooja n all ka system nikala Hell 😂
And for those who think rishis were something extra ordinary orr something then m sorry to put a brutal end to the course u are taking and point out that human kind in the form it is in is attending(present) here the nature since more than 1 or 2 million yrs nd isme koi ascharya ki baat nih h ki jab aap itna wqt kisi cheez ke sath gujarte ho tw you do understand many and many layers of that thing.
All possible to do but it’s require patience and dedication with desired intimacy it’s already in side all body as dna but it’s not able to activate once you Dhyan then you go for sadhana and then ( words I forget to ) like if Hindi me jahe to sampurna samrpan to something unknown but it is in side body all process not easy almost 60 months and you do not know days and neight it’s auto timing body it’s not related to any time which we think not easy to explain so we unable decode old Sanskrit Granth and Shastras books
मेरा मानना है कि मोक्ष यानी अज्ञान ता का खत्म होना यह अंतर मन के ईन्टयुशन से ही जवाब आना चाहीए
ध्यान करने से अननोन चीजों को समझ सकते हैं। यह मेरा खुदका अनुभव है।
में क्या सोच रहा हूं वो देख सकने का अनुभव है। मे देख रहा हूं ऐसा भी एहसास कर चुका हूं यानी तीन परीमाण पीछे
मे सपने देख सकता हुं ओर बीच में जागने के बाद फिर से सपने को जोड़ कर आगे देख सकने का अनुभव है।
सपने को काफी हद तक याद रख सकता हूं जागरूक अवस्था में लोजीक से सपने कि जांच पड़ताल भी बेवकूफ सोच का भी अध्ययन हुआ है।
रवि जी और आपके कार्यक्रम की प्रतिक्षा रहेगी।
Very effective discussion, absolutely logical.
अत्यंत ज्ञानवर्धक, अप्रतिम, प्रेरणादायक, कोटि कोटि धन्यवाद।
Very well articulated deep knowledge
So happy to see you Ravi bhai.
Enlightening Talk
Marvellous, this apisod e answers some of my questions which have baffled my mind for a long time. Thanks for a marvellous episode.
❤❤❤❤❤
Ravi ji aapka bahut bahut dhnyawad!
Ye bs kuch minute ka show hai,but aapka jo mehnat hai iske piche❤❤❤
Colonisation of mind❤❤❤
Time stamp- 12:22, when you said "information is there in the vedas as a seed", i would also like to add something here for people to understand; "योगश्चित्तवृत्तिनिरोधः" -- Only this one word has encoded information that if you will ever try to understand the exact meaning of this one word, I am definitely sure that this one word will lead you to the 'Brahmajignasa' and after understanding only this one word, there will remain nothing to be understood. For simpler understanding, let me give you the meaning: "Yoga is the result of stopping the mind-stuff (Chitta) from taking various forms(Vrittis)".
Now, just after knowing the interpretation, you would have another question in yiur mind, "what happens after stopping this activities?", "why to stop this activity?", "what is the mind-stuff (chitta)?", "what will happen to chitta if it will be having no activity at all?".. and lots of questions will be there by knowing that one word. Therefore, "अथातो ब्रह्म जिज्ञासा" -- is the first line of the Brahma Sutra. See, our Rishis have done greatest work of all time. All of them are interrelated with each other in many different ways. But it can be decoded when you can understand their intentions for writing those words. Therefore, our rishis were not only scientists, they were something else (as per the guest) 😊🙏🏼
Thansk
रवि सिंह चौधरी जी एक इंजीनियर, किसान, कृषि उद्यमी, लेखक और वैदिक वैज्ञानिक के साथ साथ विनम्र छात्र हैं। इनको मैं पिछले ७ सालों से जानता हूं। एक ऐसा इंसान हैं जिनसे आपको बार बार बात करने और मिलने की इच्छा होती है।
रवि सिंह चौधरी धन्यवाद
सब तारीफ आज ही कर दिए आप तो 🙏🙏🙏 चरण स्पर्श
बहुत अच्छा संवाद 👏धन्य हैं रवि जी 🙏
Protect this man at all costs.
बहुत ही बढ़िया बढ़िया अती उतम ज्ञान है 🙏🙏
Very good analysis, must knowing by every modern and inquisitive Indian.
Great.
Mind blowing... really nice info 👌
Ravi ji aapke baare bilkul sach hai❤
Congratulations ravi 😊. knowledgeable
वाह भाई
This man is brilliant
You are right.
Ved me sab kuch he , ved he sab kuch he 🙏
Very interesting
Hum Hindustani log dharm aur bhagwaan ke bare me jitni faikte hai, utna doosra koi nahi...😮😮😮
Jai shree Ram Jai Sanatan Dharma
Nice
The word is (bridge) most
Important today. That will
Bring solutions. Thanks.
Very beautiful and meaningful conversations. Thank you Ravi and Neha. Awaiting the continuation of the topic in Part 2
2nd part is already uploaded. See for quantum physics.
ओम नमः शिवाय ॐ
Om नमस्ते जी
Jai Nepal आमा को
Sanatan dharma is great. We have forgot what we are.
समाधि ही हर तत्त्व का ज्ञान देता है।
detail pls
श्री युश महाराज जी से मिलिए उत्थान फाऊंडेशन गाजीपुर उत्तर प्रदेश में सब तरह की यात्रा कर पाएंगे।अभी युवा संत हैं। मैं मुम्बई से कमेंट लिख रहा।हमने कयीयों साल बिताए हैं,श्री युश महाराज जी के साथ।
Ravi bhaya app apna ek podcast channel suru kre apki batto ko sunne ke liye hme sahi plateform milega
आपकी ' ऋषी इंटेलिजेंस ' किताब को Amazon पर हिंदी मे भी उपलब्ध करवाइयेगा !
🙏🙏👍👌👌
अब वर्तमान के वैज्ञानिक तो देखो या परखो या सुनो या स्वाद चखो या सुगंध लो यह मे से सिर्फ परखना, सुनना, देखना या सिर्फ तीन इन्द्रियाँ ही सिख पाये है अब दो बाकी है पर ऐसा नही इन्द्रियाँ तो कही अधिक हैं।
दार्शनिक विज्ञान का कार्य नालंदा मे था। बनी हुईँ वस्तु से तो कोई बनाता हैं पर वस्तु नयी बना लेना। यह दोनो कृती मे से आकृति का निर्माण करना हैं।यह सब्द का अर्थ था सुन्य से सर्जन 0=(-0/-0) ऋषी यह अभी वर्तमान मे भी करते हैं।
Thanks ravi ji, i am very impressed with your conversation, i were looking same gyes like you, my suggestion is, you have to build social media teams so that your content spread out over the network , people will aware maikale thinking,
Please share your social media channel
So that i can share and promote your channel
Excellent sir, your deep diversersified knowledge is heartly commendable .
Knowledge nih h inke pass interpretations hai.
If he had knowledge he wouldn't be quoting people and their presented ideas.
Just in the case of samadhi how he presented it what it is and everything is soo damn foolish.
First like first comments ❤
धर्म सँबाद नाम का कार्यक्रम ज्ञान वर्धक हि लगा भाइ साहेब बहुत मेहनत करके पढा लिखा लगता है सुन्ने मे निश्चय बहुत अच्छा तर्क बहस गहरा भि लगा बहुत बार सुन्ने को इच्छा सहि माने मे लगा लेकिन इतना तर्क बहस विमर्श बितर्क मेहनत परिश्रम करके भि आत्मा का अस्तित्व मे हि पडे रहे सार मे वैसा लगता है कयो ? बिज्ञान तकनीकी का सहारे आत्मा होने का कारण मे बिज्ञान को फसादिया क्या ? वेद ग्रन्थ शास्त्र साहित्य का बिज्ञान परक बनाने के वाहना मे आधुनिक बिज्ञान और बैज्ञानिक Rational चिन्तन विचार के साथ Mythology का जोडने का उदेश्य तो नहि हैं यार ? हो गया तो गलत होगा हमारा मानना है ! भरसक ऐसा न हो !
बिल्कुल सही अनालिस है ❤
जिस दिन से श्री राम नाम जपने लगोगो उसी दिन से हर सवाल का जवाब मिलने लगेगा
Kindly Invite Acharya Prashant for Interview
वेद असल में चाहता ही नही है की टेक्नोलॉजी आए.... क्योंकि वेद जानते ये टेक्नोलॉजी विनाश है. । कुछ समय के लिए टेक्नोलॉजी फायदा देती है लेकिन थारे धीरे वो एक सर4दर्द बन जाती है
Ye sab nahi hota to Aaj mobile bhi nahi aata or ye log video nahi dal rhe hote yha🤣🤣
@@okmovie12 तो अच्छा होता ...आज मोबाइल और टेक्नोलॉजी की वजह से विनाश भी नही होता....अभी दुनियां विनाश की कगार पर है किसी एक बेवकूफ देश ने एटम बंब उपयोग में ले लिया तो सोचो दुनियां का क्या होगा.....
मूर्ख वेद नहीं कहते बल्कि हम नहीं चाहते हैं।
Whatsapp university ka phd holder😅
विज्ञान सोच का परिणाम है जैसे मैथ्स लेकिन यूनिवरस का अंत नही है समय खत्म हो सकता है लेकिन चांद🌙🌚🌜 तारो को कोई नहीं गिन नहीं पायगा धरती के सार परमाणु के बराबर जीरो लगा दो फिर भी 0 ℅ नहीं गिन पाओगे सच विज्ञान नहीं है❌❌
Rishi mining recerchar
Mam aap rashifal kyon nahin dal rahe aap rashifal jarur bataya Karen hamen bahut aage ke liye samajhna padta hai bahut acchi bhavishyvani karte ho aap
Jo self h, esi ko aatma, energy, chetna bhagwan kahte h. Ye sada tha sada rahega sada se h. Atma yani aatm yani self yani mai. Log Es sharir ko mai bolte h bt samajh k level par jaan lo k ye sharir. Aap nahi h. Mai hi h. Es srishti me. Yahi mai drishti evam drishya h. Jo mai dekh raha h n jo dikh raha h wo ek hi h.
All possible to do but it’s require patience and dedication with desired intimacy it’s already in side all body as dna but it’s not able to activate once you Dhyan then you go for sadhana and then ( words I forget to ) like if Hindi me jahe to sampurna samrpan to something unknown but it is in side body all process not easy almost 60 months and you do not know days and neight it’s auto timing body it’s not related to any time which we think not easy to explain so we unable decode old Sanskrit Granth and Shastras books
Pl send Aaj ka rashifal
Acharya agnivrat ji ko bulaya jaye
Bahut hi jald hum unke sath ki gayi baat chit sajha karenge
Acharya agnivrat ji ko bulayen
Dcode करना वर्तमानके वैज्ञानिक के पास नही। अभी तक कहीं समय हैं तब यह ऐसा सोच पायेंगे जो हम भरतीय पहले से अनुभव कर लेते है यह भेद भी अनुवांसीक्ता मे हैं।
raviji, kathopnishad mai, bhagwan shri krishnan, kya kaha hai....
ऋषि इंटेलिजेंस किताब को हिंदी में भी
लाना चाहिए
कुछ समय मे आने वाली है ।
यह ज्ञान को लोगों तक न पहुंचा
Jab Aarya samaj ke logo ko invite kare aap tab TH-camr ahvaan call of dharma bhaiya ko jarur bulayega
0=(-0.001.../-0.009...) संस्कृत को हमारे पूर्वजो द्वारा जानबूझकर कर छुपाया गया है जो हम या कोई विदेशी भी इनको डी कोड नही कर पा रहे हैं। क्युंकि उश्को अनुभव कर पाते हो पर सर्जन नही तो भ्रम हैं। क्युंकि ऋषिगण वर्तमान मे भी वह कर रहे हैं।
जिसको थोड़ी भी physics का ज्ञान हो वो time travel जैसी मूर्खतापूर्ण बात नहीं कर सकता है.
Acharya agnivrat ji ko bulaya jaye 🙏🏻👍🏻
Acharya aghivrat ji ko to vadic ganit(math) to nahi aata nahi to bula lete
There is one said that she died sone where she went and saw her body and refused died she needed sometime to live and the authorty give her choice to go back before going to back body was corrected by herself at a quite destant place but she can touched body fault and removed it. And came back for within no time here time is very less even we can say just thinks and done all talks and procedure done at the speed of light or mind.
Hrishimuni were teaching veda in which they were sharing knowledge was already scripted and knowledge was shared by God so no need to contradict God's knowledge
प्राचीन ऋषियों ने क्या किया? में बताता हूँ। प्राचीन ऋषियों ने बुढ़ापे में जवान होने के नुस्खे खोजे, ज़िससे बुढ़ापे में ज्यादा से ज्यादा स्त्री सुख का आनंद ले सकें। उन्हें मोक्ष प्राप्त करने की आकांक्षा नहीं थी वरन् सेक्स भोग विलास की उत्कंठा ज्यादा थी इसलिए उन्होंने कोक शास्त्र एवं बाजीकरण औषधियों का आविष्कार किया।
Chal tune maan tho liya rishi purane h sex se tho paida hua h beta
Sorry..
देखो और वोह कैसे देख पा रहे हो यह दर्शन शास्त्र है । जिसको आप obsarvation theory कह रहे है। वर्तमान विज्ञान अभी तो सिर्फ इन्द्रियाँ ही बना पाया हैं। यह तो हमारे पास पहले से हैं।
There is no science in our religious scriptures. So don't try to find scriptures knowledge in science.
Ghnta iss aadmi ko ek nayi kiran mili thi science ki simplicity ki par ye jinn logo ne science ko dekhkr uski interpretation ki unki hi bato m kho gaya.
just as scientist's name are used to name the thing they discovered, suppose aajse 2000 saal bæd log Einstein ki pooja krne lage fr orr 2000 saal ke bd unhe frse unfold ho ki "achaaa vo tw ek insan tha jisne iss force ke bare m btaya tha" rather then they being that thing. Esa hi kuch rishiyon ke sath hua orr unke 2000 saal bd jo log aaye unke jinhone ye sara pooja n all ka system nikala
Hell 😂
And for those who think rishis were something extra ordinary orr something then m sorry to put a brutal end to the course u are taking and point out that human kind in the form it is in is attending(present) here the nature since more than 1 or 2 million yrs nd isme koi ascharya ki baat nih h ki jab aap itna wqt kisi cheez ke sath gujarte ho tw you do understand many and many layers of that thing.
B tech waale sab ulti seedhi cheezein karte hai.... kaam nahi karte
Bhai tumhare baa ka ni h rehne de
तुम्हारे वश की बात नहीं
Intuition गलत भी हो सकता है
Rehne de Bhai
क्यो झुठी कहानियाँ फैला रहे हो।
लंबी लंबी फेकने वाला वीडियो😅😅
ravi ji, aap achhe vkta ho, gyani nhi ho, ..kitni bakwas baat krte ho.
Ji bilkul wo to khana bhi past me jake khate the
Truth ko daba sakte hai maar nahi sakte th-cam.com/video/9beSkYZBQ0U/w-d-xo.htmlsi=j5oOfjQX1X2DRYbZ
All possible to do but it’s require patience and dedication with desired intimacy it’s already in side all body as dna but it’s not able to activate once you Dhyan then you go for sadhana and then ( words I forget to ) like if Hindi me jahe to sampurna samrpan to something unknown but it is in side body all process not easy almost 60 months and you do not know days and neight it’s auto timing body it’s not related to any time which we think not easy to explain so we unable decode old Sanskrit Granth and Shastras books
Rishi mining recerchar