ज़िम्बाब्वे: एक बेहतर ज़िंदगी का सपना [Zimbabwe: Dream of a Better Life]। DW Documentary हिन्दी
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- เผยแพร่เมื่อ 9 ก.ย. 2024
- ज़िम्बाब्वे की अर्थव्यवस्था चरमरा गई है और बहुत से युवा पैसा कमाने के लिए दूसरे देशों में जा रहे हैं. जो लोग ज़िम्बाब्वे में रहते हैं, वे यूरोप या अन्य अफ्रीकी देशों में काम करने वाले परिवार के सदस्यों से मिलने वाले पैसों पर निर्भर हैं.
‘ज़िंदगी और पैसा’ नाम की यह फ़िल्म, एक परिवार की कहानी के ज़रिये माइग्रेशन की हक़ीक़त बताती है. ऐसा परिवार, जिसके सदस्य खराब अर्थव्यवस्था के कारण अलग-अलग रहने पर मजबूर हो गए हैं. सभी भाई-बहन यानी कि फ़्रैंक, जो दक्षिण अफ्रीका के केपटाउन में रहता है, माइल्स और पोर्शिया, जो इंग्लैंड में रहकर काम करते हैं और घर में पैसा भेजकर परिवार का ज़रूरतें पूरी करते हैं. साथ ही उन्हें अपने देश, अपने वतन की याद भी सताती है. चौथी बहन क्रिस्थल, अभी भी ज़िम्बाब्वे में रहती है और नौकरी होने के बावजूद आर्थिक रूप से परिवार की मदद करने में असमर्थ है. उनकी मां, मैमिलो, ज़िम्बाब्वे में रह रहे वृहद परिवार में सभी के लिए संपर्क का केंद्र हैं. जिसे भी पैसों की जरूरत हो, वह पूरी उम्मीद के साथ इनके पास आता है. लेकिन हर कर्ज़ के साथ तनाव भी बढ़ता है. फ़्रैंक मदद करना चाहता है लेकिन जब उसकी मां उन पैसों का इस्तेमाल उन चीजों के लिए करती हैं, जिनसे वह सहमत नहीं है, तो उसे अच्छा नहीं लगता.
कोविड-19 महामारी के कारण दक्षिण अफ्रीका और ज़िम्बाब्वे में सख़्त लॉकडाउन लगने के बाद, ज़िंदगी और मुश्किल हो गई. मैमिलो ने अपनी सबसे छोटी बेटी क्रिस्थल को अपने भाई-बहनों के नक्शेकदम पर चलने और ज़िम्बाब्वे छोड़ने को लेकर समझाया है.
यह फिल्म फ़्रैंक और उसके परिवार की कहानी को कई आयाम से देखने का मौका देती है. यह दर्शाती है कि वे सब अपने परिवार की ज़रूरतें पूरी करने के लिए कितना त्याग करने को तैयार हैं?
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