आचार्य जी श्री कृष्ण जी ने वो विद्या योगावस्था में दिया था और योगदर्शन में मिलता है की योगावस्था में आत्मा अपने को परमात्मा से अलग नहीं मानता और वँहा मैं का अर्थ ईश्वर से है!
जी नहीं, क्या धर्म सिर्फ मनुष्यों के लिए ही है ? क्या जड़ पदार्थों का धर्म नही है ? पानी का धर्म ( प्रॉपर्टी) है-तरलता, बहाव, घोलने और घुलने का गुण, आदि आदि . इसी प्रकार हवा, मिट्टी, सूर्य की ऊष्मा, आदि आदि .
आचार्य जी सादर नमस्ते जी अचार्य जी आपका हर एक व्याख्यान जीवन को एक नई दिशा निर्देश दे रहा है आपका बहुत-बहुत धन्यवाद🙏🙏 आचार्य जी मैं आपके साथ हूं तन से मन से और धन से जब भी मेरी आवश्यकता हो आप मुझे जरूर बुलाए 🙏🙏
ओ३म् बहुत बहुत धन्यवाद आचार्य योगेश भारद्वाज जी, आपके अन्य सभी यूट्यूब वीडियो की तरह यह भी उत्कृष्ट और बिल्कुल सुंदर है, अत्यधिक सराहनीय है, मैं फिर से कहता हूं कि हम आपके प्रयासों के लिए आपके बहुत आभारी हैं, बहुत आभार जी
Nirukta ke Bina veda nahi pad saktey ye bar samajhe nahi ai jab koi veda ke Sanskrit ke vyakran nahi janta to kesey padey or janey veda ko Rishiyo ne Kripa bataye
Pondit ji apki sondhaposona bidhi dakhnasa mera bohut lav mila so main upki bohut bohut abhari hon .mara or AK nibadon kripa korka rudraostodhayye pat ki bidhi Sorol troika se pornaki bidhi sekhaya to humko bohut upkar hoga ..pronam .
धर्म की व्याख्या लोग अपने अपने विचार अनुसार शाब्दिक अर्थ के रूप में करते आए हैं धर्म को सीधे अर्थ में मेरे विचार से ऐसे समझा जा सकता है। Dharm, the path of infinite bliss is an endeavour of goodness' for existence of all living and non-living entities of the universe with the respective attitude towards all, by having proper and maximum utilisation of all mundane, super mundane and spiritual potentialities of each individual and collective body so that everyone can achieve the infinite bliss (Anand )i.e. can realise The param purush parmatma i.e. supreme consciousness .
Hmare sangat samtavad asharam ke baare me suna nhi shayad apne , sangat samtavad ka niyam hai sat- simran ,saadagi, sat , satsang , seva .... Openly likheya hoya har jagah 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏yogiraj mahapurush mahatma mangat ram ji maharaj ..
धर्म की निरुक्ति----यतो अभ्युदय नि:श्रेयश सिद्धि स: धर्म:।।(वैशेषिक दर्शन) ।। , यतो(जितने कर्तव्यों के करने से), अभ्युदय (परिस्थिति विशेष में जन्मे मानव के ) नि:श्रेयस ( निहित श्रेय= इस जीवन में निहित शेष अशुक्लाकृष्णा कर्मों को) सिद्धि( करने में सफलता हासिल करना हि) स:( उक्त मानव= उक्त परिस्थिति विशेष में जन्में हुए मानव का) धर्म: (धर्म कहाता है)।। इस सुत्र का सार यह है कि-- मानव विशेष के वेदों में बताए स्व कर्तव्यों का पालन और स्व अकर्तव्यों का त्याग हि धर्म कहाता है ।
भ्राता श्री यह डैस-डैस मैंने नहीं लगाया है यह डैस- डैस मेरे द्वारा उद्धृत, धर्म निरूक्ति और उस धर्म निरूक्ति के मेरे भाषान्तर पर किसी मूर्ख द्वारा लगाया गया है जो अपने को स्व घोषित विद्वान मानता है किन्तु वह धर्म विषय का क ख,ग भी नहीं जानता है। शास्त्रार्थ के विना किसी की मान्यता अर्थात् बोध को खारिज करना विद्वता नहीं, मूर्खता की पराकाष्ठा है । जिसने भी डैस-डैस लगाया है वह जब तक धर्म की निरूक्ति नहीं बतलाता है और मेरे द्वारा उद्धृत धर्म निरुक्ति को शास्त्रार्थ में गलत सिद्ध नहीं कर देता है तब तक मैं उसे मूर्ख मानता रहूंगा चाहें वह जो कोई हो।@@webmace
भ्राता श्री यह डैस -डैस मेरे द्वारा नहीं किया गया है। यह डैस -डैस ऑन लाइन, धर्म से अनभिज्ञ किसी संस्था या व्यक्ति ने किया है। मैं उसे शास्त्रार्थ हेतु चैलेंज देता हूं।
श्रीमान जी प्रार्थी S.I. U.PPसे सेवानिवृत्त हूं। तथा आर्य समाज में सन् 1996 से आस्था रखता हूं। केवल बैदिक संध्या करता हूं पाखंड से बहुत दूर रहता हूं तथा अपने सभी शुभ कार्य आर्य समाज आचार्य महोदय द्वारा कराता हूं। परंतु मुझे शिकायत या शंका है कि आज कल कुछ लड़कियां,लड़का नावालिग होते हुए परिवार की सहमति के बिना भाग कर आर्य समाज मंदिर में शादी कर लेते हैं ऐसे कई मामले हैं जिनकी केई बिबेचना मेरे द्वारा की गई हैं मेरे कुछ साथी लोग मुझसे पूछते हैं क्या आर्य समाज बालिंग, नाबालिग में कोई भेद नहीं समझ तेहै। अन्य समाज की तरह धन केलालच में अपराध करते हैं। मेरे पास इसका कोई जवाब नहीं है क्रपया संज्ञान लेने कीक्रपा करें। तथा अवगत कराने की क्रपा करें।
कई व्यक्ति ब्रह्मराक्षस होते हैं जो आर्य ना होकर आर्यों में प्रवेश कर गये हैं । सम्भव है कि उन्होंने वेद विरुद्ध और कानून विरूद्ध विवाह किये हों। यह लोग आर्य नहीं , अपराधी हैं जिन्हें दण्डित करने की आवश्यकता है।
आज भारतीय समाज अनार्य राष्ट्र वन गया है,इस कारण भी किसी हद तक , अयोग्य पुरोहित ऐसे विवाह कर देते हैं, जिन पर आर्य संगठन को रोकने की आवश्यकता है। आर्य समाज में अयोग्य पुरोहित और अयोग्य विवाह का होना दर्शाता है कि आर्य समाज अभी भी एक संगठन के रुप में नहीं आ पाया है अर्थात् जितनी डफली उतने राग वाली कहावत चरितार्थ हो रही है जो हमारे आर्यत्व हीनता का प्रमाण है।
आर्यों=(द्विज=ब्राह्मण+क्षत्रिय+वैश्य) +अद्विज(शूद्र) की परीक्षा ना होना भी ऐसे विवाह का कारण है। जब तक गुण पर आधारित शुद्ध वैदिक वर्ण व्यवस्था वाला सच्चे ब्राह्मण की परीक्षा के बाद ही आर्य और अनार्य घोषित होना चाहिए, अन्यथा अवैदिक विवाह को नहीं रोका जा सकते हैं।
❤ आप से सादर अनुरोध करता हूं कि बिहार में भी आर्यसमाज का प्रचार प्रसार करें....🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉
बड़े दुख की बात है कि 7 दिन में 455 व्यूर्स है जितने भी सनातनी भाई देखते हैं ज्यादा से ज्यादा शेयर करें
🎉ATI sunder Acharya ji
🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉 अद्भुत और अद्वितीय प्रवचन......
आचार्य जी श्री कृष्ण जी ने वो विद्या योगावस्था में दिया था और योगदर्शन में मिलता है की योगावस्था में आत्मा अपने को परमात्मा से अलग नहीं मानता और वँहा मैं का अर्थ ईश्वर से है!
धर्म वो है जो मनुष्य को जानवर से अलग पहचान देता है जिसके पास धर्म नहीं वो जानवर है धर्म ही मनुष्य की पहचान है
जी नहीं, क्या धर्म सिर्फ मनुष्यों के लिए ही है ? क्या जड़ पदार्थों का धर्म नही है ? पानी का धर्म ( प्रॉपर्टी) है-तरलता, बहाव, घोलने और घुलने का गुण, आदि आदि . इसी प्रकार हवा, मिट्टी, सूर्य की ऊष्मा, आदि आदि .
Namaskar.guru.ji.jai.ary.samaj.❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
धर्म को अच्छी तरह समझाने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद 🙏💐
आचार्य जी आपको प्रणाम ।
बड़ी खुशी हुई आपकी बात का ज्ञान हमे मिला
जय श्री राम
आनंद आ गया आपको सुनकर।
आचार्य जी सादर नमस्ते जी
अचार्य जी आपका हर एक व्याख्यान जीवन को एक नई दिशा निर्देश दे रहा है आपका बहुत-बहुत धन्यवाद🙏🙏
आचार्य जी मैं आपके साथ हूं तन से मन से और धन से जब भी मेरी आवश्यकता हो आप मुझे जरूर बुलाए 🙏🙏
कोटि कोटि प्रणाम आचार्य जी
Bahut Sundar 👍👍👍
सादर नमन आचार्य जी
Mera Guruji yogesh Ji ko koti koti Pranam
Jai Hind
Jai Bharat
Jai Sri Ram
Jai Sri krishna
Mera Bharat Mahan
धर्मो रक्षति रक्षित;🙏
आचार्य योगेश भारद्वाज जी बहुत-बहुत साधुवाद। क्या दमदार हवन-यज्ञ एवं धर्म ची परिबाषा कहते हो।आपकी अनुभूति हो रही है।
आर्य भजनोपदेशक जालन्धर पंजाब।
ओ३म्
बहुत बहुत धन्यवाद आचार्य योगेश भारद्वाज जी, आपके अन्य सभी यूट्यूब वीडियो की तरह यह भी उत्कृष्ट और बिल्कुल सुंदर है, अत्यधिक सराहनीय है, मैं फिर से कहता हूं कि हम आपके प्रयासों के लिए आपके बहुत आभारी हैं, बहुत आभार जी
बहुत सुन्दर व्याख्या धर्म की पहली बार सुनी 🙏 आचार्य जी का बहुत बहुत धन्यवाद 🙏
आचार्य जी सादर प्रणाम आपको दिल से धन्यवाद देना चाहता हूं। आपने बहुत ही सरल भाषा में प्रचार करके हमारा मन मोह लिया। श्रीमान जी आप को कोटि कोटि प्रणाम।
Guruji aapki ek ek vani mere rom rom ME daurti h
Acharya ji mujhe lagta h aap Divya Atma ho jise parmatma ne samaj sudhakar bna kr bheja h dhany hue hum aap ko sunkar 🙏🙏🙏🙏
सादर नमस्ते अचार्य जी, आपने धर्म की व्याख्या वैज्ञानिक तरीके से समझाई है,❤🎉❤
बहुत बहुत धन्यवाद महात्मा जी
Guruji Maharaj charnome pranam
Acharya ji namstey
ओ३म नमस्ते आचर्या जी 🙏🙏🙏
मान गये गुरूजी👌👌🙏🙏
सादर प्रणाम नमस्ते जी आचार्य श्री जी
Guruji Mai aapko apne hirdya me rakhta hu jante h kyo guruji aapki vidio ki ek ek vani 10 bar sunkar samajhta hu
thanks acharye ji 🙏🙏🙏🙏👍👍👍👍
Acharya.ji.ishwar.dharam.ki.bahut.stik.bayakhan.ke.liya.koti.koti.prnam
आचार्य जी सादर नमस्कार
अति उत्तम जी
Namaste acharya ji 🙏
शुद्ध(निर्मल) चित्त का आचरण, सत्य धर्म है सोई।
सत सत नमन आचार्य योगेश जी 🙏👍
पहले यूटुब पर फिर फेसबुक पर ये ज्यादा सही रहेगा
According to my opinion
Bahut sundar shikshya
सुंदरतमा विवेचना आचार्यवर। स्वस्त्यस्तु
ओम् परिणाम आचार्य ji जय सनातन
" परिणाम "???????????
बहुत सुन्दर
आचार्य जी को प्रणाम बहुत ही सुंदर व्याख्या जीवन में धारण करने के लिए
बहुत अच्छा बातना है आचार्य श्री जी
दंडवत प्रणाम गुरु जी
ओम नमस्ते आचार्यजी
Ati sundar aacharya ji.Ved hi sarvottam h.
जय। धन्य हे आपकी माताजी
,बहुत बहुत साधुवाद 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
जय जय श्री राम
जो धारण करने योग्य है,,,,,,देश काल परिस्थिति उपस्थिति परिस्थिति सामने वाले वाले का व्यवहार वय के अनुकूल कर्म धर्म है
💯 scientific knowledge
Jaigurudev
युग की अदभुत व्याख्या ,,🙏
🌼🙏🌼
🙏🙏🙏🙏🙏
Very Nice 👍👍👍👍👍 RAMCHAND Goyal Ballabgarh
Har har Mahadev
Namaste acharya ji
Acharya ji, aap ek book likh de iss pe.
धर्म बड़ा
उत्तम अत्ति उत्तम आचार्य जी 🙏
Kiti koti pranam
🙏🙏🙏 हरे कृष्णा
प्रणाम वेदाचार्य 🙏🙏
धर्म सर्वोपरी है गुरू!
🏵️🙏🏵️ आचार्य जी को सादर प्रणाम 🏵️🙏🏵️
Very nice
Om
Nirukta ke Bina veda nahi pad saktey ye bar samajhe nahi ai jab koi veda ke Sanskrit ke vyakran nahi janta to kesey padey or janey veda ko Rishiyo ne Kripa bataye
Om namaste achary ji
🙏🙏
बहुत बहुत धन्यवाद
Guru ji🙏🙏🙏🙏🙏
Your decision is good
स्वागत
🙏 नमन
उमेश पंवार
🙏🙏🚩
Planet best living system arya samaj ❤❤❤
🙏🙏🙏🙏👍👍👍👍👍👍
Bahut sundar
Krupaya Mike ki quality sudhare
सभी शेयर
bahut achha h
Saty sanatan ki jai
Pondit ji apki sondhaposona bidhi dakhnasa mera bohut lav mila so main upki bohut bohut abhari hon .mara or AK nibadon kripa korka rudraostodhayye pat ki bidhi Sorol troika se pornaki bidhi sekhaya to humko bohut upkar hoga ..pronam .
Dharm ko hum tab jaan paate hai job hum aadhyatmik hote hai yani aatma ki odhin hokar karm karte hai om shanti
Ram Ram ji
जब वेदों को पढा ही नहीं जा सकता है तो तो वेदों की आज्ञा जानेंगे कैसे?
😂😂😂😂😂😂😂
धर्म की व्याख्या लोग अपने अपने विचार अनुसार शाब्दिक अर्थ के रूप में करते आए हैं
धर्म को सीधे अर्थ में मेरे विचार से ऐसे समझा जा सकता है।
Dharm, the path of infinite bliss is an endeavour of goodness' for existence of all living and non-living entities of the universe with the respective attitude towards all, by having proper and maximum utilisation of all mundane, super mundane and spiritual potentialities of each individual and collective body so that everyone can achieve the infinite bliss (Anand )i.e. can realise The param purush parmatma i.e. supreme consciousness .
Hmare sangat samtavad asharam ke baare me suna nhi shayad apne , sangat samtavad ka niyam hai sat- simran ,saadagi, sat , satsang , seva .... Openly likheya hoya har jagah 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏yogiraj mahapurush mahatma mangat ram ji maharaj ..
🙏🙏🌺🌺🌹🌹🙏🙏❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️
Ved ki aagya kya hai saph saph bata dijie .
🏵️🙏🏵️
akas m chanderma hai bhardwaj
परम सत्य क्या है? Read Bhagavan Buddha's Philosophy.🙏
Yogesh sir ji ko kotti kotti Naman
धर्म की निरुक्ति----यतो अभ्युदय नि:श्रेयश सिद्धि स: धर्म:।।(वैशेषिक दर्शन) ।। , यतो(जितने कर्तव्यों के करने से), अभ्युदय (परिस्थिति विशेष में जन्मे मानव के ) नि:श्रेयस ( निहित श्रेय= इस जीवन में निहित शेष अशुक्लाकृष्णा कर्मों को) सिद्धि( करने में सफलता हासिल करना हि) स:( उक्त मानव= उक्त परिस्थिति विशेष में जन्में हुए मानव का) धर्म: (धर्म कहाता है)।। इस सुत्र का सार यह है कि-- मानव विशेष के वेदों में बताए स्व कर्तव्यों का पालन और स्व अकर्तव्यों का त्याग हि धर्म कहाता है ।
बाबू राम जी, ये क्या कर दिया , लिखा भी और काट भी दिया, कृपया इसे ठीक कीजिए .
निरुक्ति के बाद के dash ko hata kar : likhye
भ्राता श्री यह डैस-डैस मैंने नहीं लगाया है यह डैस- डैस मेरे द्वारा उद्धृत, धर्म निरूक्ति और उस धर्म निरूक्ति के मेरे भाषान्तर पर किसी मूर्ख द्वारा लगाया गया है जो अपने को स्व घोषित विद्वान मानता है किन्तु वह धर्म विषय का क ख,ग भी नहीं जानता है। शास्त्रार्थ के विना किसी की मान्यता अर्थात् बोध को खारिज करना विद्वता नहीं, मूर्खता की पराकाष्ठा है । जिसने भी डैस-डैस लगाया है वह जब तक धर्म की निरूक्ति नहीं बतलाता है और मेरे द्वारा उद्धृत धर्म निरुक्ति को शास्त्रार्थ में गलत सिद्ध नहीं कर देता है तब तक मैं उसे मूर्ख मानता रहूंगा चाहें वह जो कोई हो।@@webmace
भ्राता श्री यह डैस -डैस मेरे द्वारा नहीं किया गया है। यह डैस -डैस ऑन लाइन, धर्म से अनभिज्ञ किसी संस्था या व्यक्ति ने किया है। मैं उसे शास्त्रार्थ हेतु चैलेंज देता हूं।
प्रश्न - क्या कोई ऐसा पदार्थ है, जिसका कोई धर्म नही है ?
Is there any matter, which does not have any property ?
श्रीमान जी प्रार्थी S.I. U.PPसे सेवानिवृत्त हूं। तथा आर्य समाज में सन् 1996 से आस्था रखता हूं। केवल बैदिक संध्या करता हूं पाखंड से बहुत दूर रहता हूं तथा अपने सभी शुभ कार्य आर्य समाज आचार्य महोदय द्वारा कराता हूं। परंतु मुझे शिकायत या शंका है कि आज कल कुछ लड़कियां,लड़का नावालिग होते हुए परिवार की सहमति के बिना भाग कर आर्य समाज मंदिर में शादी कर लेते हैं ऐसे कई मामले हैं जिनकी केई बिबेचना मेरे द्वारा की गई हैं मेरे कुछ साथी लोग मुझसे पूछते हैं क्या आर्य समाज बालिंग, नाबालिग में कोई भेद नहीं समझ तेहै। अन्य समाज की तरह धन केलालच में अपराध करते हैं। मेरे पास इसका कोई जवाब नहीं है क्रपया संज्ञान लेने कीक्रपा करें। तथा अवगत कराने की क्रपा करें।
Same to me
कई सरकारी कानून वैदिक विधान के विरूद्ध हैं। वैदिक विधान में वालिका को सत्रहवें बर्ष से और वालक को छब्बीस बर्ष से विवाह के योग्य मानता है
कई व्यक्ति ब्रह्मराक्षस होते हैं जो आर्य ना होकर आर्यों में प्रवेश कर गये हैं । सम्भव है कि उन्होंने वेद विरुद्ध और कानून विरूद्ध विवाह किये हों। यह लोग आर्य नहीं , अपराधी हैं जिन्हें दण्डित करने की आवश्यकता है।
आज भारतीय समाज अनार्य राष्ट्र वन गया है,इस कारण भी किसी हद तक , अयोग्य पुरोहित ऐसे विवाह कर देते हैं, जिन पर आर्य संगठन को रोकने की आवश्यकता है। आर्य समाज में अयोग्य पुरोहित और अयोग्य विवाह का होना दर्शाता है कि आर्य समाज अभी भी एक संगठन के रुप में नहीं आ पाया है अर्थात् जितनी डफली उतने राग वाली कहावत चरितार्थ हो रही है जो हमारे आर्यत्व हीनता का प्रमाण है।
आर्यों=(द्विज=ब्राह्मण+क्षत्रिय+वैश्य) +अद्विज(शूद्र) की परीक्षा ना होना भी ऐसे विवाह का कारण है। जब तक गुण पर आधारित शुद्ध वैदिक वर्ण व्यवस्था वाला सच्चे ब्राह्मण की परीक्षा के बाद ही आर्य और अनार्य घोषित होना चाहिए, अन्यथा अवैदिक विवाह को नहीं रोका जा सकते हैं।
Vishvash nahi hota acharya ji mera man apki or chal pada
Bharadwaj