मात्र इन्द्रियों को जितने से भी भगवान नहीं बनते कर्मो के नाश से और सर्वज्ञता की प्राप्ति और मोक्ष की प्राप्ति जिसने की है ऐसे अरिहंत और सिद्ध परमात्मा कर्म कलंक से रहित हमारे परमात्मा है
मैं आपका शुक्र अदा नहीं कर सकता। इतना अमूल्य ज्ञान देने के लिए मैंने आपको पिछले कुछ दिनों से ही सुनना शुरूकिया है और मैं तब तक नहीं रुकूंगा जब तक मैं आपके चैनल की हर एक वीडियो नहीं देखा लेता
जीवन के अस्तित्व का अर्थ जानने के लिए, यदि हम इतिहास पर दृष्टि डालें तो हमें दो सबसे प्राचीन धाराएँ मिलती हैं, जो "अहिंसा परमो धर्म" के सिद्धांत को मानती हैं, जिसे हम जैन धर्म (श्रमण परम्परा) और हिंदू धर्म (वैदिक परम्परा) के नाम से जानते हैं। इन दोनों धर्मों की शुरुआत ज्ञात इतिहास से परे है या हम कहें कि ब्रह्माण्ड एवं खगोल संरचना संबंधी आधुनिक विज्ञान मान्यतायें इन धर्मों को पूरी तरह से समझा पाने में सक्षम नहीं हैं या समझने में बाधा उत्पन्न करती है, उदाहरण के लिए ये दोनों धर्म इस बात से सहमत हैं कि श्री राम एक वास्तविक ऐतिहासिक महापुरुष थे, जो लगभग 10 लाख वर्ष पहले हुए थे लेकिन आधुनिक इतिहास का सिद्धांत इस तथ्य को स्वीकार नहीं करता है। "अहिंसा परमो धर्म" ही सनातन या शाश्वत धर्म है एवं जैन धर्म और हिन्दू धर्म एक ही सनातन सच्चाई को देखने के दो नजरिये हैं । जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर ऋषवदेव जी का हिन्दू धर्म के वेदों और पुराणों में भी वर्णन हैं और जिन्हें दोनों मान्यताओं ने श्री राम (जो कि जैन धर्मं के अनुसार बीसवें तीर्थंकर मुनिसुव्रत के बाद हुए व उन्ही के शाशन काल में मोक्ष गए) के भी कई वर्षो पहले होना स्वीकार किया हैं |जैन धर्म में प्रथम तीर्थंकर ऋषवदेव जी को आदि या प्रथम क्षत्रिय माना गया हैं इन्ही से ईक्ष्वाकु कुल की स्थापना हुई थी, व इनके ज्येष्ठ पुत्र चक्रवर्ती सम्राट भरत के नाम पर हमारे देश का नाम भारत पड़ा जिसका उल्लेख दोनों धर्मो के ग्रंथो में मिलता हैं । एक ही सनातन सच्चाई "अहिंसा परमो धर्मं" की व्याख्या करने में दोनों धर्मों में भिन्नताएं आने का मुख्य कारण यह हो सकता है कि एक तीर्थंकरों की परम्परा से प्राप्त हुआ है जो कि केवलज्ञानी या सर्वज्ञ थे अतः उन्होंने यथार्थ वर्णन किया होगा, दूसरा ऐसी परम्परा है जिनके गुरु केवलज्ञानी या सर्वज्ञ नहीं थे हालांकि उनके गुरुओं को देवों ने सहायता की लेकिन केवलज्ञान न होने की वजह से अलग अलग समय में हुए महापुरुषों को उन्होंने एक ही महापुरुष का अवतार मान लिया होगा इसीलिए हिन्दू धर्मं में ईश्वर को अवतार लेने वाला व सृष्टि का कर्ता मान लिया जबकि जैन धर्मं में ईश्वर को सर्वज्ञ व सर्व शक्तिमान तो माना है लेकिन सृष्टि का कर्ता नहीं माना एवं कर्म सिद्धांत को मानते हुए ये माना है कि सृष्टि के सभी अन्नत जीव अपने पुरुषार्थ से जन्म मृत्यु के अनादि चक्र से छूटकर परम पद या मोक्ष प्राप्त कर ईश्वर बन सकते हैं। "अहिंसा परमो धर्म" कथन में हम परमो या परम शब्द पर ध्यान आकर्षित करना चाहते हैं, जिसका अर्थ है निरपेक्ष, इस प्रकार यह बताना कि अहिंसा एक परम सनातन नियम है जो तीनों लोकों को संचालित करता है। जैन धर्म में इसे संपूर्ण विज्ञान कहा गया है जो संपूर्ण अस्तित्व के कार्य और नियमों की व्याख्या करता है। जैन धर्मं के अनुसार संपूर्ण सृष्टि या लोक ६ द्रव्यों से मिलकर के बना हैं १) आकाश (Space), २) काल (Time) ३) पुद्गल (Matter and Energy) , ४) जीव (Living beings or souls) ५) धर्मास्तिकाय (Medium of Motion) ६) अधर्मास्तिकाय (Medium of Rest) आधुनिक विज्ञान उपरोक्त ६ द्रव्यों में से प्रारंभ के ३ को ही जनता हैं इसीलिए अपूर्ण हैं| इसीलिए आधुनिक विज्ञान के सिद्धांत जो कि लोक की सनातनता (eternity) पर प्रश्न चिन्ह लगाये, को सत्य मान लेना बहुत बड़ी भूल हैं |
महोदय अपका धन्यवाद करता हूँ. दर्शन शास्त्र की औकात को ठीक ठीक बताने के लिए. कोई भी ज्ञान जिसको तार्किक नीति की खिचड़ी की आवश्यकता होती है वह न तो पूर्ण रूप से वस्तुनिष्ठ है और न ही पूर्ण रूप से आत्मनिष्ठ है. ऐसा ज्ञान इन दोनों के बीच में कहीं अपरिपक्वता की स्थिति में होता है.
तुष्णाम सिन्धी भज क्षमा जहिमदम पापे रति मां कथा। 🙏 संत भर्तूहरी - माननीय डॉक्टर सिन्हा जी ,आपकी बुद्धिमत्ता , ज्ञान को मेरा प्रणाम , आप से निवेदन हे की आप दुनिया की सारी फिलोसोफी मेसे उत्कृष्ट कोनसी है जो इश्तत्व को प्राप्त करवाए , आप के नजरिए से। - मेरे तार्किक और भावनिक अभ्यास से कह सकता हु की वैदिक ज्ञान ही हम परमोच्च अवस्था तक पहुंचाती हे। 🙏🙏🌅
भगवान को जैनों ने निकाला नहीं है जो भगवन वन चुके हैं उनकी तो हम सभी पूजा करते हो उन्हें मानते है पर परमात्मा को करता नहीं मानते ये परमात्मा मात्रा जानन हारा hai dekgan हारा है सर्वज्ञ है परमात्मा कोई हमारा नौकर नहीं जो हमारा भला बुरा करे जैन दर्शन अनादि से है और हमेशा रहेगा
जैसी दृष्टी,वैसी सृष्टी। मनुष्य दोमुहे साँप कि भाँति व्यवहार करता है। शुभ कामों के लिये वह स्वयं को व अशुभ कामों के लिये ईश्वर को जिम्मेदार ठहराता है। इंसान पहले इंसान बन जावे फिर किसी परालौकिक सत्ता को समझने का प्रयास करे तो बेहतर है।
5:00 अनेकान्तवाद के अनुसार प्रत्येक वस्तु में अनन्त विरोधी युगल एक साथ रहते हैं। एक समय में एक ही धर्म अभिव्यक्ति का विषय बनता है। प्रधान धर्म व्यक्त होता है और शेष गौण होने से अव्यक्त रह जाते हैं। वस्तु के किसी एक धर्म के सापेक्ष ग्रहण व प्रतिपादन की प्रक्रिया है 'नय'।, 6:00 नय वाद 8:35 *स्याद्वाद*, जैन तत्वमीमांसा में, सिद्धांत है कि सभी निर्णय सशर्त हैं, केवल कुछ स्थितियों, परिस्थितियों, या इंद्रियों में अच्छा रखते हैं, जिसे स्यात (संस्कृत: "हो सकता है") शब्द द्वारा व्यक्त किया गया है । किसी वस्तु को देखने के तरीके (नय कहलाते हैं) संख्या में अनंत हैं। स्यादवाद में कितने निर्णय शामिल है? सप्तभंगी नय सापेक्षिक ज्ञान की तार्किकता के आधार पर जैन दर्शन में निर्णय या मत के सात प्रकार माने गये हैं। अनेकांतवाद के कितने भेद हैं? अनेकांतवाद - कथन के दो प्रमुख ढंग अनेकांत शैली को प्रस्तुत करने के लिए जैन आचार्यों ने दो प्रमुख ढंग का उपयोग किया - स्यादवाद (conditioned viewpoint)और नयवाद (partial viewpoint)। स्यादवाद यानि वस्तु के गुण को समझने, समझाने और अभिव्यक्त करने का सापेक्ष ढंग। स्यादवाद के जनक कौन है? महावीर स्वामी ने स्वयं 'भगवतीयसूत्र' में आत्मा की सत्ता के विषय में 'स्याद अस्ति', 'स्याद नास्ति' और 'स्याद अवक्तव्यम' इन तीन भंगों का उल्लेख किया है।
जैन होके भी जैन धर्म नहीं समझते तो क्या लाभ . आपका स्टेटमेंट में परफ़ेक्ट सत्य है जबकि अनेकांतवाद कहता कि कोई भी सत्य पूर्ण नहीं है . जैन सिद्धांतों को पढ़े बिना समझे बिना आप एक सनातन हैं । परमान सागर महाराज को सुने और जैन धर्म को पढ़े .
Sir pls sinha sir se western philosophers ke aise hi videos banwaye aap...Upsc philosophy optional wale students ke lie kaafi helpful rahega please sir
@@kamleshdave3867 are Bhai kon bola bhagwan nahi hai 🤦🏻🤦🏻🤦🏻🤦🏻 Jain mante hai ki bhagwan hai magar wo apki moksh prapti me help nahi kar sakte App bhagwan ka sirf ashirwad lo Magar wo apki help nahi karenge
@@kamleshdave3867 to isliye app bhagwan ko kuch karne ki koshish na kare Bhagwan apki koi help nahi karenge Bhagwan ke liye bali na de , bhagwan ke liye home hawan na kare Bhagwan ke liye koi karm kand na kare Aisi jain philosophy hai Jain bhagwan ko nahi nakarte 🤦🏻
@@kamleshdave3867 jihadi hai tu, dusre dharma ke baare me kuch pata nahi hota lekin aajate hai bakchodi karne. Jainism me bhagwan hai lekin woh creater preserver and destroyer nahi hote. Jain dharm me bhramand shuru se tha aur anant kaal tak rahega, koi bhi vishnu, etc, universe ko nahi bana sakta. Tapobal se mamuli admi bhi bhagwan ban sakta hai, ye cheez jain dharm sikhata hai. JAI JINENDRA.
Jai gurudev ji.Hinduism,Buddhism,Sikkhism and Jainism ,they all believe in karma Siddhantha i .e. cause & effect(karya karan siddhanta ) theory.Their methods depend on the principle propounded by their founders.However,they all including Hinduism stated the same truth i .e. eko satya vipra vahudha vadanti.In Hinduism,Patanjal's yam stipulates satya ahimsa asteya brahmacharya and aparigraha which were similarly stated by the tirthankars of Jainism.
सिस्टर ये दिव्य ज्ञान मुस्लिम बंधुओं को बताओ एवं धर्म निरपेक्षता की भावना को बढ़ाओ कश्मीर एवं केरल में मुस्लिम बंधुओं अहिंसक बनाओ धर्मनिरपेक्षता सिद्धांत को पुष्ट करो
Pahle mai kattar muslim tha jab se baudh dharam or jain dharam ko jana samajh gaya hu ku asli dharam to yahi hai ham log to galat dharam pe the itne sal se ab islam se bahar nikal gaya hu insaniyat Zindabad ✊😇❤️
सनातन धर्म का सबसे पुराना ग्रंथ ऋग्वेद माना जाता है ऋग्वेद मे स्पष्ट रूप से जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव तथा तीर्थंकर नेमिनाथ भगवान का स्पष्ट रूप से वर्णन है इसका सीधा मतलब ये ही है की जैन धर्म यानादी काल से चल या रहा है \ ऋग्वेद मे तो वर्तमान तीर्थंकर का वर्णन है और जैन ग्रंथों मे वर्तमान चौबीसी से भी पहले की भूतकाल चौबीसी वर्णित है इसका मतलब ये ही है की जैन धर्म अनादि अनादि काल से है This is the list of tirthankara's of next cosmic age NOTE-Please notice 16th and 19th no.
@Doc Amal कितने बड़े चुतिये निकले तुम😆😆 तुम्हारे वेदो की रचना ब्रम्हा ने की और उसमे 22 वे तीर्थंकर नेमिनाथ का उल्लेख है। इससे साफ स्पष्ट है कि मूल धर्म वर्तमान का जैन धर्म ही है। बल्कि हिन्दू आदी नामी पंथ है जो मूल धारा से हट गये अज्ञान के कारण।
@Doc Amaltere chidiyaghar ke vishnu aur shankar har ek bramhand me hai, woh bhi hamare jaise hi jeevan aur mrityu me kaid hai. Jain Dharma mein rishabhdev bhagwan se pahele bhi anant bar tirthankar ho chuke hai. Tera tanatan dharm koi dharm nahi hai, mixture hai shiva, vishnu, devi, sai baba, etc ka. Pahle decide karo universe kisne banaya - vishnu shiva yo phir devi ne. Bakchodi karne se pahele Gou mootra mat piya kar. chidiyaghar(gay, bhais, hathi ghode ko pujne wale) ke chooze😂😂😂
मात्र इन्द्रियों को जितने से भी भगवान नहीं बनते कर्मो के नाश से और सर्वज्ञता की प्राप्ति और मोक्ष की प्राप्ति जिसने की है ऐसे अरिहंत और सिद्ध परमात्मा कर्म कलंक से रहित हमारे परमात्मा है
मैं आपका शुक्र अदा नहीं कर सकता। इतना अमूल्य ज्ञान देने के लिए मैंने आपको पिछले कुछ दिनों से ही सुनना शुरूकिया है और मैं तब तक नहीं रुकूंगा जब तक मैं आपके चैनल की हर एक वीडियो नहीं देखा लेता
Jainism
1) Individual Perspective & Potential
2) Ten men's tale (syadvaad)
3) Ahimsa
4) Aparigraha (Gandhian Philosophy)
5) Namo Arihantaram (Ari.., winning internal enemies..)
Ari: internal enemies - kaam, krodh, lobh, maya, matsar.
5 principals (mahavrats) of Jainism:
a. Ahimsa
b. Aparigraha
c. Brahmacharya
d. Satya
e. Asteya
जीवन के अस्तित्व का अर्थ जानने के लिए, यदि हम इतिहास पर दृष्टि डालें तो हमें दो सबसे प्राचीन धाराएँ मिलती हैं, जो "अहिंसा परमो धर्म" के सिद्धांत को मानती हैं, जिसे हम जैन धर्म (श्रमण परम्परा) और हिंदू धर्म (वैदिक परम्परा) के नाम से जानते हैं। इन दोनों धर्मों की शुरुआत ज्ञात इतिहास से परे है या हम कहें कि ब्रह्माण्ड एवं खगोल संरचना संबंधी आधुनिक विज्ञान मान्यतायें इन धर्मों को पूरी तरह से समझा पाने में सक्षम नहीं हैं या समझने में बाधा उत्पन्न करती है, उदाहरण के लिए ये दोनों धर्म इस बात से सहमत हैं कि श्री राम एक वास्तविक ऐतिहासिक महापुरुष थे, जो लगभग 10 लाख वर्ष पहले हुए थे लेकिन आधुनिक इतिहास का सिद्धांत इस तथ्य को स्वीकार नहीं करता है। "अहिंसा परमो धर्म" ही सनातन या शाश्वत धर्म है एवं जैन धर्म और हिन्दू धर्म एक ही सनातन सच्चाई को देखने के दो नजरिये हैं । जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर ऋषवदेव जी का हिन्दू धर्म के वेदों और पुराणों में भी वर्णन हैं और जिन्हें दोनों मान्यताओं ने श्री राम (जो कि जैन धर्मं के अनुसार बीसवें तीर्थंकर मुनिसुव्रत के बाद हुए व उन्ही के शाशन काल में मोक्ष गए) के भी कई वर्षो पहले होना स्वीकार किया हैं |जैन धर्म में प्रथम तीर्थंकर ऋषवदेव जी को आदि या प्रथम क्षत्रिय माना गया हैं इन्ही से ईक्ष्वाकु कुल की स्थापना हुई थी, व इनके ज्येष्ठ पुत्र चक्रवर्ती सम्राट भरत के नाम पर हमारे देश का नाम भारत पड़ा जिसका उल्लेख दोनों धर्मो के ग्रंथो में मिलता हैं । एक ही सनातन सच्चाई "अहिंसा परमो धर्मं" की व्याख्या करने में दोनों धर्मों में भिन्नताएं आने का मुख्य कारण यह हो सकता है कि एक तीर्थंकरों की परम्परा से प्राप्त हुआ है जो कि केवलज्ञानी या सर्वज्ञ थे अतः उन्होंने यथार्थ वर्णन किया होगा, दूसरा ऐसी परम्परा है जिनके गुरु केवलज्ञानी या सर्वज्ञ नहीं थे हालांकि उनके गुरुओं को देवों ने सहायता की लेकिन केवलज्ञान न होने की वजह से अलग अलग समय में हुए महापुरुषों को उन्होंने एक ही महापुरुष का अवतार मान लिया होगा इसीलिए हिन्दू धर्मं में ईश्वर को अवतार लेने वाला व सृष्टि का कर्ता मान लिया जबकि जैन धर्मं में ईश्वर को सर्वज्ञ व सर्व शक्तिमान तो माना है लेकिन सृष्टि का कर्ता नहीं माना एवं कर्म सिद्धांत को मानते हुए ये माना है कि सृष्टि के सभी अन्नत जीव अपने पुरुषार्थ से जन्म मृत्यु के अनादि चक्र से छूटकर परम पद या मोक्ष प्राप्त कर ईश्वर बन सकते हैं। "अहिंसा परमो धर्म" कथन में हम परमो या परम शब्द पर ध्यान आकर्षित करना चाहते हैं, जिसका अर्थ है निरपेक्ष, इस प्रकार यह बताना कि अहिंसा एक परम सनातन नियम है जो तीनों लोकों को संचालित करता है। जैन धर्म में इसे संपूर्ण विज्ञान कहा गया है जो संपूर्ण अस्तित्व के कार्य और नियमों की व्याख्या करता है।
जैन धर्मं के अनुसार संपूर्ण सृष्टि या लोक ६ द्रव्यों से मिलकर के बना हैं
१) आकाश (Space), २) काल (Time) ३) पुद्गल (Matter and Energy) ,
४) जीव (Living beings or souls) ५) धर्मास्तिकाय (Medium of Motion)
६) अधर्मास्तिकाय (Medium of Rest)
आधुनिक विज्ञान उपरोक्त ६ द्रव्यों में से प्रारंभ के ३ को ही जनता हैं इसीलिए अपूर्ण हैं| इसीलिए आधुनिक विज्ञान के सिद्धांत जो कि लोक की सनातनता (eternity) पर प्रश्न चिन्ह लगाये, को सत्य मान लेना बहुत बड़ी भूल हैं |
🙏🙏 आपकी दृष्टि में बौद्ध दर्शन बताएं जी
सुदीप कुमार जैन जी
आप के पास जो है, वो बहुत ही कीमती होगा
जिसमें से आपने यहां पर थोड़ी सी झलक दिखाई है 🙏🏻🙏🏻🙏🏻
जैन धर्म 2500 साल से ज्यादा पुराना नही है
सुदीप जी आप का ज्ञान विसरित है । जल्द ही आप से सम्पर्क करूंगा
@@VLal-vs5mt जी धन्यवाद, मेरा एक जैन धर्म से related channel भी है, जिसको आप Samavasharan Knowledge के नाम से TH-cam में search कर सकते हैं।
Dr. Himmat Singh is one of most open minded brilliant philosophers in India.
🔆🔆लोक 🔆olo 🔆o 🔆loop 🔆l 🔆🔆lol 🔆ololl
💯 bilkul bhai
Gyani purush sadaa pujyaniya hai
जैन तत्व अदभुत है। आपने बढीया विश्लेषण किया है ।
Are you Jain???
महोदय अपका धन्यवाद करता हूँ. दर्शन शास्त्र की औकात को ठीक ठीक बताने के लिए. कोई भी ज्ञान जिसको तार्किक नीति की खिचड़ी की आवश्यकता होती है वह न तो पूर्ण रूप से वस्तुनिष्ठ है और न ही पूर्ण रूप से आत्मनिष्ठ है. ऐसा ज्ञान इन दोनों के बीच में कहीं अपरिपक्वता की स्थिति में होता है.
स्याद्वाद और अनेकांतवाद जैन दर्शन का प्राण है। किसी भी बात की कई विभक्षाये होती है। बस देखने दृष्टी अलग अलग होती हैं।
तुष्णाम सिन्धी भज क्षमा
जहिमदम पापे रति मां कथा। 🙏 संत भर्तूहरी
- माननीय डॉक्टर सिन्हा जी ,आपकी बुद्धिमत्ता , ज्ञान को मेरा प्रणाम , आप से निवेदन हे की आप दुनिया की सारी फिलोसोफी मेसे उत्कृष्ट कोनसी है जो इश्तत्व को प्राप्त करवाए , आप के नजरिए से।
- मेरे तार्किक और भावनिक अभ्यास से कह सकता हु की वैदिक ज्ञान ही हम परमोच्च अवस्था तक पहुंचाती हे। 🙏🙏🌅
Sir,
आप ने जो हमे बताया है। हमे लगता इस तरह से हम किसी से नहीं समझ पाते।
आपका धन्यवाद और प्रणाम करता हूं।
एकं सद्विप्रा बहुधा वदन्ति 🙏
Jain religion is great philashoy jai jinedra
नमो अरिहंतानम का प्रचलित अर्थ यह है की जिसने कर्मरूपी शत्रु का नाश कर दिया ऐसे अरिहंत भगवंत को नमस्कार हो।
Arihant is a letter form of arahamt that means who is eligible to become siddha or to be liberated
🙏🙏🙏झगड़े की जड़ एक मत। बहुमत झगड़े की नस। छः अंधे और हाथी की कहानी ।🙏🙏🙏🙏🙏🙏 बाबा को भाष्य हेतु साधुवाद
Doctor. HIMMAT SINGH JI. KOTI KOTI NAMAN
AAP KE CHARANO. MEI
JAI SHRI RAM
That's beauty of Indian culture and freedom to explore and express.
भगवान को जैनों ने निकाला नहीं है जो भगवन वन चुके हैं उनकी तो हम सभी पूजा करते हो उन्हें मानते है पर परमात्मा को करता नहीं मानते ये परमात्मा मात्रा जानन हारा hai dekgan हारा है सर्वज्ञ है परमात्मा कोई हमारा नौकर नहीं जो हमारा भला बुरा करे जैन दर्शन अनादि से है और हमेशा रहेगा
Bilkul sahi kaha apne
Kis jain aagam me likha hai ki moorti ko poojna chahiye?????
Guru ji your Philosophy is Great useful for all Human Being
सादर प्रणाम श्री गुरु जी, बेहद की परमशान्ति.
Jainism and Buddhism are most peaceful and scientific religions .
Very good sir. You are Great purush very good thinking.God bless you Namo Budhae.
जैसी दृष्टी,वैसी सृष्टी।
मनुष्य दोमुहे साँप कि भाँति व्यवहार करता है।
शुभ कामों के लिये वह स्वयं को व अशुभ कामों के लिये ईश्वर को जिम्मेदार ठहराता है।
इंसान पहले इंसान बन जावे फिर किसी परालौकिक सत्ता को समझने का प्रयास करे तो बेहतर है।
th-cam.com/video/ftDn4AHVzb0/w-d-xo.html
यदि अन्तिम लक्ष्य ना पता हो तो भी सारे प्रयास बेकार है।
Dr. सिन्हा आप भारत का सही इतिहास बचाने मे प्रकाशस्तंभ का काम कर रहे है जिसे अंग्रेज़ी पढणे मे गवा दिया था l
Very nicely explained sinha ji..
Aap ke jitne gyani aur samjhane wale bahut kam hai duniya main 🙏
Awesome Dr Sinha ji👌👌❤️❤️
Great explain Sir....dhanyawad
सनातन के साथ सुन्दर विश्लेषण
This is logical on so many levels. Seems so scientific.
Jain dharam anadi kall se hai 👌... Aor anadi tak rahega 👌👌
Aap ka gyan unexplained hai. U are no more but your knowledge and thoughts will always exist.
गीता मे श्रीकृष्णा ने कहा है मैं कुछ भी नहीं करता हूँ, सिर्फ साक्षी भाव से देखता हूँ|
Am listening since y'day & am wondering why wasn't Dr Sinha famous decades back.
The only true philosophy jain
Jai jinendra dev ki
5:00 अनेकान्तवाद के अनुसार प्रत्येक वस्तु में अनन्त विरोधी युगल एक साथ रहते हैं। एक समय में एक ही धर्म अभिव्यक्ति का विषय बनता है। प्रधान धर्म व्यक्त होता है और शेष गौण होने से अव्यक्त रह जाते हैं। वस्तु के किसी एक धर्म के सापेक्ष ग्रहण व प्रतिपादन की प्रक्रिया है 'नय'।, 6:00 नय वाद
8:35 *स्याद्वाद*, जैन तत्वमीमांसा में, सिद्धांत है कि सभी निर्णय सशर्त हैं, केवल कुछ स्थितियों, परिस्थितियों, या इंद्रियों में अच्छा रखते हैं, जिसे स्यात (संस्कृत: "हो सकता है") शब्द द्वारा व्यक्त किया गया है । किसी वस्तु को देखने के तरीके (नय कहलाते हैं) संख्या में अनंत हैं।
स्यादवाद में कितने निर्णय शामिल है?
सप्तभंगी नय सापेक्षिक ज्ञान की तार्किकता के आधार पर जैन दर्शन में निर्णय या मत के सात प्रकार माने गये हैं।
अनेकांतवाद के कितने भेद हैं?
अनेकांतवाद - कथन के दो प्रमुख ढंग
अनेकांत शैली को प्रस्तुत करने के लिए जैन आचार्यों ने दो प्रमुख ढंग का उपयोग किया - स्यादवाद (conditioned viewpoint)और नयवाद (partial viewpoint)। स्यादवाद यानि वस्तु के गुण को समझने, समझाने और अभिव्यक्त करने का सापेक्ष ढंग।
स्यादवाद के जनक कौन है?
महावीर स्वामी ने स्वयं 'भगवतीयसूत्र' में आत्मा की सत्ता के विषय में 'स्याद अस्ति', 'स्याद नास्ति' और 'स्याद अवक्तव्यम' इन तीन भंगों का उल्लेख किया है।
Nice told by you sir with confidence thanks sir
Dhanyabad guru ji
Thank you sir..very nice and simple explanation
प्रणाम करता हूं आप श्रीं को।
हां यह बात है लोग अच्छे कर्मों और बुरे दोनों ही होते हैं
Thnx, very good
Simple and beautiful explaination..
Wow...eia Sach main akk sandar vechar Hain........
extremely helpful video guruji
Sir apka bhut dhunybad
You have said right and rightly annalised.
Sir, aap Indian philosophy ki epistemology bhi btaaiye
Correction
Aparigraha- minimalism
Achaurya- don't take things which you don't own.
Thanks for correction please
Very enlightened lecture.
जैन धर्म अनादि काल से है,,, और अनादि तक रहेगा।।।
आप के हंसने से कुछ बदलाव नहीं होने वाला
हर कोई अपने बाप को ही सबसे बड़ा मानता है
जैन होके भी जैन धर्म नहीं समझते तो क्या लाभ . आपका स्टेटमेंट में परफ़ेक्ट सत्य है जबकि अनेकांतवाद कहता कि कोई भी सत्य पूर्ण नहीं है . जैन सिद्धांतों को पढ़े बिना समझे बिना आप एक सनातन हैं । परमान सागर महाराज को सुने और जैन धर्म को पढ़े .
अगर आपने यह वीडियो सुन लिया होता तो आप यह बात कहते ही नहीं!
जैन धर्म के बिलकुल विप्रीत है आपकी बात !
Aur Insan?
Guru ji aapna bahut sidha saral bhasa ma
Philosophy ko samajhya
Jay jinendra Jay Mahavir. Namaste 🙏
Sir pls sinha sir se western philosophers ke aise hi videos banwaye aap...Upsc philosophy optional wale students ke lie kaafi helpful rahega please sir
Mind blowing
bahut sundar vyakhya
Conqurer of own 👍 👌
I salute your knowledge by heart
Very nice explained sir. Jay jinendra.
Pranam Gurudev🙏
Very nice work man keep it up 👍
Namaskar Great Teacher.
प्रणाम 🙏🙏🙏
Agar duniya Jain philosophy apna le to dharti swarg ho jayegi
To bhai jain derasar kyun banate ho agar bhagavan nahi hai to
@@kamleshdave3867 are Bhai kon bola bhagwan nahi hai 🤦🏻🤦🏻🤦🏻🤦🏻
Jain mante hai ki bhagwan hai magar wo apki moksh prapti me help nahi kar sakte
App bhagwan ka sirf ashirwad lo
Magar wo apki help nahi karenge
@@kamleshdave3867 to isliye app bhagwan ko kuch karne ki koshish na kare
Bhagwan apki koi help nahi karenge
Bhagwan ke liye bali na de , bhagwan ke liye home hawan na kare
Bhagwan ke liye koi karm kand na kare
Aisi jain philosophy hai
Jain bhagwan ko nahi nakarte 🤦🏻
@@kamleshdave3867 jihadi hai tu, dusre dharma ke baare me kuch pata nahi hota lekin aajate hai bakchodi karne. Jainism me bhagwan hai lekin woh creater preserver and destroyer nahi hote. Jain dharm me bhramand shuru se tha aur anant kaal tak rahega, koi bhi vishnu, etc, universe ko nahi bana sakta. Tapobal se mamuli admi bhi bhagwan ban sakta hai, ye cheez jain dharm sikhata hai. JAI JINENDRA.
Bilkul theek. Aur agar duniya bhakt ban jaye to dharti vaikunth ban jayegi..
Jai gurudev ji.Hinduism,Buddhism,Sikkhism and Jainism ,they all believe in karma Siddhantha i .e. cause & effect(karya karan siddhanta ) theory.Their methods depend on the principle propounded by their founders.However,they all including Hinduism stated the same truth i .e. eko satya vipra vahudha vadanti.In Hinduism,Patanjal's yam stipulates satya ahimsa asteya brahmacharya and aparigraha which were similarly stated by the tirthankars of Jainism.
❤ बहुत अच्छा समझाया
बहुत सुंदर,धन्यवाद
🙏🙏🙏
You Are Great VERY GREAT
JAIN PHILOSOPHY IS LESS SUPERSTITIOUS.
सादरप्रणाम 🙏🙏🙏🙏🙏
Koti Koti Naman
"AHIMSA PARMO DHARAM"
ahinsak dharma hi sarvopari hai.
🙏
Yes
सिस्टर ये दिव्य ज्ञान मुस्लिम बंधुओं को बताओ एवं धर्म निरपेक्षता की भावना को बढ़ाओ कश्मीर एवं केरल में मुस्लिम बंधुओं अहिंसक बनाओ धर्मनिरपेक्षता सिद्धांत को पुष्ट करो
Bahut achhi vkhya sir
Humney bahut kuch jana
कृपया आपकी दैनिक दिनचर्या के बारे में कुछ बताए
Namaste.thank you for sharing .
Jain boddh aary smaaji...sab...khaatme..ke..kagaar..per..hai.....lekin...Sanaatan dobaara failega.....Jai...SitaRam.....
Very great , Sir ji
Jay Ho Guruji
ਸ਼ੁਕਰੀਆ! ਡਾਕਟਰ ਸਾਹਿਬ
Thanks guruji
True divine encyclopaedia
❤️🙏
धन्यवाद महोदय
Pahle mai kattar muslim tha jab se baudh dharam or jain dharam ko jana samajh gaya hu ku asli dharam to yahi hai ham log to galat dharam pe the itne sal se ab islam se bahar nikal gaya hu insaniyat Zindabad ✊😇❤️
Pranam guruji.....omh arihantaram
गुरुजी प्रणाम
Sir u have tried ur best to explain Jainism in short 'syadvad' but fully incomplete, do more effort to understand, nice thanks
Sir, Please share your thought on Bhagwan Swaminarayan.
Guruji Pranam.
VERY NICE KNOWLEDGE GURU JI
हृदय से आभार।
सनातन धर्म का सबसे पुराना ग्रंथ ऋग्वेद माना जाता है
ऋग्वेद मे स्पष्ट रूप से जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव तथा तीर्थंकर नेमिनाथ भगवान का स्पष्ट रूप से वर्णन है
इसका सीधा मतलब ये ही है की जैन धर्म यानादी काल से चल या रहा है \
ऋग्वेद मे तो वर्तमान तीर्थंकर का वर्णन है और जैन ग्रंथों मे वर्तमान चौबीसी से भी पहले की भूतकाल चौबीसी वर्णित है
इसका मतलब ये ही है की जैन धर्म अनादि अनादि काल से है
This is the list of tirthankara's of next cosmic age
NOTE-Please notice 16th and 19th no.
@Doc Amal कितने बड़े चुतिये निकले तुम😆😆
तुम्हारे वेदो की रचना ब्रम्हा ने की और उसमे 22 वे तीर्थंकर नेमिनाथ का उल्लेख है।
इससे साफ स्पष्ट है कि मूल धर्म वर्तमान का जैन धर्म ही है। बल्कि हिन्दू आदी नामी पंथ है जो मूल धारा से हट गये अज्ञान के कारण।
@Doc Amaltere chidiyaghar ke vishnu aur shankar har ek bramhand me hai, woh bhi hamare jaise hi jeevan aur mrityu me kaid hai. Jain Dharma mein rishabhdev bhagwan se pahele bhi anant bar tirthankar ho chuke hai. Tera tanatan dharm koi dharm nahi hai, mixture hai shiva, vishnu, devi, sai baba, etc ka. Pahle decide karo universe kisne banaya - vishnu shiva yo phir devi ne. Bakchodi karne se pahele Gou mootra mat piya kar. chidiyaghar(gay, bhais, hathi ghode ko pujne wale) ke chooze😂😂😂
Jainam Jayati Shasanam.
अच्छा विश्लेषण...
Sir a sequence m sbhi darshan ki video ko upload kr do please....guru ji ki vani se sb ka bhla hi ske
Guruji pranam
Potential power ko kaise badhana he ..Jain darshan me
Very nice teaching sir
Pranam !!!!!!!
Awesome ❤
Thanku ji
baht Sunder :-)
Namaskar sir
Kya aap bata sakte hai ki ye darshan kis kram me described hai , sequence kya hai inki utpatti ka
I'm philosophy student. And I inspired sir's lecture.. Can you share your contact... I want to talk him...
Ask ur question if u want to let's discuss
फिलोसफी एक नाटक है
@@ervishal21 sir kisi k swabhav kaise build up hota hai
Swabhav kiski garbh se jenm leti hai?
@@sachintukaram4755 circumstances......parvarish banate hain swabhav