रस गगन गुफा में अजर झरै - संत कबीर

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  • เผยแพร่เมื่อ 18 พ.ค. 2018
  • रस गगन गुफा में अजर झरै।
    बिनु बाजा झनकार उठै जहँ समुझि परै जब ध्यान धरे।।
    आरंभिक अवस्था के साधक को भजन में आनन्द नहीं मिलता। किन्तु एक ऐसा स्तर आता है ‘गगन गुफा’, उसमें प्रवेश के साथ ही ‘रस अजर झरे’ जिसका नाम ब्रह्मानन्द है वह अजस्र बहता ही रहता है, ईश्वरीय ध्वनि सुनाई देने लगती है, ईश्वरीय दृष्टिगोचर होने लगता है।
    Dated: 19-01-2017
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