जालौर का एक अनोखा महादेव जी का मंदिर जहाँ पर महादेव जी से पहले पुजा जाता है सोनगरा जूझार जी - JALORE

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  • เผยแพร่เมื่อ 9 ก.ย. 2024
  • जालौर का एक अनोखा महादेव जी का मंदिर जहाँ पर महादेव जी से पहले पुजा जाता है सोनगरा जूझार जी - JALORE NEWS
    जालौर ( 4 अगस्त 2024 ) वर्तमान समय में हिन्दू केलेंडर का महीना सावन चल रहा हैं जो कि भगवान भोलेनाथ का प्रिय महीना माना जाता हैं। मान्यता है कि जो भक्त सावन मास में सच्चे मन और विधि-विधान से भोलेनाथ की पूजा करते हैं उन सब पर देवाधिदेव महादेव जल्द प्रसन्न होते हैं। ऐसे में सभी इस महीने में अपने इष्ट भोलेनाथ के दर्शन को आतुर रहते हैं और इसके लिए शिव मंदिरों का रूख करते हैं। आज हम आपके लिए राजस्थान के जालोर में प्रसिद्द शिव मंदिरों की जानकारी लेकर आए हैं जो अपनी विशेषता के लिए जाने जाते हैं। इन मंदिरों में भक्तों का जमावड़ा हमेशा लगा रहता हैं, लेकिन सावन के दिनों में यह संख्या और बढ़ जाती हैं। अगर आप भी सावन के दिनों शिव मंदिरों के दर्शन करना चाहते हैं तो चले आइये यहां के मंदिर में दर्शन करने के लिए और यहां वीडियो शुरू करने से पहले अगर आप हमारे चैनल पर अभी नया जुड़े हुए हैं तो आप अभी चैनल को लाइक और शेयर करे देवें ।
    श्रावण माघ का तीसरे सोमवार को लेकर विशेष कवरेज़ देखिए
    आपको जानकर हैरानी होगी लेकिन ये सच है कि राजस्थान के जालौर मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर एक ऐसा मंदिरों है और अपने आप में एक अनोखा मंदिरों का रहस्य है। ऐसी मान्यता है कि जालौर में एक नाम मात्रा ऐसे महादेव जी का मंदिरों है जहाँ पर आने पर महादेव जी मंदिर से पहले आपको सोनगरा जूझार जी पुजा आस्था करनी पड़ती है। यहाँ पहाड़ पर सुनहरे रेतीले धोरों के बीचजागनाथ महादेव मंदिर बिराजित है। यहाँ मंदिर की क्या विशेषता है और इस मंदिर का पीछे का क्या रहस्य है आइए जानते हैं इसके बारे में और इस मंदिर से छुपी हुई एक कहानी क्यों महादेव जी से पहले पुजा जाते हैं सोनगरा जूझार जी जाने रहस्य जोकि अपनी अनोखी विशेषता की वजह से पुरे जालौर ही नहीं बल्कि अन्य जगह पर मशहूर है.
    जालोर जिले के नारणावास स्थित जागनाथ महादेव मंदिर काफी प्राचीन एवं ऐतिहासिक है। नारणावास कस्बे से पूर्व की ओर 4 किलोमीटर दूर अरावली पर्वत शृंखला उपशाखा ऐसराणा पहाड़ पर सुनहरे रेतीले धोरों के बीचजागनाथ महादेव मंदिर बिराजित है। यहां की प्राकृतिक छटा बरबस ही श्रद्धालुओं का मन मोह लेती हैं। ऊंचे ऊंचे विशाल हरे भरे पहाड़, रेत के बड़े धोरे व हरियालीआकर्षित करते हैं।
    नारणावास के रूपसिंह राठौड़ ने बताया कि मन्दिर के आस पास बहते हुए झरने, सदाबहार चलने वाली छोटी नदी जो स्थानीय श्रद्धालुओं में यहां की छोटी गंगा के नाम से जानी जाती है, आगंतुक का मन मोह लेती हैं। जिला मुख्यालय से 18 किमी दूर स्थित यह मंदिर बहुत प्राचीन एवं ऐतिहासिक है। यह मंदिर कई वर्ष पहले मोरली गिरी महाराज ने बनवाया था। जिसे नया मंदिर कहा जाता है यहां से प्राप्त एक प्राचीन शिलालेख के अध्ययन से पता चलता है कि यह स्थल देवी का शिलालेख है तथा इस पर उत्कृत लेख मंदिर की कहानी का गवाह है। यह लेख चौकोर स्तंभों के निचले भाग में स्थित है मध्य भाग में मूर्तियां उत्कीर्ण है। स्तंभों के ऊपरी भाग में मंदिर के शिखर की आकृतियां बनी हुई है।
    इसके अलावा उदयसिंह के लेख हंै। स्तंभ लेखों में जिन पर स्त्री मूर्तियां बनी है, यह मूर्तियां स्थल देवी की जान पड़ती है। इस मंदिर का स्थापना काल 118 2 ई. से 1207 ई. जान पड़ता है। इसी प्रकार वि.सं. 1278 के एक शिलालेख में उदयसिंह को अपनी महारानी सहित प्रणाम मुद्रा में दिखाया गया है। इसके अलावा 126 4 ई. का शिलालेख एक चबूतरे पर लगा है। इस मंदिर का शिवलिंग इतना प्राचीन है कि इसे सफेद पट्टियों से ढक दिया गया है, ताकि जलाघात से शिवलिंग को बचाया जा सके। मंदिर परिसर में कई शिलालेख एवं स्तम्भ रखे हुए हैं। कुछ तो 700 से 8 00 वर्ष पुराने बताए जाते हैं। ये सभी पुरातात्विक दृष्टि से अत्यंत ही महत्वपूर्ण है। शिवालय परिसर में जूझार बावसी का स्थान भी है, जिनको सबसे पहले पूजा करने का वचन दिया हुआ है। यह परिपाटी आज भी कायम है।
    यहां पांडवकालीन शिवालय भी है
    एक और शिव मंदिर है जो पांडवों के काल का बताया जाता है, जो आज से 217 वर्ष पूर्व एक रेतीले धोरे के बीच से निकला था। इसे जूना महादेव मन्दिर के नाम से जाना जाता है। वर्तमान जागनाथ मंदिर तत्कालीन महंत सोमवार भारती महाराज के अथक प्रयासों से 198 4 में संगमरमर मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया गया था, जिसकी प्राण प्रतिष्ठा उनके बाद महंत गंगाभारती महाराज ने करवाई थी।
    जागनाथ मंदिर के महंत गंगा भारती महाराज सोमवार भारती महाराज के परम शिष्य थे, जो बड़े तपस्वी थे।मंदिर में बहुत प्राचीन एक बावड़ी भी हैं जिसका जल कभी नहीं सूखता है। शिवरात्रि के साथ साथ प्रति वर्ष दो मेलों का आयोजन होता है। इसमें जालोर, सिरोही व गुजरात के भी श्रद्धालु भाग लेते हैं। ब्रह्मलीन गंगा भारती महाराज के दो शिष्यों में से वर्तमान महंत महेंद्र भारती व विष्णु भारती, मन्दिर में आने वाले श्रद्धालुओं की सेवा करते हैं।
    जागनाथ जी के नाम से रेलवे स्टेशन भी
    जालोर व बागरा रेलवे ट्रेक के बीच नारणावास से भागली प्याऊ जाने वाले सड़क मार्ग पर जागनाथ जी के नाम से एक रेलवे स्टेशन भी आया हुआ है। श्रद्धालुओं व यात्रियों की सुविधा के लिए लोकल रेल गाड़िया रुकती हैं एवं रेल यात्री एवं जागनाथ महादेव आने वाले श्रद्धालु इसी जागनाथ स्टेशन से यात्रा करते हैं।
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ความคิดเห็น • 1

  • @rameshtpurohit8679
    @rameshtpurohit8679 หลายเดือนก่อน

    Har har Mahadev
    Very nice jankari 🎉🎉🎉