मेरी सास सभा में जा सु री, मने दुशासन ले जा ।। सरोज घणघस ।।

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  • เผยแพร่เมื่อ 9 ก.ย. 2019
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    टेक:- मेरी सास सभा में जा सु री, मने दुशासन ले जा ।।
    1. समुन्द्र भरी लेट से री, दुर्योधन मेरा जेठ से री ।
    इसकी पर्वत जितनी ओट से री, इसकी ही रही अक्ल बिरान ।। टेक......
    2. कोले ते कोला भिड़ेगा री, नगरी के लोग हसेंगे री ।
    हसनापुर में काग बसेंगे री, आड़े बह खून की धार ।। टेक.....
    3. यो कच्चा दुध गऊ का री, बनता ना अमृत लहू का री ।
    कुछ कर ले तरस बहु का री, मैं रो रो रुदन मचाऊं ।। टेक.....
    4. मेरी सुण ले सास गांधारी री, थारी ना स ईज़्ज़त न्यारी री ।
    मने प्राणा त भी प्यारी री, थारा धन ओरा के जा ।। टेक....
    5. मेरी सुन ले सास कुन्ती री, मेरे कित गए पांच हकीकी री ।
    मेरे केश पकड़ के खींची री, मेरी कर रहे जात बिरान ।। टेक.....
    6. मने आज सभा मे जाना री, उड़े दुर्योधन का आना री ।
    मेरी गेल करे धींगतना री, इसकी ही रही अक्ल बिरान ।। टेक ....
    7. दुशासन ने साड़ी खींची री, दादा भीष्म ने अँखियाँ मिची री ।
    उड़े आ गए कृष्ण मुरारी, मन दिल त करी पुकार ।। टेक...
    8. तड़के त सांझ हुई से री, दिन छिप गया रात हुई से री ।
    दुर्योधन की हार हुई से री, मेरा कोन्या उतरा चिर ।। टेक....
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