bunkhal mela 2023 || बूंखाल मेला || Part 4

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  • เผยแพร่เมื่อ 2 ต.ค. 2024
  • .बूंखाल मेला: आस्था और संस्कृति का एक जीवंत उत्सव
    बूंखाल मेला उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले के बूंखाल गांव में आयोजित होने वाला एक प्रतिष्ठित वार्षिक कार्यक्रम है। देवी कालिंका की पूजा के लिए समर्पित यह जीवंत उत्सव, क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और धार्मिक उत्साह का एक प्रमाण है।
    तिथियां और महत्व:
    बूंखाल मेला दिसंबर में एक शनिवार को आयोजित किया जाता है। हाल ही में यह उत्सव 2 दिसंबर, 2023 को मनाया गया था।
    यह चंद्र चक्र के साथ मेल खाता है, जो कार्तिक पूर्णिमा के एक दिन पहले आता है। हिंदू धर्म में पूर्णिमा का दिन शुभ माना जाता है।
    उत्सव और मुख्य आकर्षण:
    पहला दिन: भक्त पूरे उत्साह के साथ बूंखाल की तीर्थ यात्रा पर निकलते हैं। मुख्य आकर्षण देवी कालिंका की मूर्ति का जुलूस है, जिसे पूरे गांव की सड़कों पर ले जाया जाता है। इस दौरान भक्त मंत्रों, प्रार्थनाओं और प्रसाद के साथ मूर्ति की पूजा करते हैं।
    दूसरा दिन: उत्सव अपनी चरम पर पहुंच जाता है जब मूर्ति को उसके पवित्र स्थान बूंखाल मंदिर में वापस लाया जाता है। इस दिन आप लोक संगीत, नृत्य और नाट्य परंपराओं का प्रदर्शन देख सकते हैं। इसके साथ ही आप स्थानीय शिल्प, स्वादिष्ट भोजन और पारंपरिक वस्तुओं से भरे बाजारों का भी आनंद ले सकते हैं।
    विशिष्ट पहलू:
    2014 तक, बूंखाल मेला में पशु बलि की प्रथा थी, जो स्थानीय रीति-रिवाजों में गहराई से जुड़ी थी। हालांकि, इसमें एक महत्वपूर्ण बदलाव आया और अब पशु बलि के स्थान पर नारियल पानी का प्रतीकात्मक अर्पण किया जाता है। यह सामाजिक चेतना और पशु कल्याण के प्रति संवेदनशीलता को दर्शाता है।
    पहाड़ी की चोटी पर स्थित देवी कालिंका का प्राचीन मंदिर, आसपास के परिदृश्य के लुभावने दृश्य प्रस्तुत करता है, जो इस उत्सव के रहस्यमय वातावरण को और बढ़ा देता है।
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