जब खानदानी धामीयों की जगह को दूसरे लोग छीन लें तो झगड़े से दूर निकल कर अलग से नया रथ बनाना मज़बूरी बन गई! और रही पुराने रथ की बात वो कहां है? पुराना रथ दो हार ने बनवाया था और दो हार से ही चलन चलावा होता था! दो हार के धामी चलाते थे और मूल स्थान शालागाड़ कोठी से चलाते थे! बाद में अंग्रेजों की तरह पांच हारी जुड़ी और भारत की तरह पुराना रथ लूट ले गए! दो हार ने देवेश्वर चंञ्जवाला जी महादेव के मूल स्थान और स्वयं उनको चुना (सिर्फ एक अष्टधातु से निर्मित मोहरा) और पांच हारीयों ने स्वर्ण निर्मित रथ को चुना! हमारे बुजुर्ग जानते थे हमें महादेव हमारे साथ चाहिए रथ तो हम और भी बना लेंगे! और देवेश्वर चंञ्जवाला जी महादेव का नया रथ बना!
जिनको महादेव के नीति-नियम, मूल स्थान और तो और स्वयं देवेश्वर चंञ्जवाला जी महादेव की नहीं पड़ी वो लोग स्वार्थ की बात कर रहे हैं! स्वार्थी तुम लोग हो जो अपने स्वार्थ के लिए महादेव के मूल स्थान को छोड़ कर दूसरी जगह कोठी बनाई! नया रथ बनाना हमारा स्वार्थ नहीं मजबुरी थी, जब खानदानी लोगों की जगह दूसरे लोग छीन ले तो झगड़े को छोड़कर ऐसा मजबूरन करना पड़ा! हम तो अलग है 50 वर्षों से तो फिर आजकल क्यूं खानदानी धामी की जगह दूसरे लोग छीन रहे हैं! दूसरों की जगह छीनने वाले स्वार्थी होते हैं, मनुष्य नहीं दैत्य प्रवृत्ति के लोग हो तुम! देवेश्वर चंञ्जवाला जी महादेव का चलन चलावा दो हार ( बुरना और बीझर) से ही चलता था! दो हार के ही धामी चलाते थे और मूल कोठी शालागाड़ से चलता था! हम स्वार्थी नहीं है स्वार्थी तुम लोग हो तीसरी कोठी बनाने वाले! कोठी दो ही थी पूरे सात हार में शालागाड़ कोठी और शिवाड़ी कोठी! और जहां तक रथ की बात है चंञ्जवाला जी महादेव का पुराना रथ दो हार ने बनाया है हमारे बुजुर्गों ने बनाया है! तुम लोग तो बाद में जुड़े हो! तुम लोगों को बना बनाया मिला है हमारा दो हार का जैसे वाप का बनाया हुआ बेटे को मिलता है वैसे ही! और हां फ़ालतू की बकवास ना करें जब देवेश्वर चंञ्जवाला जी महादेव के इतिहास का पता ही ना हो!! 😡😡😡
जिनको महादेव के नीति-नियम, मूल स्थान और तो और स्वयं देवेश्वर चंञ्जवाला जी महादेव की नहीं पड़ी वो लोग स्वार्थ की बात कर रहे हैं! स्वार्थी तुम लोग हो जो अपने स्वार्थ के लिए महादेव के मूल स्थान को छोड़ कर दूसरी जगह कोठी बनाई! नया रथ बनाना हमारा स्वार्थ नहीं मजबुरी थी, जब खानदानी लोगों की जगह दूसरे लोग छीन ले तो झगड़े को छोड़कर ऐसा मजबूरन करना पड़ा! हम तो अलग है 50 वर्षों से तो फिर आजकल क्यूं खानदानी धामी की जगह दूसरे लोग छीन रहे हैं! दूसरों की जगह छीनने वाले स्वार्थी होते हैं, मनुष्य नहीं दैत्य प्रवृत्ति के लोग हो तुम! देवेश्वर चंञ्जवाला जी महादेव का चलन चलावा दो हार ( बुरना और बीझर) से ही चलता था! दो हार के ही धामी चलाते थे और मूल कोठी शालागाड़ से चलता था! हम स्वार्थी नहीं है स्वार्थी तुम लोग हो तीसरी कोठी बनाने वाले! कोठी दो ही थी पूरे सात हार में शालागाड़ कोठी और शिवाड़ी कोठी! और जहां तक रथ की बात है चंञ्जवाला जी महादेव का पुराना रथ दो हार ने बनाया है हमारे बुजुर्गों ने बनाया है! तुम लोग तो बाद में जुड़े हो! तुम लोगों को बना बनाया मिला है हमारा दो हार का जैसे वाप का बनाया हुआ बेटे को मिलता है वैसे ही! और हां फ़ालतू की बकवास ना करें जब देवेश्वर चंञ्जवाला जी महादेव के इतिहास का पता ही ना हो!! 😡😡😡
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Jai Ho 🙏🙏🙏🌹🌹🌹❤❤❤❤
जय हो मेरे मालिक मेरी रक्षा करें
Jai jo deua
Har har mahadev ji chunjwala mahadev
हर हर महादेव
देव चुंजवाला पक्षिराज गरुड़ है न कि महादेव,❤❤❤
Aapke kahne se ho gya pakshi Raj
Harijan kiyu nhi ate koi btayega
गांव अशुध होता है, अछूत की bjeh से
@@YogRaj164Acha aur kya hota he .. kon si duniya me he bhai Tum
Bithu Narayan sabse bada Baghwaan he ….
आप लोगो ने दूसरा नया रथ कैसे बनाया, और जो पुराना रथ बना है बो रथ कहा है 😮😮
जब खानदानी धामीयों की जगह को दूसरे लोग छीन लें तो झगड़े से दूर निकल कर अलग से नया रथ बनाना मज़बूरी बन गई!
और रही पुराने रथ की बात वो कहां है?
पुराना रथ दो हार ने बनवाया था और दो हार से ही चलन चलावा होता था! दो हार के धामी चलाते थे और मूल स्थान शालागाड़ कोठी से चलाते थे!
बाद में अंग्रेजों की तरह पांच हारी जुड़ी और भारत की तरह पुराना रथ लूट ले गए!
दो हार ने देवेश्वर चंञ्जवाला जी महादेव के मूल स्थान और स्वयं उनको चुना (सिर्फ एक अष्टधातु से निर्मित मोहरा) और पांच हारीयों ने स्वर्ण निर्मित रथ को चुना!
हमारे बुजुर्ग जानते थे हमें महादेव हमारे साथ चाहिए रथ तो हम और भी बना लेंगे! और देवेश्वर चंञ्जवाला जी महादेव का नया रथ बना!
Hari Jan kese hote h
Kya Harrijan bo kese hote h
Harijano ke gaanv tum sabse sunder h , vo tumhare gnde ghr m nhi aa skte😂
Jesa aapko teek lage ache gande ka sawal ni hai aap niti ko ni man sakte to mat mano nokri ke liye jati likte hai kyu likte fir.
@@diwanthakur3482Kisi devta ne koi partha nhi banayi he Tum logo ne bana rakhi he
Baja bjane ke liye thik hai harijan ese ni aa skte babkuf hai wo Jo 😂😂tumare sath ate hai
Name pe phele wala chada hai purana chunjwala neya kaha se cdna fir
2 rath bna diye hai apne swarth k liye Devte k… Manyata purane rath ko hi milegi…
Galat ni bol sakte kisi ko jo bi hai mahadev ki Leela hai
जिनको महादेव के नीति-नियम, मूल स्थान और तो और स्वयं देवेश्वर चंञ्जवाला जी महादेव की नहीं पड़ी वो लोग स्वार्थ की बात कर रहे हैं! स्वार्थी तुम लोग हो जो अपने स्वार्थ के लिए महादेव के मूल स्थान को छोड़ कर दूसरी जगह कोठी बनाई!
नया रथ बनाना हमारा स्वार्थ नहीं मजबुरी थी, जब खानदानी लोगों की जगह दूसरे लोग छीन ले तो झगड़े को छोड़कर ऐसा मजबूरन करना पड़ा!
हम तो अलग है 50 वर्षों से तो फिर आजकल क्यूं खानदानी धामी की जगह दूसरे लोग छीन रहे हैं! दूसरों की जगह छीनने वाले स्वार्थी होते हैं, मनुष्य नहीं दैत्य प्रवृत्ति के लोग हो तुम!
देवेश्वर चंञ्जवाला जी महादेव का चलन चलावा दो हार ( बुरना और बीझर) से ही चलता था! दो हार के ही धामी चलाते थे और मूल कोठी शालागाड़ से चलता था! हम स्वार्थी नहीं है स्वार्थी तुम लोग हो तीसरी कोठी बनाने वाले! कोठी दो ही थी पूरे सात हार में शालागाड़ कोठी और शिवाड़ी कोठी! और जहां तक रथ की बात है चंञ्जवाला जी महादेव का पुराना रथ दो हार ने बनाया है हमारे बुजुर्गों ने बनाया है! तुम लोग तो बाद में जुड़े हो! तुम लोगों को बना बनाया मिला है हमारा दो हार का जैसे वाप का बनाया हुआ बेटे को मिलता है वैसे ही!
और हां फ़ालतू की बकवास ना करें जब देवेश्वर चंञ्जवाला जी महादेव के इतिहास का पता ही ना हो!!
😡😡😡
@@diwanthakur3482भाई जी इनको चंञ्जवाला जी महादेव के इतिहास का पता होता तो ऐसी बात ही क्यूं करते!
जिनको महादेव के नीति-नियम, मूल स्थान और तो और स्वयं देवेश्वर चंञ्जवाला जी महादेव की नहीं पड़ी वो लोग स्वार्थ की बात कर रहे हैं! स्वार्थी तुम लोग हो जो अपने स्वार्थ के लिए महादेव के मूल स्थान को छोड़ कर दूसरी जगह कोठी बनाई!
नया रथ बनाना हमारा स्वार्थ नहीं मजबुरी थी, जब खानदानी लोगों की जगह दूसरे लोग छीन ले तो झगड़े को छोड़कर ऐसा मजबूरन करना पड़ा!
हम तो अलग है 50 वर्षों से तो फिर आजकल क्यूं खानदानी धामी की जगह दूसरे लोग छीन रहे हैं! दूसरों की जगह छीनने वाले स्वार्थी होते हैं, मनुष्य नहीं दैत्य प्रवृत्ति के लोग हो तुम!
देवेश्वर चंञ्जवाला जी महादेव का चलन चलावा दो हार ( बुरना और बीझर) से ही चलता था! दो हार के ही धामी चलाते थे और मूल कोठी शालागाड़ से चलता था! हम स्वार्थी नहीं है स्वार्थी तुम लोग हो तीसरी कोठी बनाने वाले! कोठी दो ही थी पूरे सात हार में शालागाड़ कोठी और शिवाड़ी कोठी! और जहां तक रथ की बात है चंञ्जवाला जी महादेव का पुराना रथ दो हार ने बनाया है हमारे बुजुर्गों ने बनाया है! तुम लोग तो बाद में जुड़े हो! तुम लोगों को बना बनाया मिला है हमारा दो हार का जैसे वाप का बनाया हुआ बेटे को मिलता है वैसे ही!
और हां फ़ालतू की बकवास ना करें जब देवेश्वर चंञ्जवाला जी महादेव के इतिहास का पता ही ना हो!!
😡😡😡
Jay ho malik