Guru ji ek aash tumhari hai jeevan me ek pyaas tumhari hai Bhedi sadguru dev ji tere charnon me sirf ek chah hamari hai aapke charnon me charan sparsh karta hun sat saheb ji sat saheb ji ❤❤❤❤❤❤❤
[28/11, 6:37 PM] Shalekh Gram Soni: सत साहेब भाई जी आपने ही प्रश्न किया और आपने ही अनुभूति बतला दी है। बिना नाक के ही समस्त गंध की अनुभूति भी करता है। लिखना भूल गया था। अतः भूल के लिए मुझे क्षमा कीजिऐगा।।सालिकराम सोनी।।00।। [28/11, 6:40 PM] Shalekh Gram Soni: परमपिता परमेश्वर हमारे अंदर और बाहर खचाखच भरा है। जिसे मोटे तौर पर आत्मा परमात्मा अनुभूति के नाम से संत जानते है।।
प्रणाम गुरुदेव 🙏🏻🙏🏻 सुरति भी आत्मा है जो भिन्न नहीं है। लेकिन इसमें अंतर यह है कि अगर हम किसी ऑफिस में काम करते हैं तो हमारी पहचान हमारे पद से होती है। यदि हम मंदिर जाते हैं तो हमें दर्शनार्थी के नाम से जाना जाता है। हम एक ही हैं, लेकिन अलग-अलग जगहों पर हमारा परिचय अलग-अलग है. यह वैसा ही है जब हमारी आत्मा परमात्मा को खोजना शुरू करती है। फिर वही आत्मा सुरति में परिवर्तित हो जाती है।
[28/11, 6:37 PM] Shalekh Gram Soni: सत साहेब भाई जी आपने ही प्रश्न किया और आपने ही अनुभूति बतला दी है। बिना नाक के ही समस्त गंध की अनुभूति भी करता है। लिखना भूल गया था। अतः भूल के लिए मुझे क्षमा कीजिऐगा।।सालिकराम सोनी।।00।। [28/11, 6:40 PM] Shalekh Gram Soni: परमपिता परमेश्वर हमारे अंदर और बाहर खचाखच भरा है। जिसे मोटे तौर पर आत्मा परमात्मा अनुभूति के नाम से संत जानते है।।
।।जय श्री सच्चिदानंद परमेश्वराय नमो नमः।।:-सुवाक्यम्:-आदि नाम को खोजले प्राणी, जाते होय मुक्ति सहिदानी सद् ग्रंथन की वाणी। आतम घट शब्द झनकार होई, ताहि लखै सुरति विरली कोई कोई। वह परमात्मा बिना पाँव के चलता है, बिना कान सब सुनता है, बिना हाथों के विविध कर्म करता है। बिना मुख के सकल रसों का पान करता है। बिना वाणी स्वयं ही सारशब्द नांद करता है। यही उसका अविनाशी, सर्वव्यापक, सर्वश्रेष्ठ, सर्वोत्तम, सर्वनियंता सत्य स्वरुप सगुण निर्गुण निराकार साकार से परे आदि मध्य अंत रहित स्वरुप है। जिसे सतगुरु से जानकर जनम मरण से मुक्ति प्राप्त होती है और अंत समय परमधाम की प्राप्ति भी होती है।।01।।भगवत गीता के अनुसार ना जन्म हमारी मर्जी से होता है ना ही मृत्यु, तो जन्म मृत्यु के बीच होने वाली व्यवस्था हमारी मर्जी से कैसे हो सकती है। जो आपके योग्य होगा आपको मिल जाएगा, जो नहीं होगा वो छिना जायेगा, आपका काम है कर्म करते रहना।।02।।चार वेदों का अर्थ ना जानों तो कोई बात नहीं, परंतु इन चार शब्दों का मर्म जानों तो भी जीवन सार्थक हो जाये,,जो इसप्रकार हैं:-समझदारी, जबावदारी, वफादारी, ईमानदारी-।।03।।जब मैं मंदिर गया तो देखा पत्थर पड़ा था। मस्जिद गया तो देखा खाली पड़ा था, चर्च गया तो देखा सूली पर खड़ा था, गुरुद्वार गया तो देखा ढका पड़ा था। मगर:-जब अपने भीतर आत्म घट में गया तब मालूम पड़ा वो अंग संग खड़ा था और मैं झुक गया।।04।।हे विदेही बेहदी सारशब्दी सतगुरु आपका सुमिरण सबको दीजिए। सत सनातन का सुमार्ग पर चलें हमेशा, भावना ऐसी कीजिऐ। प्रेम करुणां का वरण हो, सष्टि में सृजन उत्थान हो, स्वास्थ्य तन हो, स्वास्थ्य मन हो, आशीष ऐसी सबको दीजिए।।05।।,,साँई अरुण जी महाराज नासिक महाराष्ट्र और सारशब्दीय संत परिवार को सादर समर्पित,,सालिकराम सोनी।।00।।
[28/11, 6:37 PM] Shalekh Gram Soni: सत साहेब भाई जी आपने ही प्रश्न किया और आपने ही अनुभूति बतला दी है। बिना नाक के ही समस्त गंध की अनुभूति भी करता है। लिखना भूल गया था। अतः भूल के लिए मुझे क्षमा कीजिऐगा।।सालिकराम सोनी।।00।। [28/11, 6:40 PM] Shalekh Gram Soni: परमपिता परमेश्वर हमारे अंदर और बाहर खचाखच भरा है। जिसे मोटे तौर पर आत्मा परमात्मा अनुभूति के नाम से संत जानते है।।
।।जय श्री सच्चिदानंद परमेश्वराय नमो नमः।।:-सुवाक्यम्:-आदि नाम को खोजले प्राणी, जाते होय मुक्ति सहिदानी सद् ग्रंथन की वाणी। आतम घट शब्द झनकार होई, ताहि लखै सुरति विरली कोई कोई। वह परमात्मा बिना पाँव के चलता है, बिना कान सब सुनता है, बिना हाथों के विविध कर्म करता है। बिना मुख के सकल रसों का पान करता है। बिना वाणी स्वयं ही सारशब्द नांद करता है। यही उसका अविनाशी, सर्वव्यापक, सर्वश्रेष्ठ, सर्वोत्तम, सर्वनियंता सत्य स्वरुप सगुण निर्गुण निराकार साकार से परे आदि मध्य अंत रहित स्वरुप है। जिसे सतगुरु से जानकर जनम मरण से मुक्ति प्राप्त होती है और अंत समय परमधाम की प्राप्ति भी होती है।।01।।भगवत गीता के अनुसार ना जन्म हमारी मर्जी से होता है ना ही मृत्यु, तो जन्म मृत्यु के बीच होने वाली व्यवस्था हमारी मर्जी से कैसे हो सकती है। जो आपके योग्य होगा आपको मिल जाएगा, जो नहीं होगा वो छिना जायेगा, आपका काम है कर्म करते रहना।।02।।चार वेदों का अर्थ ना जानों तो कोई बात नहीं, परंतु इन चार शब्दों का मर्म जानों तो भी जीवन सार्थक हो जाये,,जो इसप्रकार हैं:-समझदारी, जबावदारी, वफादारी, ईमानदारी-।।03।।जब मैं मंदिर गया तो देखा पत्थर पड़ा था। मस्जिद गया तो देखा खाली पड़ा था, चर्च गया तो देखा सूली पर खड़ा था, गुरुद्वार गया तो देखा ढका पड़ा था। मगर:-जब अपने भीतर आत्म घट में गया तब मालूम पड़ा वो अंग संग खड़ा था और मैं झुक गया।।04।।हे विदेही बेहदी सारशब्दी सतगुरु आपका सुमिरण सबको दीजिए। सत सनातन का सुमार्ग पर चलें हमेशा, भावना ऐसी कीजिऐ। प्रेम करुणां का वरण हो, सष्टि में सृजन उत्थान हो, स्वास्थ्य तन हो, स्वास्थ्य मन हो, आशीष ऐसी सबको दीजिए।।05।।,,साँई अरुण जी महाराज नासिक महाराष्ट्र और सारशब्दीय संत परिवार को सादर समर्पित,,सालिकराम सोनी।।00।।
Guru ji ek aash tumhari hai jeevan me ek pyaas tumhari hai Bhedi sadguru dev ji tere charnon me sirf ek chah hamari hai aapke charnon me charan sparsh karta hun sat saheb ji sat saheb ji ❤❤❤❤❤❤❤
Satnam Saheb bandagi aapke charno mein koti koti Naman guruji 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🧘🧘🧘🧘🧘🧘🧘🧘🧘🧘🧘🧘🧘🧘🧘🧘🧘🧘🧘🧘🧘🧘🧘🧘🧘🧘🧘🧘🧘🧘🧘🧘🧘🧘🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
SAT guru ji shri Sai Arun Ji aapke Shri charno me koty koty parnam.Dhamaywad Gurudev ji.❤❤❤❤🎉🎉🎉🎉🎉.
Sat saheb bandagi gurudev ji mahan guru dev behdiguru bandechhor ke charno me koti koti pranam prabhu ji ❤❤❤❤❤
Sadar koti koti Charan vandan guru maharaj ji
भेदीगुरू साई अरुण जी केचरणो में कोटि कोटि प्रणाम सत साहेब सत साहेब सत साहेब जी 🙏🌹
Sat sahib ji koti koti naman ❤❤❤❤❤❤
Sahib.Bandgi.Jai.Ho.Bhedi.Guruvar🎉
Bhedi Sadguru Shri Sai Arun ji ke pawan charno me koti koti vandan 🙏🌹🌹🙏 sat saheb ji 🙏🌹🌹🙏
सत साहेब जी गुरुजी को कोटि-कोटि दण्डवत प्रणाम 🙏🙏🌹
સતસાહેબ સતસાહેબ
हे सद्गुरुदेव भगवन् आप के श्री चरणों में कोटि कोटि बारंबार नमंन बंदगी दंडवत प्रणामैं करते हैं भगवन् सत् सत् सत् साहेब सद्गुरुदेव भगवन् 🌹🌹👣🙏
Sat saheb saheb bandagi 🎉🙏
सत साहेब जी गुरु देव जी दंडवत प्रणाम 🙏🌹
Sat Saheb Sat Saheb Guruji ❤❤.
Sat sahib guruji 🙏 🙏💐💐
गुरु जी के चरणों में प्रणाम
Amrut Gyan koti koti pranam Guruji.
Sat Shahab Bandgi Sat Guru Devji Koty Koty Pranam Sat Guru Devji
सत साहेबजी, गुरू महाराज जी 🌹🙏
साहेब बदगी सत साहेब जी कोटि कोटि प्रणाम गुरुजी
Sat Sahibji. 🙏🙏🙏
गुरुदेव के चरणों में सत सत प्रणाम🙏🙏🌹🌻🌼
Sat sahib sat guru ji ❤❤
Sat sahib ji 🙏
Guruji apke charno m pranam
Sat Saheb Guru Dev Ji.🔥🌹🌹🙏🙏🌹🌹🔥
Sat Saheb guruji 🌹🌹🙏🏼🙏🏼💐💐
❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
Guruji AnantaAnanta SatSat Naman🌷🙏🙏🙏🙏🙏🌷🌺🌸
गुरु जी चरण वंदन 🙏🙏🌹🌹🙏🙏
sat saheb ji 🙏
Sat Sahib bandagi sat Sahib bandagi sat Sahib bandagi guru ji koty koty parnam aap ko 🙏🙏🙏🌹
प्रमाण ।प्रणाम
सत साहिब सत साहिब सत साहिब जी आपको बारम्बार प्रणाम स्वीकार हो।
सत साहेब जी
Sat sahib ji k charno m koti koti pranam sat sahib ji
Sat sahib ji
Sat Saheb ji sat Saheb ji sat Saheb ji satguru saheb ji anant naman apko 🌹🌹🙏🙏🌹🌹
प्रणाम गुरु जी 🙏🏻🌹🙏🏻
सत साहिब जी 🙏🏻सत साहिब जी 🙏🏻सत साहिब जी 🙏🏻सत साहिब जी गुरु जी 🙏🏻🌹🙏🏻
Guruvarji k paavan charno m koti koti pranaam sat saheb sat saheb sat sahebji guruvarji🎉🎉❤🎉🎉
Pranam guru jii🙏
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🌺🌺🌺🌺🌺
सत साहेब परमपिता परमात्मा को कोटि कोटि प्रणाम भेदी गुरु संत साई अरूण जी महाराज को सत सत नमन सभी संत भाई बहनों को नमन सत साहेब जी
सद्गुरु जी भेदी गुरु जी साईअरुणजी आपके चरणो मे कोटि-कोटि चरण वंदन प्रणाम, सभी संतों को प्रणाम।सत साहेब, सत साहेब, सत साहेब, साहेब बंदगी।🙏🙏🌹🌹💐🌹🌹🙏🙏
Dhanywaad guru jii🙏
सभी संत भाई बहनों को सत साहेब सत्य मेरा धर्म है,
सेवा मेरा कर्म है
गुरु देव जी के पावन श्री चरणों में कोटि कोटि प्रणाम सत साहेब बंदगी सत साहेब बंदगी सत साहेब बंदगी 🙏🙏🙏🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
Sad Guru Sai Arunji or Sat Guru Parmatmaji K Charan kamlo M koti koti naman sat sahib SS at sahib sat sahib.
🙏🌹🌺🦶🦶🌺🌹🙏
सत साहिबजी 🙏
सत साहिबजी 🙏🙏
सत साहिबजी 🙏🙏🙏😊
Namaste guru jii🙏
Namaskar guru jii🙏🙏
Sat saheb ji
Sat sahib sat sahib sat sahib guru ji koti koti naman guru ji🙏🙏🙏🙏
Sat saheb. Guru dev ji 🙏🙏🙏
गुरु जी परणाम साहेब बंदगी सत साहेब जी🌷 🌹🌹🌷🌷🌷🙏🙏🙏🙏
Stsahibji guru ji ke chrno me koti koti prnam 🌹🌹🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
सत साहेब जी नमन करण बंदना प्रभु जी 🌹🙏🕉️
Sat sahib jee sat sahib jee sat sahib jee ❤❤❤❤❤❤❤
सत्य पुरुष परमात्मा को प्रणाम
Gurugi Aapko Mera koti koti naman shatsheb shatsheb
Guru ji ke Charno main Mera koti koti pranam 🙏 🌹
Sat saheb sat saheb sat saheb.....
Guruji ko sadar charan vandana
Satsaheb ji satsaheb ji
सत साहेबजी 🎉🎉🎉
Guruji sat saheb bandgi
सत साहेब नमस्कार जी❤❤
नमस्ते गुरू जी सादर चरण स्पर्श।
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Satsahib Ji
.49 ment ke bad apke sabd wah... Dhany ho gaya... Arpan karte chalo or apna kam karte chalo
[28/11, 6:37 PM] Shalekh Gram Soni: सत साहेब भाई जी आपने ही प्रश्न किया और आपने ही अनुभूति बतला दी है। बिना नाक के ही समस्त गंध की अनुभूति भी करता है। लिखना भूल गया था। अतः भूल के लिए मुझे क्षमा कीजिऐगा।।सालिकराम सोनी।।00।।
[28/11, 6:40 PM] Shalekh Gram Soni: परमपिता परमेश्वर हमारे अंदर और बाहर खचाखच भरा है। जिसे मोटे तौर पर आत्मा परमात्मा अनुभूति के नाम से संत जानते है।।
🙏🙏❤❤🙏🙏
🙏🏻🌷
प्रणाम गुरुदेव 🙏🏻🙏🏻 सुरति भी आत्मा है जो भिन्न नहीं है। लेकिन इसमें अंतर यह है कि अगर हम किसी ऑफिस में काम करते हैं तो हमारी पहचान हमारे पद से होती है। यदि हम मंदिर जाते हैं तो हमें दर्शनार्थी के नाम से जाना जाता है। हम एक ही हैं, लेकिन अलग-अलग जगहों पर हमारा परिचय अलग-अलग है. यह वैसा ही है जब हमारी आत्मा परमात्मा को खोजना शुरू करती है। फिर वही आत्मा सुरति में परिवर्तित हो जाती है।
गुरु जी के चरणों में कोटि कोटि प्रणाम दंडवत सत साहेब सत साहेब सत साहेब❤❤❤❤
Sat saheb guruji
गुरूदेव प्रणाम सतनाम सत साहिब जी सत साहिब जी सत साहिब जी🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏
[28/11, 6:37 PM] Shalekh Gram Soni: सत साहेब भाई जी आपने ही प्रश्न किया और आपने ही अनुभूति बतला दी है। बिना नाक के ही समस्त गंध की अनुभूति भी करता है। लिखना भूल गया था। अतः भूल के लिए मुझे क्षमा कीजिऐगा।।सालिकराम सोनी।।00।।
[28/11, 6:40 PM] Shalekh Gram Soni: परमपिता परमेश्वर हमारे अंदर और बाहर खचाखच भरा है। जिसे मोटे तौर पर आत्मा परमात्मा अनुभूति के नाम से संत जानते है।।
।।जय श्री सच्चिदानंद परमेश्वराय नमो नमः।।:-सुवाक्यम्:-आदि नाम को खोजले प्राणी, जाते होय मुक्ति सहिदानी सद् ग्रंथन की वाणी। आतम घट शब्द झनकार होई, ताहि लखै सुरति विरली कोई कोई। वह परमात्मा बिना पाँव के चलता है, बिना कान सब सुनता है, बिना हाथों के विविध कर्म करता है। बिना मुख के सकल रसों का पान करता है। बिना वाणी स्वयं ही सारशब्द नांद करता है। यही उसका अविनाशी, सर्वव्यापक, सर्वश्रेष्ठ, सर्वोत्तम, सर्वनियंता सत्य स्वरुप सगुण निर्गुण निराकार साकार से परे आदि मध्य अंत रहित स्वरुप है। जिसे सतगुरु से जानकर जनम मरण से मुक्ति प्राप्त होती है और अंत समय परमधाम की प्राप्ति भी होती है।।01।।भगवत गीता के अनुसार ना जन्म हमारी मर्जी से होता है ना ही मृत्यु, तो जन्म मृत्यु के बीच होने वाली व्यवस्था हमारी मर्जी से कैसे हो सकती है। जो आपके योग्य होगा आपको मिल जाएगा, जो नहीं होगा वो छिना जायेगा, आपका काम है कर्म करते रहना।।02।।चार वेदों का अर्थ ना जानों तो कोई बात नहीं, परंतु इन चार शब्दों का मर्म जानों तो भी जीवन सार्थक हो जाये,,जो इसप्रकार हैं:-समझदारी, जबावदारी, वफादारी, ईमानदारी-।।03।।जब मैं मंदिर गया तो देखा पत्थर पड़ा था। मस्जिद गया तो देखा खाली पड़ा था, चर्च गया तो देखा सूली पर खड़ा था, गुरुद्वार गया तो देखा ढका पड़ा था। मगर:-जब अपने भीतर आत्म घट में गया तब मालूम पड़ा वो अंग संग खड़ा था और मैं झुक गया।।04।।हे विदेही बेहदी सारशब्दी सतगुरु आपका सुमिरण सबको दीजिए। सत सनातन का सुमार्ग पर चलें हमेशा, भावना ऐसी कीजिऐ। प्रेम करुणां का वरण हो, सष्टि में सृजन उत्थान हो, स्वास्थ्य तन हो, स्वास्थ्य मन हो, आशीष ऐसी सबको दीजिए।।05।।,,साँई अरुण जी महाराज नासिक महाराष्ट्र और सारशब्दीय संत परिवार को सादर समर्पित,,सालिकराम सोनी।।00।।
Sat sahib sat guru ji koti koti naman❤❤
Sat sahib bandgi guruji 🙏🙏🙏🌹🌹🌹
Sat saheb ji 🙏
[28/11, 6:37 PM] Shalekh Gram Soni: सत साहेब भाई जी आपने ही प्रश्न किया और आपने ही अनुभूति बतला दी है। बिना नाक के ही समस्त गंध की अनुभूति भी करता है। लिखना भूल गया था। अतः भूल के लिए मुझे क्षमा कीजिऐगा।।सालिकराम सोनी।।00।।
[28/11, 6:40 PM] Shalekh Gram Soni: परमपिता परमेश्वर हमारे अंदर और बाहर खचाखच भरा है। जिसे मोटे तौर पर आत्मा परमात्मा अनुभूति के नाम से संत जानते है।।
।।जय श्री सच्चिदानंद परमेश्वराय नमो नमः।।:-सुवाक्यम्:-आदि नाम को खोजले प्राणी, जाते होय मुक्ति सहिदानी सद् ग्रंथन की वाणी। आतम घट शब्द झनकार होई, ताहि लखै सुरति विरली कोई कोई। वह परमात्मा बिना पाँव के चलता है, बिना कान सब सुनता है, बिना हाथों के विविध कर्म करता है। बिना मुख के सकल रसों का पान करता है। बिना वाणी स्वयं ही सारशब्द नांद करता है। यही उसका अविनाशी, सर्वव्यापक, सर्वश्रेष्ठ, सर्वोत्तम, सर्वनियंता सत्य स्वरुप सगुण निर्गुण निराकार साकार से परे आदि मध्य अंत रहित स्वरुप है। जिसे सतगुरु से जानकर जनम मरण से मुक्ति प्राप्त होती है और अंत समय परमधाम की प्राप्ति भी होती है।।01।।भगवत गीता के अनुसार ना जन्म हमारी मर्जी से होता है ना ही मृत्यु, तो जन्म मृत्यु के बीच होने वाली व्यवस्था हमारी मर्जी से कैसे हो सकती है। जो आपके योग्य होगा आपको मिल जाएगा, जो नहीं होगा वो छिना जायेगा, आपका काम है कर्म करते रहना।।02।।चार वेदों का अर्थ ना जानों तो कोई बात नहीं, परंतु इन चार शब्दों का मर्म जानों तो भी जीवन सार्थक हो जाये,,जो इसप्रकार हैं:-समझदारी, जबावदारी, वफादारी, ईमानदारी-।।03।।जब मैं मंदिर गया तो देखा पत्थर पड़ा था। मस्जिद गया तो देखा खाली पड़ा था, चर्च गया तो देखा सूली पर खड़ा था, गुरुद्वार गया तो देखा ढका पड़ा था। मगर:-जब अपने भीतर आत्म घट में गया तब मालूम पड़ा वो अंग संग खड़ा था और मैं झुक गया।।04।।हे विदेही बेहदी सारशब्दी सतगुरु आपका सुमिरण सबको दीजिए। सत सनातन का सुमार्ग पर चलें हमेशा, भावना ऐसी कीजिऐ। प्रेम करुणां का वरण हो, सष्टि में सृजन उत्थान हो, स्वास्थ्य तन हो, स्वास्थ्य मन हो, आशीष ऐसी सबको दीजिए।।05।।,,साँई अरुण जी महाराज नासिक महाराष्ट्र और सारशब्दीय संत परिवार को सादर समर्पित,,सालिकराम सोनी।।00।।
Sat saheb guruji