सबसे बड़ा डॉक्टर भगवान डॉक्टरों ने इलाज के लिए मना कर दिया था लेकिन संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेकर परमात्मा की भक्ति करने से मेरा वह रोग भी समाप्त हो गया।
मानव शरीर परमात्मा ने केवल मोक्ष प्राप्त करें के लिए दिया हुआ है, जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज से उपदेश लेकर मर्यादित सतभक्ती करें और मोक्ष पाने।।
🏵️👣🌷♥️👏🌹🙏Malik Aap ki sharan Charan kamlo ki chakri parampita parmatma parmeshwar Kabir Dev shwami Ram sharan Charan kamlo ki chakri Sat Sat koti koti Dandvat pranam Malik Sat ko pranam sat Sat Naman sat saheb 👣🌷♥️👏🌹🙏
परमेश्वर जब भी शिशुरूप में पृथ्वी पर आते हैं तो उनका पालन पोषण कुंवारी गायों के दूध से होता है। ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 1 मंत्र 9 “अभी इमं अध्न्या उत श्रीणन्ति धेनवः शिशुम्। सोममिन्द्राय पातवे।।
Malik Mere Jagat Guru Bhagwan Tatvdarshi Sant Rampal Ji Maharaj Aap ki sada hi jai ho Sat ko pranam sat Sat koti koti Dandvat pranam sat Sat Naman sat 👣🌹🌷♥️👏🙏 saheb 🙏🌹🙏
जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी ने सभी धर्मों के पवित्र धर्मग्रंथों का अद्वितीय आध्यात्मिक ज्ञान पूरे विश्व को प्रदान किया है, जिससे मानव का कल्याण संभव है। साथ ही, उन्होंने मोक्ष प्राप्ति के मंत्र सतनाम, सारनाम और सनातन परम धाम यानि सतलोक तथा उस आदिपुरुष परमात्मा यानि सृष्टि रचनहार का भेद दिया है जो अब तक गुप्त था।
🪕सतगुरु की पहचान कबीर परमेश्वर सतगुरु की पहचान बताते हुए कहते हैं: कोई सतगुरु संत कहावै, जो नैनन अलख लखावै। आँख ना मूंदे, कान ना रूंधै, ना अनहद उलझावै। जो सहज समाधी बतावै।।
नदी नाव नाले बगैं, छूटैं फुहारे सुन्न। भरे होद सरवर सदा, नहीं पाप नहीं पुण्य।। ना कोई भिक्षुक दान दे, ना कोई हार व्यवहार। ना कोई जन्मे मरे, ऐसा देश हमार।। जहां संखों लहर मेहर की उपजैं, कहर जहां नहीं कोई। दासगरीब अचल अविनाशी, सुख का सागर सोई।।
किस संत के प्रयत्न से हो रहा एक बार पुनः सनातनी पूजा का पुनरुत्थान? जानने के लिए देखिए "सनातनी पूजा के पतन की कहानी, संत रामपाल जी महाराज की ज़ुबानी" का पार्ट 1 व 2
ॠगवेद मणडल 9, सूक्त 82, मंत्र 1 और ॠगवेद मणडल 9, सूक्त 95, मंत्र 1-5 के अनुसार परमात्मा साकार मानव सदृश है वह राजा के समान दर्शनीय है और सतलोक में तेजोमय शरीर में विद्यमान है उसका नाम कविर्देव (कबीर) है ।
तत्वदर्शी संत की पहचान गीता अध्याय 15 श्लोक 1 में तत्वदर्शी संत की पहचान बताते हुए गीता ज्ञान दाता ने कहा है कि ऊर्ध्वमूलम्, अधःशाखम्, अश्वत्थम्, प्राहुः, अव्ययम्, छन्दांसि, यस्य, पर्णानि, यः, तम्, वेद, सः, वेदवित्।।1।।
पूर्ण गुरु के लक्षण पूर्ण संत (पूर्ण गुरु) तीन प्रकार के मंत्रों (नाम) को तीन बार में उपदेश करता है, जिसका वर्णन कबीर सागर में बोध सागर खंड के अध्याय अमर मूल में पृष्ठ 265 पर व गीता जी के अध्याय 17 श्लोक 23 व सामवेद संख्या 822 में मिलता है।
❤पूर्ण गुरु के लक्षण परमेश्वर कबीर जी ने ‘‘कबीर सागर’’ के अध्याय ‘‘जीव धर्म बोध’’ के पृष्ठ 1960 पर गुरू के लक्षण बताते हुए कहा है: गुरू के लक्षण चार बखाना। प्रथम वेद शास्त्र का ज्ञाना (ज्ञाता)।। दूसरा हरि भक्ति मन कर्म बानी। तीसरा सम दृष्टि कर जानी।। चौथा वेद विधि सब कर्मा। यह चारि गुरू गुन जानों मर्मा।।
सतगुरु की पहचान संत गरीबदास जी अपनी वाणी में बताते हैं: पांच नाम गुझ गायत्री आत्म तत्व जगाओ। ॐ किलियं हरियम् श्रीयम् सोहं ध्याओ।। अर्थात सतगुरु प्रथम बार में यहाँ के पाँच प्रधान देवताओं के पांच नाम जो वास्तविक गायत्री है। इनका जाप करके आत्मा को जागृत करने को देता है। दूसरी बार में दो अक्षर का जाप देते हैं जिनमें एक ओम् और दूसरा तत् (जोकि गुप्त है उपदेशी को बताया जाता है) जिनको स्वांस के साथ जाप किया जाता है। तीसरी बार में सारनाम देते हैं जो कि पूर्ण रूप से गुप्त है।
पूर्ण गुरु की पहचान ऋग्वेद मण्डल 8 सूक्त 1 मन्त्र 29 में कहा है कि तीन समय परमात्मा की स्तुति (प्रार्थना) करनी चाहिए। सुबह परमात्मा का गुणगान, दिन के मध्य में सर्व देवों की स्तुति तथा शाम को आरती (स्तुति) करनी चाहिए और वेदों अनुसार स्तुति प्रार्थना पूर्णगुरु ही बताता है। वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज पूर्ण गुरु हैं जो अपने अनुयायियों को तीन समय की स्तुति प्रार्थना बताते हैं जो वेदों अनुसार उचित है।
पूर्ण गुरु की पहचान पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी ने कहा है: जो मम संत सत उपदेश दृढ़ावै (बतावै), वाके संग सभि राड़ बढ़ावै। या सब संत महंतन की करणी, धर्मदास मैं तो से वर्णी।। अर्थात् कबीर साहेब अपने प्रिय शिष्य धर्मदास को इस वाणी में समझा रहे हैं कि जो मेरा संत सत भक्ति मार्ग को बताएगा उसके साथ सभी संत व महंत झगड़ा करेंगे। ये उसकी पहचान होगी।
पूर्ण संत की पहचान यजुर्वेद अध्याय 19 मंत्र 25, 26 में लिखा है कि जो वेदों के अधूरे वाक्यों अर्थात् सांकेतिक शब्दों व एक चौथाई श्लोकों को पूरा करके विस्तार से बताएगा व तीन समय की पूजा बताएगा। सुबह पूर्ण परमात्मा की पूजा, दोपहर को विश्व के देवताओं का सत्कार व संध्या आरती अलग से बताएगा। वह जगत का उपकारक संत होता है।
पूर्ण संत की पहचान पूर्ण संत यज्ञ व दान-धर्म वेद अनुसार कराता है। गीता अध्याय 3 श्लोक 10 से 15 तक स्पष्ट किया है कि यज्ञ (धर्म यज्ञ, ध्यान यज्ञ, हवन यज्ञ, प्रणाम यज्ञ तथा ज्ञान यज्ञ) भी करने चाहिए। जो ये यज्ञ नहीं करता, वह परमात्मा का चोर कहा है। यही प्रमाण ऋग्वेद मण्डल 10 सूक्त 117 मन्त्र 1 से 6 में है। जिनमें कहा है कि साधक को दान करना चाहिए, दान करने से धन कम नहीं होता। जो दान, धर्म, यज्ञ आदि नहीं करता, वह तो पाप ही खाता है अर्थात् पाप का भागी बनता है। इसी विषय में सूक्ष्मवेद में कहा गया है:
पूर्ण गुरु के लक्षण पूर्ण संत (पूर्ण गुरु) तीन प्रकार के मंत्रों (नाम) को तीन बार में उपदेश करता है, जिसका वर्णन कबीर सागर में बोध सागर खंड के अध्याय अमर मूल में पृष्ठ 265 पर व गीता जी के अध्याय 17 श्लोक 23 व सामवेद संख्या 822 में मिलता है।
पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी ने कहा है: जो मम संत सत उपदेश दृढ़ावै (बतावै), वाके संग सभि राड़ बढ़ावै। या सब संत महंतन की करणी, धर्मदास मैं तो से वर्णी।। अर्थात् कबीर साहेब अपने प्रिय शिष्य धर्मदास को इस वाणी में समझा रहे हैं कि जो मेरा संत सत भक्ति मार्ग को बताएगा उसके साथ सभी संत व महंत झगड़ा करेंगे। ये उसकी पहचान होगी।
पूर्ण गुरु की पहचान ऋग्वेद मण्डल 8 सूक्त 1 मन्त्र 29 में कहा है कि तीन समय परमात्मा की स्तुति (प्रार्थना) करनी चाहिए। सुबह परमात्मा का गुणगान, दिन के मध्य में सर्व देवों की स्तुति तथा शाम को आरती (स्तुति) करनी चाहिए और वेदों अनुसार स्तुति प्रार्थना पूर्णगुरु ही बताता है। वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज पूर्ण गुरु हैं जो अपने अनुयायियों को तीन समय की स्तुति प्रार्थना बताते हैं जो वेदों अनुसार उचित है।
❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤ sat hhyan hai ye ❤❤❤❤❤
संत रामपाल जी महाराज का बताया ज्ञान सर्वश्रेष्ठ हैं
कबीर,तीन लोक का राज है ब्रम्हा विष्णु महेश।
ऊंचा धाम कबीर का, सतलोक प्रदेश ।।
Spiritual knowledge by Sant Rampal Ji Maharaj ❤❤❤
सत्य भक्ति के बिना ऐसी दुर्गति
🙏कबीर अमृत वाणी🙏
जब तक बैल चले हलिये में, जब तक डाला चारा।
ब्रध हुआ जब नाथ काट दी, घर घर लाठी खा रहा।
Sat Gurudev Rampal Ji bhagwanki charno me koti koti pranam 👏👏 bandichhor daya Karna mere malik sat saheb
सबसे बड़ा डॉक्टर भगवान
डॉक्टरों ने इलाज के लिए मना कर दिया था लेकिन संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेकर परमात्मा की भक्ति करने से मेरा वह रोग भी समाप्त हो गया।
Kabir GoD is a GoD's of GoD, Maalik SAT SAHiB ji 🙏🙏
True certified spritual knowledge
सत साहेब जी।।
कबीर, हस्ती चढ़िये ग्यान के, सहज दुलीचा डारि।
स्वान रुप संसार है, भूसन दे झकमारि।।
सत साहेब जी।।
बन्दीछोड़ सतगुरू रामपाल जी भगवान की जय हो💐🙏
बहुत ही अच्छा सत्संग है जि
मानव शरीर परमात्मा ने केवल मोक्ष प्राप्त करें के लिए दिया हुआ है,
जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज से उपदेश लेकर मर्यादित सतभक्ती करें और मोक्ष पाने।।
संत रामपाल जी महाराज हि पुरे विश्व मे पुर्ण गुरु और तत्वदर्शी संत है,जो सभी धर्मो के धर्मग्रन्थ से प्रमाणित ज्ञान बताते है।
❤🎉😮 jeget gru sent rampal ji esdasko cherno me rekhenadata set shahed
Very nice satsang ❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉❤❤❤❤❤❤❤❤❤🎉🎉🎉🎉
Daya karana mere malik ❤❤❤
Bandi Chor Satguru Rampal Ji Bhagwan Ji Ki Jai Ho 🙏 🙏🙏
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परमेश्वर जब भी शिशुरूप में पृथ्वी पर आते हैं तो उनका पालन पोषण कुंवारी गायों के दूध से होता है।
ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 1 मंत्र 9
“अभी इमं अध्न्या उत श्रीणन्ति धेनवः शिशुम्। सोममिन्द्राय पातवे।।
Malik Mere Jagat Guru Bhagwan Tatvdarshi Sant Rampal Ji Maharaj Aap ki sada hi jai ho Sat ko pranam sat Sat koti koti Dandvat pranam sat Sat Naman sat 👣🌹🌷♥️👏🙏 saheb 🙏🌹🙏
❤❤❤ संत रामपाल जी महाराज का ज्ञान शास्त्रों से प्रमाणित होता है
Kabir is god ❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी ने सभी धर्मों के पवित्र धर्मग्रंथों का अद्वितीय आध्यात्मिक ज्ञान पूरे विश्व को प्रदान किया है, जिससे मानव का कल्याण संभव है। साथ ही, उन्होंने मोक्ष प्राप्ति के मंत्र सतनाम, सारनाम और सनातन परम धाम यानि सतलोक तथा उस आदिपुरुष परमात्मा यानि सृष्टि रचनहार का भेद दिया है जो अब तक गुप्त था।
ना मेरा जन्म ना गर्भ बसेरा, मैं बालक बन दिखलाया।
काशी नगर जल कमल पर डेरा, तहाँ जुलाहे ने पाया।।
Sat saheb ji ❤❤
Bhakti mukti ke data satguru bhatkat pran firanda us sahib ke hukam bina taruvar pat na hilanta
🪕सतगुरु की पहचान
कबीर परमेश्वर सतगुरु की पहचान बताते हुए कहते हैं:
कोई सतगुरु संत कहावै, जो नैनन अलख लखावै।
आँख ना मूंदे, कान ना रूंधै, ना अनहद उलझावै। जो सहज समाधी बतावै।।
सभी शास्त्रों से प्रमाणित ज्ञान है संत रामपाल जी महाराज जी का
Sat sahib ji
कबीर, बोली ठोली मस्करी, हँसी खेल हराम।
मद-माया और नाचन-गवान, संतो के नहीं काम।।
नाचे गाये किन्हें न मिल्या जिन मिल्या तिन रोय।
नाचे गाये हरि मिले तो कौन दुहागन होये।।
नदी नाव नाले बगैं, छूटैं फुहारे सुन्न। भरे होद सरवर सदा, नहीं पाप नहीं पुण्य।।
ना कोई भिक्षुक दान दे, ना कोई हार व्यवहार। ना कोई जन्मे मरे, ऐसा देश हमार।।
जहां संखों लहर मेहर की उपजैं, कहर जहां नहीं कोई। दासगरीब अचल अविनाशी, सुख का सागर सोई।।
Nice gyaan
Anmol satsang Gyan
किस संत के प्रयत्न से हो रहा एक बार पुनः सनातनी पूजा का पुनरुत्थान?
जानने के लिए देखिए "सनातनी पूजा के पतन की कहानी, संत रामपाल जी महाराज की ज़ुबानी" का पार्ट 1 व 2
🙏🙏🙏🙏
ॠगवेद मणडल 9, सूक्त 82, मंत्र 1 और ॠगवेद मणडल 9, सूक्त 95, मंत्र 1-5 के अनुसार
परमात्मा साकार मानव सदृश है वह राजा के समान दर्शनीय है और सतलोक में तेजोमय शरीर में विद्यमान है उसका नाम कविर्देव (कबीर) है ।
तत्वदर्शी संत की पहचान
गीता अध्याय 15 श्लोक 1 में तत्वदर्शी संत की पहचान बताते हुए गीता ज्ञान दाता ने कहा है कि
ऊर्ध्वमूलम्, अधःशाखम्, अश्वत्थम्, प्राहुः, अव्ययम्,
छन्दांसि, यस्य, पर्णानि, यः, तम्, वेद, सः, वेदवित्।।1।।
पूर्ण गुरु के लक्षण पूर्ण संत (पूर्ण गुरु) तीन प्रकार के मंत्रों (नाम) को तीन बार में उपदेश करता है, जिसका वर्णन कबीर सागर में बोध सागर खंड के अध्याय अमर मूल में पृष्ठ 265 पर व गीता जी के अध्याय 17 श्लोक 23 व सामवेद संख्या 822 में मिलता है।
anmol gyan guru ji koti koti dandvat pranam malik daya karna parmatma ji 🙏🏻❤️🙏🏻❤️🙏🏻❤️🙏🏻❤️🙏🏻
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Wow
मंत्र तंत्र सब झूठ है इनमें न भरमें कोय सार शबद जाने बिना कागा हंस न होय।कबीर साहब कहते हैं।
😂😂😂😂nitin 😂😂😂😂
❤पूर्ण गुरु के लक्षण
परमेश्वर कबीर जी ने ‘‘कबीर सागर’’ के अध्याय ‘‘जीव धर्म बोध’’ के पृष्ठ
1960 पर गुरू के लक्षण बताते हुए कहा है:
गुरू के लक्षण चार बखाना। प्रथम वेद शास्त्र का ज्ञाना (ज्ञाता)।।
दूसरा हरि भक्ति मन कर्म बानी। तीसरा सम दृष्टि कर जानी।।
चौथा वेद विधि सब कर्मा। यह चारि गुरू गुन जानों मर्मा।।
Datta
Kabir is god
सतगुरु की पहचान
संत गरीबदास जी अपनी वाणी में बताते हैं:
पांच नाम गुझ गायत्री आत्म तत्व जगाओ।
ॐ किलियं हरियम् श्रीयम् सोहं ध्याओ।।
अर्थात सतगुरु प्रथम बार में यहाँ के पाँच प्रधान देवताओं के पांच नाम जो वास्तविक गायत्री है। इनका जाप करके आत्मा को जागृत करने को देता है। दूसरी बार में दो अक्षर का जाप देते हैं जिनमें एक ओम् और दूसरा तत् (जोकि गुप्त है उपदेशी को बताया जाता है) जिनको स्वांस के साथ जाप किया जाता है। तीसरी बार में सारनाम देते हैं जो कि पूर्ण रूप से गुप्त है।
पूर्ण गुरु की पहचान
ऋग्वेद मण्डल 8 सूक्त 1 मन्त्र 29 में कहा है कि तीन समय परमात्मा की स्तुति (प्रार्थना) करनी चाहिए। सुबह परमात्मा का गुणगान, दिन के मध्य में सर्व देवों की स्तुति तथा शाम को आरती (स्तुति) करनी चाहिए और वेदों अनुसार स्तुति प्रार्थना पूर्णगुरु ही बताता है। वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज पूर्ण गुरु हैं जो अपने अनुयायियों को तीन समय की स्तुति प्रार्थना बताते हैं जो वेदों अनुसार उचित है।
पूर्ण गुरु की पहचान
पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी ने कहा है:
जो मम संत सत उपदेश दृढ़ावै (बतावै), वाके संग सभि राड़ बढ़ावै।
या सब संत महंतन की करणी, धर्मदास मैं तो से वर्णी।।
अर्थात् कबीर साहेब अपने प्रिय शिष्य धर्मदास को इस वाणी में समझा रहे हैं कि जो मेरा संत सत भक्ति मार्ग को बताएगा उसके साथ सभी संत व महंत झगड़ा करेंगे। ये उसकी पहचान होगी।
wastwik or saccha gyan malik ki lila ka
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Kabir,koti naam sanshar me, inse mukti na hoy, Shar naam mukti ka data, VA ko Jane na koy, adhik jankari ke liye padhe pustak Gyan ganga.
पूर्ण संत की पहचान
यजुर्वेद अध्याय 19 मंत्र 25, 26 में लिखा है कि जो वेदों के अधूरे वाक्यों अर्थात् सांकेतिक शब्दों व एक चौथाई श्लोकों को पूरा करके विस्तार से बताएगा व तीन समय की पूजा बताएगा। सुबह पूर्ण परमात्मा की पूजा, दोपहर को विश्व के देवताओं का सत्कार व संध्या आरती अलग से बताएगा। वह जगत का उपकारक संत होता है।
पूर्ण संत की पहचान
पूर्ण संत यज्ञ व दान-धर्म वेद अनुसार कराता है। गीता अध्याय 3 श्लोक 10 से 15 तक स्पष्ट किया है कि यज्ञ (धर्म यज्ञ, ध्यान यज्ञ, हवन यज्ञ, प्रणाम यज्ञ तथा ज्ञान यज्ञ) भी करने चाहिए। जो ये यज्ञ नहीं करता, वह परमात्मा का चोर कहा है। यही प्रमाण ऋग्वेद मण्डल 10 सूक्त 117 मन्त्र 1 से 6 में है। जिनमें कहा है कि साधक को दान करना चाहिए, दान करने से धन कम नहीं होता। जो दान, धर्म, यज्ञ आदि नहीं करता, वह तो पाप ही खाता है अर्थात् पाप का भागी बनता है। इसी विषय में सूक्ष्मवेद में कहा गया है:
Sampuran gyan hai
Bandi Chhod Satguru Rampal Ji Bhagwan Ji ki Jay Ho Sat Sahib Ji
आदि सनातन धर्म का सच्चा ज्ञान जन जन तक पहुँचने बाले एक मात्र महान संत "जगत गुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज" ।
sant rampal maharaj ki jai ho🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
सतगुरु रामपाल जी भगवान की जय ❤🙏🙏
सत साहेब🎉🎉🎉
संत रामपाल जी गुरु जी का अनमोल सत्संग है
कोटि कोटि प्रणाम परमात्मा कबीर जी 🙏 भगवान
मन को मारे हरी मिले , मन की माने काल ।
सद्गुरु की दया बिना , छूटे ना यम का जाल !।।
मुक्ति दाता 🙏 परमेश्वर कबीर जी
अनमोल वचन से परिपूर्ण सत ज्ञान सत्संग है जी।
अनन्त कोटि ब्रह्मांड का, एक रति नहीं भार।
सतगुरु पुरुष कबीर है, कुल के सिरजनहार।।
🪷 यथार्थ सत्य आध्यात्मिक सत्संग वचन 🪷
Kabir supreme God
Dwadas panth karun mai saaja |
Naam tumhara len karun awaajaa ||
चार मुक्ति जहाँ चम्पी करती, माया हो रही दासी।
दास गरीब अभय पद परसै, मिले राम अविनाशी।।
Amazing knowledge amazing satsang
True spritual knowledge
बहुत ही अच्छी जानकारी
Sat saheb ji 🙏
अति उत्तम सत्संग
Supar gyan h
Nice satsang
🙏🙏🙏
SÂT SÃHÊB G 🙏🏻
पूर्ण गुरु के लक्षण
पूर्ण संत (पूर्ण गुरु) तीन प्रकार के मंत्रों (नाम) को तीन बार में उपदेश करता है, जिसका वर्णन कबीर सागर में बोध सागर खंड के अध्याय अमर मूल में पृष्ठ 265 पर व गीता जी के अध्याय 17 श्लोक 23 व सामवेद संख्या 822 में मिलता है।
True knowledge
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पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी ने कहा है:
जो मम संत सत उपदेश दृढ़ावै (बतावै), वाके संग सभि राड़ बढ़ावै।
या सब संत महंतन की करणी, धर्मदास मैं तो से वर्णी।।
अर्थात् कबीर साहेब अपने प्रिय शिष्य धर्मदास को इस वाणी में समझा रहे हैं कि जो मेरा संत सत भक्ति मार्ग को बताएगा उसके साथ सभी संत व महंत झगड़ा करेंगे। ये उसकी पहचान होगी।
Kabir is real god
पूर्ण गुरु की पहचान
ऋग्वेद मण्डल 8 सूक्त 1 मन्त्र 29 में कहा है कि तीन समय परमात्मा की स्तुति (प्रार्थना) करनी चाहिए। सुबह परमात्मा का गुणगान, दिन के मध्य में सर्व देवों की स्तुति तथा शाम को आरती (स्तुति) करनी चाहिए और वेदों अनुसार स्तुति प्रार्थना पूर्णगुरु ही बताता है। वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज पूर्ण गुरु हैं जो अपने अनुयायियों को तीन समय की स्तुति प्रार्थना बताते हैं जो वेदों अनुसार उचित है।
मालिक के चरणों में दास का कोटि कोटि प्रणाम🙏🙏
Sat sahib ji
सतभक्तिसंदेश
Sat saheb ji mere maalik 🥰🥰🙏🙏
🙇♀️ Koti 🙇♀️ koti 🙇♀️ dandwat 🙇♀️ pranam 🙇♀️ Malik 🙇♀️ ji 🙇♀️
सौ छल छिद्र में करू अपने जन के काज कहे कबीर में ढूंढता फिरू अपने हिरे मोती लाल
बहुत अच्छा सत्संग बहुत अच्छी जानकारी
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Nice satsang 🙏
Kabir is god 🙇🙇
Sat saheb ji
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Wow